The 40 Rules of Love Book Summary in Hindi – क्या आप मोहब्बत के बारे में जानना चाहते हैं ?

The 40 Rules of Love Book Summary in Hindi – 40 रुल्स ऑफ लव अलिफ शफाक द्वारा लिखी गई नोवेल है जो मार्च 2009 में पब्लिश की गई। यह नोवेल मौलाना जलाद उद्दीन जो रूमी के नाम से प्रसिद्ध है और उनके शागिर्द शम्स तब्रिजी के बारे में है। यह नोवेल हमें बताती है कि किस तरह शम्स तब्रेजी रूमी की मोहब्बत से एक शिष्य से एक सूफी बने।

क्या आप खुद से मोहब्बत करना चाहते हैं, क्या आप अपनी जिंदगी को सुधारना चाहते हैं, या फिर क्या आप अध्यात्म में विश्वास रखते हैं तो ये बुक आपके लिए है।

लेखिका

शफाक का जन्म 25 अक्टूबर 1971 स्टीसबॉर्ग, फ्रांस (Strasbourg, France) में हुआ था। शफाक अंग्रेजी और तुर्की में लिखती हैं, और उन्होंने 17 बुक पब्लिश की है, जिनमें से 11 नोवेल है, जिनमें दि बस्टर्ड ऑफ इस्तांबुल, 40रूल्स ऑफ लव और थ्री डॉटर्स ऑफ ईव शामिल है। उनकी बुक्स 49 भाषाओं में ट्रांसलेट की गई है, और उन्हें शानदार पुरस्कार Chevalier de I’Ordre des Arts et des Lettres से सम्मानित किया गया।

The 40 Rules of Love Book Summary in Hindi – क्या आप मोहब्बत के बारे में जानना चाहते हैं ?

40 रूल्स ऑफ लव अलिफ शफाक की लिखी गई नॉवेल है जो ऐला रूबिंस्टीन (Ella Rubinstein) की कहानी बयान करती है।

ऐला की उम्र लगभग 30 साल है, और उसके तीन बच्चे है। वह उसकी ज़िंदगी से खुश तो है पर उसे फिर भी किसी कमी का एहसास होता है।

ऐला को एक लिटररी एजेंसी (literary agency) में एक असिस्टेंट एडिटर ( assistant editor) की जॉब मिल जाती है। उसे स्वीट ब्लेस्फेमी (sweet blesphemy) नाम की पहली नोवेल रिव्यू करने को मिलती है। यह नोवेल एक सूफी दरवेश और एक आध्यात्मिक कवि, रूमी के बीच मोहब्बत को दर्शाती है।

जैसे ही ऐला स्वीट ब्लेस्फेमी पढ़ना शुरू करती है, उसे एहसास होता जाता है कि उसकी जिंदगी में मोहब्बत की कमी है, वह नोवेल में दर्शाई गई मोहब्बत से प्रेरित हो जाती है।

स्वीट ब्लेस्फेमी शम्स तब्रिज (Shams Tabriz) के रूमी को एक सच्चे साथी के रूप में ढूंढने से शुरू होती है | शम्स तब्रिज रूम में एक जाने-माने इस्लामिक विद्वान है।

रूमी और शम्स ने बंद कमरे में बैठकर मोहब्बत और रूहानियत पर गहराई से चर्चा की।

जैसे-जैसे एला नोवेल को आगे पढ़ती जाती हैं, उसे लेखक अजीज के लिए दिल में एक सॉफ्ट कॉर्नर महसूस होता है। और आगे चलकर वह दोनों आपस में ई-मेल के जरिए अपनी लाइफ के बारे में एक दूसरे को बताते हैं।

इसी दौरान अजीज के रूप में एला प्यार और नुकसान को करती है। महसूस लगातार अलग-अलग लोगों से बातचीत करने के बाद और उन्हें समझने के बाद, शम्स अपनी बुक में 40 रुल्स ऑफ लव को दर्शात हैं।

रूल 1

जिस तरह हम खुदा को देखते हैं, उसी तरह हम अपने आप को देखते हैं। अगर हम खुदा को दोष और डर के रूप में तसव्वुर (सोचते) करते हैं, तो इसका मतलब यह है कि हमारे अंदर भी डर और दोष भर चुका है। इसी तरह अगर खुदा को प्यार और मोहब्बत के रूप में देखते हैं तो हमारे अंदर भी प्यार और मोहब्बत पैदा होते हैं।

