The 10X Rule Book Summary in Hindi (PART – 2)

The 10X Rule Book Summary in Hindi – Hello दोस्तों, ये है ग्रांट कार्डोन की बेस्ट सेलर बुक “The 10X Rule Difference Between Success and Failure” की समरी। इसमें आपको कुछ बेहद इम्पोर्टेन्ट टिप्स मिलेंगे सक्सेस को अचीव करने के लिए, आप इस बुक Summary को अच्छे से पढ़े क्यूंकि ये बहुत interesting है।

दोस्तों ये इसका PART – 2 है, अगर आपने इसके PART – 1 नहीं पढ़ा है तो जरूर उसको पढ़ लीजिये।

 

The 10X Rule Book Summary in Hindi (PART – 2)

 

मैसिव एक्शन क्या है?

अब तक आप समझ गए होंगे कि डेयरिंग गोल्स पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है मगर बात यही पर खत्म नहीं होती। सच तो ये है कि डेयरिंग गोल्स होने के बावजूद भी ऐसा हो सकता है कि आप कुछ भी अचीव ना कर पाए अगर आप लेवल ऑफ़ एक्टिविटी और लेवल ऑफ़ ओपरेशन को कंसीडर नहीं करते है। इस बात से मेरा मतलब है कि गोल्स अचीव करने के लिए जो एक्शन होंगे, वो आपको पता होने चाहिए।

जैसे कि आप तब तक वर्ल्ड के बेस्ट मेथमेटीशियन नहीं बन सकते जब तक कि इसके लिए क्या करना है, ये बात आपको पता न हो। याद है मेरी स्टोरी जो मैंने सुनाई थी, अपने हाई स्कूल के दिनों की। जब मै पूरी क्लास में टॉप करना चाहती थी। याद है मैंने आपको कहा था कि मै ये गोल कभी अचीव नहीं कर पाई क्योंकि मैंने इसके लिए कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया था।

अब यहाँ पर बेस्ट स्टूडेंट बनना गोल तो है मगर अभी आप बेस्ट स्टूडेंट बने नहीं है, सिर्फ आपने गोल सेट किया है। इसके लिए किस लेवल का एक्शन चाहिए, पहले इस बात को समझना ज़रूरी है। मुझे लगता है आप मेरी बात समझ रहे होंगे।

हमारा 10X रूल हमसे काफी हाई लेवल के ओपरेशन की डिमांड करता है ताकि हम अपना गोल, अपने ड्रीम अचीव कर पाए। अगर आपने कभी भी कोई सपना देखा है तो उसे पूरा करने के लिए आपको एक मैसिव एक्शन की जरूरत है।

 

ग्रांट के हिसाब से एक्शन के 4 लेवेल्स होते है जो नीचे दिए गए है:

1. कुछ भी ना करना लेवल

 

आप इसके नाम से ही समझ गए होंगे, डूइंग नथिंग मतलब कुछ नहीं करना। ये खुद में ही बड़ा मस्त रहने वाला लेवल है क्योंकि इसमें बंदा खुद से कुछ एफोर्ट नहीं करता बल्कि जो लाइफ ऑफर करे वही करता है।

इस लेवल पर लोग शायद ही कभी सक्सेस के लिए कंसर्न रहते हो, उन्हें तो बस जो मिल जाय उसी में खुश रहते है। ऐसे लोगो का मेन केरेक्टरस्टिक होता है कि ये ज़रा भी मेहनत नहीं करते। जो जैसा चल रहा है, चलने देते है।

जैसे आपको एक एक्जाम्पल देते है। एक आदमी एक गरीब घर में पैदा हुआ। वो मरते दम तक गरीब ही रहा क्योंकि उसने अपनी सिचुएशन को बदलने के लिए कोई एफर्ट नहीं किया, कोई पेन नहीं लिया। तो देखा जाये तो इस तरह के लोग डू नथिंग लेवल में आते है।

 

 

2. हाइडिंग लेवल

 

हाइडिंग लेवल के लोग सक्सेस से डरते है। जब सक्सेस की ओर सही स्टेप बढाने का टाइम आता है तो ये लोग पीछे हट जाते है।

