ये सब इतना भी आसान नहीं था. टोनी को काफी मुश्किलें फेस करनी पड़ी लेकिन उन्हें गाइड किया उनकी सर्च फॉर हैप्पीनेस ने.
Delivering Happiness Book Summary in Hindi
टोनी हमेशा ही एक एंटप्रेन्योर बनना चाहते थे.
बचपन से ही उन्हें खूब सारा प्रॉफिट कमाने का शौक था.
और इसीलिए बड़े होकर उन्होंने अपना स्टार्टअप लिंक एक्सचेंज शुरू किया.
फिर उन्हें ज़प्पोस में अपना पैशन मिला जिसमे उनकी फुल कमिटमेंट थी, इतना ही नहीं उन्होंने तो ज़प्पोस को बैंकरप्ट होने से भी बचा लिया था.
टोनी अपने कस्टमर्स और एम्प्लोयीज़ दोनों को बड़ी वैल्यू देते थे.
यहाँ तक कि जब अमेज़ोन ने ज़प्पोस को खरीदा तब भी टोनी ने अपना पर्पज नहीं छोड़ा और वो पर्पज था हैप्पीनेस डिलीवर करना.
इस बुक में हम आपको ज़प्पोस और टोनी ह्सिएह (Zappos and Tony Hsieh) की स्टोरी बताने वाले है जो आपको कई वैल्यूएबल लेसंस देगी जो आप खुद अपने और अपने बिजनेस के लिए अप्लाई कर सकते है.
इन सर्च ऑफ़ प्रॉफिट्स (In Search of Profits)
टोनी के पेरेंट्स टिपिकल एशियंस लोग थे जो चाहते थे कि वो पढ़ाई में अच्छे ग्रेड्स लाये, कोई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स भी सीखे और बड़ा होकर एक डॉक्टर बने.
लेकिन टोनी का इरादा तो कुछ और ही था, उसे एक बिजनेस बनना था.
उसे चीज़े बनाकर उन्हें ग्रो करने का शौक था.
टोनी को खूब सारा पैसा कमाना था इसीलिए उसने अपना फर्स्ट बिजनेस वेंचर स्टार्ट किया जोकि एक वर्म बॉक्स था.
उसका ड्रीम था कि वो एक सक्सेसफुल और अमीर वोर्म ब्रीडर बने.
अपने 9 बर्थडे पे टोनी ने अपने पेरेंट्स को बोला कि वो उसे एक 100 अर्थवोरमर्स वाला मड बॉक्स खरीद कर दे.
टोनी डेली अपने वोर्म बॉक्स के अंदर कच्चे अंडे डालता था ताकि वोर्म्स स्ट्रोंग बने और फिर वो उन्हें अपने बैक यार्ड में छोड़ देता था.
फिर वो एक मन्थ बाद गड्डा खोदकर देखता कि अर्थवोर्म्स ने अंडे दिए या नहीं लेकिन उसे कोई अंडे नहीं मिलते थे.
एक्चुअल में तो उसे कोई भी अर्थवोर्म वापस नहीं मिला जो उसने जमीन में छोड़े थे.
सब कहीं गायब हो गए थे या फिर बॉक्स से भाग गए थे या फिर शायद उन्हें बर्ड्स ने खा लिया था. खैर जो भी हो, टोनी का ये फर्स्ट बिजनेस वेंचर था.
यू विन सम, यू लूज़ सम (You Win Some, You Lose Some)
हार्वर्ड में अक्सर टोनी दोस्तों के साथ घूमने के चक्कर में क्लासेज़ मिस कर देता था.
उसके कुछ बेस्ट फ्रेंड्स बाद में उसके बिजनेस पार्टनर भी बने.
टोनी ने अपने कॉलेज फ्रेंड संजय के साथ मिलकर एक स्टार्टअप खोला लिंक एक्सचेंज जो बाद में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट को $256 मिलियन में बेच दिया था.
लिंक एक्सचेंज ने काफी प्रॉफिट कमाया लेकिन कम्पनी ने अपना सेस ऑफ़ कल्चर कहीं खो दिया था, बाद में टोनी और संजय ने कंपनी छोड़ी दी जो उन्होंने बनाई थी.
दोनों ने ओरेकल में भी काम किया लेकिन उन्हें मज़ा नहीं आया.
फिर उन्होंने वर्ल्ड वाइड वेब को एक्सप्लोर किया.
उन्हें आईडिया आया कि क्यों ना कंपनी वेबसाइट्स के लिए बैनर एड्स चलाए जाए.
