The Code of The Extraordinary Mind Book Summary in Hindi

The Code of The Extraordinary Mind Book Summary in Hindi – Hello दोस्तों, इस बुक समरी में आपको Vishen Lakhiani की बेस्ट सेलर बुक “Code for Extraordinary Mind” में से लिए गए कुछ बेहद इम्पोर्टेन्ट टिप्स मिलेंगे, जिसके मदद से आप अपने mind को ordinary से extraordinary बना सकते है।

इस बुक समरी को आप अपने दिमाग को तेज करने के लिए use कर सकते है तो आप इस समरी को ध्यान से last तक जरूर पढ़े।


The Code of The Extraordinary Mind Book Summary in Hindi

 

“मुझे लगता है कि आर्डिनरी लोग चाहे तो एक्स्ट्राआर्डिनरी बन सकते है”  ये बात बिलेनियर एलन मस्क ने कही थी। तो ऐसी क्या चीज़ है जो उनको और बाकि दुसरे बिलेनियर को भीड़ से अलग करती है ?

क्या ये पैसा है ? या फेम ? या उनका लक? एलोन मस्क कोई मल्टी मिलेनियर पैदा नहीं हुए थे। सेम चीज़ स्टीव जॉब्स और जॉन डी। रॉकफेलर के साथ भी है।

एक ऐसा मेथड है, एक कोड जो कोई भी फॉलो कर सकता है और उनकी ही तरह एक्स्ट्रा आर्डिनरी बन सकता है।

यही बात आप इस बुक से सीखने वाले है। हर चीज़ पहले आपके दिमाग से शुरू होती है तो सबसे पहले तो आपको अपनी थिंकिंग बदलने की ज़रुरत है। जैसे वो एप्पल इंक का स्लोगन भी कहता है “थिंक डिफरेंटली”

इस बुक में आपको अपने फ्रेम ऑफ़ माइंड चेंज करने का तरीका सिखाया जायेगा। अगर आप दुसरे लोगो की ही तरह सोचंगे और एक्ट करेंगे तो कभी भी एक्स्ट्राआर्डिनरी नहीं बन सकते।

आपको इतना स्ट्रोंग बनना पड़ेगा कि हर तरह के क्रिटीज्म को आसानी से फेस कर सके और अपनी जिंदगी की सच्ची ख़ुशी आपको हासिल हो।

 

ट्रांसेंड द कल्चरस्केप

 

स्टीव जॉब्स ने एक बार कहा था “आपके आस-पास की वो हर चीज़ जिसे आप लाइफ कहते है, आप ही के जैसे लोगो ने बनाई है” हम सब की लाइफ रूल्स से चलती है।

बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि हमें क्या करना है और क्या नहीं। आपको स्कूल की पढाई करनी चाहिए, आपको कॉलेज जाना चाहिए, कोई हाई पेईंग जॉब करनी चाहिए, शादी करनी चाहिए, वगैरह वगैरह।

यहाँ तक हमें कैसा दिखना चाहिए, क्या फील करना चाहिए ये सब भी सोसाइटी के हिसाब से ही तय होता है। क्या रीजन है इसके पीछे ?

ह्यूमेनिटी ने हमारे लिए ये रूल्स बनाये है। हम इन रूल्स, आईडियाज, बिलिफ और प्रेक्टिस के समन्दर में तैरने वाली फिश की तरह है।

सोसाइटी हमेशा यही एक्स्पेक्ट करती है कि हम ये रूल्स माने और फॉलो करे। मगर पॉइंट ये है कि अब ये रूल्स बहुत ज्यादा आउटडेटेड हो चुके है। ये हमें आगे बढ़ने से रोक रहे है, हमें अपाहिज बना रहे है, और कुछ नहीं बल्कि हमें पीछे की ओर धकेल रहे है।

लेकिन अगर आपको एक्स्ट्राआर्डिनरी बनना है तो आपको ये रूल्स तोड़ने ही पड़ेंगे।

चलिए लेखक की खुद की स्टोरी पर एक नज़र डालते है। विशेन लाखियानी माइक्रोसॉफ्ट के लिए काम करते थे। वे नए एम्प्लोयीज़ की वेलकम पार्टी में बिल गेट्स से भी मिल चुके है।

