The Bet Book Summary in Hindi – हमारी अपनी कहानी

Hello दोस्तों, ये है Anton Chekhov की Book The Bet की Story. अगर आप दो Interesting लोगो की जिंदगी के बारे में जानना चाहते है तो आप यह बुक समरी आगे पढ़ सकते है –

The Bet Book Summary in Hindi

पतझड़ की एक काली रात थी. ओल्ड बैंकर अपनी स्टडी के एक कोने से दुसरे कोने तक बेसब्री से चक्कर काट रहा था. उसके माइंड में उस पार्टी की यादे घूम रही थी जो उसने आज से पन्द्रह साल पहले दी थी.

उस पार्टी में एक से बढ़कर एक क्लेवर लोग आये थे और बड़ी इंट्रेस्टिंग सी बाते हो रही थी. और टॉपिक्स के अलावा केपिटल पनिशमेंट पर भी डिस्कसन चल रहा था. गेस्ट में कुछ स्कोलार्स और जर्नलिस्ट भी शामिल थे.

पार्टी में मौजूद ज़्यादातर लोगो ने केपिटल पनिशमेंट को डिसअप्रूव ही किया था क्योंकि कई सारे लोगो को लगता था कि केपिटल पनिशमेंट सजा देने का एक बेहद आउटडेटेड तरीका हो गया है जोकि एक क्रीशीचियन (Christian) स्टेट में अनफिट और इमोरल (immoral) है.

कुछ लोगो का तो ये भी मानना था कि पूरी दुनिया में केपिटल पनिशमेंट को लाइफ इम्प्रिज़मेंट से रिप्लेस कर दिया जाए.

“मैं आपकी बात से एग्री नहीं करता” होस्ट ने कहा. “मेरे हिसाब से ना तो केपिटल पनिशमेंट और ना ही लाइफ इम्प्रिज्मेंट (life-imprisonment) बल्कि अगर कोई जज करे…और खुद के एक्स्पिरियेंश से मेरा ये ओपिनियन है कि केपिटल पनिशमेंट लाइफ इम्प्रिज्मेंट से ज्यादा मोरल और हुयूमेन (humane) तरीका है. क्योंकि एक्जीक्यूशन (Execution) में तो इंसान तुरंत मर जाता है लेकिन लाइफ इम्प्रिज्मेंट उसे घुट-घुट कर मरने पर मजबूर कर देती है.

तो ज्यादा हुयूमेन एक्जीक्यूशनर (humane executioner) कौन हुआ ? जो आपको एक झटके में मार दे या वो जो तड़पा–तड़पा कर आपकी जान ले वो भी सालो तक ?

“दोनों ही तरीके एक जैसे इमोरल है (immoral) एक गेस्ट बोला” क्योंकि दोनों का पर्पज सेम है, इंसान की जान लेना. स्टेट कोई गॉड नहीं है जो लोगो की जान लेता फिरे. जो चीज़ ये दे नहीं सकता वो ले कैसे सकता है?

इस ग्रुप में एक 25 साल का यंग लॉयर भी था, जब उसका ओपिनियन पुछा गया तो वो बोला”

“केपिटल पनिशमेंट और लाइफ इम्प्रिज्मेंट दोनों ही इमोरल है (immoral), लेकिन अगर मुझे किसी एक को चूज़ करना पड़े तो तो मै सर्टेनली (certainly) सेकंड वाले को ही चूज़ करूँगा. जिंदा रहना मर जाने से तो लाख गुना बैटर है. वहां इस टॉपिक पर एक लाइवली डिस्कसन (lively discussion) चल पड़ा. बैंकर जो तब यंग और ज्यादा नर्वस था अचानक उसने अपना टेम्पर खो दिया. जोर से टेबल पर मुक्का मारते हुए वो यंग लॉयर की तरफ मुड़ा और उस पर चिल्लाया : ये झूठ है, मै तुमसे 2 मिलियन की बेट (bet) लगाता हूँ कि तुम जेल में मुश्किल से 5 साल भी नहीं टिकोगे”.