और फिर उन्होंने लिंक एक्सचेंज खोली जहाँ उन लोगो ने कुछ वेबसाइट्स को अपनी सर्विस ऑफर की.
और फिर नेक्स्ट मंथ्स से ही लिंक एक्सचेंज की क्लाइंट्स इनक्रीज होने लगे.
टोनी संजय के साथ कंप्यूटर प्रोग्रामिंग टास्क शेयर करता था और कस्टमर्स के इमेल्स भी हैंडल किया करता.
एक दिन न्यूयॉर्क के एक बिजनेसमेन ने उन्हें $1 मिलियन में लिंक एक्सचेंज खरीदने का ऑफर दिया.
टोनी और संजय हैरान हो गए जब उन्हें अपने स्टार्ट-अप की कीमत पता चली लेकिन उन्होंने कंपनी बेचने से मना कर दिया.
दोनों ने डिसाइड किया कि वे अपने बिजनेस क्वालिटी और ज्यादा इम्प्रूव करेंगे.
उन्होंने अपने कॉलेज फ्रेंड्स को भी अपनी टीम ज्वाइन करने के लिए इनवाईट किया.
और इस तरह उन्होंने 25 लोग रीक्रूट किये. सब एक दुसरे को जानते थे और मिलकर काम करते थे.
याहू ने 1997 में लिंक एक्सचेंज को $20 मिलियन में खरीदने का ऑफर दिया.
टोनी ने इस बारे में काफी सोचा, अगर वो ऑफर एक्स्पेट करता है तो उसे सारी लाइफ काम करने की ज़रूरत नही पड़ेगी.
लेकिन एक बार फिर टोनी ने ऑफर रिजेक्ट कर दिया. “देयर विल नेवर बी अनदर 1997” टोनी अपनी टीम से बोला क्योंकि उसके साथ-साथ बाकी लोग भी कुछ बड़ा करना चाहते थे.
याहू को फंड करने वाली कंपनी सेक्यूआ कैपिटल(Sequoia Capital) ने लिंक एक्सचेंज में $3 मिलियन इन्वेस्ट किये.
टोनी के एक और कॉलेज फ्रेंड था अल्फ्रेड जो कम्पनी में वीपी ऑफ़ फाईनेन्स बना.
अगले कुछ सालो में कम्पनी ने कई और एम्प्लोयीज़ हायर किए क्योंकि उनके क्लाइंट्स भी काफी बढ़ गए थे.
ये कम्पनी जब छोटी थी तो इसमें एक सेन्स ऑफ़ कल्चर था क्योंकि टोनी और संजय ने अपने कॉलेज फ्रेंड्स को रीक्रूट किया था और उन फ्रेंड्स ने अपने बाकी फ्रेंड्स को, तो इस तरह सब एक दुसरे को पर्सनली जानते थे.
1998 में कम्पनी के पास 100 एम्प्लोयीज़ थे. एक दिन मोर्निंग में टोनी उठा तो इतना लेज़ी फील कर रहा था कि उसका काम पर जाने का मन ही नहीं था उसने याद आया कि लास्ट टाइम उसे ऐसा तब फील हुआ था जब वो ओरेकल में जॉब करता था.
टोनी उन एम्प्लोयीज़ के बारे में सोचने लगा जिन्हें कम्पनी से ज्यादा पैसे से मतलब था.
माइक्रोसॉफ्ट और नेटस्केप दोनों ही लिंक एक्सचेंज के लिए बिड कर रही थी. $265 मिलियन में माइक्रोसॉफ्ट ने डील जीती लेकिन टोनी को कोई ख़ुशी नहीं हुई.
अब उसके वो दिन चले गए थे जब वो चीज़े क्रियेट करने के लिए मोटिवेट रहता था.
उसे लगा कि कुछ लोग ऐसे भी है जिनके लिए ज्यादा पैसे का मतलब है सक्सेस और हैप्पीनेस.
टोनी ने कम्पनी छोड़ने का मन बना लिया था जिसकी वजह से उसे अपने शेयर का 20% गंवाना भी पड़ा लेकिन वो तो अपना पैशन फोलो करना चाहता था, और फिर से कुछ नया बिल्ड करना चाहता था.
डाइवरसिटी (Diversify)
टोनी के कई सारे फ्रेंड्स ने भी उसके साथ ही लिंक एक्सचेंज छोड़ा था, और उन्हें खूब सारा पैसा मिला था. लेकिन वो सब भी अब खुद से एक ही बात पूछ रहे थे – “नाउ व्हट?”