इस मुकाम तक पहुँचने के लिए विशेन ने बहुत हार्ड वर्क किया है। उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।

इस सब के बाद विशेंन को तो बहुत खुश होना चाहिए था। आखिरकार उनके पास इतनी ग्रेट कंपनी में एक स्टेबल जॉब जो थी।

उन्होंने टॉप युनिवेर्सिटी से पढ़ाई की है, लोग उन्हें एक सक्सेसफुल इंसान समझते है। मगर इस सबके बावजूद विशेन खुश नहीं है। माइक्रोसॉफ्ट ज्वाइन करने के कुछ ही महीनो बाद उन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी।

दरअसल विशेन एक फोटोग्राफर या कोई स्टेज एक्टर बनना चाहते थे। मगर ये सोसाइटी ऐसी जॉब्स को सक्सेसफुल प्रोफेशन के तौर पर नहीं देखती है।

लोग अक्सर कहते है कि फोटोग्राफी या एक्टिंग में कोई पैसा नहीं है। लोगो को लगता है कि विशेन को भी कोई नाइन टू फाइव जॉब ही करनी चाहिए, और इस तरह विशेन लाखियानी ने भी अपने सपनो को कुर्बानी दे दी।

 

 

क्या रूल्स सही है क्वेश्चन द रूल्स

 

 आज जो रूल्स हम फॉलो कर रहे है, हमसे पहले वाले लोगो ने बनाए थे। अगर देखा जाए तो ये रूल्स कुछ नहीं है बस लोगो की ओपिनियन है, और हम सिर्फ इसलिए इन्हें फॉलो करते है क्योंकि ये हमारे पैदा होने से भी पहले से चले आ रहे है।

जब हम कोई डिसीजन लेते है तो हमें लगता है कि हम रेशनल हो रहे है। हमें लगता है कि हमारा फैसला सिर्फ हमारे माइंड से निकला है मगर हम माने या न माने हमारी हर सोच हमारे दोस्तों, परिवार, और कल्चर से कहीं ना कहीं इन्फ्लुयेंश होती रहती है।

वैसे अपना ट्रेडीशन फॉलो करने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन आप ही देखिये कि हर दिन दुनिया कितनी तेज़ी से इवोल्व हो रही है। तो जो इसके रूल्स है, बीलीफ्स है, आईडियाज़ है वे भी तो इवोल्व होने चाहिए।

अगर आप भी उन्ही चीजों में बिलीव करेंगे जिनमे सब करते है तो आप रेशनल नहीं है। अगर आप बिना सोचे समझे चीजों को यूँ ही एक्सेप्ट करते रहेंगे तो आप कभी भी एक्स्ट्राआर्डिनरी नहीं बन सकते।

इसलिए रूल्स पर सवाल उठाये क्योंकि आपके पास सोचने के लिए एक दिमाग है। रूल्स चाहे राईट हो या रोंग आप अपने डिसीज़न खुद ले। ब्लाइंडली कुछ भी फॉलो मत करो।

एक बार एक 9 साल का हिन्दू लड़का मैकडोनाल्ड का बर्गर खाना चाहता था क्योंकि उसने इसके बहुत से एडवरटाईज़मेंट देखे थे। मैकडोनाल्ड की एक ब्रांच उसके घर के पास ही खुल रही थी मगर उस लड़के को एक प्रोब्लम थी कि वो बीफ नहीं खा सकता था..

अब मैकडोनाल्ड के उस ऐड्स की वजह से उस लड़के को लगता था कि ये बर्गर उसकी जिंदगी का सबसे बढ़िया मील होगा। फिर भी ऐसा कुछ था जो उसको रोक रहा था। तो वो लड़का अपनी माँ के पास गया और पुछा “मै बीफ क्यों नहीं खा सकता?”


उसकी माँ ने प्यार से उसे समझाया कि ये उनके रिलिज़न और कल्चर का एक पार्ट है। फिर भी लड़का क्यूरियस रहा।

“बाकी लोग भी तो बीफ खाते है, तो हिन्दू क्यों नहीं खा सकते ?” उसने फिर पुछा। तो उसकी माँ ने कहा “तुम खुद ही जाकर क्यों नहीं पता कर लेते?”