रुल 2

सच्चाई का रास्ता खोजने के लिए हमें दिल की जरूरत है ना कि दिमाग की। सच्चा रास्ता ढूंढने के लिए, हमें अपने दिल को मार्गदर्शक बनाना चाहिए, ना कि अपने दिमाग को। चुनौतियों के सामने खड़े होकर, और उनका सामना दिल से करने के बाद हम अपनी नफ्स पर काबू पा सकते हैं। और हमें यह जान लेना चाहिए कि हमारा अहंकार (ईगो) हमे खुदा के इल्म (knowledge) तक पहुंचा देगा।

रुल 3

खुदा को हम किसी भी चीज या कोई भी शख्स से जान सकते हैं, खुदा सिर्फ मस्जिद या चर्च तक ही मेहदूद (confined) नहीं है। लेकिन इस सब के बाद भी अगर किसी को बेचैनी हो कि खुदा का ठिकाना कहां है तो उसे एक सच्चे आशिक के दिल में ढूंढना चाहिए क्योंकि खुदा का ठिकाना अक्सर वहीं होता है।

रुल 4

समझदारी और मोहब्बत अलग-अलग चीजों से बनते हैं। अक्ल लोगों को गांठ से बांधती है और उसमें किसी चीज का खतरा नहीं होता। पर मोहब्बत में बहुत सी उलझने होती है, और उसमें हर तरह का खतरा होता है। आखिर में हर चीज सोच समझकर की जाती है, और जहां बहुत ज्यादा खुशी होती है वहां सोच समझ कर चलना होता है। जबकि मोहब्बत में कुछ सोचा नहीं जाता और बस मोहब्बत हो जाती है। अक्ल से किया हुआ कुछ भी काम जल्दी टूटता नहीं, जबकि मोहब्बत आसानी से टूट कर बिखर जाती है। लेकिन जहां मोहब्बत टूट कर भी कायम रहती है वहां अक्सर खजाने पाए जाते हैं। अक्सर टूटे दिल में ही खज़ाने पाए जाते हैं।

रुल 5

आमतौर पर दुनिया के मसले छोटी-छोटी गलतफहमियों से होते हैं। शब्दों को लेकर कभी भी कोई फैसला नहीं करना चाहिए। जब इंसान मोहब्बत में कदम रखता है, तब शब्दों का महत्व बहुत कम हो जाता है। क्यों कि जो बात चुप रहकर कही जा सकती है वह शब्दों से नहीं की जा सकती।

रुल 6

अकेले रहने और अकेले हो जाने में फर्क होता है। जब कोई शख्स अकेला हो जाता है, उसे इस बात की गलतफहमी होती है कि वह सही रास्ते पर है। लेकिन खुद अपनी मर्जी से अकेले रहना बेहतर है, क्यों की अकेलापन महसूस किए बिना अकेले रहना बेहतर है। लेकिन आखिर में सबसे बेहतर यह होता है कि इंसान किसी ऐसे शख्स को पा ले जो खुद शीशा देखने पर उसे नजर आए। क्योंकि इस बात को याद रखना चाहिए, कि किसी दूसरे शख्स के दिल में ही हम अपने आप को सही तरीके से देख सकते हैं, और अपने अंदर खुदा की मौजूदगी को महसूस कर सकते हैं।

रुल 7

चाहे जिंदगी में कितनी भी बड़ी मुश्किल आजाए, और सामने कोई रास्ता दिखाई ना दे, फिर भी अपने आप को टूटने से बचाना चाहिए। अगर हमें यह भी लगने लगे कि सारे उम्मीद के दरवाजे बंद हो चुके हैं, तब भी खुदा हमारे लिए एक नया उम्मीद का दरवाजा खोलेगा, खास हमारे ही लिए हमेशा खुदा का शुक्रगुजार होना चाहिए, क्योंकि शुक्र करना आसान होता है जब सब कुछ ठीक हो लेकिन मुश्किल वक्त में शुक्र करना बहुत मुश्किल होता है। एक सूफी उन तमाम चीजों के लिए शुक्रगुजार होता है जो उसे खुदा से मिली है और उनके लिए भी जो उसे नहीं मिली।