टोनी ने सैन फ्रेंसिस्को में एक मूवी थियेटर कॉम्प्लेक्स खोला.
उसे पता चला कि इसके ऊपर में 50 न्यू ब्रांड्स के लोफ्ट्स है और स्ट्रीट के उस पार टाको बैल था.
टोनी ने तुरंत एक लॉफ्ट खरीद लिया और अपने फ्रेंड्स को इस बारे में बताया.
जब वो कॉलेज में था तो उसने अपने डोर्म मेट्स के साथ एक कोर ग्रुप बनाया था.
अब ये सारे लोग आपस में काफी क्लोज हो गए थे और एक दुसरे को काफी सपोर्ट करते थे.
टोनी ने अपने फ्रेंड्स को बोला कि वे सब भी लॉफ्ट में शिफ्ट हो जाए.
अल्फ्रेड और कुछ और लोग उसके साथ रहने आ गए थे. और फिर कॉलेज के जैसे ही उन लोगो ने यहाँ भी अपना एक नया वर्ल्ड बना लिया था.
टोनी और अल्फ्रेड ने सोचा क्यों ना बाकी लोगो के साथ मिलकर एक इन्वेस्टमेंट फण्ड ओपन किया जाए.
उनके एक फ्रेंड के पास एक पेट फ्रॉग था इसलिए उन्होंने इसका नाम वेंचर फ्रोग्स; रख दिया.
उनके इस फंड की इन्वेस्टमेंट टोटल $27 मिलियन थी, अपने एक लॉफ्ट में उन्होंने वेंचर फ्रोग्स का ऑफिस बना लिया था.
अब उनका काम था नए बिजनेस वेंचर्स ढूढना. एक दिन टोनी को निक स्विनमरन (Nick Swinmurn) का वोईस मेल मिला.
निक ने शूसाईट.कॉम नाम से एक वेबसाईट बना रखी थी जिसे वो बिगेस्ट ऑनलाइन शू स्टोर बनाना चाहता था यानी कि वो शूज़ का एक एक्सक्लूसिव अमेजोन खोलना चाहता था.
टोनी उसे मना करने वाला था लेकिन फिर निक ने उसे कुछ स्टेटिसटिक दिखाए. यू.एस की फूटवेयर इंडस्ट्री $40 बिलियन वर्थ की थी.
इसका 5% या $2 बिलियन आलरेडी मेल आर्डर के थ्रू जा रहा था.
टोनी ने देखा कि ऑनलाइन शू बिजनेस में काफी पोटेंशियल है.
निक ये भी जानता था कि शू खरीदने के लिए उस टाइम कोई भी ऐसी रीलाएबल वेबसाईट नहीं थी.
इसलिए उसने पहले डोमेन नेम शूसाईट.कॉम सिक्योर कर लिया.
फिर उसने अपने नजदीकी शू स्टोर्स में जाके स्टॉक की पिक्चर्स ली.
अब जब उन्हें वेबसाईट के थ्रू कोई आर्डर मिलता तो वे लोग जाकर शॉप से जूते खरीद लाते और कस्टमर को डिलीवर कर देते.
अब टोनी ने निक को बोला कि सबसे पहले तो साईट का नाम चेंज करना चाहिए क्योंकि ये नाम कुछ ज्यादा ही जेनेरिक(generic) था.
निक के माइंड में “ज़प्पोस” आया जोकि ज़प्टोस का शोर्ट फॉर्म था.
स्पेनिश में ज़प्टोस का मीनिंग होता है शूज़.
सच तो ये था कि निक शू बिजनेस के बारे मे कोई आईडिया नहीं था.
इसीलिए वो एक शू सेल्समेन फ्रेड से मिला.
टोनी, निक और फ्रेड 100 शू ब्रांड्स के साथ पार्टनरशिप के लिए एग्री हो गए.
उन्हें ड्राप शिपिंग करनी थी जिसका मतलब था कि ज़प्पोस को आर्डर मिलेंगे और शू ब्रांड्स कस्टमर्स को शिपमेंट करेंगे.
ज़प्पोस को वेंचर फ्रोग्स ने फंड किया था. लेकिन इसे और फंड की ज़रूरत थी.
निक और फ्रेड कंपनी चलाते थे, दोनों इन्वेस्टर्स ढूंढ रहे थे.