तो इस 9 साल के लड़के ने एनसाईंक्लोपीडीया पढ़ा तो उसे पता लगा कि एनशियेंट हिन्दू लोग काऊ को बड़ा यूज़फुल मानते थे क्योंकि ये उनकी फार्मिंग में बड़े काम आती थी।

काऊ दूध देती थी तो हिन्दूओं को लगता था कि काऊ इतने काम की है तो इसे क्यों खाए जब खाने के लिए बाकी जानवर है, और फिर लास्ट में उसकी माँ ने उसे बीफ बर्गर टेस्ट करने के लिए अलो कर दिया।

लड़के ने फील किया कि मैकडोनाल्ड का बर्गर यूँ ही ओवररेटेड किया गया है। ये उतना भी बेस्ट मील नहीं है। मगर इससे उसने कुछ सीख भी ज़रुर ली।




प्रेक्टिस कोंसश इंजीनियरिंग

 

एक्स्ट्राआर्डिनरी बनने के लिए हमें ये बात ध्यान रखनी पड़ेगी कि कुछ रूल्स ऐसे है जो आजकल की लाइफ में किसी काम के नहीं है। हमें अपनी खुद की थिंकिंग के हिसाब से कुछ बाते अपने दिमाग में फिल्टर करनी पड़ेगी कि क्या एक्सेप्ट करना है क्या रिजेक्ट।

इमेजिन करे कि आप एक ऐसे कमरे में है जिसमे कई सारे लोग है। आप उनकी बातचीत सुन रहे है जैसे कि सक्सीड होने के लिए बेस्ट तरीका क्या है, आपको क्या पहनना चाहिए या फिर किस टाइप के लोगो से दूरी बनाकर रखे।

अब आपको ज्यादा कुछ नहीं पता है तो आप उनकी हर बात को सही समझते है क्योंकि आप भी आर्डिनरी लोगो की तरह ही सोचते है। आप भी बाकियों की तरह भीड़ का एक हिस्सा है।

अगर आपको वाकई में एक्स्ट्राआर्डिनरी बनना है तो खुद को जगाना पड़ेगा। यही पर कोंशस इंजिनियरिंग काम करती है। अपना खुद का बबल बनाने का यही प्रोसेस है। आप अभी भी सेम रूम में है।

ऑफ़कोर्स आप अभी भी इसी सेम वर्ल्ड में रहते है मगर आप इसमें अपना खुद का एक वर्ल्ड बना सकते है।

कोंशस इंजिनियरिंग का मतलब है आपका खुद का वे ऑफ़ थिंकिंग बिल्ड करना। मतलब ये कि उन रूल्स को तोडना जो आपको आगे बड़ने से रोक रहे है।

  • क्या हो अगर आपको सक्सेस पाने के लिए खुद का रास्ता मिल जाये ?
  • क्या हो अगर आप कोई फेमस फोटोग्राफर या कोई एक्टर बन जाए ?

 

अगर ऐसा हो तो यही सही मायनों में एक्स्ट्राआर्डिनरी होगा।

कोंशेस इंजीनियरिंग एक ऐसी चीज़ है जिससे आप अपनी लाइफ अपने हिसाब से चलाने के लिए रूल्स खुद से क्रियेट करेंगे।

आपके हाथ में चॉइस रहेगी जिससे आप दुसरो के जजमेंटल नेचर का विक्टिम होने से बच सकते है।

अगर आपके पास कोंशस इंजीनियरिंग है तो आप जो चाहे वो कर सकते है, जो आपको पसंद हो वो पहन सकते है। जिससे चाहे उससे फ्रेंडशिप कर सकते है।

आपकी (consciousness) कोंश्सनेस एक कंप्यूटर की तरह है जिसे अपना ऑपरेटिंग सिस्टम अपग्रेड करने की ज़रुरत पड़ती रहती है।

आज से सालों पहले विंडोज 95 हुआ करता था, आज आपके पास ज़रूर विंडोज 10 होगा। अपग्रेड करना बहुत ज़रूरी है ताकि ये कंप्यूटर बैटर और फास्टर चलता रहे।

ठीक ऐसे ही आपकी कोंशेसनेस भी इवोल्व होती रहे। विंडोज 95 किसी पुरानी थिंकिंग की तरह है मगर आप चाहे तो खुद को विंडोज 10 में अपग्रेड कर सकते है।

अपनी लाइफ में ऐसे बिलिफ्स इंजिनियर करे जिससे लाइफ बैटर हो जाये। क्योंकि आपको अच्छे से पता है कि विंडोज 95 अब आउटडेटेड है, ये अब चलता नहीं है तो अभी भी इसे क्यों यूज़ कर रहे हो ?

