Emotional Intelligence 2 Book Summary in Hindi – ईमोशनल इंटेलिजेंस 2.0 (Emotional Intelligence 2.0) में हम देखेंगे कि किस तरह से आप अपने ईमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ा सकते हैं। यह किताब हमें उन चार पहलुओं के बारे में बताती है जिसपर ध्यान देकर कोई भी व्यक्ति अपने ईमोशनल इंटेलिजेंस को बेहतर बना कर अच्छे रिश्ते बनाना सी सकता है।
क्या आप ईमोशनल इंटेलिजेंस बढ़ाने के तरीके जानना चाहते हैं, क्या आप अपने रिश्तों को मजबूत बनाना चाहते हैं, या फिर क्या आप खुद को समझना सीखना चाहते हैं तो ये बुक आपके लिए है।
लेखक
ट्रैविस ब्रैडबेरी (Travis Bradberry) दुनिया की नंबर वन बेस्ट सेलिंग किताब – ईमोशनल इंटेलिजेंस के लेखक हैं। वे टैलेंटस्मार्ट के को फाउंडर हैं जो कि एक कंसल्टिंग कंपनी है। यह कंपनी लगभग 75% फार्च्यून 500 कंपनियों के लिए काम करती है।
जीन ग्रीव्स ब्रैडबेरी (Jean Greaves) टैलेंटस्मार्ट की सीईओ हैं, एक लेखिका हैं, एक स्पीकर और एक सी-सूट एक्सेक्युटिव कोच हैं। वो लोगों को ईमोशनल इंटेलिजेंस के बारे में बताती हैं।
अपनी जिन्दगी के शुरुआती दिनों में जब हम स्कूल जा रहे होते हैं, तो हम सिर्फ आईक्यु के बारे में सुनते हैं। हमारे क्लास के सबसे होनहार लड़के का आईक्यु सबसे ज्यादा होता था और क्योंकि हर कोई उससे खुश रहता था, हम यह मान लेते थे क वो भविष्य में कामयाब हो जाएगा। लेकिन रीसर्च यह बताते हैं कि स्कूलों में टॉप करने वाले लोग असल जिन्दगी में नंबर वन पर ना के बराबर पहुंचते हैं।
इसलिए आईक्यु कामयाबी को तय नहीं करता। इसके लिए आपको अपने ईक्यु यानी ईमोशनल क्योशन्ट पर ध्यान देना होगा, ताकि आप अच्छे लोगों से रिश्ते बनाकर उनकी मदद से ऊपर तक पहुंच सकें। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम ईक्यु को बढ़ा सकते हैं।
ईमोशनल इंटेलिजेंस का मतलब है दूसरों का हाव भाव देखकर उनके दिमाग में चल रही बात को जानना। शायद आप ने कुछ लोगों को कहते हुए सुना होगा- बस पाँच मिनट तक बात कर के उस आदमी के बारे में सब कुछ बता सकता हूँ। इस तरह के लोग दूसरों को पढ़ने में और उनसे अच्छे रिश्ते बनाने में माहिर होते हैं।
अगर आपको भी इस तरह की खूबी अपने अंदर पैदा करनी है तो आपको अपने ईमोशनल इंटेलिजेंस पर ध्यान देना होगा। इसके चार पहलू हैं
सबसे पहले पहलू आप खुद हैं। यानी कि उसे बढ़ाने के लिए आपको सबसे पहले खुद की भावनाओं को समझना होगा।
इसके बाद आपको खुद पर काबू करना सीखना होगा। आपको खुद को उन हालातों में रखना सीखना होगा जिसमें आप अच्छा महसूस करते हों, ताकि आप अपना आपा खोने से बचा सकें।
तीसरे पहलू में आपको समाज को समझना होगा। इसका मतलब यह कि आपको दूसरों की भावनाओं को समझना सीखना होगा। आपको यह जानना होगा कि क्या बोलने से उन्हें गुस्सा आता है और क्या बोलने से वे अच्छा महसूस करते हैं। उनके शरीर के हाव भाव पर ध्यान दीजिए। यह देखिए कि गुस्सा होने से पहले वे किस तरह की हरकतें करते हैं।
अंत में आपको रिश्ते बनाने पर ध्यान देना होगा। जब आपको दूसरों को अच्छे से समझने लगें, तो वक्त आ गया है कि आप उन लोगों से अच्छे रिश्ते बनाएँ। अगर आपको पता लग जाए कि क्या बोलने से एक व्यक्ति अच्छा महसूस करता है और क्या बोलने से उने गुस्सा आता है, तो आप उससे वो बातें कर सकते हैं जो उसे अच्छी लगें और उससे अच्छे रिश्ते बना सकते हैं।
अगर इस दुनिया में कोई एक व्यक्ति है जिसके साथ हम अपना सबसे ज्यादा समय बिताते हैं, तो वो हम खुद हैं। आप अपने साथ हमेशा से रहते आए हैं, लेकिन क्या आप खुद को समझते हैं? क्या आप खुद को संभाल पाते हैं?
