Chasing Excellence Book Summary in Hindi – चेसिंग एक्सेलेंस (Chasing Excellence) में हम जानेंगे कि एथलीट्स किस तरह से खुद को तैयार करते हैं। इस किताब से हम सीखेंगे कि किस तरह से आप भी खुद को काबिल बना सकते हैं और अपने काम में माहिर बन सकते हैं। यह किताब उनके लिए है जो मानते हैं कि किसी काम में माहिर होना सबके बस की बात नहीं है।
क्या आप एक एथलीट हैं या बनना चाहते हैं, क्या आप एक कोच हैं, और क्या आप एथलीट्स की काबिलियत और कामयाबी के राज के बारे में जानना चाहते हैं तो ये बुक आपके लिए है।
लेखक
बेन बर्गेरॉन (Ben Bergeron) क्रास फिट गेम्स की दुनिया के सबसे बड़े कोच में से एक माने जाते हैं। वे दुनिया के कुछ सबसे सेहतमंद एथलीट्स को ट्रेनिंग देते हैं। वे अपने एथलीट्स को 6 वर्ल्ड चैम्पियनशिप तक लेकर जा चुके हैं। उनकी यह किताब बेस्ट सेलर्स में से एक है।
Chasing Excellence Book Summary in Hindi – एथलीट की काबिलियत की तलाश
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
शायद इस सवाल ने आपको भी कभी परेशान किया हो कि किस तरह से ये एथलीट्स अपने खेल में इतने माहिर होते हैं? आखिर इनके पास क्या ऐसा है जो यह दुनिया को पीछे छोड़ देते हैं? इस किताब की मदद से आप यह जान पाएंगे कि किस तरह से हम खुद की काबिलियत को पहले से 100 गुना निखार सकते हैं और किस तरह से हम भी खुद को इतना काबिल बना सकते हैं।
हर चीज को हासिल करने की एक कीमत होती है जिसे चुकाए बगैर आप उसे सिर्फ सपनों में ही हासिल कर सकते हैं। इस किताब में हम जानेंगे कि इतनी ज्यादा काबिलियत हासिल करने के लिए कितनी कीमत चुकानी होगी और वह आप किस तरह से चुका सकते हैं।
- खुद को सीमाओं से बाहर ले जाने के लिए क्या करना होगा।
- अच्छा सोचने से अच्छे नतीजे कैसे मिल सकते हैं।
- जिद्द किस तरह से आपको कामयाब बना सकती है।
किसी काम को बेहतर तरीके से करने के लिए उसमें अपना लगाव पैदा कीजिए।
शायद आप ने कुछ लोगों को देखा होगा कि वे सारा दिन काम करते रहते हैं, या फिर पूरे दिन लिखते पढ़ते रहते हैं लेकिन फिर भी ऊबते नहीं हैं। शायद आप ने कुछ साइंटिस्ट या फिर एथलीट्स का नाम सुना होगा जो लम्बे समय तक अपना काम करते रहते हैं। आखिर इन लोगों में क्या होता है जो ये लोग खुद को इस हद तक ले जा पाते हैं? एक शब्द में लगाव।
अगर आपको किसी काम से लगाव है तो भले ही उस काम को करने में कितनी भी समस्या क्यों ना आए, आप उसे करने का रास्ता खोज लेंगे। लेकिन अगर आपको वह काम करना है तो आप उसे ना करने का एक बहाना खोज लेंगे। यही वजह है कि कुछ लोग लाख समस्याओं के बाद भी अपने काम में कामयाब हो जाते हैं जबकि कुछ लोग लाख सुविधाएं दे देने के बाद भी कुछ नहीं कर पाते।
अपने काम के साथ लगाव होने के साथ ही आपके अंदर अच्छी आदतें भी होनी चाहिए। अगर आपको अपने काम से लगाव है लेकिन फिर भी आप वो काम करते हैं जिससे आपका ध्यान भटकता है तो यह आदत अच्छी नहीं है और इस तरह आप कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे।
एक्ज़ाम्पल के लिए मान लीजिए आप एक एथलीट बनना चाहते हैं । इसके लिए आप सारा दिन मेहनत करते हैं और ट्रेनिंग लेते रहते हैं। आप खुद को सबसे बेहतर बनाने की हर कोशिश करते हैं। लेकिन जैसे ही शाम होती है आप किसी रेस्टोरेंट में जा कर पिज्जा और बर्गर खाते हैं। आपके अंदर लगाव तो बहुत है, लेकिन आपकी आदत अच्छी नहीं है।