 

अपनी रियलिटी के मॉडल्स खुद से दुबारा लिखे (रिराईट योर मॉडल्स ऑफ़ रियेलिटी)

क्या आप बचपन में कभी बुल्ली हुए है यानी बचपन में आपको तंग किया गया है ?
जब आप छोटे होते है तो अक्सर खुद को बचा नहीं पाते है। आपकी खुद की चॉइस नहीं होती है बल्कि जो आपकी फॅमिली और फ्रेंड्स करते है आप उसी पर बिलीव करते है..

वो थोट, वो बिलिफ्स, वो आईडियाज़ जो आपको अपने एन्वायरमेंट से मिलते है वही आपकी रियेलिटी बन जाते है। जो आपके पेरेंट्स ने बताया वही आपका सच बन जाता है।

आप भी उन्ही चीजो को मानने लगते है जो आपके आस-पास वाले मानते है। आप शायद ये बात जानते नहीं होंगे मगर जैसे जैसे आप ओल्ड होते है, यही बिलिफ्स अपने साथ कैरी करते है। क्योंकि वो हमेशा आपके साथ है।

अगर आप कभी बुल्ली हुए है तो आपके माइंड में ये बात बैठ जाती है कि मुझे खुद को प्रूव करना है।

हो सकता है कि इसी बात से आपको मन लगाकर पढ़ाई करके स्कूल के बाद एक शानदार करियर बनाने की इंस्पिरेशन मिलती हो। मगर ये सच नहीं है।

आपको किसी को कुछ भी प्रूव करने की ज़रुरत नहीं है, आप जो है, जैसे है बहुत अच्छे है। एक्स्ट्राआर्डिनरी बनने के लिए जो चाहिए, आपके पास मौजूद है। आपको तो बस अपना मॉडल ऑफ़ रियेलिटी बदलने की ज़रुरत है।

लेखक विशेंन लाखियानी मलेशिया में पले बढे है। जब वो बच्चे थे तो उनको भी बुल्ली किया गया था क्योंकि वो माइनॉरिटी से आते थे। वो अपने क्लासमेट से अलग दीखते थे।

बाकी बच्चे चाइनीज़ ओरिजिन थे जबकि विशेंन नार्थ इंडिया से थे। बाकी बच्चे अक्सर उन्हें चिढाया करते। जब वे अपने टीन इयर्स में थे विशेंन ने एक expat स्कूल से पढ़ाई की यानी इस school में ज्यादातर बच्चे किसिस दूसरे देश से थे। वहां बाकी बच्चों के साथ उनको नार्मल फील होता था।

लेकिन उनकी एक दूसरी प्रॉब्लम थी। अपने टीन ऐज में उन्हें सिवियेर एक्ने की प्रोब्लम हो गयी थी जिसके चलते लोग उनको “पिम्पल फेस” भी बुलाते थे।

इससे उनका सेल्फ एस्टीम बहुत लो हो गया था। वो खुद को मोटे चश्मों के पीछे छुपाने की कोशिश किया करते थे। बचपन के ये दिन उन पर भरी पड़ने लगे थे, उनका सेल्फ कोंफीडेंस जैसे खत्म हो गया था।

मिशिगन यूनिवर्सिटी में आकर भी विशेन एक टिपिकल गीक थे। उन्हें जब-तब अपने टूटे ग्लासेस को टेप से जोड़ने की ज़रूरत पड़ती रहती। मुश्किल से ही वो दोस्तों के साथ आउटिंग पर जाते थे।

विशेंन तब 22 के हो चुके थे मगर अभी तक उनकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी। उनमें इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि किसी लड़की को प्रपोज़ कर सके।