सक्सेस की रोड पे चलते हुए एक चीज़ तो पक्का मिलेगी और वो है क्रीटीज्म! हाइडिंग लेवल के लोग इसी क्रीटीज्म को अवॉयड करना चाहते है। क्या आपने कभी ऐसी सिचुएशन फेस की है कि कोई चीज़ पाने के लिए आपने अपना बेस्ट दे दिया हो और लोगो ने उस पर ही सबसे ज्यादा क्रीटीज्म किया हो? जी हाँ, यही सक्सेस है क्योंकि इसमें ही सबसे ज्यादा क्रीटीज्म मिलता है और इसीलिए लोग इस लेवल पर सबसे ज्यादा घबराते है।

 

 

3. नार्मल लेवल

 

ये हर किसी के लिए एक्स्पेक्टेड लेवल होता है। यही वो लेवल है जहाँ ये सोसाइटी हमें देखना चाहती है। इस लेवल पर आप वही कर रहे होते है जो बाकी लोग करते है। अगर मै दो घंटे ट्रेनिंग कर रहा हूँ तो इसका मतलब है हर कोई दो घंटे ही ट्रेनिंग कर रहा होगा।

इस लेवल में जब तक आप सोसाइटी के हिसाब से चलते रहते है आपके अंदर एक्स्ट्राआर्डिनरी बनने के लिए कोई जील नहीं आ सकती, और आपको सक्सेस चाहिए तो डेफिनेटली ये लेवल आपके लिए नहीं है। मेरे डैड इसी केटेगरी के लोगो में आते है।

आपको याद होगा मैंने उनकी स्टोरी आपको सुनाई थी कि वो अपने प्रेजेंट पोजीशन से कितने सेटिसफाइड रहा करते थे और रिटायर होने तक एक ही टाइप की लाइफ जीते रहे, रोज़ सेम काम करते हुए। ये मेरे डैड थे अपने नार्मल लेवल में ओपरेट करते हुए –  उन्होंने सारी लाइफ वही किया जो बाकी सब करते थे और उनसे भी करने की एक्स्पेक्ट रखते थे।

 

 

4. मैसिव एक्शन लेवल

 

ये वो लेवल है जहाँ चीज़े अचीव होती है ! अगर आप इस लेवल पर नहीं है तो डेफिनेटली आप सक्सेस के रूट पर नहीं चल रहे। यहाँ हम वो नहीं करते तो हर कोई करता है, बल्कि वो करते है जो हमें हमारा गोल हासिल कराये।

पहले का एक्जाम्पल लेते है। आपको मैथमेटिकल का बेस्ट स्टूडेंट बनना है। तो आपको पूरा-पूरा दिन बैठकर मैथ के क्वेश्चन सोल्व करने होंगे। अब अगर आपके सामने कोई डिफिकल्ट क्वेश्चन आ भी जाए तो आप उसे सोल्व किये बिना मानेंगे नहीं।

यही पर मैं फेल हो गयी थी जब मुझे हाई स्कूल में अपनी क्लास का बेस्ट स्टूडेंट बनने की डिजायर थी। अब एक और एक्जाम्पल लेते है। एक बार एक लेडी थी जो हमेशा स्नैक टाइम में खाते-खाते पढ़ती रहती थी। फ्री टाइम में भी वो हमेशा लाइब्रेरी में किताबो के साथ होती थी।

अब ये मुझे समझ नहीं आता था! मै तो ऐसा बिलकुल नहीं कर सकती! सारा दिन बस पढना! मै तो फ्रेंड्स के साथ घूमना चाहती थी, उनके साथ सोक्कर खेलना चाहती थी, गप्पे मारना चाहती थी और फिर भी बेस्ट स्टूडेंट बनू, यही चाहती थी।

लेकिन मै बेस्ट नहीं बन पाई क्योंकि इसके लिए जो चाहिए वो तो मै करती ही नहीं थी, और इसी बीच वो अपना काम करती रही। फिर हमारा रिजल्ट आया तो सब कुछ साफ हो गया। वो क्लास में बेस्ट थी और हमेशा रही, मगर मै चाह कर भी बेस्ट नहीं बन पाई, बेस्ट तो दूर उसके आस-पास तक नहीं थी।