रुल 8

सब्र करने का मतलब सिर्फ बर्दाश्त करना नहीं होता। बल्कि हालात के अंजाम को सोचना होता है। कांटे देखने के बाद गुलाब को देखना, रात को देखने के बाद सुबह की तरफ देखना, यह सब होता है। बेसब्री का मतलब होता है हालात के अंजाम को नजरंदाज करना । खुदा से मोहब्बत करने वालों में कभी सब्र की कमी नहीं होती और वह चांद के पूरे होने का इंतजार करते हैं।

रुल 9

उत्तर, दक्षिण, पश्चिम और पूर्व से कोई फर्क नहीं पड़ता। हर दिशा के सफर से सीखना चाहिए। इस तरह से चाहे और कोई भी दिशा में जाए, आपको आपकी मंजिल मिल जाएगी।

रुल 10

एक औरत जब मां बनने वाली होती है तो उसे पता होता है कि बिना दर्द के वह औलाद को जन्म नहीं दे सकती। इसी तरह अगर किसी को अपने अंदर की काबिलियत को पैदा करना हो तो उसका रास्ता कांटों से होकर गुजरता है। जैसे मिट्टी के पुतले को बनाने के लिए मिट्टी को तेज तापमान में तपना होता है, मोहब्बत को भी तकलीफों से गुजर कर मजबूत बनाया जा सकता है।

रुल 11

मोहब्बत की खोज में इंसान को बदलना पड़ता है। मोहब्बत की खोज उसके लिए नहीं है जो खुद को बदलने के लिए तैयार नहीं है। जैसे ही आप मोहब्बत को ढूंढने निकलते हैं आप अंदर से बदलना शुरू हो जाते हैं।

रुल 12

इस दुनिया में नकली और छोटे गुरु उतने ही है जितने कि आसमान में तारे। पावरफुल और खुदगर्ज लोगों को कभी बिना सोचे समझे गुरु नहीं मानना चाहिए। एक सच्चा और आध्यात्मिक गुरु कभी आपसे खुद की बढ़ाई करने को या खुद की इज्जत करने को नहीं चाहेगा। बल्कि वह आपको खुद को पसंद करने की और खुद की इज्जत करने की सलाह देगा। वह कांच की तरह पारदर्शी (transparent) होते हैं। वो खुदा की रोशनी को उनके अंदर से गुजरने देते हैं।

रुल 13

आपके रास्ते में आने वाले बदलावों से डरना नहीं चाहिए बल्कि उसे अपनाना चाहिए। बल्कि नई जिंदगी को अपने अंदर आने देना चाहिए। और इस बात की फिक्र नहीं करनी चाहिए कि आपकी जिंदगी उलट-पुलट हो रही है। यह बात हमें नहीं पता होती कि हमारी अभी की जिंदगी ज्यादा बेहतर है या आने वाले बदलाव से जिंदगी ज्यादा बेहतर होगी। जिंदगी में आने वाले बदलाव आपको खुशी से अपनाना चाहिए और जिंदगी जीना चाहिए।

रुल 14

खुदा हमारे अंदर की उधार की जिंदगी को सुधारने में और बनाने में मसरूफ है। वह हमारे इर्द-गिर्द है। खुदा हर शख्स को परफेक्ट बनाने में मसरूफ है। हर शख्स परफेक्शन की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि खुदा यह चाहता है। हम सब अधूरे हैं और खुदा के हमारे पूरे करने का इंतजार कर रहे हैं। इंसानियत एक कला है जिसका हर एक शख्स एक नुक्ता लगता है और यह ही नुक्ता इस कला में अहमियत रखता है। एक भी नुक्ते के बगैर यह कला अधूरी है।

रुल 15

खुदा से मोहब्बत करना आसान है क्योंकि उसमें ना कोई कमी है, ना कोई दाग है, वह अपने आप में परफेक्ट है। लेकिन एक इंसान से मोहब्बत करना बहुत मुश्किल है जिसमें कई तरह की कमियां, कई तरह के दाग है, और वह शक्स कई तरह से अधूरा होता है। यह याद रखना चाहिए कि एक शख्स को ही पता होता है कि वह कितनी मोहब्बत कर सकता है। आध्यात्मिकता मोहब्बत के बगैर अधूरी है । जब तक हम खुदा की बनाई गई चीजों से मोहब्बत नहीं कर सकते हम खुदा को नहीं जान सकते और ना ही उससे मोहब्बत कर सकते है।

