The Personal MBA Book Summary in Hindi – Hello दोस्तों, द पर्सनल एमबीए आपको एक अच्छा व्यापारी बनना सिखाती है। यह किताब हर उस व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी है जो अपने बिज़नेस को शुरु करना चाहते हैं, लेकिन MBA कॉलेज में नहीं पढ़ना चाहते या अपने बिज़नेस को अच्छे से सम्भालना चाहते हैं। इसे पढ़कर आप बिज़नेस के बारे में सारी बातें जान सकते हैं।
लेखक – जोश कॉफ़मन (Josh Kaufman) एक अंतर्राष्ट्रीय लेखक, कारोबारी और एक मोटिवेटर हैं। इनकी दो किताबें, द पर्सनल एमबीए और द फर्स्ट 20 आवर्स, इंटरनेशनल बेस्ट सेलिंग किताबें है। उन्हें अमेज़न ने बिज़नस एंड मनी पर #1 बेस्टसेलिंग राइटर का दर्जा दिया है।
The Personal MBA Book Summary in Hindi
बिज़नेस शुरू करने के लिए आपको MBA की ज़रूरत नहीं है।
क्या आपको भी लगता है कि एक सफल व्यापारी बनाने के लिए आपको किसी डिग्री की ज़रुरत है? अगर लगता है तो यह किताब पढ़ने के बाद नहीं लगेगा। इस किताब में एक अच्छे बिज़नेस को शुरु करने से लेकर अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुंचाने तक की सारी बातें बताई गयी हैं। इसे पढ़कर आप सीखेंगे कि किस तरह आप अपने बिज़नेस को अच्छे से चला सकते हैं और किस तरह आप अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पंहुचा सकते हैं। एक अच्छे व्यापार को चलाने के लिए जिन चीज़ों की ज़रुरत होती है इस किताब में उन सभी के बारे में बताया गया है। इसे पढ़कर आप एक कामयाब बिजनेसमैन बन सकते हैं।
अगर आप सोचते हैं कि बिज़नेस स्कूल्स आपको बिज़नेस करना सिखाते हैं तो आप गलत सोचते हैं।
अगर आपसे कोई कहे कि वो MBA कर रहा है तो आपके मन में ख्याल आता होगा कि अब वो बहुत जल्दी ही एक कामयाब बिजनेसमैन बनने वाला है। क्या सच में सिर्फ एक MBA की डिग्री से कोई कामयाब बिजनेसमैन बन जाता है? आइये देखते हैं। सबसे पहले तो हम ये देखेंगे कि आखिर लोग ऐसा क्यों सोचते है कि MBA कर लेने से वे एक अच्छे बिजनेसमैन बन सकते हैं। इसकी असल वजह है – MBA की फीस।
अगर एक अच्छे MBA इंस्टीट्यूट की फीस पर नज़र डाले तो पता चलता है कि वहाँ एक साल की फीस लाखों रुपये में है। और अगर हम हॉस्टल फीस और दूसरी प्रोजेक्ट फीस को भी इनमें जोड़ कर दें तो ये तो ये काफी ज्यादा हो जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि सारे MBA स्कूल्स इतने महंगे नहीं होते होंगे। आप सही सोच रहे हैं। लेकिन कई MBA छात्र लाखों रुपये का एजुकेशन लोन भी ले लेते हैं। जब इतने सारे लोग MBA करने के लिए इतना सारा पैसा लगा रहे हैं तो ज़रुर MBA कर लेने से हम एक कामयाब बिजनेसमैन बन जाएँगे।