इसके लिए सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि आप जो कुछ भी महसूस करते हैं, उसे क्यों महसूस करते हैं और किस हालात में महसूस करते हैं। अगर आपको गुस्सा आता है तो क्यों आता है, उसके आने पर आप क्या करते हैं और सबसे जरूरी बात- आप खुद को किस तरह से संभालते हैं।
बहुत बार हमारे दिन की शुरुआत अच्छी नहीं होती। हमारी सुबह सुबह किसी से बहस हो जाती है या फिर कुछ गड़बड़ हो जाती है जिससे हमारा मूड खराब हो जाता है। फिर हमारा सारा दिन खराब जाता है। हम छोटी छोटी बातों पर गुस्सा करने लगते हैं और अपने
काम पर सही से ध्यान नहीं लगा पाते।
इस तरह का मूड बनने पर आपको खुद से यह कहना है कि यह हमेशा के लिए आपके साथ नहीं रहेगा। इससे पहले भी आपक मूड खराब हुआ है और आप उससे बाहर निकल कर आए हैं। आप यह सोचिए कि किस तरह से आप अपने मूड को ठीक कर सकते हैं या कम से कम उसे शांत कर सकते हैं।
ठीक यही काम आपको खुश रहने पर भी करना है। जब हम खुश रहते हैं तो हम खुद से अलग अलग तरह के वादे करने लगते हैं। हम जल्दबाजी में आकर फैसले लेने लगते हैं और ज्यादा सोचते नहीं हैं। हम उस समय इतना अच्छा महसूस कर रहे होते हैं कि हम बुरी चीज़ों पर ध्यान नहीं देते और गलत फैसले ले लेते हैं।
इसलिए इस तरह के हालात में भी अपना आपा मत खोइए। यह देखिए कि आप जो फैसले कर रहे हैं उसके नतीजे क्या हो सकते हैं। बिना नतीजों के बारे में सोचे कभी फैसला मत लीजिए, अब चाहे आप उस समय अच्छा महसूस कर रहे हों या बुरा।
क्या आपके साथ कभी ऐसा होता है कि आपको गुस्सा आने लगता है और फिर आपको लगता है कि आप उसे काबू ही नहीं कर पा रहे हैं? क्या कभी कभी तनाव में जाने के बाद आप बहुत नेगेटिव सोचने लगते हैं और उससे निकल ही नहीं पाते? अगर हाँ, तो इसका मतलब है कि आपको खुद को काबू करना सीखना होगा।
जब भी आपको कभी मुश्किल फैसले लेने हो और आप अपनी भावनाओं और अपनी सूझबूझ के बीच में आकर फँस जाएं तो इस तरीके को अपना कर आप उसका हल निकाल सकते हैं।
एक पेज पर दो कालम बनाइए। एक कालम में उन भावनाओं को दिखाए जो आप उस फैसले को लेने से पहले महसूस कर रहे हैं और दूसरे कालम में यह लिखिए कि आपकी सूझबूझ क्या कह रही है। इसके बाद यह देखिए नतीजों के हिसाब से कौन सा फैसला ज्यादा सही होगा। यह देखिए कि कहीं आप ऐसी ही बेचैन तो नहीं हुए जा रहे हैं। कहीं आप से सोचने में कुछ गलती तो नहीं हो रही है?