रुल 16

सच्ची आस्था हमारे अंदर होती है। बाहर की दिखावटी आस्था जल्द ही खत्म जाती है। एक ही तरह की गंदगी पानी से दूर नहीं जा सकती जो कि हमारे अंतर्मन के अंदर की नफरत की गंदगी होती है। हम रोज़ा रखकर (fasting) अपने तन के अंदर की गंदगी को साफ कर सकते हैं अपने तन के अंदर की गंदगी को साफ कर सकते हैं, लेकिन दिल को साफ करने के लिए मोहब्बत की जरूरत होती है।

रुल 17

सारा जहान एक ही इंसान के अंदर बसता है और वह हैं आप। जो कुछ भी आप आपके आसपास देखते हैं, वह भी जो आपको ज्यादा पसंद ना हो, जिसे आप नजरअंदाज करते हो, जिससे आप नफरत करते हो, यह सब कुछ आपके अंदर बसता है अलग-अलग स्तर पर । इसीलिए हमें शैतान को बाहर ढूंढने के बजाय अपने अंदर ढूंढना चाहिए। शैतान ऐसी ताकत है जो बाहर से हमला नहीं करता, बल्कि हमारी अंदर की आवाज के जरिए हमको बहकाता है। अगर हम खुद को सही तरीके से पहचान लें तो हम शैतान का सामना कर सकते हैं, और उसे हरा भी सकते हैं।

रुल 18

अगर आप चाहते हो कि लोग आपसे पेश आने का रवैया बदल लें, तो सबसे पहले आपको खुद के लिए अपना रवैया बदलना होगा, पूरी तरह और भरोसे के साथ, यही तरीका है जिससे कि आप मोहब्बत पा सकते हैं। और हालांकि हमें हमारी ओर फेंके हुए हैं हर कांटे के लिए शुक्रगुजार होना चाहिए, क्योंकि आने वाले वक्त में यही कांटे गुलाबों में जरूर बदलेंगे।

रुल 19

हमे परवाह नहीं करनी चाहिए कि रास्ता आप को कहां ले जाएगा, बल्कि हमें अपने पहले कदम पर फोकस करना चाहिए, क्योंकि मंजिल की तरफ पहला कदम उठाना ही सबसे मुश्किल काम होता है जिसके हम जिम्मेदार होते हैं। जैसे ही आप अपना पहला कदम बढ़ा लें, उसके बाद जो होता है उसे अपने आप होने दें। हमें बहाव के साथ नहीं बहना चाहिए, बल्कि हमें अपने आप को बहाव बनाना चाहिए।

रुल 20

हम सब को एक ही खुदा ने बनाया है, लेकिन उस एक खुदा ने हम सब को अलग अलग बनाया है। कोई दो शख्स कभी एक जैसे नहीं होते, उनके दिल अलग अलग तरीके से धड़कते हैं। अगर खुदा को सबको एक जैसा बनाना होता तो वह बना देता। इसीलिए दूसरों को नीचे दिखाना और उनकी बेइज्जती करना और उन पर अपनी मर्जी लाधना खुदा की बेइज्जती करना है।

रुल 21

जब कोई शख्स जो खुदा से मोहब्बत करता हो, शराबखाने में जाता है तो वह शराब खाने को अपने इबादत का ठिकाना बना लेता है। लेकिन जब कोई शख्स जिसे शराब की लत हो, शराब खाने में जाता है तो वह उसके लिए शराब खाना ही रहता है। हम जो भी करते हैं, वह हमारा दिल होता है जिससे कि फर्क पड़ता है, ना कि हमारी बाहरी दिखावट। सूफी किसी को अपनी बाहरी दिखावट की वजह से या उनकी हैसियत की वजह से कभी जज नहीं करते। जब सूफी किसी को देखता है तब वह अपनी दोनों आंखें बंद कर लेता है और तीसरी आंख से उस शख्स को देखता है जिससे उसे उस शख्स के अंदर की सच्चाई दिखती है।

रुल 22

यह दुनिया के जिंदगी हमेशा रहने वाली जिंदगी नहीं है बल्कि असल जिंदगी की एक नकल है। सिर्फ एक बच्चा ही असल चीज में और उसकी नकल करके बनाए गए खिलौने में फर्क नहीं पहचान पाता। इसके बाद भी इंसान को खिलौने से बहुत ज्यादा लगाव हो जाता है या उसे बेज्जती के साथ तोड़ देता है और एक कोने में फेंक देता है। इस दुनिया में इंसान को कोई भी चीज का दायरा पार नहीं करना चाहिए बल्कि दायरे में रह कर उस काम को करना चाहिए। एक सूफी कभी किसी चीज का दायरा पार नहीं करता, बल्कि हमेशा दायरे में रहता है।