ऐसा सोचना भी बेवकूफी है। क्यों?? – सबसे पहले तो हम दुनिया भर के आल टाइम टॉप बिज़नेसमेन में पर नज़र डालते हैं। अगर हम हेनरी फोई, बिल गेट्स, स्टीव जोब्स, जेफ बेजोस, रोबर्ट कियोसाकी, मार्क जुकरबर्ग जैसे बिज़नेस मैन को देखें तो हम पाएंगे कि इनके पास कोई MBA की डिग्री नहीं है। फिर भी ये दुनिया के टॉप बिज़नेसमैन हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में की गयी एक स्टडी की माने तो एक MBA डिग्री और एक कामयाब बिज़नेसमैन के बीच कोई सम्बन्ध नहीं पाया गया। MBA में टॉप करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स एक अच्छे बिजनेसमैन नहीं बन पाए। अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि अगर एक MBA डिग्री आपको सफलता नहीं दिलवा सकती तो आपको सफलता कैसे मिलेगी।
आप वही बिज़नेस शुरू करें जिसमें आपको इंटरेस्ट हो।
अगर आप एक कामयाब कंपनी खोलना चाहते हैं तो आपको उस चीज़ की कंपनी खोलनी होगी जिसमें आपको इंटरेस्ट हो। आप वो मत करिये जो सब कर रहे हैं। आप वो करिए जिसमें आपको इंटरेस्ट है। जैसा कि आप देख ही रहे होंगे कि आज की टॉप कामयाब कपनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, फेसबुक और अमेज़न हैं। क्या आपको इन सभी में कोई एक कॉमन चीज़ दिख रही है। ये सभी कंपनियां आईटी कंपनियां है।
अगर आप सोचें कि आईटी कपनियां ही कामयाब होती हैं और आपको भी आईटी कंपनी खोलनी चाहिए तो आप ज़रुर खोलिये। लेकिन तभी, जब आपको आईटी में इंटरेस्ट हो। अगर आपको आईटी में इंटरेस्ट नहीं है तो आप इस कंपनी को संभाल नहीं पाएंगे। किसी भी कंपनी के खुलने के बाद उसे सेट करने में कुछ समय और बहुत सारी मेहनत लगती है।
उसमें कुछ फैसले लेने पड़ते हैं जो आप तभी ले पाएंगे जब आप दिल से उस बिज़नेस को चला रहे हों। शुरुवात में ज्यादा पैसे नहीं आते और मेहनत ज़्यादा करनी पड़ती है। अगर आप सिर्फ पैसों के लिए ही बिज़नस कर रहे हैं तो आपका बिज़नेस बहुत जल्द ही फ्लॉप होने वाला है इसलिए आप भीड़ के साथ मत भेजिए और वो कीजिये जिसमें आपको इंटरेस्ट हो। अगर आपको अपने बिज़नेस से लगाव होगा तो आप उस बिज़नेस को ज़्यादा समय और मेहनत देंगे। अगर आपको गाड़ियों में दिलचस्पी है तो आप गाड़ियों की कंपनी खोलिये। ऐसे में आप अपने कस्टमर्स की ज़रूरतों को करीब से पहचान कर उसे पूरा करने की कोशिश करेंगे। आपको अपने फैसलों पर भरोसा होगा और आपके अन्दर समय समय पर नए नए आइडियाज आते रहेंगे। तो एक कामयाब बिज़नेस चलाने के लिए सबसे पहले आपको उसमें इंटरेस्ट होना चाहिये। अगर आपको इंटरेस्ट नहीं है तो आप सिर्फ पैसों के लिए बिज़नेस मत चलाइए।
क़र्ज़ लेना रिस्की तो है, पर अगर सही तरह से इस्तेमाल किया जाए तो ये आपको ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
अब जब आपने अपने इंटरेस्ट का बिज़नेस चुन ही लिया है तो आप अपना बिज़नेस शुरु करने के बारे में सोच रहे होंगे लेकिन आपके मन में अब भी बहुत से सवाल उठ रहे होंगे। जैसे कि बिजनेस को शुरु करने के लिए पैसे कहाँ से लाएँ।बड़े से बड़े बिजनेसमैन ने जब अपना बिज़नेस शुरु किया है तब उसे भी पैसों की कमी पड़ी है। इससे एक बात तो तय है कि ज़रुरी नहीं कि आपके पास बिज़नेस शुरु करते वक्त ज़्यादा पैसे हों। तो आप पैसों का इंतज़ाम कहाँ से करेंगे। एक शब्द में इसका जवाब है- उधार। उधार एक ऐसी चीज़ है तो आपके फ़ायदे या नुक्सान को बढ़ा देती है। कैसे??