इसलिए सबसे पहले आपको आदत बनानी होगी। आप जो भी बनना चाहते हैं, उसके लिए हर रोज मेहनत कीजिए। अगर आपको किसी काम में माहिर बनना है तो आपको उस काम को कम से कम 10000 घंटे देने होंगे। आपको हर रोज अपनी सीमाओं को लाँघ कर खुद को आगे लेकर जाना होगा। तब जाकर आप सबसे बेहतर बन पाएंगे। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो वह व्यक्ति सबसे बेहतर बना जाएगा जो इस तरह से मेहनत कर रहा है।
तो खुद से हर रोज सवाल कीजिए कि किस तरह से आप खुद को और बेहतर बना सकते हैं? वो कौन सी आदत है जो आप नहीं डाल पा रहे हैं? किस तरह से आप अपने काम को अपनी पूरी क्षमता के साथ कर सकते हैं? इस तरह से आप खुद को आगे लेकर जा सकते हैं।
आप जिस चीज को काबू नहीं कर सकते उसके बारे में चिंता करना छोड़ दीजिए
कामयाबी के रास्ते में बहुत आँधियाँ चलती हैं और इन्हें काबू करने के लिए आप कुछ भी नहीं कर सकते। इसलिए बेहतर है कि आप उन चीज़ों पर ध्यान दें जिन पर आप काबू कर सकते हैं। अगर आप हर वक्त चिंता करते रहेंगे तो आपका ध्यान काम पर नहीं रहेगा।
जब लेखक अपने दो एथलीट्स को ट्रेनिंग दे रहे थे जिनका नाम कैट्रिन डेविएसडोटिर और मैट फ्रेज़र था, तो उन्होंने उन लोगों से कहा कि वे उन सभी घटनाओं की लिस्ट बनाएँ जिनके होने से वे हार सकते हैं। जब लिस्ट तैयार हो गई तो लेखक ने उन सभी समस्याओं में से यह देखा कि वे कौन कौन सी घटनाओं को काबू नहीं कर सकते हैं और उन्होंने उसे लिस्ट में से बाहर निकाल दिया। उन्होंने अपने एथलीट्स को वो नई लिस्ट दी और कहा कि अब उन्हें सिर्फ इन चीजों की फिक्र करनी है।
लेकिन कई बार हमारे साथ ऐसा होता है कि हम अपनी पुरानी गलतियों को भुला ही नहीं पाते और उनके लिए खुद को दोष देते रहते हैं। इसके अलावा कभी कभी ऐसा भी होता है कि जिन चीज़ों को हम काबू नहीं कर सकते उनकी चिंता हमें ना चाहते हुए भी हो लगती है। कुछ ऐसा ही फ्रेजर के साथ हुआ जो कि अपनी तैयारी ना देखकर अपने प्रतियोगी पर ध्यान दे रहा था और डरे जा रहा था। इस से तरह से वह हार गया।
अगर आप अपनी पुरानी गलतियों के लिए खुद को माफ नहीं कर पा रहे हैं तो आप माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कीजिए। आप पाँच मिनट तक आँखें बंद कर के साँस लीजिए। इससे आप बीती गलतियों पर से ध्यान हटा कर प्रेजेंट पर ध्यान लगा पाएंगे। लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि आप सिर्फ अपनी गलतियों को भुलाइए ना कि उनसे मिलने वाले सबक को। साथ ही यह कोशिश कीजिए कि वो गलती आप से दोबारा ना हो।
खुद पर भरोसा करना मतलब अच्छे और बुरे दोनों वक्त में खुद को कामयाबी की तरफ ले जाना है।
बहुत से लोगों का मानना है कि आप जितनी ज्यादा कामयाबियाँ हासिल करेंगे आपका आत्मविश्वास उतना ज्यादा बढ़ेगा। लेकिन अगर आप किसी काम को करते वक्त बार बार नाकाम होते हैं तो इससे आपका आत्मविश्वास कमजोर हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं है।
हालाँकि यह बात जरूर है कि कामयाब हो जाने पर आत्मविश्वास बढ़ जाता है, लेकिन नाकाम होने पर जो खुद को नहीं संभाल पाएंगे वे कभी भी कामयाब नहीं हो पाएंगे। आत्मविश्वास का मतलब है कि नतीजे चाहे जो भी हों आप यह सोचना कभी नहीं छोड़ेंगे कि आप में और बेहतर कर सकने की काबिलियत है। आत्मविश्वास का मतलब है हालात चाहे जैसे भी हों, आप उसमें अपना आपा नहीं खोएंगे।
