The Little Book of Common Sense Investing Book Summary in Hindi – द लिटिल बुक आफ कामन सेंस इंवेस्टिंग (The Little Book of Common Sense Investing) में हम स्टाक मार्केट में अपने पैसों को अच्छे से इंवेस्ट करना सीखेंगे। यह किताब हमें बताती है कि एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स में पैसे लगाना क्यों नुकसान से भरा है और आप किस तरह से इस नुकसान से बच सकते हैं। यह किताब हमें लो कास्ट इंडेक्स फंड के फायदों के बारे में बताती है।
क्या आप स्टाक मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं, क्या आप एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स के जरिए अपना पैसा स्टाक मार्केट में लगाते हैं, क्या आप अपने पैसों को इंवेस्ट करने का बेहतर तरीका जानना चाहते हैं तो ये बुक आपके लिए है।
लेखक
जॉन सी बोग्ले (John C. Bogle) अमेरिका के एक इंवेस्टर, बिजनेस मैग्नेट और एक फिलैन्ट्रोफिस्ट थे। वे वैन्गार्ड ग्रुप के फाउंडर और चीफ एक्सेक्यूटिव थे। उन्हें दुनिया का सबसे पहला इंडेक्स फंड बनाने का क्रेडिट दिया जाता है। जनवरी, 2019 में उनकी मौत हो गई।
स्टाक मार्केट का नाम सुनकर कुछ लोग डर जाते हैं और कुछ लोग खुश हो जाते हैं। यह एक ऐसी जगह हैं जहां पर बिना कुछ काम किए आप बहुत सारा पैसा कमा भी सकते हैं और बिना कुछ खरीदे बहुत सारा पैसा डुबो भी सकते हैं। लेकिन अगर आपके पास ही जानकारी और सही साधन हो तो आप इससे बहुत सारे फायदे कमा सकते हैं।
यह किताब हमें बताती है कि जो बहुत से लोग कर रहे हैं वे किस तरह से गलत है। यह किताब हमें एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स के नुकसान के बारे में बताती है और इसके अलावा दूसरी जगह पर अपने पैसे लगाने के फायदों के बारे में बताती है जहां से आप एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स के मुकाबले बहुत अच्छा फायदा कमा सकते हैं। यह किताब हमें उस दूसरी जगह के बारे में बताती है।
बहुत से लोगों को स्काट मार्केट की बातें कम समझ में आती हैं। वे एक स्टाक की कीमत का अंदाजा नहीं लगा पाते और इसलिए अक्सर अपने पैसे डुबो आते हैं। ऐसे में वे अपने पैसे एक्टिवली मैनेज्ड फंड को देते हैं जहां पर एक जानकार व्यक्ति बहुत सारे लोगों से पैसे लेकर उन्हें अपनी जानकारी के हिसाब से स्टाक मार्केट में लगाता है और फायदों का हिस्सा उन्हें दे देता है।
लेकिन इस तरह से पैसे इंवेस्ट करने के खर्चे बहुत ज्यादा हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको फंड मैनेजर की फीस देनी होगी और साथ ही ब्रोकरेज फीस देनी होगी। इस तरह से आपके प्राफिट घट जाते हैं।
लेकिन अगर आपके इंवेस बहुत अच्छा पर्फार्म करते हैं, तो आपको इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर बार आपके स्टाक उतना अच्छा पर्फार्म कर जाएं।
आप अब तक यह जानते होंगे कि स्टाक को उस वक्त खरीदना है जब उनकी कीमत कम हो जाए और आने वाले वक्त में जब उनकी कीमत बढ़ जाए, तो उन्हें बेच देना है। लेकिन इससे आपको लम्बे समय में उस कंपनी से ज्यादा फायदा नहीं मिलता जिसमें आप अपना पैसा लगा रहे हैं। यह स्टाक मार्केट के ग्रोथ में दिखाई देता है।
अगर आपको अब भी लगता है कि आप लम्बे समय तक इस तरह से काम कर के फायदे में रहेंगे, तो इस एक्ज़ाम्पल को लीजिए। 1980 में अगर आप ने 10,000 डालर इंवेस्ट किए होते, तो 25 साल के बाद आपको 70% कम फायदा हुआ होता अगर आप यह काम एक्टिवली मैनेज्ड फंड के जरिए कर रहे होते।
यह पैसा आपको उस एक्सपर्ट मैनेजर की फीस की तरह उसे देना होगा। लो-कास्ट इंडेक्स फंड जो मार्केट की पर्फार्मेंस की नकल करते हैं, वे आपको इससे ज्यादा फायदे कमा कर दे सकते हैं।
मार्केट में कुछ ऐसे भरोसेमंद फंड हैं जो काफी समय से चल रहे हैं में और उनके नतीजे भी बहुत अच्छे आए हैं। लेकिन जैसा कि हमने कहा, लम्बे समय के लिए यह फायदेमंद नहीं हैं। अगर वह फंड अच्छा काम कर रही है, तो जाहिर सी बात है वो एक खास व्यक्ति यानी एक खास मैनेजर के भरोसे चलती है। वो मैनेजर एक ना एक दिन रिटायर जरूर होगा और उसके बाद जो मैनेजर काम करने के लिए आएगा, क्या भरोसा वो उतना ही अच्छा काम करे।
इसके अलावा आने वाले समय में बहुत से बदलाव होने वाले हैं। हम जिस रफ्तार से आज आगे बढ़ रहे हैं, आने वाले समय में मार्केट टेक्नोलॉजी की वजह से बहुत बदल जाएगी। क्या उस हालात में भी वो मैनेजर इस तरह से काम कर पाएगा?