जब तक आप मैसिव एक्शन नहीं लेते कुछ नही होने वाला। बेस्ट बनना है तो जितने एक्शन पोसिबल हो उतने करे। इसका मतलब होगा कि आप दुसरो से ज्यादा कर रहे है। दुसरो से 10 गुना ज्यादा! जितना कोई सोच भी नहीं सकता।

ये ऐसे इम्प्लाई होता है जैसे कोई एक बुक एक मन्थ में पढता है, तो आप एक मन्थ में 10 किताबे पढेंगे। मैसिव एक्शन आपसे डिमांड करता है कि आप 10 गुना ज्यादा एफर्ट करे। मै आपको एंश्योर कर सकती हूँ कि आप अपना गोल अचीव करने के एक स्टेप और क्लोज आ जायेंगे।

मै जानती हूँ इस टाइम आप ये सोच रहे होंगे कि भला दुसरो से 10 गुना ज्यादा करना कैसे पोसिबल है, यही सोच रहे है ना? लेकिन हाँ ये एकदम मुमकिन है। आप जितना सोचते है उससे कहीं ज्यादा करने के काबिल है। यहाँ हम लक या अपोर्च्युनिटी जैसे कोंसेप्ट की बात नहीं कर रहे, बल्कि मैसिव एक्शन से सक्सेस अचीव करने पर जोर दे रहे है।

 

 

एक्सेप्शनल रिजल्ट कैसे पाए?

 

कई बार हम अक्सर क्विक रिजल्ट्स के पीछे भागते है और इस चक्कर में ना तो कोई प्लान बनाते है और ना ही सोचते है कि हम अपना गोल या ऑब्जेक्टिव कैसे पाएंगे।

रिजल्ट पाने के लिए जो चीजे आपको करनी चाहिए या करनी पड़ेगी उन्हें अच्छे से समझना ज़रूरी है। इस किताब को लिखने से पहले मै खुद एक ऐसी इंसान थी जो प्रेजेंट मोमेंट पर क्या करना बस इसी पर फोकस करती थी, जबकि मुझे लॉन्ग रन के लिए प्लैनिंग करनी चाहिए थी। इससे मेरा कभी होई फायदा नहीं हुआ बल्कि मै हमेशा एवरेज ही रह गयी।

खुद से ही पूछिए कि 10X रिजल्ट पाने के लिए आपको क्या करना होगा? एक्सेप्शनल रिजल्ट की डिमांड क्या है ये बात आपको क्लियर होनी चाहिए। कमिटमेंट और डीसीप्लिन दो क्रूशियल वेल्यूज़ है, जिन्हें सीखने के बहुत ज़रुरत है और आपको अपने प्लान में पूरी तरह से कमिटेड रहना पड़ेगा और प्लान पर काम करते हुए पूरे डीसीप्लिन से चलना होगा।

याद रखे कि सक्सेस इतनी मुश्किल चीज़ भी नहीं है कि आपके हाथ ना लगे, बल्कि आप बेशुमार सक्सेस पा सकते है। पर आपका ऐम परफेक्ट होना चाहिए। इस रास्ते पर चलते हुए आपको 10X रुल की अप्रोच के साथ हर स्टेप लेना होगा।

बस ऐसा समझे कि जैसे आपकी लाइफ इसी पर डिपेंड है। अपना हर स्टेप एक इम्पोर्टेंट स्टेप की तरह ले।

अगर आप ये सारे पॉइंट ध्यान में रखेंगे तो डेफिनेटली आपका रिजल्ट भी एक्सेप्शनल हो आएगा।

 

 

डर से मुकाबला (डीलिंग विथ फियर)

 

क्या कभी कोई मुश्किल काम करते वक्त आपको डर वाली फीलिंग आई है ? मुझे याद है कॉलेज टाइम में जब भी मेरे एक्जाम होते थे तो डर के मारे मेरी हालत खराब हो जाती थी। ऐसा नहीं था कि मै एक्जाम के लिए प्रीपेयर नहीं थी बल्कि मुझे लगता है कि हर कोई इंसान जो सक्सेस चाहता है वो थोडा बहुत डरता ज़रूर है।