“अगर बात इतनी सीरियस है तो ठीक है, मै भी बेट लगाता हूँ कि मै 5 नहीं बल्कि 15 साल जेल में गुज़ार सकता हूँ.

“15 साल! ओके डन(Done) बैंकर जोर से बोला – जेंटलमेन (Gentlemen) मै 2 मिलियन की शर्त लगाता हूँ” मै एग्री हूँ, तुम 2 मिलियन दांव पे लगा रहे हो और मै अपनी फ्रीडम:, लॉयर ने कहा. और इस तरह बहस की गर्मा-गर्मी में एक बै सिर-पैर की बेट लग गयी.

वो बिगड़ा और बदमिजाज़ बैंकर जिसके पास उस टाइम कई मिलियन डॉलर थे, बड़ी ख़ुशी से बैठ गया और सपर के टाइम वो लॉयर से मज़ाक में बोला” इससे पहले कि देर हो जाए, होश में आ जाओ यंग मेन, दो मिलियन डॉलर मेरे लिए कुछ भी नहीं है लेकिन तुम्हारी लाइफ के 3-4 बेस्ट इयर बर्बाद हो जायेंगे.

हां, मै 3-4 साल ही बोल रहा हूँ क्योंकि उससे ज्यादा तो तुम टिक भी नहीं पाओगे. और ये भी मत भूलो, दुखी आदमी कि वोलंटरी (voluntary) एन्फोर्स्ड इम्प्रिज्मेंट (enforced imprisonment) से कही ज्यादा भारी होती है.

तुम कभी भी खुद को जेल से आज़ाद कर सकते हो, ये आईडिया ही तुम्हारी सारी लाइफ बर्बाद कर देगा. मुझे तो तुम पर तरस आता है. और आज फिर से वही पुरानी यादे ताज़ा हो गयी थी. अपने स्टडीरूम के एक कोने से दुसरे कोने तक चक्कर काटते हुए उस बैंकर को सारी बाते याद आने लगी और उसने खुद से पुछा –

“क्यों मैंने वो बेट लगाईं ? इससे मुझे क्या मिला? उस बेचारे लॉयर ने अपनी लाइफ के 15 साल खो दिए और मैंने 2 मिलियन डॉलर. क्या इससे ये प्रूव हो सकेगा कि केपिअल पनिशमेंट लाइफ इम्प्रिज्मेंट से बैटर है या बुरी है ? नहीं, कभी भी नहीं, ये सब एक बकवास है. मेरे जैसे अमीर आदमी के लिए ये बस टाइम पास था और उस लॉयर को पैसो का लालच!  बस और कुछ नहीं.

एक बार फिर वो बीती बातो में खो गया. उसे याद आया कि उस शाम पार्टी के बाद क्या हुआ था. ये डिसाइड किया गया कि वो लॉयर बैंकर के घर के गार्डेन विंग में स्ट्रिक (strict) ओब्ज़ेरवेशन (observation) में रहेगा. जेल की टाइम पीरियड के दौरान उसे किसी से मिलने जुलने नहीं दिया जाएगा और ना ही वो किसी से बात कर सकेगा. उसे न्यूज़ पेपर और लैटर्स भी नहीं दिए जायेगे.

बस उसे एक म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट (musical Instrument) रखने, बुक्स पढने, लैटर लिखने, वाइन पीने और स्मोक करने की परमिशन मिलेगी. और एग्रीमेंट के हिसाब से उसे सिर्फ साइलेंट कम्यूनिकेशन यानी सिर्फ इशारों में ही बात करनी होगी. और उसकी कोठरी में एक छोटी सी विंडो बनाई गयी ताकि वो बाहर की दुनिया देख सके. और उसे जो भी जरूरत की चीज़ उसे चाहिए हो जैसे बुक्स, म्यूजिक और वाइन वगैरह वो उस विंडो के थ्रू नोट भेजकर मंगा सकता था. और एग्रीमेंट (agreement) के हिसाब से उसके हर मिनट की डिटेल्स रखी जाएगी ताकि उस पर कड़ी नजर रखी जा सके और उस लॉयर को नवम्बर 14, 1870, एक्जेक्ट 12 बजे से लेकर 14 नवंबर,1885, 12 बजे तक नज़रबंद रहना था.