जिन लोगों के अंदर आत्मविश्वास होता है वे विनम्र स्वभाव के होते हैं और हर तरह के हालात को अपनाते हैं भले ही वे कितने भी टूट ना गए हों। एक्ज़ाम्पल के लिए आप मैट फ्रेजर को ले लीजिए। क्यों
2015 के क्रास फिट गेम्स में फ्रेजर आखिरी आने वाले थे। इस हार के बाद वे खुद के बारे में यह सोचने लगे कि हाई स्कूल के बच्चे भी उन्हें हरा सकते हैं। इस विनम्रता की मदद से उन्होंने अपनी प्रैक्टिस जारी रखी और 2016 के क्रास फिट गेम्स में पहले स्थान पर आए।
आत्मविश्वास के अलावा आप हर बार हारने पर सिर्फ हालात को दोष मत दीजिए। आप यह सोचिए कि आप ने अपनी तरह से अगर कोशिश की होती तो क्या आप जीत जाते। इस तरह से आप बाहरी मुश्किलों के साथ साथ अपने अंदर की कमियों को भी पहचान पाएंगे। इसे डबल लूप लर्निंग कहा जाता है।
हर चीज को एक अच्छे नजरिए से देखने की कोशिश कीजिए ।
शायद आप ने यह पहले भी सुना होगा कि हम जो चाहते हैं वही पाते हैं। शायद आपने यह अपनी जिन्दगी में कभी महसूस भी किया होगा कि जब आप अच्छा सोचते हैं तो आप अपने काम को अच्छा कर पाते हैं और साथ ही अच्छे नतीजे हासिल कर पाते हैं।
इन सभी बातों से एक बात साफ है कि अगर हम चीज़ों को अच्छे नजरिए से देखने की कोशिश करें तो हमारा दिमाग बेहतर तरीके से काम कर पाता है। हालाँकि अगर आप समस्या को अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रहे हैं या फिर किसी काम के बिगड़ जाने पर खुद को कोस रहे हैं तो यह आम बात है। लेकिन अगर आप मुश्किल आने पर उसे भी एक अच्छे नजरिए से देखने की कोशिश करेंगे तो उसे सुलझाने के बहुत से आइडियाज़ आपके दिमाग में आएंगे।
यह बात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एर्नाल्ड ज्विकी ने अपने रीसर्च में बताई। उन्होंने कहा कि हमारा दिमाग जिस तरह से सोचता है वह अनजाने में ही उस तरह के काम करने लगता है और हमें नतीजे भी वैसे ही मिलते हैं। यह बात एक बार में सुनने में अजीब लग सकती है कि कोई सिर्फ सोचकर अपने हालात बदल सकता है लेकिन यह बात सच है।
जब आप चीजों को अच्छे नजरिए से देखते हैं तब आप रास्ते की मुश्किलों को नजरअंदाज कर सिर्फ अपनी मंजिल पर ध्यान देते हैं। इस तरह से आप चिंता करना छोड़कर सिर्फ इस बात पर ध्यान देने लगते हैं कि आप किस तरह से खुद को और बेहतर बना कर अपनी मंजिल हासिल कर सकते हैं। इस तरह से आप शिकायत करना छोड़कर अपने काम पर ध्यान देते हैं और अच्छा सोचकर अच्छे नतीजे पाते हैं।
खुद को हर संभव माहौल के लिए तैयार कीजिए।
अगर आप किसी काम में बेहतर से बेहतर बनना चाहते हैं तो आपको उस काम के बद्तर से बद्तर पहलुओं को सुलझाना सीखना होगा। इसके लिए आपको कई मुश्किल हालात का सामना करना होगा और साथ ही बिन बुलाई समस्याओं से निपटना भी सीखना होगा।
इसके लिए आप बहुत से तरीके अपना सकते हैं। एक तरीका यह है कि आप अपनी शारीरिक क्षमता को उसकी आखिरी सीमा तक लेकर जाइए। आप अपने ट्रेनिंग को मुश्किल बनाते जाइए जिससे आपका शरीर उस तरह की समस्याओं को झेलने के काबिल बन जाए। लेखक ने कैट्रिन डेविएसडोटिर और मैट फ्रेफर को ट्रेनिंग देते वक्त यही तरीका आजमाया था। उन्होंने डेविएसडोटिर से बहुत ठंडे पानी में तैरने के लिए कहा लेकिन डेविएसडोटिर नहीं मान रही थी । उसे लग रहा था कि इस तरह की ट्रेनिंग का कोई फायदा नहीं होगा लेकिन बाद में लेखक के समझाने पर वह मान गई।
