Mastery Book Summary in Hindi – किसी भी फील्ड में मास्टरी को हासिल करने का जबरदस्त तरीका जानिए
अपनी इस बेहतरीन किताब (Mastery by Robert Greene Book Summary in Hindi) में लेखक ने बड़े ही रोचक ढंग से ये बताया है के किसी भी कला में मास्टरी हासिल करने के लिए हमें एक प्रॉपर गाइडेंस और रेगुलर प्रैक्टिस की जरुरत पड़ती है. लेखक ने आगे बताया है के ये गाइडेंस हम अपने फ़ील्ड के पहले से मौजूद मास्टर्स से ले सकते हैं. इतिहास और आज के सफल मास्टरों के जीवन से प्रेरणा ले कर हम भी उनकी तरह सफलता की बुलंदियों को छु सकते है.
ये बुक समरी किसके लिए है –
– वो व्यक्ति जो किसी फ़ील्ड में नया नया है और उसमे अपनी अलग पहचान बनाना चाहता है.
– वो स्टूडेंट जिसने अभी अभी स्कूल ख़तम किया है और जीवन की नयी राह को ढूंड रहा है.
– वो व्यक्ति जो की अपने फील्ड में बार बार प्रयास करने पर भी मिली असफलता से निराश हो.
ये किताब हर उस इंसान के लिए बहुत ही प्रेरणादायी है जो की सफलता के शिखर पे पहुंचना चाहते हैं.
लेखक के बारे में
लेखक रोबर्ट ग्रीने ने अपनी पढाई क्लासिकल स्टडीज के सब्जेक्ट में की है, और वो कहते है के उन्होंने कम से कम 80 जगह जॉब किया है. वो हमेशा से एक एक्सपेरिमेंटल माइंडसेट के व्यक्ति रहे है. उन्हें अपनी स्ट्रेटेजी, पॉवर और सीडकशन की कई कंट्रोवर्सिअल किताबों के लिए जाना जाता हैं. इन किताबों में कई बेस्ट सेलर किताबें भी शामिल है जैसे, 48 पोवीर ऑफ़ लॉज, द 50 लॉज़, 33 लॉज़ ऑफ़ वार, और द आर्ट और सीडेकशन.
किसी फील्ड का मास्टर बनने के लिए हमें इन्बोन टैलेंट की जरुरत नहीं पड़ती, बस पहले से मौजूद मास्टरों के नक्शे क़दमों पे चल कर हम इसे हासिल कर सकते है.
ज्यादातर लोग मानते है के महान मास्टर्स जैसे लेओनार्दो डा विंची और मोजार्ट पैदाइशी टैलेंटेड और जीनियस थे.जबकि असल में मास्टरी और इन्बोर्न टैलेंट में कोई
कनेक्शन नहीं है. आपको याद होगा के आपके स्कूल में कई सुपर इंटेलीजेंट बच्चे थे लेकिन फिर भी आज उन्होंने कुछ एक्स्ट्राऑर्डिनरी हासिल नहीं किया, जबकि कई एवरेज बच्चे अपने जीवन में काफी ऊँची बुलंदियों को छु जाते है.
लेखक ने अपनी किताब में इस बात को एक इंटरेस्टिंग एक्सामपल के साथ समझाया है. लेखक कहते हैं कि चार्लस डार्विन के कजिन सर फ्रांसिस गालटन अपने स्कूल के सबसे ब्रिलियंट स्टूडेंट थे, उनका ।Q देख कर टीचर्स भी हैरान होते थे, जबकि डार्विन खुद एक एवरेज से स्टूडेंट थे. लेकिन आज हम डार्विन को सदी का सबसे बड़ा साइंटिस्ट मानते है.