मगर एक दिन एक बदलाव आया। उनके स्कूल में एक डांस था। विशेन ने बहुत ज्यादा बियर पी ली थी। वो नशे में थे और शायद इसीलिए वो एक खूबसूरत लड़की के साथ डांस करने की हिम्मत जुटा पाए।

उस लड़की का नाम था मैरी। विशेंन उसे कई सालो तक देखते रहते थे, उन्हें लगता था कि वो स्कूल की सबसे खूबसूरत लड़की है, और इसीलिए वो उनकी पहुँच से कोसो दूर थी।

विशेंन को आज तक उसके करीब जाने का मौका नहीं मिला था। शायद ये नशे की वजह था। जब वे मैरी के साथ डांस कर रहे थे तो उन्हें मौका मिला और उन्होंने उसके बेहद करीब आकर उसे किस किया।

मगर फिर जल्दी से पीछे हट गए। उन्होंने मैरी से माफ़ी मांगी। विशेंन को लगा शायद मैर्री बुरा मान गई लेकिन वो नाराज़ नहीं थी उल्टा उसने विशेंन से कहा “क्या तुम मजाक कर रहे हो ? तुम तो बहुत हॉट हो यार” और फिर वो भी उन्हें किस करने लगी।

वो रात उनके कॉलेज लाइफ की बेस्ट रात थी। अगली सुबह विशेंन एक डिफरेंट व्यू के साथ उठे। अगर मैरी को लगता है कि वो अट्रेक्टीव है तो हो सकता है बाकी लड़कियां भी ऐसा ही सोचती होंगी।

हालांकि उनके अपिरियेंश में कोई चेंज नहीं आया लेकिन विशेंन को एक नया मॉडल ऑफ़ रियेलिटी मिल चूका था।

तो ऐसे ही आपके साथ भी कुछ गलत नहीं है। लोग जो आपकी कमियां बताते है, झूठ बोलते है। आपमें एबिलिटीज़ है, टेलेंट है और नॉलेज भी है।

 

जीने के लिए अपना सिस्टम अपग्रेड करे

 एक बार जब अपनी थिंकिंग चेंज कर लेंगे तो आपके जीने का तरीका भी चेंज हो जायेगा। अगर आपकी नयी रियेलिटी स्ट्रकचर्ड और वेल डीफाइंड है तो आप पुराने सिस्टम से छुटकारा पा सकते है।

सोचिये ज़रा, आप बचपन से इसी सोच के साथ जी रहे है तो इतनी आसानी से ओल्ड आईडियाज़ से छुटकारा नहीं मिलेगा। आपकी फाउन्डेशन ज़रूर बढ़िया होनी चाहिए।

आपके पास ऐसा स्ट्रोंग सिस्टम होना चाहिए जिससे आप ओल्ड हैबिट्स की तरफ वापस ना जाये।

ऐसे तीन स्टेप्स है जिन्हें फॉलो करके आप अपना लिविंग सिस्टम अपग्रेड कर सकते है –

 

पहला स्टेप है रीसर्च –




आपको लाइफ में अप्लाई करने के लिए नए आईडियाज ढूँढने होंगे, इसके लिए आप बुक्स पढ़ सकते है, आप कोंफ्रेस अटेंड कर सकते है या ऐसे वीडियो देख सकते है जो इसमें आपकी हेल्प कर सके।

आपको ओल्ड आईडियाज का रीप्लेसमेंट ढूढना ही होगा। जितनी दुनिया अब तक आपने जानी है उससे कहीं ज्यादा बढ़ी दुनिया आपका इंतज़ार कर रही है।

 

सेकंड स्टेप है रिफ्रेश –

 

हर सिंगल डे को इम्प्रूव करने की कोशिश करे। थर्ड स्टेप है अपनी प्रोग्रेस मेजर करे।

 

  • आपका नया सिस्टम कितना स्ट्रोंग है ?
  • क्या आपके नए बिलिफ्स वाकई पुराने वाले से बैटर है ?