मान लीजिये कि आपको म्यूजिक में इंटरेस्ट है। आपके दिमाग में एक ऐसा म्यूजिकल डिवाइस आया जो कि लोगों को बहुत पसंद आ सकता है। आपने अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए 50 लाख रुपये उधार लिए और अपना बिज़नेस शुरु कर दिया। अब दो बातें हो सकती हैं। अगर आपका बिज़नेस बहुत सफल रहा और लोगों को वाकई आपकी म्यूजिकल डिवाइस पसंद आई तो आप कुछ महीनों में ही अपने सारे कर्ज से छुटकारा पाकर अमीर बन सकते हैं। आपने एक कामयाब कमपनी खोली जिसमें आपका अपना एक भी रुपया नहीं लगा।
लेकिन अगर आपकी डिवाइस लोगों को पसंद नहीं आई तो आपकी कंपनी फ्लॉप हो सकती है और आप 50 लाख रुपये के क़र्ज़ में जा सकते हैं। तो इससे आपको ये सबक मिलता है कि उधार लेने से आप बहुत जल्दी और बहुत आसानी से या तो अमीर बन सकते हैं या तो क़र्ज़ में डूब सकते हैं। इसलिये आप इसका इस्तेमाल सोच समझ कर करें।
आपके प्रोडक्ट से लोगों की जरूरतें पूरी होनी चाहिए।
ये बहुत ज़रूरी है कि आपके प्रोडक्ट और लोगों की ज़रुरतों में एक कनेक्शन हो। अगर ऐसा नहीं है तो आपका प्रोडक्ट किसी काम का नहीं। लोगों को अलग अलग वक्त पर अलग अलग चीज़ों की जरूरतें पड़ती है। आइये इसे एक उदहारण से समझते हैं। कुछ साल पहले उत्तराखंड में बादल फटने की वजह से बाढ़ आयी थी। लोग पहाड़ों पर भगवान के दर्शन के लिए गए थे लेकिन बाढ़ की वजह से वापस आने के रास्ते बंद हो गए थे। पहाड़ों पर जो दुकाने थीं वहाँ पर खाने पीने के सामानों की कीमत पांच गुना हो गयी। फिर भी लोग उसे खरीद कर खा रहे थे क्योंकि उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। कुछ लोग खाने के लिए अपने गहने भी दे आ रहे थे।
इस उदहारण को आप पॉजिटिव तरीके से लें। इसका मतलब यह नहीं कि आप लोगों की बेबसी का फायदा उठाएँ। इसका मतलब है कि आप लोगों की उन ज़रूरतों को पहचान कर प्रोडक्ट बनाएँ जिसके लिए वो हंसी खुशी आपको पैसे दें। लेकिन लोगों की ज़रूरतें क्या हैं?इसका जवाब हार्वर्ड के प्रोफेसर नीतिन नोहरिआ (Nitin Noharia) और पॉल लॉवरेंस (Paul Lawrence) ने दिया है।
लोगों की चार ज़रूरतें हो सकती हैं –
- चीज़ों को इक्कठा करने की ख्वाहिश। फेसबुक और ट्विटर पर लोग लाइक्स, कमेंट्स और फालोवर्स इक्कठा करते हैं। कुछ लोगों को स्टेम्प और दूसरी पुरानी चीज़े इक्कठा करने का शौख होता है। रिटेलर्स और बिजनेस ब्रोकरेज इन ज़रूरतों का खयाल रखते हैं।
- खुद को अच्छा दिखाने की ख्वाहिश। आज हर कोई अच्छे कपडे, अच्छी गाड़ियाँ , परफ्यूम और क्रीम लगाकर अच्छा दिखने की कोशिश करता है जिससे लोग उनकी तरफ आकर्षित हो सकें और वे अच्छे दिख सकें। कॉस्मेटिक कंपनियां, परफ्यूम कंपनियां और क्लॉथ इंडस्ट्रीज जैसी दूसरी कंपनियां इन ज़रूरतों का ख्याल रखती हैं।
- हर किसी के अंदर कुछ जानने की जिज्ञासा होती है। हमारा मन हमेशा कुछ नया जानने या देखने को करता है। यूट्यूब इस जरुरत को पूरा करता है।
- हर किसी को सेफ रहना पसंद है। इसलिए आज मोबाइल और कंप्यूटर सिक्योरिटी ऐप्स मार्केट में बढ़ते जा रहे हैं और CCTV कैमरा और सिक्योरिटी सिस्टम का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है।