इसीबीच टोनी और अल्फ्रेड सुकोआ (Sequoia ) को कन्विंस करने में लगे थे कि वो ज़प्पोस के लिए भी फंडिंग करे जैसे उन्होंने लिंक एक्सचेंज के लिए की थी.
सुकोआ (Sequoia ) को ज़प्पोस की प्रोग्रेस छोटी लग रही थी इसलिए वे इन्वेस्ट नहीं करना चाहते थे.
जब ज़प्पोस के फंड ओवर हो गए तो टोनी और अल्फ्रेड ने वेंचर फ्रोग्स से दुबारा ज़प्पोस में फंड ट्रांसफर कर दिया.
ज़प्पोस एक अकेला ऐसा बिजनेस था जिसमे टोनी ने इन्वेस्ट किया था. कुछ टाइम के लिए वो डे ट्रेडिंग में भी इन्वोल्व था.
लेकिन टोनी को वो सेन्स ऑफ़ फुलफिलमेंट नहीं आ रही थी.
वो पैसे तो कमा रहा था लेकिन वो कुछ भी बिल्ड नहीं कर रहा था.
टोनी कुछ मीनिंगफुल करना चाहता था. और यही रीजन था कि उसने अब ज़प्पोस के साथ डायरेक्ट इन्वोल्व होने का मन बना लिया था.
कंपनी बचाने के लिए टोनी ने ऑफिस सैन फ्रांसिस्को लॉफ्ट में शिफ्ट कर दिया था.
अब वो फुल टाइम सीईओ था और ज़प्पोस टोनी का पैशन और सारी दुनिया बन गयी थी.
कंसन्ट्रेट योर पोजीशन (Concentrate Your Position)
सालो तक ज़प्पोस सर्वाइव करने की कोशिश करता रहा. फिर रीसेशन आया, डॉट.कॉम बबल आया और 9/11 का अटैक हुआ.
ज़प्पोस को कोई इन्वेस्टर नहीं मिल पा रहा था.
वेंचर फ्रोग्स के भी सारे फंड्स यूज़ हो चुके थे.
टोनी और अल्फ्रेड ने अपनी काफी सारी पर्सनल सेविंग भी इन्वेस्ट कर दी थी.
और सबसे बड़ी बात कि सुकोआ (Sequoia) अभी भी ज़प्पोस में इन्वेस्ट करने को रेडी नहीं थी.
निक, फ्रेड और टोनी ने डिसाइड किया कि वो अपने स्टाफ को 20% कम कर देंगे, उन्होंने खर्चे बचाने के लिए अंडर परफॉर्मर्स को रखा.
ज़प्पोस का टफ टाइम चल रहा था.
टोनी और उसके फ्रेंड हर हाल में कंपनी को बचाने की कोशिश में लगे थे.
टोनी ने अपने स्टाफ से पुछा कि क्या वो लोग 20% कम सेलेरी में काम करेंगे ?
लेकिन उनमे से कई लोग कम सेलरी में अफोर्ड नहीं कर सकते थे, कई लोगो को रेंट पे करना होता था.
और जिन लोगो ने रीजाइन (resign) नहीं दिया, टोनी ने उन्हें फ्री में अपने लॉफ्ट में शिफ्ट करने को बोल दिया.
उसके पास तीन यूनिट्स और थोड़े ऑफिस स्पेस की जगह थी.
इन सब जगहों को ज़प्पोस के एम्प्लोयीज़ के लिए डोर्म में क्न्वेर्ट कर दिया गया था. जिन लोगो ने मूव किया उनमे निक स्विनमरन (Nick Swinmurn) भी था.
और इस तरह ज़प्पोस को अंडरपरफॉर्मर्स और नॉन बिलीवर्स से छुटकारा मिला.
क्योंकि जो लोग बच गए थे वो वाकई में ज़प्पोस के डेडीकेटेड एम्प्लोयीज़ थे जिन्हें पैसे से ज्यादा अपने पैशन से प्यार था.
और ये ज़प्पोनियंस ज़प्पोस के लिए काम करते रहे.
टोनी ने लोफ्ट्स छोड़कर अपना सारा रियल एस्टेट बेच डाला था.
अब वो एक बायर (buyer)ढूंढ रहा था जो उसका पार्टी स्पेस खरीद सके. लेकिन क्राइसिस के चलते कोई भी इसे खरीदने को रेडी नहीं था.
टोनी को रियल एस्टेट बेच के जितना भी पैसा मिला था वो सब उसने ज़प्पोस में इन्वेस्ट कर दिया था.
