अपनों का साथ

ये कहानी है रामायण की उस भाग की जब प्रभु श्री राम का तीर जा करके रावण की नाभि में लगा, रावण धराशायी हो करके जमीन पर गिर पड़ा। रावण अपनी आखिरी सांसे गिण रहा था। श्री राम की जो सेना थी वहां जश्न का महल था। जश्न मनाया जा रहा था। रावण की मौत होने वाली थी।

तभी श्री राम ने लक्ष्मण को बुलाया और कहा की “एक काम करना फटाफट से रावण के पास जाओ, वो महाज्ञानी है उससे ज्ञान ले करके आओ, क्यूंकि अगर वो मर गया, तो तुम्हे वो ज्ञान नहीं मिल पायेगा, जो रावण के पास है।”

लक्ष्मण हॅसने लगे और उन्होंने श्री राम को कहा “भाईया ये क्या मजाक है, रावण जो की घमंडी है, अहंकारी है, जिसने भाबी का अपहरण किया था, उस रावण से आप ज्ञान लेने के लिए कह रहे हैं”

श्री राम ने कहा “ये मेरा आदेश है, मानना पड़ेगा”

लक्ष्मण का मन नहीं था, अंदर से अच्छा नहीं लग रहा था, जाने का मन नहीं था। लेकिन भाईया का आदेश था, और उनको ये मानना ही पड़ेगा और वो बिना मन के रावण के पास चले गए और जाकरके उनके सर के पास खड़े हो गए। और लक्ष्मण ने रावण को कहा “रावण, तुम्हारा आखिरी वक़्त चल रहा है, जाने से पहले मुझे ज्ञान देकरके जाओ, भाईया ने मुझे यहाँ भेजा है”

जो लक्ष्मण की आवाज में तुनक थी, जो गुस्सा था, वो रावण को पसंद नहीं आया। रावण ने सर फेर लिया। लक्ष्मण ने जब ये देखा तो उन्हें गुस्सा आ गया।

वापस वो गए श्री राम के पास और जाकरके कहा था “भाईया पहले ही कहा था, वो घमंडी है, अहंकारी है, उससे क्या ज्ञान मिलेगा”

तो श्री राम ने लक्ष्मण को पूछा की “कहा खड़े थे”

तो लक्ष्मण ने बताया की उसके सर के पास खड़ा था।

उसका आखिरी वक़्त चल रहा है, अगर वो कुछ बोलेगा और मुझे सुनाई नहीं दिया तो। छोटे भाई का ये जो मजाक था श्री राम को पसंद नहीं आया और श्री राम मुस्कुराये। और अब की बार श्री राम खुद चले गए, कुछ बोले नहीं।

और जाकरके रावण के चरणों में बैठ गए। रावण को नमस्कार किया और कहा की “हे लंकापति रावण, आप महाज्ञानी है, लेकिन आपसे एक भूल हो गयी थी, आपने मेरी पत्नी का अपहरण कर लिया था, इसकी सजा मैंने आपको दी है। अब जाने से पहले, आपके पास बहुत सारा ज्ञान है, इस संसार को कुछ काम की बातें बता करके जाइये”

रावण ने बोला “पहली बात, तू मुझे बड़ा अच्छा लगा, की तुमने अपनी भाई को ये सीखा दिया की संस्कार क्या होते है, अनुशासन क्या होता है, गुरु के पास अगर ज्ञान लेने के लिए जा रहे हैं तो सर के पास खड़े नहीं होते, पैरों में बैठा जाता है और दूसरी बात की तुम्हारे और मेरे बीच में सिर्फ एक अंतर है, जिसकी वजह से आज तुम्हारी जीत हुई है और मेरी हर हुई है”

श्री राम निवेदन किया की “क्या अंतर है”

तो रावण ने बताया की मैं हर मामले में तुमसे श्रेष्ट हूँ, बल, बुद्धि सबमे श्रेष्ट हूँ, यहाँ तक की तुम्हारे पास सिर्फ सोने का महल है और मेरे पास में सोने की नगरी लंका है। लेकिन अंतर सिर्फ ये है की तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ खड़ा है, लक्ष्मण आखिरी वक़्त तक डटा हुआ है और मेरे भाई ने मेरे साथ धोका किया, मेरे भाई ने तुम्हे जाकरके बताया की रावण की नाभि में तीर लगेगा तो रावण की मौत होगी। अपना मेरे खिलाफ खड़ा है और अपना तुम्हारे साथ खड़ा है। इस दुनिया को बताना की जिंदगी में जब अपने अपने साथ होते हैं तभी बड़े से बड़ा युद्ध जीता जाता है।”

ये छोटी सी मजेदार कहानी जीवन में बहुत बड़ी बात सिखाती है की जीवन में अपनों के साथ के साथ कर दिखाओ कुछ ऐसा की दुनिया करना चाहे आपके जैसा।

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