रुल 23

इंसान खुदा की बनाई सबसे नायाब मखलूक है, और खुदा ने खुद कहा है कि मैंने इंसान को बनाने के लिए अपनी रोहानियत से उसमें जान फूकी। हम में से हर एक खुदा का पैगाम दुनिया में फैलाने के लिए इस दुनिया में आए हैं। हम यह सवाल खुद से पूछे हैं कि क्या हम खुदा के पैगाम को फैला रहे हैं? हम सब को अपने अंदर की रोहानीयत को खोजना चाहिए और उसके साथ जिंदगी बितानी चाहिए।

रुल 24

दोजक (hell) इस जिंदगी में भी है और जिंदगी के बाद भी है। और इसी तरह जन्नत (jannat) भी है। हमें दोजक की चिंता नहीं करनी चाहिए और जन्नत में जाने के ख्वाब भी नहीं देखना चाहिए, क्यों कि जन्नत और दोजक हर पल में मौजूद है। जब भी हम मोहब्बत बांटते हैं, तो हम जन्नत में होते हैं। और जब भी हम नफरत फैलाते हैं या किसी से लड़ाई करते हैं या जलन को जाहिर करते हैं तो हम दोज़क में होते हैं।

रुल 25

हम में से हर एक अपनी समझ के मुताबिक कुरान की तफसीर (comprehend) करता है। तफसीर करने के 4 तरीके होते हैं। पहला तरीका होता है, सिर्फ बाहरी मतलब समझना, जिसमें ज्यादातर लोगों की संतुष्टि होती है। दूसरा तरीका होता है अंदर का मतलब समझना जिसे बातिन भी कहते हैं। तीसरा तरीका होता है बातिन का बातिन समझना। और चौथा तरीका इतना गहरा होता है कि उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

रुल 26

सारा जहां बहुत बड़ा होकर भी बहुत छोटा है। इसमें हर शख्स दूसरे शख्स के साथ एक ना दिखाई देने वाले जाल से जुड़ा हुआ है। हमें इसका पता नहीं होता है लेकिन हम सब एक दूसरे के साथ एक साइलेंट कन्वर्सेशन में होते हैं। किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए बल्कि जितना हो सके मदद करनी चाहिए। हमें पीठ पीछे किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए जिसे चुगली भी कहते हैं, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों ना हो। जो चुगली हम करते हैं वहां हमारे आसपास ही होती है और गायब नहीं होती और वक्त आने पर हमें उसका सामना करना पड़ता है। सिर्फ एक शख्स की तकलीफ से हम सब परेशान होंगे और एक शख्स को खुश करके हम सब खुश होंगे।

रुल 27

हम जैसे लोगों के साथ करते हैं चाहे वह अच्छा हो या बुरा हमारे साथ भी ऐसा ही होता है। इसीलिए अगर कोई हमें बुरा भला कहता है तो बदले में उसे बुरा भला कहने से हालात और खराब होते हैं। आप एक घर में कैद हो जाएंगे जिसमें आप किसी और को नुकसान पहुंचाने के अलावा कुछ और सोच नहीं पाएंगे। इसके बजाय हमें उस शख्स के बारे में अच्छा सोचना चाहिए। 40 दिन लगातार ऐसा करने से आप अंदर से बदल चुके होंगे और आपके अंदर की नफरत की भावना भी खत्म हो चुकी होगी।

रुल 28

हमारा अतीत एक इंटरप्रिटेशन (interpretation) है और हमारा भविष्य एक इल्यूजन (illusion) है। दुनिया समय के साथ आगे नहीं बढ़ती है, बल्कि ऐसा जाहिर होता है जैसे वह एक सीधी लकीर है जो कि हमारे अतीत से भविष्य की ओर बढ़ रही है। वो वक्त होता है जो हमारे अंदर और बाहर से गुजरता है और हमारे इर्द-गिर्द अनेक स्पाइरल बनाता है। इटरनिटी (eternity) का असल मतलब वक्त का थम जाना ही नहीं है, बल्कि वक्त को ध्यान से निकाल देना है। अतीत और भविष्य को एक तरफ रख देना चाहिए और वर्तमान में जीना चाहिए।