उसे कुछ ऐसे तरीके सोचने थे जिससे कि ज़प्पोस की सेल इनक्रीज हो सके. ज़प्पोस अब ड्राप शिपिंग से इन्वेंटरी में शिफ्ट हो गया था ताकि उन्हें ज्यादा ब्रांड्स और ज्यादा स्टॉक्स मिल सके.
और ज़प्पोस ऐसे शूज़ भी ऑफर करने लगी जो डिमांड में थे.
फ्रेड के पास इन्वेंटरी आने लगी, ज़प्पोस का ऑफिस शू बॉक्सेस से भर गया था.
बिजनेस मॉडल चेंज करने का उसका आईडिया सही था.
इन्वेंटरी होने की वजह से अब सेल्स इनक्रीज हो गयी थी.
2000 में ज़प्पोस की $1.6 मिलियन की सेल हुई जो बढकर $8.6 मिलियन हो गयी.
शू इन्वेंटरी अब ज़प्पोस के ऑफिस में फिट नहीं हो पा रहा था.
टोनी को स्ट्रीट की दूसरी साइड में एक वेयरहॉउस मिल गया था लेकिन वो भी काफी नहीं लग रहा था.
फिर ई-लोजिस्टिक नाम की कंपनी ने उन्हें इन्वेंटरी हैंडल करने और शू शिपिंग का ऑफर दिया.
लेकिन ये ये कंपनी अपने काम में पूरी तरह इनइफेक्टिव रही.
और ऐसा पॉइंट भी आया जब ज़प्पोस के पास सिर्फ टू वीक्स का फंड बचा था.
टोनी को जब पार्टी स्पेस के लिए एक खरीददार मिला तो उसने एक्स्पेट कर लिया.
हालांकि ये ऑफर ओरिजिनल प्राइस से 40% कम था.
पार्टी स्पेस बिक गया और सारा पैसा तुरंत ज़प्पोस के फंड्स में ट्रांसफर कर दिया गया.
टोनी ने केंटुकी में एक नया वेयरहॉउस ले लिया था.
उसने डिसाइड किया कि वो इसे अपने वेंचर फ्रोग्स वाले फ्रेंड कैथ की हेल्प से पर्सनली चलाएगा.
इस नए वेयरहॉउस का नाम उन्होंने व्हिस्की रखा जोकि वेयरहॉउस इन्वेंटरी सिस्टम इन केंटुकी का शोर्ट फॉर्म था.
ज़प्पोस को इस वेयरहाउस को प्रायोरिटी दी जानी चाहिए थी क्योंकि ये एक ई-कॉमर्स कम्पनी थी.
टोनी को अपनी मिस्टेक रियेलाइज हो गयी थी जब उन्होंने ई-लोजिस्टिक को इन्वेंटरी और शिपिंग के लिए आउटसोर्स किया था.
टोनी और कैथ कस्टमर सेटिसफेकशन इम्प्रूव करने के लिए लगातार मेहनत कर रहे थे.
उन्होंने अब डीलेड ऑर्डर्स और रोंग शिपमेंट से भी छुटकारा पा लिया था और 2002 में ज़प्पोस की सेल इनक्रीज होकर $32 मिलियन हो चुकी थी. हालांकि उनके खर्चे भी काफी थे.
ज़प्पोस को शू सपलायर्स को भी पेबैक करना होता था.
और कम्पनी अभी भी प्रॉफिट मार्जिन में कम चल रही थी.
लेकिन इस सब के बावजूद एक रिलीफ ये था कि वेल्स फ़ार्गो (Wells Fargo ) ज़प्पोस को $6 मिलियन का लोन देने को रेडी हो गयी थी.
वेयरहॉउस सिस्टम इम्प्रूव होने से ज़प्पोस अब कस्टमर्स को बेस्ट शू सेलेक्शन ऑफर कर सकता था.
कस्टमर्स के लिए फ्री शिपिंग और फ्री रीटर्न का ऑप्शन भी था.
और उनकी डिलीवरी भी हमेशा टाइम पे होती थी. 2003 में ज़प्पोस की सेल $70 मिलियन हो गयी और इसके साथ ही ये ऑनलाइन शू स्टोर में नंबर वन साईट बन गयी थी.
प्लेटफॉर्म फॉर ग्रोथ: ब्रांड, कल्चर, पाइपलाइन (Platform for Growth: Brand, Culture, Pipeline)
ज़प्पोस को उसके लोगो की डेडीकेशन ने बचाया.