मतलब कि ये एक नार्मल बात है अगर आप भी सक्सेस के रास्ते पर चलते हुए फियरफुल फील करे लेकिन इस डर से निपटने का तरीका आपको सीखना होगा। नहीं तो आप नार्मल से आगे नहीं बड पाएंगे।

ग्रांट के हिसाब से डर का फंडामेंटल रीज़न है टाइम। कोई भी गोल अचीव करते वक्त जो टाइम लगता है वो आपके लिए बड़ा मुश्किल हो सकता है।

अब जैसे कि मान लो एक हफ्ते में आपका कोई कोम्प्टीशन होने वाला है तो आप ये सोच कर डरने लगते है कि टाइम कम बचा है, पता नहीं मै कर भी पाउँगा कि नहीं, पता नहीं मै प्रीपेयर्ड हूँ भी या नहीं?

ऐसे सवाल आपके दिमाग में घूमने लगते है। क्या कभी टॉयलेट यूज़ करने से पहले आपने इतना प्रेशर फील किया है कि घर पहुचंते ही बाथरूम में घुसने से पहले ही आपको लगता है कि कहीं आप वही पर पू ना कर दे ?

ठीक यही होता है जब आप गोल अचीव करने की कोशिश करते है। लेकिन ध्यान से ! कहीं ये डर आपके सर ना चढ़ जाए। इसे खुद पर हावी ना होने दे। एक मोमेंट के लिए भी ना रुके।

जिस मोमेंट आप अपने डर की वजह से रुक जायंगे फिर चाहे कितनी कोशिश कर ले वो आपके माइंड से जाएगा नहीं। आपको आगे ना बढ़ने के एक हज़ार बहाने मिल जायेंगे। क्योंकि बिना एक्शन के सिर्फ बहाने ही होते है !

इसलिए बेस्ट तरीका यही है कि एक्सक्यूज़ से बचे और मैसिव एक्शन ले! ऐसे स्टेटमेंट ना दे कि – ”पहले थोडा रेस्ट कर लू फिर करता हूँ”.

गोल अचीव करने तक कोई रेस्ट नहीं करना है क्योंकि दुसरो से बैटर करना है तो यही एक तरीका है।

 

अपना मार्किट डोमिनेट करे (डोमिनेट योर मार्किट)

 

क्या आप किसी ऐसे फील्ड में है जहाँ कोम्प्टीशन बहुत ज्यादा है। इसके चलते आप खुद को इस लेवल पर नहीं देखते कि सबसे बेस्ट बन सके, क्योंकि आपको ये लगता है कि आपसे ज्यादा जीनियस लोग मार्किट में पहले से ही है ?

 

सच तो ये है कि ऐसा कुछ भी नहीं है बस आपका डर आप पर हावी हो रहा है। आपको ये सोच ही खत्म करनी होगी। हां, कोम्प्टीशन का डर मन से हटा दे। ये सब आपके माइंड में है रियल में नहीं। आप अपनी मेंटलिटी बदल कर देखो, ये चीज़ माइंड से खुद गायब हो जाएगी।

 

बस आपको ज्यादा एफर्ट करके अपने फील्ड में बेस्ट बनना है। जो भी आपके कोम्प्टीटर्स कर रहे है आपको उससे 10 गुना ज्यादा करना है। ज़्यादातर कंपनीज़ ऐसा कुछ खास नहीं करती जो उन्हें सबसे सक्सेसफुल बना सके। ये सब की सब सोसाइटी के लेवल तक ही ओपरेट करती है।

 

मगर आपको बेस्ट बनना है इसलिए आप 10X रुल फॉलो करते रहे। परसिस्टेंन्शी, कोन्सिसटेंशी और हिम्मत ये आपके हथियार है जो आपको बेस्ट बनने में हेल्प करेंगे। तो क्या आपके पास ये सब है ?