और इस बेट में ये भी कंडीशन थी कि अगर वो इस टाइम पीरियड में कैद से सिर्फ दो मिनट पहले भी बाहर निकला तो बैंकर उसे 2 मिलियन नहीं देगा. उस लॉयर के शोर्ट नोट्स से पता चलता था कि अपने इम्प्रिज्मेंट के फर्स्ट इयर में उसे बहुत ज्यादा बोरियत और लोंनलीनेस फील हुई. उसके विंग से रात दिन पियानो की आवाज़े आती थी.

उसने वाइन और टोबेको भी नहीं ली. उसने लिखा था – वाइन, डिजायर्स (desires) जगाती है और डिजायर्स एक प्रिजनर की सबसे बड़ी दुश्मन है. और सबसे बड़ी बात कि अकेले बैठकर बढ़िया वाइन पीना बहुत बोरिंग लगता है और टोबेको की बू पूरे कमरे में फ़ैल जाती है. पहले साल में लॉयर को पढने के लिए ह्ल्की-फुलकी बुक्स प्रोवाइड की गयी जैसे लव स्टोरीज़, क्राइम और फेंटेसीज, कॉमेडी टाइप की स्टोरीज़.

सेकंड इयर में पियानो का साउंड आना कम हो गया था और लॉयर पढने के लिए सिर्फ क्लासिक बुक्स ही मांगता था. फिर फिफ्थ इयर में म्यूजिक फिर से चालू हो गया और प्रिजनर वाइन भी डिमांड करता था.

जो लोग उस पर नज़र रख रहे थे उन्होंने बताया कि इस दौरान उसने बस खाया, पीया और बेड पे पड़ा रहा. वो जम्हाईयां लेता था और गुस्से में खुद से बडबड करता था. उसने बुक्स पढना छोड़ दिया था. कभी-कभी रात में उठकर वो लिखने बैठ जाता था. वो खूब देर तक लिखता रहता लेकिन मोर्निंग में सब फाड़ देता था. और कई बार तो उसके रोने की आवाज़े भी आती थी.

फिर सिक्स्थ इयर के सेकंड हाफ आते आते प्रिजनर ने खूब दिल लगाकर स्टडी करना शुरू कर दिया. वो लेंगुयेज़ेस (languages), फिलोसफी (philosophy) और हिस्ट्री पढने लगा था. ये सारे सब्जेक्ट्स पढने में वो इतनी बुरी तरह डूब गया कि बैंकर के पास उसे देने के लिए बुक्स कम पड़ गयी थी. और उसकी रिक्वेस्ट (request) पर चार साल के टाइम में ही उसे सिक्स हंड्रेड वोल्यूम्स प्रोवाइड कराई गयी.

अभी उसका ये पैसन चल ही रहा था कि बैंकर को प्रिजनर से एक लैटर मिला जिसमे लिखा था “माई डियर गेलर (gaoler) मै ये लाइंस सिक्स लंगुयेज़ (languages) में लिख रहा हूँ, तुम इन्हें एक्सपर्ट्स(experts) को दिखाना और अगर उन्हें इसमें एक भी मिस्टेक नहीं मिली तो प्लीज़ गार्डन में एक गन फायर करने का आर्डर दे देना ताकि मुझे पता चल जाये कि मेरी मेहनत पानी में नही गयी है. हर ऐज और हर कंट्री के जीनियस डिफरेंट लेंगुयेज़ बोलते है, लेकिन सबके अंदर वही सेम फ्लेम जलती है. ओह, काश तुम्हे मेरी इस हेवनली हेप्पीनेस (heavenly happiness) का पता चलता जो मै अब फील करता हूँ”.

बाद में प्रिजनर की विश पूरी करने के लिए बैंकर ने गार्डन में दो गन शॉट फायर करने के आर्डर दिए. और फिर दस साल गुजर गए. अब लॉयर अपनी टेबल पर बैठकर न्यू टेस्टामेंट पढता रहता था.