 

खुद को टेस्ट करना ज़रूरी है। जिससे आप ओल्ड बिलिफ्स की तरफ वापस ना जा पाए।

एक्जाम्पल के लिए जैसे कि आपको वेट लोस करना है। लोग कहेंगे कि ये नहीं हो पायेगा, आपके फ्रेंड्स फ़ास्ट फ़ूड खाने पर आपको चिढ़ाएंगे। अपने मोटेपन की वजह से फेसबुक पर आपको नेगेटिव कॉमेंट्स मिलते है।

लेकिन आप चेंज होना चाहते है तो लोगो की ओपिनियन आपके काम नहीं आने वाली। आपको इसके लिए रिसर्च करनी पड़ेगी। ऐसी एक्सरसाईज करे जिससे बेनिफिट हो, ऐसा खाना खाए जो आपका वेट लूज करने में हेल्प करे..

 अगला स्टेप है खुद को चैलेन्ज करे –

 

अपने वर्क आउट में ज्यादा रीपीटेशन एड करे। अगर चीज़ बर्गर खाना आपको बड़ा पसंद है तो जब भी ये आपके सामने आये उस टाइम इसे खाना अवॉयड करे।

जितनी बार भी आप ऐसा करने में कामयाब रहे उसे अपनी विक्ट्री समझे, और फिर अपनी प्रोग्रेस मोनिटर करे –

 

  • आपमें कितना चेंज आया?
  • क्या आप ये नया बॉडी वेट मेंटेन कर पाएंगे ?
  • क्या आपको बैटर फील हो रहा है ?

 

ये आपकी लाइफ है तो आपको सारे बहाने छोड़ने होंगे। लोगो के नेगेटिव कोमेंट्स को अवॉयड करना होगा। किसी भी कीमत पर समझौता ना करे। आप कुछ बड़ा करने के लिए ही बने है, कुछ एक्स्ट्राआर्डिनरी।

 

Bend (बेंड) रियेलिटी (रियेलिटी को बेंड कर दे)

 

जिस वर्ल्ड को आप जानते थे अब आप उससे फ्री हो चुके है तो उस वर्ल्ड को एक्सप्लोर करे जो आपने क्रियेट किया है। आपकी लाइफ इससे और भी ज्यादा एक्साइटेड हो जायेगी। अब आप पहले से बड़े बन गए है और पहले से ज्यादा बड़ा करने के लिए रेडी है।

रियेलिटी बेंड करना ऐसा है जैसे आपका ये बिलीव होने लगे कि लक हमेशा आपके साथ है, ये यूनिवर्स आपके लिए रास्ते बना रहा है जिसका मतलब कि आप सब कुछ कर सकते है, अब कुछ भी इम्पोसिबल नहीं है आपके लिए।

लेकिन आप ये अचीव कैसे करेंगे ? सबसे पहले तो एक विजन रखे। हर दिन आपको उस गोल की तरफ बढना है।

दूसरा है, हमेशा खुश रहने की आदत। अब ये अगर मगर वाली सिचुएशन नहीं है। कुछ लोग कहेंगे कि “अगर मैंने ये गोल अचीव कर लिया तो तभी मै खुश रहूँगा”. लेकिन ये रोंग अप्रोच ठीक है।

रियेलिटी बेंड करने से मतलब है कि प्रेजेंट में जिए। इसका मतलब है कि अपने विजन पर रहते हुए हर दिन को पूरा एन्जॉय करे। इस तरह आपको अपना काम कभी बोझ नहीं लगेगा।

“अपने विजन को pursue (परस्यु) करते टाइम भी उतने ही खुश रहे जितना उसे हासिल करने पर होते है ”. पास्ट में हुए फेलर्स को बीच में ना आने दे. ना ही फ्यूचर के ड्रीम्स में खुद को गुमा दे। इसके बदले प्रेजेंट में अपनी लाइफ से खुश रहे।

आपको जो भी लाइफ में मिला है उसके लिए ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करे। अपनी खुशियों को किसी गोल से बाँध के न रखे। एक्जाम्पल के लिए मान लो आपका एक स्टार्ट अप बिजनेस है। सब बढ़िया चल रहा था फिर अचानक कुछ गड़बड़ हो जाती है। कोई कालामेटी या कोई इकोनोमिक क्राइसेस।

