दो मुसाफिर

एक बार एक मुसाफिर एक रेगिस्तान में चल रहा होता है, गर्म हवा से उसकी तबियत ख़राब होती जा रही है, वो चलता जा रहा है चलता जा रहा है और गला चुख रहा है और भूख लग रही है और पानी की तलाश कर रही है। 

लेकिन रेगिस्तान में पानी मिलेगा कहाँ, वो ढूंढ रहे हैं, ढूंढ रहे हैं और उसे अचानक नजर पड़ती है एक तालाब के ऊपर, दूर उसको नजर आता है, उसको लगता है कही मेरे मन का वहम तो नहीं, वो और पास चलता जाता है उस तालाब के, पास जाता है तो वो देखता है सच में एक साफ ठन्डे पानी का तालाब है वो अपनी ऊंट से उतरता है और पानी के पास जाके खड़े हो जाते हैं। पूरी तरह से थका हुआ है, बेहाल है, खड़ा रहते उसको कुछ समझ नहीं आरहा।

इतने में एक दूसरा मुसाफिर ऊंट पे वहां से निकल रहा होता है। वो रुकता है और उस पहले मुसाफिर को कहता है “भाईसाहब आप इतने थके हुए लग रहे हो, इतने बेहाल लग रहे हो, बुरी हालत लग रही है आप पानी पी क्यों नहीं लेते !”

वो पहले मुसाफिर उसको जवाब देता है “भाईसाहब मुझे इतनी प्यास लगी है की मैं ये सारा पानी पी जाऊँ, लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा मैं इतना सारा पानी कैसे पीऊं !!”

वो दूसरा मुसाफिर ऊंट से नीचे उतरते हैं थोड़ा सा पानी हाथ में पकड़ता है और कहता है “पहले आप हाथ से पकड़के सिर्फ इतना पानी पीजिये, आपकी प्यास बुझ जाएगी और जब तक न बुझे तो ऐसे ही धीरे धीरे करके पीते जाइये।”

क्या आपको पता है की वो पहला मुसाफिर कौन हैं ? वो पहला मुसाफिर हम सब है। हम जब Goal बनाते हैं तो बहुत बड़ा goal बना लेते हैं। जोश में आके, motivated रहके हमे लगता है की हम तो इस साल ये करेंगे, वो करेंगे। अगले तीन महीने में इसको achieve कर लेंगे।

लेकिन कुछ दिनों के बाद ही हमारा वो जोश खत्म हो जाता है और वो बड़ा Goal वैसे का वैसा ही रह जाता है। अभी आपका जितना भी बड़ा Goal है उसको महीनों या हफ्ते या दिन में divide करो। तभी आपको रोज के action मिलेंगे। रोज के action लेते जाओगे तो बड़े से बड़ा Goal को Achieve कर पाओगे।

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