बैंकर को ये बात बड़ी अजीब लगी क्योंकि जो आदमी चार साल में सिक्स हंड्रेड वोल्यूम्स खत्म कर चूका था वो एक पतली और ईजी सी बुक पढने में इतना टाइम क्यों लगा रहा था. न्यू टेस्टामेंट पढने के बाद अब हिस्ट्री ऑफ़ रिलिजन और थियोलोजी (theology) की बुक्स आ गयी थी.

अपने कनफाइनमेंट(confinement) के लास्ट दो सालो में प्रिजनर ने काफी सारी बुक्स पढ़ी और भी धडाधड एक के बाद एक. और अब वो नेचुरल साइंस पढ़ रहा था, फिर बाईरन(Byron) या शेक्सपियर (Shakespeare).

फिर वो नोट्स भेजकर एक साथ केमिस्ट्री और मेडिसीन की बुक्स और कोई नावेल और फिलोसफी(philosophy) या थियोलोजी (theology) पर ट्रीटीज़ (treatise) मंगावाता था.

वो बुक्स पढने में ऐसे बिजी था जैसे कि किसी समुंद्र में गोते खा रहा हो और अपनी लाइफ सेव करने के लिए एक के बाद एक बुक का सहारा ले रहा हो. बैंकर को ये सब कुछ रह-रह कर याद आ रहा था, उसने अपने दिल में सोचा: कल ठीक बारह बजे उसे अपनी फ्रीडम मिल जायेगी. और एग्रीमेंट के हिसाब से मुझे उसे 2 मिलियन देने होंगे.

अगर मैं पैसे देता हूँ तो मेरे पास कुछ नहीं बचेगा, मै बर्बाद हो जाऊँगा….हमेशा के लिए…पंद्रह साल पहले बात दूसरी थी. तब उसके पास बहुत पैसा था लेकिन आज वो खुद से पूछने से डरता है कि उसके पास पैसा ज्यादा है या कर्जा. स्टोक एक्सचेंज में रिस्क लेकर, गेम्ब्लिंग में पैसा लगाकर और अपनी फ़िज़ूलखर्ची की वजह से वो आज इस हालत में पहुँच गया था. बुढापे में भी उसके शौक कम नहीं हुए थे इसीलिए उसका ये कारोबर धीरे-धीरे टप्प होता गया.

वो कभी फियरलेस, सेल्फ कॉंफिडेंट और प्राउड मेन हुआ करता था मगर आज सिर्फ एक ऑर्डिनरी बैंकर बनके रह गया था जो मार्किट के हर राइज़ और फाल से खुद भी हिल जाता था.

ये मनहूस बेट (bet) ओल्ड बैंकर खुद से बडबड़ाया. दुखी होकर उसने अपना सर पकड लिया. ये आदमी मर क्यों नहीं गया ? वो अभी सिर्फ चालीस साल का है. अब ये मेरा बचा-खुचा पैसा भी हडप जाएगा, शादी करेगा, लाइफ एन्जॉय करेगा, स्टोक एक्सचेंज में पैसा लगाएगा, मज़े की लाइफ जियेगा. और मैं?

मैं एक बैगर की तरह देखता रहूँगा और चिढ़ता रहूँगा और ये इंसान हर रोज़ मुझे एक ही बात सुनाएगा: “आपकी वजह से मुझे लाइफ की हर ख़ुशी मिली है, इसलिए अब मेरी बारी है आपकी हेल्प करने की”

नहीं! ऐसा नहीं हो सकता. बहुत हो गया अब! अब बस एक रास्ता बचा है बैंकरप्सी (bankruptcy) और बेइज्ज्ती से बचने का – और वो ये कि इस आदमी को मरना होगा.

