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111 Panchatantra Short Stories in Hindi with Moral

कहानी1 year ago98 Views

कंजूस और उसका सोना

एक कंजूस के पास ढेर सारा सोना था। उसे खर्च करने की जगह कंजूस ने उसे बगीचे में छिपा रखा था। एक दिन एक चोर ने कंजूस को सोने की अशर्फियाँ गिनते देख लिया। रात में चोर ने आकर जमीन खोदा और धन चुरा लिया। अगली सुबह जब कंजूस उसे गिनने गया तो सब गायब देख घबरा गया और जोर-जोर से रोने लगा कि सोना चोरी हो गया। रोना सुनकर पड़ोसी भागे आए। एक पड़ोसी ने कहा, “ अपना सोना तुम्हें घर में रखना था जिससे तुम खर्च कर पाते।” क्रोधित होता हुआ कंजूस बोला, “मुझे अपना धन खर्च करना पसंद नहीं।” पड़ोसी ने एक पत्थर उठाकर गड्ढे में फेंका और कहा, “फिर तुम्हारे सोने और इस पत्थर में कोई अंतर नहीं है।”

सीख: धन का उपयोग न होने पर वह पत्थर के ही समान है।

तीतर और समुद्र

किसी समुद्र के किनारे एक पेड़ पर तीतर का एक जोड़ा रहता था। एक बार तीतरी ने तीतर से कोई दूसरा सुरक्षित स्थान ढूँढने के लिए कहा जिससे वह वहाँ अंडा दे सके। उसे भय था कि कहीं समुद्र की लहरें उसके घोंसले को ही बहा न ले जाएँ। तीतर को अपने प्रभु पर बहुत विश्वास था। उसने तीतरी को समझाया कि समुद्र में उन्हें क्षति पहुँचाने की शक्ति नहीं है। तीतरी मन ही मन भयभीत थी पर तीतर की बात मानकर उसने वहीं अंडे दिए और फिर दोनों खाना लाने चले गए। समुद्र ने उन्हें अपनी शक्ति दिखाने का निश्चय किया। एक बड़ी सी लहर आई और अंडों को बहा ले गई। तीतर लौटे तो अंडो को गायब पाया। उन्होंने अपने प्रभु को बुलाया। प्रभु ने उन्हें सहायता का आश्वासन दिया। प्रभु ने समुद्र को डाँटा कि यदि वह अंडे वापस नहीं करेगा तो उसे सुखा दिया जाएगा। समुद्र ने डरकर किनारे पर अंडे फेंक दिए।

सीख: विश्वास में बहुत शक्ति होती है।

ऊँट और तीन मित्र

किसी जंगल में रहने वाले शेर के तीन सहायक थे- चीता, सियार और कौआ। एक दिन उन लोगों ने रास्ता भूले हुए एक ऊँट को देखा। शेर ने ऊँट को अतिथि समझकर अपने राज्य में रख लिया। एक बार शेर घायल हो गया। वह शिकार करने में असमर्थ था। शेर ने अपने सहायकों से भोजन लाने के लिए कहा। उन्हें कोई शिकार नहीं मिला। तब उन्होंने ऊँट को खाने का सुझाव दिया पर शेर नहीं माना। उन्होंने शेर को समझाया कि यदि वह स्वयं आपसे खाने का अनुरोध करे तो मना मत करिएगा। ऊँट के आने पर धूर्त सहायकों ने एक के बाद एक शेर से कहा, “हुजूर, आप मुझे ही खा लें। हम कब आपके काम आँएगे?” यह देखकर ऊँट ने भी वैसा ही कहा। बस यह सुनते ही सब के सब उस पर टूट पड़े।

सीख: धूर्तों से घिरे हुए मालिक पर कभी विश्वास नही करना चाहिए।

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