एक्ज़ाम्पल के लिए अगर आपका एक कर्मचारी है जो अच्छे से काम नहीं कर रहा है और आप उसे इसलिए निकालना चाहते हैं, लेकिन आप उसे एक इंसान की तरह बहुत पसंद करते हैं और इसलिए उसे निकालना नहीं चाहते। इस तरह के हालात में आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर आप ने खुद को कोई टार्गेट दिया है तो अपने दोस्तों को उसके बारे में बताइए। इससे आपके दोस्त हारने पर आपको जिम्मेदार ठहराएंगे और हार के उस शर्म से बचने के लिए आप अपने आप काम करने लगेंगे। इस तरह से आप खुद को रास्ते से भटकने से बचा सकते हैं।
बहुत से लोग सामने वाले को देखकर उसके मूड के बारे में बता देते हैं। यह किसी तरह की जादूगिरी नहीं है और शरीर के कुछ खास तरह के हाव भाव को देखकर आप भी यह बता सकते हैं। आईए देखें यह कैसे किया जाता है।
सबसे पहले उसके सिर से लेकर पैर तक उसके हर अंग को देखिए और देखिए कि वो क्या कह रहे हैं। उसकी आँखें देखिए। अगर वो ज्यादा आँखें नहीं मिला रहा है तो इसका मतलब कुछ छिपा रह है। इसके बाद उसके मुँह पर आईए। क्या वो मुस्कुरा रहा है? अगर हाँ, तो कहीं वो बनावटी हँसी तो नहीं है? जो मुस्कुराहट बनावटी होती है उसमें सहानुभूति नहीं झलकती ।
इसके बाद उसके कंधे चेक कीजिए। अगर उसके कंधे झुके हुए हैं तो उसका आत्मविश्वास कम है। वो कुछ शर्मीला है और ज्यादा बात नहीं करता।
एक बार आपको इस तरह के हाव भाव पता लग जाए तो आप उसके हिसाब से खुद को ढ़ाल सकते हैं। अगर आपको पता लग जाए कि वो व्यक्ति कुछ परेशान या तनाव में है, तो उससे ज्यादा सवाल मत पूछिए। उससे जो भी कहिए प्यार भरी आवाज में कहिए।
किसी भी व्यक्ति को उसके नाम से बुलाकर आप उसे अच्छा महसूस करवा सकते हैं। दुनिया में हर इंसान को सबसे अच्छी धुन उसके नाम की लगती है। साथ ही उस व्यक्ति को सर या मिस्टर कह कर मत बुलाइए। उन्हें उनके पहले नाम से बुलाइए। जब वे अच्छा महसूस करने लगेंगे, तो कुछ खास तरह के सवाल कर के आप उनके बारे में जान सकते हैं।
बहुत बार जब हम से कोई गलती होती है और कोई हमें उस गलती को लेकर कुछ सलाह या कुछ फीडबैक देता है तो हम चिढ़ जाते हैं। लेकिन फीडबैक एक जरिया है जिससे आप खुद को पहले से बेहतर बना सकते हैं। अगर कोई आपको फीडबैक दे तो उसे यह समझ कर ले लीजिए कि वो व्यक्ति सिर्फ आपको बेहतर बनते हुए देखना चाहता है। इसके बदले में उसे धन्यवाद कहिए।
रिश्तों को बनाए रखने के लिए फीडबैक पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अगर आपको यह पता नहीं लगेगा कि आपका पर्टनर आप से क्या चाहता है, तो आप उसे वो नहीं दे पाएंगे। इस तरह से रिश्ते कमजोर हो जाते हैं।
इसके अलावा किसी से बात करते वक्त उलझे हुए संकेत मत भेजिए। गुस्से में दिया गया आशीर्वाद भी खराब लगता है और हँसकर दी गई गाली भी अच्छी लगती है। इसलिए यह देखते रहिए कि आपके शब्द आपकी बाडी लैंग्वेज से मिलते रहें।
अगर कोई व्यक्ति आप से आकर बताता है कि उसे उसकी कंपनी में प्रमोशन मिल गया है और उस समय आपका मूड खराब है, तो ऐसे हालात में आप उसे कुछ इस तरह से बधाई दे सकते हैं जिससे उसे लग सकता कि आप यह खबर सुनकर खुश नहीं हैं।
रिश्ते निभाने में बहुत मेहनत होती है और बहुत से लोग यह नहीं कर पाते। लेकिन फिर भी एक खुशहाल जिन्दगी जीने के लिए उनका होना जरूरी है। इसलिए सबसे पहले खुद पर ध्यान देना सीखिए । अपने शब्दों को अपने हाव भाव से मिलइए ताकि सुनने वाले को वही समझ में आए जो आप कहना चाहते हैं।
आईक्यु को बढ़ाने के लिए सबसे पहले आपको खुद को समझना होगा। इसके बाद आपको खुद को काबू करना सीखना होगा। जब आप खुद को अच्छे से समझ कर काबू करना सीख जाएंगे, तभी आप दूसरों को अच्छे से समझ पाएंगे उनसे अच्छे रिश्ते बना पाएंगे।
ध्यान से सुनिए।
एक अच्छा आईक्यु होने का मतलब लोगों को सुनना है ताकि आप उनकी भावनाओं को अच्छे से समझ सकें। इसलिए, जब भी आप किसी की बात सुनें तो उसपर खास ध्यान दें। इससे आप उसके दिमाग में चल रही बातों को समझ सकते हैं और उसे यह दिखा सकते हैं कि आप उसकी परवाह करते हैं।
तो दोस्तों आपको आज का यह Emotional Intelligence 2 Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
आपने आज क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.