तभी क्लोकघड़ी की आवाज़ आई, तीन बज चुके थे. घर में सब गहरी नींद सो रहे थे. चारो तरफ खामोशी थी. विंडो के बाहर पेड़ो के सरसराने की आवाज़े आ रही थी. बड़ी खामोशी से उसने अपने सेफ(safe) से उस दरवाजे की चाबी निकाल जो पन्द्रह सालो से बंद था.

उसने चाबी अपनी ओवरकोट की पॉकेट में रखी और घर से बाहर निकल गया. बाहर बारिश हो रही थी और पूरा गार्डन अँधेरे में डूबा हुआ था. बर्फ जैसी ठंडी हवा में सायं-सायं करते पेड़ हिल रहे थे. उस डार्क अँधेरी रात में बैंकर को ना तो ग्राउंड दिखा, ना व्हाईट स्टेच्यूज (white statues) और ना ही गार्डन विंग या पेड़.

वो बड़ी मुश्किल से चलकर गार्डन विंग के पास पहुंचा और वाचमेन को दो बार आवाज़ दी. लेकिन उसे कोई ज़वाब नहीं मिला. खराब मौसम के चलते वाचमेन भी शायद किचेन या ग्रीनहाउस में जाकर सो चूका था.

“अगर मुझमे अपनी इंटेंशन पूरी करने की हिम्मत है तो पहला शक वाचमेन पर ही जाएगा”  ओल्ड मेन ने सोचा.

वो अँधेरे में सीढ़ीयों को पकड़कर अपना रास्ता टटोलता हुआ दरवाजे तक पहुंचा और गार्डेनविंग के हाल में घुस गया. फिर वो एक नेरो पैसेज (narrow passage) में घुस गया, उसने मैचबोक्स निकाला और एक माचिस जलाई. चारो ओर सुनसान था. वहां बगैर किसी बेड-क्लोथ के एक बेड पड़ा था. एक डार्क कोने में एक आइरन स्टोव (iron stove) रखा था.

प्रिजनर के रूम में खुलने वाले डोर में सील लगी हुई थी. ओल्ड मेन के हाथ की माचिस अब बुझ चुकी थी, टेंशन से काँपते हुए उसने छोटी सी विंडो से अंदर झांक कर देखा. प्रिजनर के रूम में एक कैंडल की फेड सी लाईट फैली थी. जबकि वो खुद एक टेबल पर बैठा था.

बस उसकी बैक, सर के बाल और हाथ दिख रहे थे. रूम में बस एक कारपेट, एक टेबल और दो चेयर्स थी और कुछ ओपन बुक्स इधर-उधर फैली हुई पड़ी थी. बैंकर उसे पांच मिनट से एकटक देख रहा था लेकिन प्रिजनर अपनी पोजीशन से एक बार भी नहीं हिला.

फिफ्टीन इयर्स के कनफाइनमेंट (confinement) ने उसे एक चुपचाप एक जगह पर बैठना सिखा दिया था. बैंकर ने फिंगर से विंडो पर टेप किया लेकिन प्रिजनर ने फिर भी कोई रिस्पोंस नहीं दिया. अब बैंकर ने बड़ी केयरफूली डोर की सील तोड़ी और लॉक में चाबी घुमाई.

जंग लगे लॉक से एक भारी आवाज़ आई और खट से दरवाज़ा खुल गया. बैंकर एक्स्पेक्ट कर रहा था कि दरवाज़ा खुलने पर लॉयर हैरानी से रिएक्ट करेगा, ख़ुशी से चीखेगा या पलट कर देखेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, तीन मिनट यूँ ही गुजर गए.

रूम में अभी भी उतना ही सन्नाटा था जितना डोर ओपन होने से पहले था. टेबल के सामने एक आदमी बैठा था लेकिन किसी ऑर्डिनेरी हयूमन से एकदम अलग खिची हुई स्किन वाला बस एक स्केलेटन था, बाल औरतों की तरह लम्बे और कर्ली, उसकी बेतरतीब दाड़ी फैली हुई थी. उसके फेस का कलर येल्लो पड़ चूका, गाल अंदर की तरफ धंसे हुए, पीठ एकदम पतली और लम्बी. दोनों हाथो में उसने अपना बालो वाला सर पकड़ा हुआ था और उसके हाथ इतने स्किनी और हड्डी जैसे थे कि देखते हुए भी डर लग रहा था.