 

आपको वो करना है जिसे करने से बाकी लोग बचते है। गोल हासिल करने के लिए घिसे पिटे और आसान तरीके काम नहीं आते है क्योंकि आराम करने से कभी कोई इन्वेंशन नहीं हुई है। अगर आपको आउट ऑफ़ बोक्स चीज़े करनी है तो अपनी क्रियेटिविटी का भरपूर यूज़ करे।

 

अपने दिमाग के घोड़े खुले छोड़ दे। तभी कुछ बात बनेगी। क्या आपको हेयर(खरगोश) और टोरटोइज़ वाली स्टोरी याद है ? कैसे टोरटोइज़ रेस जीता था इतना स्लो और स्टीडी चलने के बावजूद? बेशक, इस स्टोरी से हम सबने ये सीखा है कि स्लो और स्टीडी ही बेस्ट तरीका है मगर रियल में आपको स्मार्ट भी बनना पड़ता है।

 

खरगोश तेज़ तो था मगर स्मार्ट नहीं था इसलिए टोरटोइज़ रेस जीत गया। नॉर्मली उसे जीतना नहीं चाहिए था क्योंकि उसने ऐसा कुछ ख़ास नहीं किया था। मगर आपको तो स्मार्ट बनना ही पड़ेगा अगर आपको अपनी रेस जीतनी है तो।

 

तो आगे बढिए और जो ज़रूरी है वो करे! जो भी करे स्मार्ट तरीके से करे! इसके लिए जो बन पड़े वो करे!

 

 

कोम्प्टीशन के बीच में सबकी नज़र में आना

 

अपनी फिल्ड का हीरो बनना है तो आपको लोगो की नजर में आना पड़ेगा।

अगर आप लोगो की नजरो में नहीं आये तो आप क्या करते है इस बात से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। आपको अँधेरे से बाहर निकलकर लाइट में आना होगा और आपकी विजिबिलिटी 10 गुना ज्यादा होनी चाहिए। हर तरफ सिर्फ आप ही आप छा जाये इसके लिए कुछ तैयारी तो करनी होगी।

आप जहाँ भी जाए अपनी सुपीरियरटी दिखाए। इसके अलावा फ़ास्ट होने के साथ-साथ परसिस्टेंट रहे। ऐसे कई केसेस है जहाँ लोगो ने रेगुलर चीज़ को छोड़कर एक्स्ट्राआर्डिनरी अचीव करने का गोल सेट किया और अचीव भी किया है। भले ही उन्हें कई सारे चैलेंजेस फेस करने पड़े। आपको फुल फ़ोर्स से इसी स्पिरिट से आगे बढना है। तभी लोग भी आपको नोटिस करेंगे।

 

 

सक्सेसफुल लोग कैसे होते है?

 

• सक्सेसफुल लोग इस मेंटलिटी के साथ जीते है कि कुछ भी इम्पोसिबल नहीं है।
• वे अपलेबल अपोरच्यूनिटी पर फोकस करते है।
• सक्सेसफुल लोग अनबिलीवेबल पर बिलीव करते है।
• वे अपने साथ साथ दुसरो की डेवलपमेंट चाहते है।
• सक्सेसफुल लोग अपने गोल्स अचीव करने के लिए मैसिव एक्शन लेते है।
• वे बीच रास्ते पर कभी नहीं छोड़ते।
• ऐसे लोग़ जो हिम्मत के साथ आगे बढ़कर चेंज लाते वही सक्सेसफुल कहलाते है।
• वे हाइली मोटीवेटेड रहते है और अपने गोल पर पूरी नजर रखते है।
• उन्हें कम्फर्ट ज़ोन कभी पसंद नहीं आता।
• वे टीम प्लेयर्स होते है।

 

Conclusion

इसमें कोई डाउट नहीं कि अब आप समझ ही गए होंगे कि किसी भी फील्ड में बेस्ट बनने के लिए आपको 10 गुना ज्यादा एफर्ट करना है।

ग्रांट कार्डोन के हिसाब से मैसिव सक्सेस इतनी भी आसान चीज़ नहीं है जो हासिल हो जाए। सक्सेस पानी है तो सोसाइटी के रूल्स भूल जाए।

आपको मीडियोक्रीटी और एवरेज से ऊपर उठना होगा, और साथ ही अपना कम्फर्ट ज़ोन भी छोड़ना पड़ेगा अगर सच में आपको सक्सेस चाहिए तो।

तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह The 10X Rule कैसा लगा ?

अगर आपके मन कुछ भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये

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आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
 
Wish You All The Very Best.

 

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