हर कामयाब प्रोडक्ट के पीछे एक कामयाब मार्केटिंग होती है।
अब जब आपने अपना प्रोडक्ट बना लिया है तो आपको अपने प्रोडक्ट को ऐडवर्टाइस करना होगा। आप किस तरह अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पंहुचा सकते हैं? आपका प्रोडक्ट भले ही लाखों में एक क्यों न हो, अगर लोग उसके बारे में जानेंगे नहीं तो उसे इस्तेमाल भी नहीं करेंगे। इसलिए सबसे पहले आपको अपने प्रोडक्ट को ऐडवर्टाईज़ कर लोगों को अपने प्रोडक्ट के बारे में बताना होगा। आज की दुनिया के हर कोने में ऐडवर्टाइसमेंट है। सभी लोग अपने प्रोडक्ट्स को न्यूज़पेपर से, टीवी से, इन्टरनेट से या फिर पोस्टर्स से लोगों तक पंहुचा रहे हैं। ऐसे में ये ज़रूरी है कि आपके प्रोडक्ट की ऐड सबसे अलग हो।
आपके प्रोडक्ट की ऐड ऐसी होनी चाहिए जिसे देखकर कस्टमर उसकी तरफ आकर्षित हो। भले ही आपका प्रोडक्ट बहुत ही सिंपल हो, लेकिन उसकी ऐडवर्टाइसमेंट शानदार होनी चाहिये। लेकिन लोग आपके प्रोडक्ट पर भरोसा क्यों करेंगे? इसके लिए आप टेस्टीमोनिअल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि अगर आप बुजुर्ग लोगों के घुटनों के दर्द के इलाज के लिए कोई प्रोडक्ट बना रहे हैं तो आपको अपने उस प्रोडक्ट के लिए एक टेस्टीमोनियल तैयार करना होगा।
अगर एक बुजुर्ग आपके ऐडवर्टाइसमेंट में यह कह दे कि आपका प्रोडक्ट उसके घुटनों के दर्द के इलाज के लिए एक वरदान साबित हुआ तो लोग आपके प्रोडक्ट पर भरोसा ज़रूर करेंगे। अगर कस्टमर ने आपका प्रोडक्ट खरीद लिया तो ये बहुत ज़रुरी है कि आपके प्रोडक्ट से उसे भी फायदा हो। अगर आपने सिर्फ दिखावे के लिए टेस्टीमोनियल तैयार किया है तो आपका प्रोडक्ट ज्यादा दिन नहीं टिकने वाला। जैसा कि पहले ही कहा गया – आपके प्रोडक्ट और लोगों की ज़रुरतों में एक कनेक्शन होना चाहिये। अगर आपके प्रोडक्ट से उनकी ज़रुरत पूरी नहीं होती तो वे आपका प्रोडक्ट नहीं ख़रीदेंगे।
एक अच्छा बिजनेसमैन बनने के लिए आपको डील करना आना चाहिये।
अक्सर ऐसा होता है कि हमारा प्रोडक्ट हर तरह से ठीक होने पर भी लोग उसे नहीं खरीदते। लोग आपके प्रोडक्ट को बिना वजह ही ना बोल देते हैं। इसके पीछे भी एक वजह होती है। वो वजह क्या है और आप किस तरह इस परेशानी का हल निकाल सकते हैं। सबसे पहले तो आपको ये जानने कि कोशिश करनी होगी कि आपका कस्टमर आपको ना क्यों बोल रहा है।
क्या उसे आपके प्रोडक्ट की जरुरत नहीं है? – अगर ऐसा है तो आपको कस्टमर को अपने प्रोडक्ट के फायदों के बारे में बता कर ये यकीन दिलाना होगा कि उसे आपके प्रोडक्ट की ज़रूरत क्यों है। मान लीजिये कि आपके कस्टमर का कहा है कि उसे आपके नए म्यूजिकल डिवाइस की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वो अपने फ़ोन में गाने सुन लेता है। ऐसे में आपको उसे अपने म्यूजिकल डिवाइस के उन फायदों के बारे में बताना होगा जो कि मोबाइल पूरी नहीं कर पा रहा।
क्या उसे आपका प्रोडक्ट बहुत महंगा लग रहा है? – अगर ऐसा है तो आप अपने प्रोडक्ट पर कुछ समय के लिए डिस्काउंट दे सकते हैं। या फिर आप अपने कस्टमर्स को यकीन दिला सकते हैं कि उनके पैसे बेकार नहीं जाएँगे। आपके प्रोडक्ट से उन्हें जरुर फ़ायदा होगा।