कुल मिलाकर अगर कोई उसका झुर्रीदार फेस देखता तो मान ही नहीं सकता था कि वो अभी सिर्फ चालीस साल का है. वो टेबल पर सर झुकाए बैठा था. उसके सामने एक पेपर की शीट रखी थी जिसपर स्माल हैण्ड राइटिंग में कुछ लिखा था.

पूअर डेविल (Poor devil) बैंकर ने अपने दिल में कहा” बेचारा शायद मिलियन डॉलर के सपने ले रहा” मुझे बस एक हल्का सा धक्का देकर इसे बेड में पटकना है. और फिर मै एक चुटकी में पिलो (pillow) से इसका गला घोंट डालूँगा. लोगो को ज़रा सा भी शक नहीं होगा कि ये अननेचुरल डेथ (unnatural death) है. चाहे कितनी भी केयरफुल एक्ज़ामिनेशन हो किसी को कोई सबूत नहीं मिलेगा. लेकिन पहले पढ़ तो लूँ कि इसने इस कागज़ में लिखा क्या है?

बैंकर ने टेबल से वो शीट उठाई और पढने लगा: “कल रात ठीक बराह बजे मुझे फ्रीडम मिल जाएगा. मै भी कॉमन लोगो की तरह एक आज़ाद लाइफ जी सकूँगा. लेकिन ये रूम छोड़ने से पहले और सुबह का सूरज देखने से पहले मै तुम्हे कुछ कहना चाहूँगा. मै अपने पूरे होशो-हवास में और गॉड की कसम खाकर ये डीक्लेयर (declare) करता हूँ कि मुझे इस फ्रीडम, लाइफ, हेल्थ और दुनिया की सारी खुशियाँ जो किताबो में बताई गयी है, मुझे इन सब की कोई चाहत नहीं है.

पन्द्रह सालो तक मैंने दिल लगाकर किताबे पढ़ी और दुनिया की हर ख़ुशी को जीया है. इन किताबों के ज़रिये मैंने सब कुछ एक्स्पिरियेंश कर लिया है. मैंने बढ़िया से बढ़िया वाइन पी, गाने गाये, जंगली सुवर और हिरनों का शिकार किया, और जन्नत की हूरों से प्यार किया है. हसीन औरते रोज़ मेरे सपनो में आकर मुखे परियो की मदहोश दुनिया में ले जाती थी. तुम्हारी इन किताबों के ज़रिये में ऊँचे-ऊँचे पहाड़ो पर चढ़ा हूँ, माउंट ब्लांक (Mont Blanc) और एल्ब्रुज़ (Elbruz) पर चढकर मैंने वहां से सूरज को उगते हुए देखा है और शाम ढलती हुई देखी है.

मैंने उन पहाड़ो और समुंद्र को पर्पल गोल्ड कलर में बदलते देखा है. मैंने अपने सर के उपर आसमान में बादलो के बीच चमकती बिजली देखी है और हरे भरे जगंलो, नदियों, झीलों को और शहरों को देखा है. मैंने जलपरियों को गाते हुए सुना है और मुरली की मीठी तान सुनी है.

मैंने खूबसूरत डेविल के पंखो को छुआ है जो मुझे गॉड की बाते बताने आया था…. तुम्हारी इन किताबो के ज़रिये मै जहन्नुम की गहराई तक पहुंचा हूँ, मैंने जादू देखा है, मैंने शहरों को जलाकर खाक कर दिया है, मैंने नए-नए रिलिजन (religion) बनाये और सारी दुनिया को अपनी मुठ्ठी में कर लिया है.