अगर अपने फ्यूचर की सक्सेस से आप अपने आज की खुशियों को जोड़ेंगे तो फिर आपका कुछ नहीं हो सकता। आप कभी खुश नहीं रह सकते। आप अपने साथ काम करने वालो को भी अफेक्ट करने लगेंगे, आपमें हार मान लेने की टेंडेसी आ जाएगी।

लेकिन आप ऐसा होने से रोक सकते है अगर आपको ये मालूम हो कि कैसे रियेलिटी बेंड करनी है। तो क्या हुआ अगर आपका स्टार्ट अप फेल हो गया।

इसे दुबारा खड़ा करने की कोशिश करे, यही राइट अप्रोच है। अगर माइंड सेट राईट है तो आपको समझ आएगा कि फेलियर तो किसी भी जर्नी का एक पार्ट है।

“एक्स्ट्राआर्डिनरी माइंडस जानते है कि हेप्पीनेस अन्दर से आती है”  अब एलोन मस्क को ही ले ले, ये वही है जो स्पेस एक्स, टेस्ला मोटर्स और सोलर सिटी के ओनर है।

एलोन मस्क स्पेस रोकेट्स और सोलर पॉवर वाली इलेक्ट्रिक कारे बनाते है और इनसे बिलियंस कमाते है।

वे हर महीने स्पेस में एक रोकेट शिप्स भेजना चाहते थे। वे एक ऐसा ट्रेन सिस्टम बनाना चाहते थे जो सोलर पॉवर से चले। क्योंकि व्हाई नोट ? एलोन मस्क काफी रूल्स तोड़ते रहे है। जो उन्होंने मिला उससे वे खुश है।

वे हर दिन अपने इंजीनियर्स को देखते है, उन मशीनों को चेक करते है जो उनकी कंपनी बनाती है। यहाँ तक कि वीकेंड में भी काम करते है। लोगो के क्रिटिसाइज़ की परवाह किये बगैर वे हमेशा अपना काम करते रहे।

एक टाइम ऐसा भी था जब एलोन मस्क बैंकरप्ट होने की कगार पर थे। उनकी इलेक्ट्रिक कार प्रोटोटाइप फेल हो गयी थी, उनके राकेट शिप्स उड़ते नहीं थे।

हर फेल लांच पर उनके मिलियंस खर्च होते थे फिर प्रेस उनकी हर फेलियर लॉंच की जमकर धज्जियाँ उड़ाती।

मगर इस सबके बाद भी एलोन मस्क ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी हैप्पीनेस फ्यूचर के रोकट्स या कार प्रोटोटाइप से बाँध कर नहीं रखी। उनकी खुशियाँ उन मिलियंस से भी नहीं बंधी हुई थी जो उन्होंने लांच में खर्चे किये थे।

वो बस अपना काम करते थे और खुश थे। उन्हें तो एक्स्ट्राऑर्डिनरी मशीने बनाकर ख़ुशी होती थी।

“आज में खुश रहो” अगर आप अपने काम से खुश है, जो आपको मिला है उससे खुश है तो हमेशा आपको मोटिवेशन मिलती रहेगी। फिर चाहे आपको देर तक काम करना पड़े, आप शिकायत नहीं करेंगे ना ही आप थकेंगे।

जैसा कि बिलेनियर जॉन डी रॉकफेलर लिखते है “मुझे पहले ही सिखा दिया गया था काम के साथ साथ खेलना भी ज़रूरी है, मेरी पूरी जिंदगी एक लम्बी हैप्पी होलीडे रही है। फुल ऑफ़ वर्क एंड फुल ऑफ़ प्ले, मैंने फ़िक्र को बीच रास्ते में ही छोड़ दिया था।”

 

Blissipline के साथ जिए


ब्लिस्प्लिन का मतलब है –

“डिस्प्लीन ऑफ़ डेली बेसिस”. हालाँकि फ्यूचर के बारे में ना सोचना बहुत हार्ड होता है और अपने पास्ट के रेग्रेट्स भूले नहीं जाते फिर भी अपने प्रेजेंट में खुश रहने के लिए आपको लाइफ में ब्लिस्पिन अप्लाई करना ही होगा।