रुल 29

मुकद्दर का मतलब यह नहीं होता कि हमारी जिंदगी में जो होने वाला है सब कुछ पहले से लिखा हुआ है। इसीलिए किस्मत पर सब कुछ छोड़ देना और दुनिया के तौर-तरीकों में अपनी भागीदारी ना देना, एक बेवकूफी है। इस जहान का संगीत हर जगह फैला हुआ है और 40 स्तर से बनता है। आपकी किस्मत वह स्तर है जहां आप आप की धुन बजाते हैं। यह मुमकिन है कि आप आपका उपकरण ना बदल सके पर जो उपकरण आपके पास है उससे आप कितनी मधुर धुन पैदा करते हैं वह पूरी तरह आपके ऊपर है

रुल 30

एक सच्चा सूफी वह है जो उसके साथ होने वाले अत्याचारों, हमलों, और बुराइयों को सब्र के साथ बर्दाश्त करता है और यह सब करने वाले को बदले में एक शब्द भी बुरा भला नहीं कहता। एक सूफी खुद के साथ होने वाली घटनाओं के लिए कभी किसी और को दोषी नहीं ठहराता। कोई दुश्मन कैसे हो सकता है उसका जिसके लिए उसकी दुनिया खुद में बस्ती हो। और ऐसे शक्स जिसकी दुनिया खुद ना बस्ती हो उसके लिए कोई दूसरा दोस्त कैसे हो सकता है।

रुल 31

अगर आपको आपकी आस्था को मजबूत करना है तो पहले आपको अपने आप को अंदर से मजबूत करना होगा। अपनी आस्था को मजबूत बनाने के लिए पहले आपको अपने दिल को एक पंख से भी ज्यादा हल्का और नरम बनाना होगा। हमारे साथ पेश आने वाली हर मुसीबत हर कठिनाई और हर दर्द जो हम महसूस करते हैं, हमें खुदगर्ज होने से बचाता है और हमें सिखाता है कि किस तरह मोहब्बत और सहानुभूति बाटनी चाहिए। इसी तरह दो तरह के लोग पैदा होते हैं जो कि मुसीबतों का सामना करने के बाद नरम दिल हो जाते हैं और मोहब्बत बांटते हैं और एक वह जो पहले से भी ज्यादा क्रूर हो जाते हैं।

रुल 32

आपके और खुदा के बीच में किसी चीज की जगह नहीं होनी चाहिए। यहां तक कि कोई इमाम या कोई पादरी या धर्म का कोई भी बड़ा सा बड़ा जानने वाला। और ना ही आपकी आस्था। अपने नियमों और उसूलों पर भरोसा रखना चाहिए लेकिन अपने उसूलों को कभी दूसरों के उसूलों पर थोपना नहीं चाहिए। लोगों का दिल तोड़ते हुए आप चाहे कितनी भी इबादत कर लें या नेक काम कर ले वह किसी काम के नहीं रहते। किसी को अपना आइडल नहीं बनाना चाहिए क्योंकि उससे आपकी नजरें धुंधली पड़ जाएंगी। खुदा के रास्ते कोई अपना सच्चा रास्ता मानते हुए आगे बढ़ना चाहिए और खुदा को ही अपना मार्गदर्शक मानना चाहिए। सच को सीखना चाहिए, लेकिन अपने अंदर की सच्चाईयों को तलब नहीं करना चाहिए

रुल 33

जहां एक तरफ इस दुनिया में हर शख्स कुछ बनना चाहता है अपनी पूरी जिंदगी उसमें लगा कर और फिर उसकी मौत के बाद वह सब यही छोड़ जाता है, तो दूसरी तरफ एक सच्चा सूफी इस दुनिया से कुछ नहीं चाहता। इस जिंदगी से हमें शून्य के बराबर ख्वाइशे रखनी चाहिए। सूफी एक मटके की तरह होता है जो अपने अंदर के खालीपन की वजह से टिका हुआ होता है और उसके बाहर की सजावट कोई मायने नहीं रखती। इसी तरह हम भी वह नहीं है जो हम बनना चाहते हैं, बल्कि हमारे कुछ ना पाने की ख्वाहिश हमें आगे बढ़ने की क्षमता देती रहती है।