इस बात से ये साबित होता है कि मास्टरी इस बात पे निर्भर नहीं करती के आप एक ब्रिलियंट स्टूडेंट हो या आर्डिनरी, बल्कि इस बात पे करती है के एक एक्स्ट्राआर्डिनरी और आर्डिनरी व्यक्ति ने इसे हासिल करने के लिए किस राह को चुना है. उसी राह की खोज इस किताब पे आकर रुकती है. लेखक कहते है कि कामयाबी पाने का वो रास्ता उन्ही गलियों से गुजरता है जिस से दुनिया के महानतम मास्टर्स गुजरे थे. उन सबने अपना एरिया ऑफ़ इंटरेस्ट चुना, उस शेत्र में शिक्षा प्राप्त की, फिर खुले विचारों और पुरे मन से मास्टरी की राह पे चल पड़े. हालांकि मास्टरी की ये राह आसान नहीं थी उन्हें भी कई उतर चड़ाव का सामना करना पड़ा, पर वो सभी असफल्तायों को सफलता की सीढ़ी बनाकर कर चलते रहे और अंत में मास्टर्स ऑफ़ मास्टर बन गए. उनके जीवन की ऐसी ही कुछ बातों के बारे में जान कर हम भी उनके जैसे सफल हो सकते है. चाहे इसतिहास के एडिसन, आइंस्टीन या मोजार्ट की बात करें या आज के मास्टर्स जैसे बॉक्सर फ्रेदिए रोअच की सभी ने एक जैसी राह पे चलते हुए सफलता प्राप्त की.
तो इसलिए जरुरी नहीं कि भगवान ने आपको सभी सुविधाओं के साथ पैदा किया हो, या आपको एक होनहार IQ से भरे दिमाग की भेट दी हो, आप अपने कमिटमेंट और इच्छा शक्ति से खुद को सफल बना सकते हो.
एक इंसान हर क्षेत्र में अच्छा नहीं हो सकता, लेकिन हर इंसान एक न एक क्षेत्र में अच्छा करने की योग्यता जरूर रखता है
आपने अपने पेरेंट्स के कहने पे डॉक्टरी, इंजीनियरिंग या लॉ कर तो लिया पर आपके मन में कोई और ही धुन बजती हो. या कभी ऐसा हुआ हो कि किसी काम को करते हुए आपको लगा हो किमै इसे ही करने के लिए बना हूँ. तो आपको जरुरत है अपने अन्दर की उस आवाज़ को पहचानने की जो आपसे कह रही है के हाँ यही वो रास्ता है जिसपे चल कर आप शिखर तक पहुँच सकते हो. आज कल के सोशल प्रेशर में अपनी अन्दर की आवाज़ को सुनना बहुत ही मुश्किल है. दुनिया को खुश करने के लिए अक्सर हम भी दुनिया की भीड़ में शामिल हो जाते है.
लेकिन हम ये भूल जाते है कि हर इंसान अलग है, जिस तरह बर्फ के दो टुकड़े एक जैसे आकार के नहीं हो सकते उसी तरह हर इंसान अपने आप में यूनिक है. दुनिया के जैसे बनने के लिए अपने अन्दर की असाधारण क्वालिटी को दबाने से पूरी जिंदगी हम बस एक आम इंसान बन कर रह जाते है, जबकि हमारे पास ख़ास बनने की क्षमता थी. हमारी ही तरह इतिहास के सभी महानायकों की जिंदगी में भी एक ऐसा पल आया था जब उनके सामने लाइफ की पिक्चर बिलकुल क्लियर हुई कि वो किस कार्य के लिए बने थे बस फिर क्या था, वो कहते है न जहाँ चाह वहाँ राह, उन्हें रास्ता मिलता गया और वो चलते गए.
लेखक ने लियोनार्ड डा विंची का एक्सामपल देते हुए कहा के उनके लिएवो ‘क्लिकिंग मोमेंट’तब आया जब वो रोज़ अपने पापा के ऑफिस से कागज़ सिर्फ इसलिए चुराते थे ताकि वो उनपे जानवरों का स्केच बना सकें.
ठीक इसी तरह हम सबके जीवन में ऐसा ही एक क्लिकिंग मोमेंट आता है, बस हमे जरुरत है उस मोमेंट को पहचान कर अपने अन्दर की आवाज़ को सुनने की. अपना कीमती समय और एनर्जी दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चलने में न बर्बाद करते हुए, अपनी क्षमताओं के साथ दुनिया से एक कदम आगे जाने में लगायें.