टोनी और उसके फ्रेंड्स कम्पनी के लॉयल एम्प्लोयीज़ थी जिन्होंने ने काफी सेक्रीफाइस किये और हर हाल में काम करते रहे.
वे हर मुसीबत में साथ रहे.
इन्वेंटरी अपग्रेड करने की वजह से ज़प्पोस की सेल भी इनक्रीज हुई.
और अपने एक्सीलेंट कस्टमर सर्विस और स्ट्रोंग कल्चर के चलते कम्पनी लगातार ग्रो करती रही.
इनके सेटिसफाईड इनके प्रोडक्ट और सर्विस की माउथ पब्लिसिटी करते थे जिससे कस्टमर बढ़ते चले गए.
एडवरटाईजिंग और मार्केटिंग के लिए कोई बजट नहीं रखा गया था.
इसीलिए ज़प्पोस ने अपने कस्टमर सर्विस पर ज्यादा इन्वेस्ट किया.
टोनी और उसके फ्रेंड्स ने ज़प्पोस का अपना कॉल सेंटर खोलने के बारे में सोचा क्योंकि आउटसोर्सिंग और सेटेलाईट सेंटर्स उन्हें इफेक्टिव सोल्यूशन नहीं लग रहे थे.
उन्हें लगा कि ज़प्पोस को लॉस वेगास ट्रान्सफर करना सही रहेगा.
जहाँ वे अपना बेस्ट कॉल सेंटर डिपार्टमेंट खोल सकते थे.
उनके स्टाफ के 90 में से 70 लोग लॉस वेगास शिफ्ट करने को रेडी थे.
क्योंकि स्टाफ में कोई भी ज़प्पोस के बाहर किसी को नहीं जानते थे तो सब लोग आपस में ही क्लोज फ्रेंड बन गए थे.
टोनी लिंक एक्सचेंज वाली मिस्टेक रीपीट नहीं करना चाहता था, वो ज़प्पोस में एक स्ट्रोंग कल्चर क्रियेट करना चाहता था.
और यही वजह थी कि टोनी और बाकी एम्प्लोयीज़ ने मिलकर 10 कोर वैल्यूज़ क्रियेट की.
नम्बर वन कोर वैल्यू है डिलीवर वाओ थ्रू सर्विस.
और ये चीज़ पोसिब्ल हुई जब उन्होंने यूपीएस वर्ल्डपोर्ट हब के साथ कोलाब्रेशन किया जो 24/7 कभी भी और कहीं भी डिलीवरी करती थी.
कभी-कभी तो ज़प्पोस कस्टमर्स को ओवरनाईट डिलीवरी और फ्लावर भेजकर भी सरप्राइज़ कर देती थी.
ज़प्पोस.कॉम के हर वेबपेज पर 1-800 नंबर विजिबल रहता था.
और कॉल सेंटर एम्प्लोयीज़ अपने हर कस्टमर को पूरा टाइम देते थे.
उन्हें कोई स्क्रिप्ट या कोई अपसेल इंस्ट्रक्शन फोलो नहीं करना था, उन्हें पूरा फ्रीडम था कि अपने कस्टमर्स से अपने तरीके से डील कर सके.
फोर नंबर कोर वैल्यू है “बी एडवेंचरस, क्रिएटिव एंड ओपन माइंडेड”.
ज़प्पोस के कल्चर को प्रोटेक्ट रखने के लिए एचआर डिपार्टमेंट में लोगो को सिर्फ उनकी एबिलिटी ही नहीं बल्कि “कल्चर फिट” के हिसाब से भी रीक्रूट किया गया था.
यहाँ एम्प्लोयीज़ काम के साथ-साथ पूरा फन भी करते थे और सबको बोला गया था कि वो जैसे है वैसे ही बिहेव करे, किसी के ऊपर कोई प्रेशर नहीं डाला जाता था.
टेकिंग इट टू द नेक्स्ट लेवल (Taking It to the Next Level)
ज़प्पोस मिडिया के थ्रू बड़ा पोपुलर हुआ. इसकी कस्टमर सर्विस की क्वालिटी वर्ड ऑफ़ माउथ के थ्रू फैलने लगी जिसने इसे पब्लिक में काफी फेमस कर दिया था.
टोनी और बाकी लोग ब्लोग्स, इवेंट्स और ट्वीट्स के थ्रू ज़प्पोस की स्टोरी शेयर कर रहे थे.