क्या उन्हें आपके प्रोडक्ट पर भरोसा नहीं है? – ऐसे में आप उन्हें एक ऑफर दे सकते हैं। आप अपने कस्टमर्स को ये ऑफर दीजिये कि अगर उन्हें आपका प्रोडक्ट अच्छा नहीं लगता तो वे उसे वापस कर सकते हैं और बदले में उन्हें उनके सारे पैसे लौटा दिए जाएंगे। इसके लिए आपको सबसे पहले अपने प्रोडक्ट पर भरोसा होना चाहिये। आपको भरोसा होना चाहिए कि लोग अगर एक बार आपका प्रोडक्ट इस्तेमाल करेंगे तो उसे वापस नहीं करेंगे। इस तरह आप लोगों का भरोसा जीत सकते हैं। और आप चाहे कितना भी अच्छा प्रोडक्ट बना लो, इक्का दुक्का लोग उसे वापस करेंगे ही। इसके लिए आप हमेशा तैयार रहिये।
किसी भी डील को अच्छी डील में बदलने के लिए आपको मोल भाव करना आना चाहिए।
अगर आप चाहते हैं कि आपको हमेशा अच्छी से अच्छी डील मिले तो आपके अंदर ये खूबी होनी चाहिए की आप हर डील को अच्छी डील में बदल सकें। लेकिन कैसे? इसका जवाब है – मोल भाव करके। मोल भाव के बहुत सारे स्टेप्स होते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले तैयारी करनी होगी।
आपकी तैयारी कैसी होनी चाहिये? – सबसे पहले तो आपको यह देखना होगा कि आप किसके साथ मोल भाव कर रहे हैं। आप इस बात का हमेशा ख्याल रखे कि आप उसी आदमी से मोल भाव करें जो कंपनी के अहम फैसले लेता हो, ना कि उससे जो आपको कंपनी के आफर के बारे में बता रहा है। इसके बाद आती है मोल भाव की जगह। आप उस जगह पर मीटिंग बुलाइये जहाँ पर आप पूरे कॉन्फिडेंस के साथ अपनी बात कह सकें।
अगर आपको लगता है कि आप ऑनलाइन मीटिंग में ज़्यादा कॉन्फिडेंट होंगे और अपनी बात को आसानी से कह सकेंगे तो आप ऑनलाइन मीटिंग ही बुलाइये। अब जब आपने जगह भी तय कर ली तो आपको अपनी शर्तों पर एक नज़र डालनी होगी। आप ये पहले ही तय कर लीजिये की आप क्या चाहते हैं। अगर मोल भाव अच्छे से न हो पाये तो आपको क्या करना है। इन बातों को आप पहले ही सोच लीजिये जिससे कि आपको बाद में परेशानी न हो। अब आप मीटिंग करने के लिए तैयार हैं। आपने जिस भी जगह मीटिंग बुलाई है वहाँ पर जा कर उनकी शर्तों से अपनी शर्तों को मिलाइए और अच्छे से मोल भाव कीजिये जिससे की आप अपने प्रॉफिट को बढ़ा सकें।
अगर आप एक अच्छे लीडर बनना चाहते हैं तो आपको अच्छे से बातचीत करना आना चाहिये।
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपने किसी को अपने एक आईडिया के बारे में बताया हो उसने आप से कहा हो कि आपका आईडिया बहुत बेकार है। अगर हुआ है तो आपको पता होगा कि शब्दों का हमपर क्या असर पड़ता है।कुछ ऐसा ही बिजनेस में भी होता है। आपके शब्द ही आपके बारे में और आपकी सोच के बारे में बताते हैं। इसलिए ये बहुत ज़रुरी है कि आप शब्दों का इस्तेमाल सही तरह से करना सीखें।
- लेकिन शब्दों का बिज़नेस से क्या लेना देना?
- क्या आप कभी हॉस्पिटल में अपनी अपॉइंटमेंट लेने के लिए लाइन में खड़े हुए है?
- क्या आपने कभी अपने आगे खड़े आदमी से कहा कि वो आपको पहले अपॉइंटमेंट लेने जाने दे क्योंकि आप जल्दी में है?