आपका लक्ष्य रातों रात आमिर बनना या फेमस होना ना हो के उस फील्ड की सभी छोटी मोटी बारीकियों को सीखना होना चाहिए.
जब भी हम किसी नए काम को शुरू करते है या नयी जॉब ज्वाइन करते हैं हम चाहते हैं कि हमें ज्यादा से ज्यादा सैलरी मिले या हम उंचे पोजीशन पे जाएँ. लेकिन पैसा या पोजीशन से बढ़ कर भी कई चीजें होती हैं, और वो है आपका एक्सपीरियंस. अगर आज आपने कम पैसों से कोम्प्रोमाईस कर ज्यादा एक्सपीरियंस देने वाली जॉब को चुना, तो कल यही एक्सपीरियंस आपको अपनी फ़ील्ड का जाना माना मास्टर बना देगा और आप मन चाही सैलरी और पोजीशन प्राप्त कर सकते हो.
सभी सफल महानयों ने ऐसा ही किया, अब बॉक्सर फ्रेडरिक रोअच को ही ले लीजिये उन्होंने एक बॉक्सिंग आर्गेनाइजेशन में अनपेड जॉब को चुना, लेकिन इस जॉब
में उन्हें वो स्किल्स सीखने को मिले जिसने उन्हें एक महान बॉक्सर बना दिया. इसी तरह डार्विन ने मेडिकल स्कूल और चर्च में मिली अच्छी खासी जॉब को छोड़ के एच एम एस बीगल में बिना सैलरी के नौकरी की, यहीं उन्हें पंछियों और पेड़ पौधों के बारे में करीब से जानने को मिला, जिस से प्रेरित होकर उन्होंने थ्योरी ऑफ़ एवोलूशन लिखा. बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने भी अपने पिता का अच्छा खासा बिजनेस छोड़ के प्रिंटिंग प्रेस ज्वाइन कर ली ताकी वो ये सीख सकें के शब्द कैसे लिखे जाते हैं.
इस बात से साबित होता है कि सभी ने अपने जीवन में पैसे से ज्यादा ज्ञान को महत्त्व दिया जिसके कारन वो सफल हुए. इसलिए जब भी किसी इंटर्नशिप या पहली जॉब के बारे में सोचें तो ये देखें की कहाँ आपको सीखने का माहौल ज्यादा मिलेगा.
किसी भी स्किल को सीखने के लिए एक मेंटर का होना बहुत जरुरी है जो की आपको उसे सीखने का सही तरीका बताये
किसी हुनर को सीखने का रास्ता बहुत उतार चढ़ाव से हो कर गुजरता है. जब हम खुद से कोई नया काम या नयी चीज़ सीखने की कोशिश करते है तब भी हम कामयाब तो जरुर हो सकते है लेकिन उस कामयाबी को हासिल करने में हमारे बहुत से रिसोर्सेज और समय बर्बाद हो जाते है. क्यूंकि खुद सीखने में हम कई ऐसी गलतियाँ कर बैठते है जो हमारा समय बर्बाद कर देती ही.
जब हम किसी मेंटर के साथ जुड़ते है तब हमारे सीखने का सफ़र आसान हो जाता है, क्यूंकि वो अपने जीवन में की गयी गलतियों और अनुभवों से हमे वो अनमोल लेसंस देते है जिसे खुद से प्राप्त करने में हमे बरसों लग सकते हैं. शागिर्दगी के इस सफ़र से मेंटर और स्टूडेंट दोनों फायेदे में रहते हैं. जहाँ एक तरफ स्टूडेंट को मेंटर से ट्रेनिंग मिलती है वहीं दूसरी तरफ मेंटर स्टूडेंट के जरिये अपने सपने पुरे करता है. लेकिन चाहे जो भी हो एक शिक्षक के बिना सफलता की राह दिशाहीन होती है.