कई लोग और बड़ी सारी कम्पनीज भी ज़प्पोस की सक्सेस से इंस्पायर हुए. इस कम्पनी में सब कुछ था प्रोफिट्स, पैशन और पर्पज.
ज़प्पोस अपने कस्टमर्स और एम्प्लोयीज़ को तो हैप्पीनेस दे ही रही थी साथ में कई मिलियन्स का प्रॉफिट भी कमा रही थी.
जिसकी वजह से बाकी कम्पनीज ने भी अपने कोर वैल्यूज इम्प्रूव करना स्टार्ट कर दिया था.
इस प्रोगाम में सेमिनार्स और ट्रेनिंग वीडियोज इन्क्ल्यूड थे.
ज़प्पोस ने प्रूव कर दिया था कि प्रोडक्टिव होने के साथ-साथ आप फन भी कर सकते है.
इसके अलावा ज़प्पोस अपने ब्लोग्स और ट्वीटस के थ्रू पब्लिक से कनेक्ट था.
हालांकि बोर्ड मेम्बेर्स इस टाइप के कल्चर से बिलकुल भी खुश नहीं थे.
वो इसे “टोनी का सोशल एक्सपेरीमेंट” बोलते थे क्योंकि उन्हें सिर्फ सेल्स इनक्रीज और प्रॉफिट से मतलब था.
टोनी अपने इस कल्चर के चलते ज़प्पोस से लगभग निकाले ही जाने वाले थे.
लेकिन एक्चुअल में यही कोर वैल्यूज़ और कल्चर एम्प्लोयीज़ को यूनाइटेड रखता था.
हालांकि टोनी को लगता था कि बोर्ड मेम्बर्स और शेयरहोल्डर्स को भी इस वर्क कल्चर का पार्ट होना चाहिए.
टोनी और उसके फ्रेंड्स के लिए ज़प्पोस जॉब से कहीं बढकर था, ये उनका पैशन था, उनका कॉलिंग था जिसे वो इतनी आसानी से छोड़ नहीं सकते थे.
उन्होंने इन्वेस्टर्स ढूढने स्टार्ट कर दिए ताकि ये इश्यू सेटल हो सके.
और इसके लिए उन्हें कंपनी में और ज्यादा लेवरेज चाहिए था.
उनका लक अच्छा था कि अमेज़ोन ने ज़प्पोस में इंटरेस्ट दिखाना शुरू कर दिया.
जो कुछ 2009 में हुआ वो एक डील थी.
कैश पे करने के बजाये ज़प्पोस में शेयरहोल्डर्स के शेयर अमेज़ोन के शेयर से एक्सचेंज कर लिए गए.
टोनी ने इसे दो कम्पनीज के बीच मैरिज का नाम दिया.
ये एक ऐसी डील थी जिससे दोनों कंपनीज को बेनिफिट मिला.
अमेज़ोन ज्यादा हाईटेक है और ज़प्पोस ज्यादा हाई टच है.
साथ मिलकर दोनों कस्टमर्स को बेस्ट सर्विस प्रोवाइड कर सकते थे.
ज़प्पोस में जैसा चलता था सब कुछ वैसा ही रहा.
ज़प्पोस ने अपने बोर्ड मेम्बर्स के साथ डिसएग्रीमेंट भी रीज़ोल्व कर लिया था.
इस ख़ुशी को सबने साथ मिलकर सेलीब्रेट किया.
टोनी ने इस मौके पर जो स्पीच दी थी उसका कुछ पार्ट इस तरह है – मुझे कई सारे लोगो ने पुछा कि अगर हमें दुबारा ज़प्पोस क्रियेट करने का चांस मिले तो हम क्या डिफरेंट करेंगे? हमने शुरुवात में कई सारी मिस्टेक की लेकिन उन मिस्टेक से हमने कुछ ना कुछ सिखा जिसने हमें और भी स्ट्रोंग बना दिया है … …अमेज़ोन के साथ पार्टनरशिप करके हमें अपना विजन फुलफिल करने का मौका मिलेगा कि हम इस वर्ल्ड को और भी ज्यादा हैप्पीनेस डिलीवर कर सके.
एंड गेम (End Game)
ज़प्पोस का विजन है “डिलीवर हैप्पीनेस टू द वर्ल्ड”. फिर चाहे वो परफेक्ट शूज़ से मिले या फिर ओवरनाईट शिपिंग के थ्रू या कस्टमर लोयेलिटी टीम के साथ बात करके.