तुम्हारी बुक्स ने मुझे एक विजडम दी है. सदियों से जो कुछ इंसान ने जाना समझा है वो सब मेरी छोटी सी खोपड़ी में कैद है. और मै ये भी जानता हूँ कि अब मै तुम सबसे कहीं ज्यादा अक्लमंद हूँ. और अब मै तुम्हारी इन किताबो, दुनिया के हर सुख को और हर तमन्ना को ठुकराता हूँ. हर चीज़ बेमतलब है, आँखों का धोखा है. ये दुनिया बस एक मिराज़ (mirage) है और इसके सिवा कुछ भी नहीं है.

बेशक तुम्हे खुद पे प्राउड होगा, बेशक तुम अक्लमंद और खूबसूरत होगे मगर ये मत भूलो कि मौत एक दिन तुम्हे मिटा देगी. तुम्हारा नामो-निशाँ भी नहीं बचेगा और तुम्हारा बीता हुआ कल और आने वाला कल सब मिट जाएगा. तुम्हारी सारी अक्ल और अकड एक दिन मिट्टी में मिल जायेगी. तुम पागल हो जो तुमने एक गलत रास्ता पकड़ा है, तुमने झूठ को हमेशा सच समझा और बदसूरती को खूबसूरती समझ लिया.

जैसे तुम हैरत में पड़ जाओगे अगर कभी अचानक पेड़ो पे एप्पल और ओरेंज के बदले छिपकलियाँ या मेंढक उग जाये और गुलाबो से घोड़े के पसीने की बदबू आने लगे, ठीक ऐसे ही मैं भी तुम्हे देखकर हैरान हूँ कि तुमने हेवन के बदले इस धरती को चुना. तुम जैसे हो जो भी मै तुम्हे जानना नहीं चाहता. इसलिए आज मै तुमको दिखा देना चाहता हूँ कि जिस चीज़ के पीछे तुम मरते हो, मुझे उसकी ज़रा भी परवाह नहीं है.

मैं उन दो मिलियंस पर लात मारता हूँ जो कभी मुझे जन्नत का सपना दिखाते थे. मुझे इस पैसे से नफरत है. इस पर मेरा जो राइट बनता था आज मैं उसे खुद ही छोड़ रहा हूँ. और मै अपने फिक्स टाइम से 5 मिनट पहले बाहर निकल जाऊँगा ताकिये एग्रीमेंट ऑटोमेटिकली टूट जाए.”

बैंकर ने ये सब कुछ पढ़ा और पेपर की शीट वहीँ टेबल पे रख दी. उसने प्रिजनर के माथे पर एक किस दिया और रोने लगा. फिर वो विंग से बाहर निकल आया. उसे लाइफ में बड़े-बड़े लोस हुए थे लेकिन खुद को कभी भी इतना हारा हुआ फील नहीं किया जितना कि वो आज कर रहा था. घर आकर वो अपने बेड पे लेट गया मगर बेशुमार दर्द और आंसूओ ने उसे सोने नहीं दिया.

नेक्स्ट मोर्निंग बेचारा वाचमेन भागता हुआ उसके पास आया और बताया कि उसने प्रिजनर को विंडो के रास्ते गार्डन में जाते हुए देखा था. वो गेट तक पहुंचा और वहां से जाने कहाँ गायब हो गया. अपने सर्वेन्ट्स के साथ बैंकर तुरंत से विंग में पहुंचा तो देखा कि प्रिजनर के एस्केप (escape) की खबर एकदम सच थी.

बेकार की अफवाहों से बचने के लिए उसने चुपके वो पेपर टेबल से उठा लिया और वापस आकर अपने सेफ के लॉकर में बंद कर दिया.

Conclusion

तो दोस्तों आपको ये कहानी कैसी लगी, देखा जाये तो यह कहानी हमारा ही है, इस कहानी में जो कुछ भी बताये गए है, उन बातो को हम भी करते आ रहे है और आगे भी हम करते रहेंगे, हम जो मानते है कि यही सच है, लेकिन सच तो ये है की वो सभी चीजे हमे एक दिन छोड़ना ही पड़ेगा, और हमे ये दुनिया छोड़ कर जाना ही पड़ेगा।

इससे आगे आप समझ सकते हैं……….

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

2 thoughts on “The Bet Book Summary in Hindi – हमारी अपनी कहानी”

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