रुल 34

अपने आप को खुदा को सौंपने का मतलब यह नहीं है कि हम कमजोर हैं। यह हमें ना तो भाग्यवादी बनाता है न ही कोई हार मानने की इच्छा जाहिर करना वाला शख्स। खुद को सौंप देना सच्ची पावर है, वह पावर जो अंदर से आती है। जो अपने आप को जिंदगी को सौंप देते हैं, उन्हें कोई चिंता नहीं होती और शांति की जिंदगी गुजारते हैं, जब सारी दुनिया परेशानियों पर परेशानियों से जूझती रहती है।

रुल 35

इस दुनिया में हमें आगे बढ़ने में समानताएं मदद नहीं करती बल्कि बिल्कुल इसका उल्टा होता है। हम सबके अंदर आ समानताएं मौजूद हैं। इसलिए आस्तिक को आगे बढ़ने के लिए अपने अंदर के नास्तिक का सामना करना पड़ता है। उस नास्तिक को अपने अंदर के छिपे हुए आस्तिक को खोजना चाहिए। उसे तब तक करना चाहिए जब तक वह इंसान ए कामिल मतलब एक ऐसा इंसान जिसमें कोई कमी ना हो, ना बन जाए।

रुल 36

क्या दुनिया पारस्परिक था पर चलती है। इसका मतलब यह है कि जो नेक काम आप करेंगे वैसा ही आपके साथ होगा और जो आप बुरा काम करेंगे आप तो साथ ही वैसा ही होगा। अगर कोई शख्स किसी के साथ चालबाज़ी कर रहा है या किसी को परेशान कर रहा है, तो उसे यह याद रखना चाहिए कि खुदा भी उसके खिलाफ वैसा ही करेगा। क्योंकि खुदा की चाल ही सबसे बड़ी चाल होती है। हमें यह याद रखना चाहिए कि एक पत्ता भी उसकी इजाजत के बगैर नहीं हिलता। जो भी खुदा करता है उसके पीछे एक वजह होती है, एक बहुत खूबसूरत वजह।

रुल 37

खुदा ने हर चीज को बारीकी से बनाया है। हर चीज अपने वक्त पर अपना काम करती है खुदा के आदेश से, ना ही एक मिनट पहले ना एक मिनट बाद में। इसी तरह हर एक का समय मुकर्रर है। एक शक्स कब मोहब्बत करेगा और कब इस दुनिया से अलविदा लेगा इस सब का समय मुकर्रर है।

रुल 38

हमें खुद से यह सवाल करना चाहिए कि क्या मैं अपने जीने का तोर तरीका बदलना चाहता हूं? क्या मैं इसके लिए तैयार हूं? अगर आपका हर दिन पिछले दिन से बेहतर नहीं है तो यह जरूर दुख की बात है। हर पल और हर वक्त पर इंसान को अपने आप को पहले से नया बनाना चाहिए। एक नई जिंदगी में दाखिल होने के लिए हमें मौत के पहले एक बार और मरना पड़ेगा।

रुल 39

सिर्फ हमारे अंदर के हिस्से बदलते हैं और हम वैसे ही रहते है। हर एक शख्स जो चोरी करता है, उसके मरने के बाद एक और चोर पैदा होता। और हर एक आला शख्सियत जो इस दुनिया से रुखसती ले लेती है, उसके मरने के बाद एक और आला शख्सियत पैदा होती है। इस तरह कुछ हमेशा के लिए नहीं रहता, और बदलता भी नहीं। और हर सूफी के मरने के बाद एक और सूफी पैदा होता है।

रुल 40

एक जिंदगी जिसमे मोहब्बत ना हो उसका कोई वजूद नहीं है। हमें कुछ चाहिए तो यह नहीं पूछना चाहिए कि हमें किस तरह की मोहब्बत चाहिए, रोहानी या जिस्मानी, दक्षिणी या पूर्वी। भाग करने से और भाग पैदा होते हैं। मोहब्बत की कोई परिभाषा नहीं होती वह जैसी है वैसी ही रहती है, वो पाक और आसान होती है। मोहब्बत जिंदगी का पानी है। और मोहब्बत करने वाला आग की रूह है। दुनिया अलग महसूस होती है जब आग और पानी एक दूसरे से मोहब्बत करते हैं।

Conclusion

दोस्तों आपको आज का यह The 40 Rules of Love Book Summary in Hindi कैसा लगा ?

आज आपने मोहब्बत के बारे में क्या सीखा ?

अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

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