ये पर्पज ज़प्पोस ने अपने से भी बढ़कर रखा था जिसकी वजह से उसे इतनी सक्सेस भी मिली.
“व्हट इज योर गोल इन लाइफ?” टोनी जिससे भी मिलता यही क्वेश्चन करता. कुछ लोग बोलते कि वो फिजिकली फिट होना चाहते है और कुछ बोलते कि उन्हें खुद का बिजनेस करना है.
और कई लोगो को एक लॉन्ग टर्म रिलेशशिप की चाहत थी, इन लोगो से जब इसका रीजन पुछा गया तो सबने एक ही रीजन दिया.
उन्हें अपना गोल पाना था क्योंकि उन्हें लाइफ में हैप्पीनेस चाहिए.
हर किसी को हैप्पीनेस चाहिए. लोग सिर्फ एक ही बात सोचते है “जब मै ये अचीव कर लूँगा तो मुझे ख़ुशी मिलेगी” लेकिन रियल में ऐसा नहीं है.
लाटरी विनर्स पर एक स्टडी करने से पता चला कि ये लोग जैकपॉट जीतने से पहले ज्यादा खुश थे.
टोनी ने साइंस ऑफ़ हैप्पीनेस से एक बात सीखी कि आप पहले ये श्योर करो कि कौन सी चीज़ आपको हैप्पीनेस दे सकती है.
खुद से पूछो कि जो आप करने जा रहे हो क्या उससे आपको लॉन्ग टर्म हैप्पीनेस मिलेगी.
टोनी ने ये भी सीखा कि हैप्पीनेस 3 टाइप्स की होती है.
फर्स्ट वाली होती है प्लेजर, जो प्रोफिट्स से कमाई जाती है और जो सिर्फ टेमप्रेरी (temporary) होती है.
टोनी को ये हैप्पीनेस लिंक एक्सचेंज और अपने डे-इन-ट्रेनिंग से मिली थी मगर ये हैप्पीनेस लॉन्ग लास्टिंग नहीं थी.
सेकंड टाइप की हैप्पीनेस है पैशन, जोकि लॉयल एम्प्लोयीज को हर अच्छे बुरे टाइम में कम्पनी के साथ जोड़े रखती है.
क्योंकि एम्प्लोयीज खुद के लिए ज्यादा कमिटेड होते है, हार्ड वर्ड करते है और खुद पे बिलीव करते है.
थर्ड टाइप की हैप्पीनेस है पर्पज. अगर आपका पर्पज आपसे भी बड़ा है तो आपकी हैप्पीनेस भी लॉन्ग लास्टिंग रहेगी.
ज़प्पोस की स्टोरी में हमने देखा कि टोनी और उसके फ्रेंड्स को प्रॉफिट कमाने में ख़ुशी मिली लेकिन बैंकरप्सी ने उनकी खुशियों को छीन लिया.
मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अपने पैसन और हार्डवर्क से कम्पनी को बचा लिया.
और ज़प्पोस आज भी सक्सेसफुल इसीलिए है क्योंकि कम्पनी एक बड़े पर्पज के लिए काम करती है और वो पर्पज है “डिलीवरिंग हैप्पीनेस”.
कोनक्ल्यूजन (Conclusion)
आपने यहाँ टोनी ह्सिएच (Tony Hsieh) की इंस्पायरिंग जर्नी पढ़ी जो प्रॉफिट से पैशन और पर्पज की स्टोरी बताती है.
आपने ज़प्पोस के फेलर और सक्सेस के बारे में भी जाना कि कल्चर और कस्टमर सर्विस में इन्वेस्ट करना मार्केटिंग स्कीम्स में इन्वेस्ट करने से ज्यादा इफेक्टिव है.
टोनी बाकी बिजनेसेस को भी अपना फ्रेमवर्क चेंज करने के लिए इंस्पायर करना चाहते है.
एम्प्लोयीज और कस्टमर्स की हैप्पीनेस लॉन्ग टर्म के लिए फाईनेंशियल स्टेबिलिटी लाती है.
अगर आप लोगो की लाइफ में हैप्पीनेस लाते है, अगर आपका गोल मनी और फेम से भी ज्यादा डीप है तो यकीन मानो आपको सक्सेसफुल होने से कोई नहीं रोक सकता.
तो दोस्तों आपको आज का हमारा ये Delivering Happiness Book Summary in Hindi कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस Delivering Happiness Book Summary in Hindi को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
Great Work , Awesome Summary
Thank you very much dev.
Is book ka Hindi me pdf ha kya
No, Sorry.