आम का पेड़ और बीरबल
राम और श्याम नामक दो मित्रों में आपस में लड़ाई हो गई। दोनों ही एक आम के पेड़ को अपना बता रहे थे। जब दोनों का झगड़ा नहीं सुलझा तब वे बीरबल के पास गए। बीरबल ने उनसे पूछा, “मुझे सच-सच बताओ, आम के पेड़ का मालिक कौन है?” उत्तर देने की जगह उन्होंने फिर से लड़ना शुरू कर दिया। बीरबल ने चिढ़कर कहा, “रुको, इस फ़साद को सुलझाने का बस एक ही उपाय हैं इस पेड़ का सारा फल तोड़कर तुम दोनों में बराबर-बराबर बाँट दिया जाए। फिर पेड़ को काटकर उसके तने के दो बराबर भाग कर दिए जाएँ। इस प्रकार तुम दोनों के पास आम का पेड़ हो जाएगा। यही मेरा सुझाव है। राम इस सुझाव से अति प्रसन्न हुआ पर श्याम रोने लगा। उसने कहा, “नहीं, नहीं, कृपया आम के पेड़ को मत कटवाइएगा। मैंने वर्षों इसकी देखभाल की है। राम पेड़ ले सकता है पर उसे काटिए मत। ” बीरबल ने कहा, “श्याम तुम इस पेड़ के असली मालिक हो। राम को इसमें से कुछ भी नहीं मिलेगा।”
प्रेम या भय
एक दिन अकबर ने कहा, “मेरी प्रजा मुझे प्यार करती है और इसीलिए मेरी आज्ञा मानती है।” बीरबल ने कहा, “जी. पर प्रजा आपसे डरती भी है।” अकबर ने बीरबल से इसे साबित करने के लिए कहा। तब बीरबल ने एक घोषणा की, “राजा की आज्ञा है कि प्रत्येक परिवार से एक कटोरा दूध महल के द्वार पर रखे हुए टब में डाला जाए। लोगों ने सोचा कि राजा तो टब को देखेंगे नहीं, अतः उन्होंने दूध की जगह पानी डाल दिया। अकबर पानी से भरे टब को देखकर हैरान रह गया। बीरबल ने फिर दूसरी घोषणा की. “सभी परिवार को एक कटोरा दूध टब में डालना है, राजा ने सब पर नज़र रखी हुई है।” इस बार लोग डर गए और टब में दूध डाला। उस शाम दूध से भरे टब को देखकर अकबर आश्चर्यचकित रह गया। बीरबल ने कहा, “महाराज! मेरा विचार इस बात से साबित होता है। लोग आपसे डरते हैं. इसीलिए जब उन्हें पता चला कि आपने उन पर नज़र रखी हुई है। तब उन्होंने पानी की जगह दूध डाला।” अकबर समझ गया कि डर से ही लोगों में अनुशासन रहता है।
बेहतरीन मौसम
सर्दियों के दिन थे। अकबर ने अपने दरबारियों से पूछा, “बेहतरीन मौसम कब होता है?” अकबर को प्रभावित करने के लिए दरबारियों ने तरह- तरह के उत्तर दिए। “वसंत ऋतु में मौसम बेहतरीन होता है। मंद-मंद हवा, रंग-बिरंगे फूल. ठंडा मौसम सभी को प्रसन्न कर देता है,” एक दरबारी ने कहा। दूसरा बोला, “नहीं महाराज… सर्दी का मौसम बेहतरीन होता है। क्योंकि हम लोग तरह-तरह के गर्म पेय का मजा उठा सकते हैं। कम्बल हमें गर्मी देता है।” अन्य दरबारी ने कहा, ” ना ना, मेरी समझ में गर्मी सबसे अच्छा मौसम है। इस समय नदी के किनारे टहलने का आनंद ही कुछ और है।” जब बीरबल की बारी आई तो उसने कहा, “महाराज! मौसम बेहतरीन तब लगता है जब मनुष्य का पेट भरा हो। एक भूखा व्यक्ति बसंत की ठंडी हवा का लुत्फ नहीं उठा सकता। सर्दी और गर्मी तो उसे दुःखी ही बना देंगे। वह केवल भोजन के विषय में ही सोचेगा। किन्तु यदि किसी व्यक्ति का पेट भरा होगा तो वह वर्षा के मजे ले सकता है, गर्मी में हवा और सर्दी में आग के भी मज़े लेगा।” बीरबल के विचार से अकबर प्रभावित हो गए। पहली बार सारे दरबारियों ने बीरबल के चतुरतापूर्ण उत्तर का लोहा माना।