लेकिन ऐसा जरुरी नहीं है के शिष्य अपने गुरु के ज्ञान की सीमा में बंधा रहे. शिष्य अपनी इच्छा शक्ति से गुरु से भी आगे निकल सकता ही जैसे कि अलेक्सेंडर ने अपने गुरु एरिस्टोटल की शिक्षा में अपनी सूझ बूझ को मिला कर विश्वविजय हासिल कर ली थी. इसी तरह इतिहास में कई ऐसे गुरु शिष्य के उदाहरन मिलेंगे जिसमे की शिष्य ने गुरु के आशीर्वाद से सफलता की बुलंदियों को छु लिया है. इसलिए, अपना लक्ष्य तय करने के बादसबसे पहले एक ऐसा गुरु तलाश करें जो आपको अपने सारे गुर सिखा दे पर साथ ही साथ ये भी याद रखें की आपकी असली कामयाबी अपने गुरु जैसा बनने में नहीं बल्कि उनसे आगे निकलने में है.
जीवन में नए प्रयोग करने करने की हिम्मत रखें.
जैसा की लेखक ने बताया के हमारा लक्ष्य अपने मेंटर से भी आगे निकलने का होना चाहिए लेकिन सवाल ये उठता है के वो कैसे होगा? तो इसका जवाब देते हुए लेखक कहते हैं कि अपने गुरु से सारे गुर सीखने के बाद आप अपने दिमाग की नसों को खोलें ताकि वो हर असंभव को संभव करने का तरीका खोज निकाले. अपने दिल और दिमाग को एक बच्चे जैसा सवालिया बना ले, वो बच्चा जिसके लिए कोई चीज़ नामुमकिन नहीं जो हर बात में सवाल पूछता है. क्यूंकि जब हम बड़े हो जाते है समाज और दुनियादारी के चक्कर में अपने अन्दर के बच्चे को भूला देते हैं, और बस अपने द्वारा बनाये हुए दायरे में सीमित हो जाते है.
इस बात का सबसे बड़ा उदहारण है पियानो वादक मोजार्ट, हुआ यूँ के एक दिन मोजार्ट के मन में आया कि वो रोज़ रोज़ सेट पैटर्न में पियानो बजा कर बोर हो गए हैं
और कुछ नया बजाना चाहते है, उन्होंने अपनी एक नयी धुन बनाई और बड़ी ही दिलेरी से अपने सबसे बड़े शो में उसे पेश किया. लोगों ने इस धुन को बहुत पसंद किया और आज भी वो पियानो की दुनिया के मास्टर माने जाते हैं. इसलिए अपने अन्दर के सभी डर, किन्तु परंतु को भुला कर अपनी क्षमताओं को नयी उड़ान भरने दें.
अपनी समस्याओं को नए और अनोखे अंदाज़ में दूर करने के लिए अपने दिमाग को एक इनोवेटिव अंदाज़ में सोचने की ट्रेनिंग दें.
कौन ये नहीं चाहेगा कि वो अपनी हर समस्या को खुद ही आसानी से दूर कर सके. आपको लगता होगा के ऐसा करना बहुत ही कठिन होगा पर ऐसा नहीं है. इंसानी
दिमागक्षमताओं का धनी है, बस जरुरत है उन क्षमताओं को पहचान के उन्हें निखारने की. आप जितना अपने दिमाग को खुले विचारों के समुद्र में बहने देंगे उतना ही आपका दिमाग इनोवेटिव और नए तरीके से सोचने लगेगा. ऐसा बार बार करते रहने से उसे ऐसा करने की आदत हो जाएगी. इंसानी दिमाग पे हुए एक स्टडी के अनुसार अगर हम किसी काम को 10,000 से ज्यदा घंटों के लिए कर लेते है, तो हमारा दिमाग खुद ही उस कम के प्रति आधिक जागरूक हो जाता है, और उसके बारे में एक नया नजरिया बन जाता है.
इसलिए ये सोच कर हार न मान लें के लोग पैदाइशी इनोवेटिव होते है, या उनके दिमाग का लेवल कुछ अलग होता है, बल्कि अपने दिमाग को भी हर सिचुएशन में कोई इनोवेटिव वे आउट ढूंडने के लिए ट्रेन करें.