तीन प्रिंसिपल है जो आप फॉलो कर सकते है –

 

पहला है कि थैंकफुल रहे –

 

हर रोज़ ऐसी पांच बाते सोचिये जिसके लिए आप थैंकफुल फील करते है। ये कुछ मिनट का काम है आप अपने बीजी शेड्यूल में भी ये कर सकते है।

 

दूसरा प्रिंसिपल है माफ़ करना –

 

सोचिये कि आप एक मेडिटेशन की क्लास में है, कोंस्न्ट्रेट करे, सिर्फ साइलेंस है और कुछ नहीं। उन सब लोगो को याद करे जिनकी वजह से आप कभी हर्ट हुए हो। अपने माइंड में उनकी एक लिस्ट बनाये।

अब इमेजिन करे कि आप उन सबसे बारी-बारी बात कर रहे है। उस पेन को याद करे जो उन्होंने आपको दिया।

अब इसके बाद खुद से पूछिए –

 

  • मैंने उस आदमी के साथ अपने एक्सपिरियेंश से क्या सीखा ?
  • मेरे इस एक्स्पिरियेंश से मेरी लाइफ में क्या चेंज आया ?

 

और अब थर्ड प्रिंसिपल है टू गिव। “खुशिया बांटने से बढती है” जब आप अपनी हैप्पीनेस को कंट्रोल कर लें तो इसे दुसरो के साथ भी बांटे। दुसरो को भी खुशियाँ दे। अपने वर्कमेट्स को पोजिटिविटी के साथ अप्रोच करे। हमेशा एक स्माइल या सिम्पल ग्रीटिंग से स्टार्ट करे। सच्ची ख़ुशी ही आपको हर रोज़ काम करने की ताकत देगी।

 

कन्क्ल्यूजन –

 

तो इस Book Summary में हमने रूल्स ब्रेक करने सीखे जो हमें रोकते है, हमारी एबिलिटी लिमिट करते है। आपने नए बिलिफ्स क्रियेट करना भी सीखा जिससे आपकी लाइफ इम्प्रूव होगी।

आपने ये भी सीखा कि कैसे ख़ुशी से अपना काम करे। अब आपको ये हैप्पीनेस दुसरो के साथ शेयर करनी है।

एक्स्ट्राआर्डिनरी लोग खुद को बाकियों से दूर नहीं करते बदले में वे उनको भी एक्स्ट्राआर्डिनरी बनने में हेल्प करते है। दुसरे लोगो की लाइफ इम्प्रूव करना उनका विजन बन जाता है। वे लोगो को खुश रखना चाहते है जैसे वे खुद अपनी लाइफ में खुश है।

“वर्ल्ड में सबसे ज्यादा एक्स्ट्राआर्डिनरी लोगो का कोई करियर नहीं होता” उनके पास तो सिर्फ एक चीज़ होती है, कालिंग।

स्टीव जॉब्स मशीने बनाकर बिलिय्न्स नहीं कमाना चाहते थे। ठीक यही बात एलोन मस्क और बिल गेट्स के साथ भी है।

सक्सेस, फेम और पहचान उनकी अचीवमेंट का बाईप्रोडक्ट्स है। उन्होंने ये सब पैसे के लिए नहीं किया।

मगर आपको दुनिया को लूट कर बिलेनियर बनने की ज़रुरत नहीं है। आप कोई पेरेंट हो सकते जो अपने बच्चे को सही ढंग से पालने की कोशिश में लगा है। या कोई सिम्पल एम्प्लोयी हो सकते है।

पॉइंट बस ये है कि आप अपना बेस्ट करे। लिमिटेशन की परवाह ना करे। अपनी कालिंग खुद ढूंढें। जो भी करे दिल से खुश होकर करे और साथ ही दुसरो को भी ख़ुशी दे, और फिर देखे आप कैसे एक्स्ट्राआर्डिनरी बनते है।

 

दोस्तों आपको आज का हमारा ये The Code of The Extraordinary Mind Book Summary in Hindi कैसा लगा और अगर आपको कोई सवाल या सुझाव देना है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस The Code of The Extraordinary Mind Book Summary in Hindi को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।

 

 

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद।
Wish You All The Very Best.

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