अगर नहीं तो अगली बार जब भी आप अपॉइंटमेंट लेने जाएँ तो ये तरीका आज़मा कर देखिएगा। ऐसा पाया गया कि जब हम लोगों को अपने प्लान के बारे में अच्छे से बताते हैं और साथ में उसके साथ उसके कारण भी बताते हैं तो लोग हमारे प्लान के हिसाब से काम करते हैं। अगर आप अपने आगे खड़े आदमी को अच्छे कारण देंगे तो वो आपको आगे जाने देगा। इसलिए आप लोगों तक अपनी बात को पहुंचाने में माहिर बनिए जिसे लोग आपकी बात सुनकर आपके प्लान के हिसाब से काम करें।
इसके साथ ही आपको अपने एम्प्लाइज को ये बातें भी बतानी होगी कि अगर सब कुछ प्लान के हिसाब से नहीं हुआ तो उन्हें क्या करना है। इस तरह आपको लोगों को हर कदम पर बातें याद नहीं दिलानी होंगी। वे लोग पहली बार में ही आपके पूरे प्लान को समझ कर आपका साथ देंगे। अगर आप चाहते है कि लोग वाकई आपकी बातों को सुने तो आपको सबसे पहले लोगों की बातें सुननी होगी। आप लोगों को नीचा दिखाना छोड़कर उन्हें सपोर्ट करना सीखिये। अपने एम्प्लाइज़ से आईडिया शेयर करते वक्त आप इस बात का ख्याल रखे कि बातचीत दोनों तरफ से हो। अगर आपकी मीटिंग में आपके अलावा कोई नहीं बोल रहा तो इसका मतलब है आपकी बातों को कोई नहीं सुन रहा। इसलिये आप आराम से बैठ कर अपने आइडियाज़ शेयर कीजिये।
अगर आप चाहते हैं कि आप ज़्यादा से ज़्यादा काम कर सकें तो आपको अपने शरीर का ख्याल रखना होगा।
बिजनेस में अक्सर ऐसा होता है कि हमें एक से ज़्यादा काम एक साथ करने पड़ते हैं। ऐसे में आपको अपने टाइम और अपनी एनर्जी को मेन्टेन करना आना चाहिये। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।
- क्या आपने कभी दो मुर्गियों को एक साथ पकड़ने की कोशिश की है?
- तो क्या आपको लगता है कि आप दो मुर्गियों एक साथ पकड़ सकते हैं?
आप कभी नहीं पकड़ सकते। आपका दिमाग एक बार में सिर्फ एक ही काम को अच्छे से कर सकता है। अगर आप दो काम एक साथ करेंगे तो आप एक भी काम अच्छे से नहीं कर पाएंगे। इसलिए आप सबसे पहले अपनी एनर्जी को सही तरह से इस्तेमाल करना सीखिये। आप अपने शरीर की ज़रुरतों को समझिये और देखिये कि दिन के किस समय आप ज्यादा काम करने में सक्षम हैं। ज्यादातर लोग सुबह सुबह अच्छे से फोकस कर पाते हैं लेकिन ज़रूरी नहीं है कि आप पर ये बात लागू हो। दुसरे शब्दों में ऐसा नहीं है कि आप सारा दिन एनर्जी से भरे रह सकें। काम करते हुए थकना एक आम बात है और थकने पर आपको आराम करना चाहिए।
हम में से हर किसी की एनर्जी साइकिल 90 मिनट की होती है। इसका मतलब है कि आप अगर इस समय खुद के अंदर बहुत ज्यादा एनर्जी महसूस कर रहे हैं तो 90 मिनट बाद आप पूरी तरह से थक जाएंगे। जब आप थक जाएँ तो आप थोड़ी देर आराम कर लीजिये। इससे आपके काम करने की क्षमता बढ़ जाएगी और आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी।
Conclusion
एक अच्छे बिज़नेस को शुरू करने के लिए आपको उसमे इंटरेस्ट होना चाहिये। आपको लोगों की ज़रूरतों को समझ कर अपना प्रोडक्ट बनाना चाहिए जिससे कि लोग आपके प्रोडक्ट को खरीदें। आप अच्छी मार्केटिंग करके और अपने बिज़नेस पार्टनर से अच्छे से मोलभाव कर के अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं। लेकिन भाग दौड़ के चक्कर में आप अपनी सेहत का ख्याल रखना मत भूलिए।
क्या करें?
काम की आवाज़ शब्दों की आवाज़ से ज़्यादा होती है। अगली बार आप जब भी किसी नए एम्प्लोयी को काम पर रखें, आप सिर्फ उसका रिज्यूमे मत देखिये। आप उसके पिछले काम का रिकॉर्ड देखिये। आप देखिये कि उसने पिछले कुछ महीनों में किस तरह से काम किया है। अगर वो पहले से ही अच्छा काम करता है, तो वह आगे भी अच्छा काम करेगा।
Conclusion
दोस्तों आपको आज का हमारा यह “The Personal MBA Book Summary in Hindi – क्या आपको भी बिज़नेस करना है?” कैसा लगा? क्या भी बिज़नेस शुरू करने वाले हैं? या आपने आलरेडी बिज़नेस शुरू कर दिया है मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये। और इस “The Personal MBA Book Summary in Hindi” को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
Buy Book –
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
Bahot hi accha article likha hai aapne. Maine ise pehle ye kabhi nhi pada tha. Full detail information di hai aapne. Ab shayad ye book padne ki jarurat nhi hai. aapke articles ek successful businessman banne ke liye kafi hai .Thank you.
You’re Most Welcome Manshri Patil Ji.