इस तरह की बिन बुलाई समस्याओं से लड़न सीख कर आप खुद को किसी भी तरह की समस्या के लिए तैयार कर सकते हैं। जब आप ऐसा करते हैं तो आप अपने दिमाग को यह सोचने के लिए तैयार करते हैं कि जब उसे कुछ समझ में ना आए तो उसे क्या करना चाहिए।
क्रास फिट गेम्स में एक गेम ऐसा होता है जिसमें आप दीवर में बनाए में गए छेद की मदद से ऊपर चढ़कर जाते हैं। इस तरह के गेम में डेविएसडोटिर को पता था कि अगर वह ध्यान भटका कर जल्दबाजी से काम करेंगी तो छेद से हाथ छूट जाएगा और वे नीचे गिर जाएंगी। उनके साथ खेलने वाले लोगों ने यही गलती की। इस तरह से इस खेल में जीत गई।
किसी भी मुश्किल काम को कर पाने के लिए आपके अंदर जिद्द का होना जरूरी है।
जब आप खुद से जिद्द करते हैं तब आप खुद को अपनी सीमाओं के पार लेकर जा पाते हैं। यह वो हथियार है जिसकी मदद आप कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं। इससे आप खुद को पहले से बेहतर बनाने की कोशिश करते रहते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं।
जब आप किसी काम को पूरा करने की जिद्द पकड़ लेते हैं तब हालात में इतनी ताकत नहीं रह जाती कि वे आपको आपकी मंजिल तक पहुँचने से रोक लें। तब आप खराब हालात में भी कोशिश करते रहते हैं।
2013 के क्रास फिट गेम्स में मैट फ्रेजर नाव चलाने की प्रतियोगिता में बुरी तरह से हार गए थे। सबने 1:40 के समय में रेस पूरा कर लिया जबकि उन्हें 1:50 का समय लगा था। इस हार के बाद फ्रेजर ने जिद्द पकड़ ली और हर दिन 4000-5000 मीटर नाव खींचने लगे। उन्होंने ठान लिया था कि अब वो फिर से वह गलती नहीं करने वाले हैं।
इसके बाद अगले क्रास फिट गेम्स में फ्रेज़र अपने प्रतियोगी से 195 रन आगे थे। वे चाहते थे बिना कुछ किए जीत जाते लेकिन फिर भी वे अपना पूरा जोर लगा कर आगे बढ़ते रहे। उसके अगले दो प्रतियोगिताओं में भी उन्होंने पूरा जोर लगाया। इस तरह से उन्होंने जीत की ट्रोफी को अपने नाम किया।
कामयाबी का मतलब यह नहीं है कि आप कोई मुकाम हासिल कर लें, इसका मतलब होता है हर वक्त खुद को पहले से बेहतर बनाने की कोशिश करते रहना। जब आप रुक जाएंगे तब आप हार जाएंगे। जब तक आप चल रहे हैं, भले ही आप दूसरों के मुकाबले कितने भी पीछे क्यों न हों, आप जीत रहे हैं।
Conclusion
किसी भी काम को बेहतर से बेहतर तरीके से कर पाने के लिए आपके अंदर लगन होनी चाहिए। हर वक्त खुद को अपनी सीमाओं से बाहर ले जाकर, खुद को पहले से बेहतर बना कर ही आप किसी काम में महारत हासिल कर सकते हैं। कामयाबी का मतलब कहीं पहुंचना नहीं होता, इसका मतलब हर वक्त आगे बढ़ते रहना होता है।
खुद को हर रोज 1% बेहतर बनाइए।
आप पहले ही दिन खुद को चैम्पियन बनाने की कोशिश मत कीजिए बल्कि हर दिन कोशिश कर के खुद को सिर्फ 1% बेहतर बनाइए। यह सभी 1% एक दिन मिल कर 100% बन जाएंगे और आप देखते ही देखते खुद को दुगना बेहतर बना चुके होंगे।
तो दोस्तों आपको आज का यह Chasing Excellence Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
आपने आज क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
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