अपनी स्किल्स की इतनी प्रेक्टिस करें के वो आपके दिमाग और शरीर का हिस्सा बन जाये.
जब आप किसी कार्य को करते हैं तो पहले आपका दिमाग उसके बारे में सोचता है और फिर शरीर को वो कार्य करने का आदेश देता है. लेकिन, जब हम किसी काम की बहुत प्रेक्टिस करते है, तो वो हमारे दिमाग में फिट हो जाता है, और दिमाग को सोचने की जरुरत नहीं पड़ती शरीर अपने आप काम करने लगता है, कोई ज्यादा एफर्ट नहीं लगाने पड़ते. इससे आपका समय बचता है और आपका दिमाग आगे की स्ट्रेटेजी प्लान करने क लिए फ्री रहता है. जैसे की चेस मास्टर बॉबी फिस्चेर ने चेस की इतनी प्रेक्टिस की के उन्हें गेम के दौरान हर चाल के बारे में नहीं सोचता पड़ता था जिससे की उन्हें गेम की ओवरआल स्ट्रेटेजी बनाने का टाइम मिल जाता था.
लेखक कहते हैं के मास्टरी का सही मतलब ये है के आप जिस फील्ड के मास्टर हो उस काम को करने के लिए आपके माइंड और शरीर का एक ऐसा अनोखा ताल मेल बन जाए कि किसी सेकंड थॉट या थिंकिंग का सवाल ही नहीं पैदा हो बस दिमाग ने कहा और शरीर ने कर दिया.
Conclusion:-
ये बुक हमे ये बताती है कि कैसे हम अपने अन्दर की आवाज़ को सुन कर अपना एरिया ऑफ़ इंटरेस्ट चुन सकते है, उस फील्ड से जुड़े स्किल्स सीखने के लिए कैसे अपना मेंटर ढूंढ सकते हैं और पहले एक अच्छे स्टूडेंट की तरह सब सीख कर उसमे अपनी कल्पना शक्ति से कुछ नया कर मास्टरी हासिल कर सकते है. इसके साथ ही साथ ये भी बाताया गया है के कैसे हम इतिहास और वर्तमान के मास्टर्स से प्रेरणा ले कर अपनी राह को और आसान बना सकते हैं.
इस किताब से आपके किन प्रश्नों का उत्तर मिलेगा ?
1.मास्टरी कौन कौन हासिल कर सकता है?
कोई भी व्यक्ति जो की अपने अन्दर की आवाज़ से प्रेरणा लेकर उसे हासिल करने की ठान ले वो मास्टर बन सकते है. मास्टर बनने के लिए किसी भी प्रकार से गॉड गिफ्टेड होना जरुरी नहीं है.
2.एक अच्छे लर्नर की क्या खूबियाँ होती है?
एक अच्छा लर्नर बनने के लिए आपको पैसों और पद की चिंता किये बिना सीखने के ऊपर ध्यान देना होगा और साथ ही एक ऐसा मेंटर टूढना होगा जो के आपको अपने तरीके से उस फील्ड की बारीकियां सिखाये.
3.एक मास्टर जैसी इनोवेटिव सोच कैसे डेवेलप करें?
जब आपका लर्निंग पीरियड ख़त्म हो जाये फिर आप चैलेंज लेने और नए प्रयोग करने के लिए तैयार रहे. निडर होकर दिल और दिमाग को सीमायों के बहार सोचने दें.
4. मास्टरी असल में होती क्या है?
मास्टरी का असल मतलब ये है के आपने अपने स्किल की इतनी प्रैक्टिस की है के वो आपके रोम रोम मे बसती है. आपके दिमाग और शरीर ने एक हो के उसे करना सीख लिया है और वो आपकी रोज़ मर्रा की आदत जैसे आपका हिस्सा बन गया है.
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह Robert Greene के द्वारा लेखी गयी यह Mastery बुक समरी कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस बुक समरी को अपने दोस्तों के साथ share भी जरूर करें।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
Bahut khoob
Thank you.