इसके अलावा बहुत सारे फंड अच्छा काम नहीं करते। लम्बे समय में उनमें से बहुत सारे बैंकरप्ट हो जाते हैं। अगर हम डाटा की बात करें तो 1970 से 355 में से सिर्फ 24 ही आज मार्केट की मार से बचे हैं और वे कब तक बचकर रहेंगे, इसका कोई भरोसा नहीं है।
इंवेस्टर्स इस तरह के मैनेजरों को बहुत पैसा देते हैं ताकि ये अपनी जानकारी की मदद से उनका पैसा बचा सकें। लेकिन उनका यह तरीका बहुत ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला। फिर भी कुछ लोग कहेंगे कि उन्होंने अब तक जिस हिसाब से अपने पैसे इंवेस्ट किए हैं उस हिसाब से उन्हें हमेशा फायदा हुआ है। बहुत से ऐसे फंड हैं जिन्होंने खुद को साबित कर के दिखाया है और उनकी जानकारी के हिसाब से पैसे लगाना ठीक होगा।
ऐसे में आप एक बात भूल रहे हैं स्टाक मार्केट में उन लोगों ने जिन ट्रेंड्स को अपना कर इतने साल कामयाबी हासिल की है, वो ट्रेंड्स भविष्य में “खुद को नहीं दोहराएंगे। जैसा कि हमने देखा, कुछ फंड्स आज कामयाब तो हैं, लेकिन वे आने वाले समय में कामयाब नहीं रहेंगे।
मार्केट में अब भारत बहुत से लोग हैं जो एक्टिवली मैनेज्ड फंड के जरिए स्टाक मार्केट में अपना पैसा लगाते हैं। उनके ऐसा करने की दो वजह हो सकती है।
सबसे पहला तो यह कि उन्हें लगता है कि इस तरह से वे ज्यादा पैसे कमा सकते हैं और इसमें उनकी गलती नहीं है। वो एक्सपर्ट मैनेजर्स उन्हें बताते हैं कि वे कुछ ज्यादा फायदे कमा सकते हैं, लेकिन असल में उन्हें उतने ज्यादा फायदे नहीं मिलते।
इसके अलावा वे मैनेजर्स सिर्फ यह दिखाते हैं कि उनका पैसा, जो स्टाक मार्केट में लगाया जा रहा है, उससे कितना पैसा वापस आएगा। वे इस बात को नहीं जोड़ते कि उसमें उनकी फीस के पैसे भी लगाए गए हैं। वे एक तरफा बात करते हैं और सारे खर्चे को नहीं जोड़ते।
लगभग 99% फंड्स ने अपने इंवेस्टर्स को फायदों के बारे में बढ़ा चढ़ा कर बताया, लेकिन असल में उन्हें उतना ज्यादा फायदा नहीं हुआ था।
इसके बाद, दूसरा यह कि बहुत से लोग अपनी भावनाओं को खुद पर हावी होने देते हैं। उन्हें लगता है कि जो सब लोग कर रहे हैं वो सही होगा। ऐसा सोचकर बहुत सारे लोग उसी तरह से काम करने लगते हैं और फिर आने वाले लोग भी यही सोचते हैं कि इतने सारे लोग गलत तो नहीं कर सकते। इस तरह से वे अपना पैसा खो बैठते हैं।
मैनेजरों पर भी इन बातों का असर पड़ता है। वे भी आपके पैसे सबको देखते हुए लगाते हैं और गलती कर बैठते हैं। एक्ज़ाम्पल के लिए 1990 के दशक में आए मार्केट क्रैश को ले लीजिए। लगभग 1995 तक मार्केट में सिर्फ 18 अरब डॉलर लगाए गए थे लेकिन उसके बाद के पाँच सालों में लगभग 420 अरब डॉलर लगाए गए। उसके बाद मार्केट क्रैश कर गया और सबको उनकी गलती का एहसास हुआ।
सबसे पहले यह जानते हैं कि इंडेक्स फंड्स क्या होते हैं। इंडेक्स फंड्स में डाइवर्ल्ड पोर्टफोलियो होता है जिसमें मार्केट के एक खास सेक्टर पर पैसा लगाया जाता है, ना कि किसी एक स्टाक पर। इनके पोर्टफोलियो किसी एक स्टाक पर तय नहीं होते बल्कि इंडेक्स के हिसाब से काम करते हैं। इससे आपके फीस के और दूसरे पैसे बच जाते हैं और आप अपने पैसे के सारे फायदों का फायदा उठा सकते हैं।
इडेक्स फंड स्टाक पर नजर रखे रहते हैं और किसी एक स्टाक पर पैसा नहीं लगाते। दूसरे शब्दों में वे मार्केट की नकल करते हैं। वे पूरे मार्केट के एवरेज फायदों को दिखाते हैं। क्योंकि यह एक खास मार्केट सेक्टर के शेयर्स पर काम करती हैं, आपको खरीदने और बेचने की आपरेटिंग फीस, फाइनैंशियल कंसल्टेंट या फंड मैनेजमेंट फीस नहीं देनी होती और इस वजह से आपको ज्यादा फायदे होते हैं।
इन फंड्स में पैसे लगाने की एक और वजह यह है कि लम्बे समय में यह मैनेज्ड फंड के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होते हैं। बहुत से लोग कहेंगे कि इस तरह से स्टाक को पकड़ कर रखने से और कीमत बढ़ने पर ना बेचने से बहुत से मौके हाथ से निकल सकते हैं। लेकिन यहां पर बात लम्बे समय की हो रही है। हाँ, आप छोटे समय में मैनेज्ड फंड से ज्यादा फायदा कमा सकते हैं, लेकिन लम्बे समय में आपको जो भी फायदे या नुकसान होगा, उसका एवरेज इंडेक्स फंड के फायदों के एवरेज से कम आएगा।
इसके अलावा आपको जो बहुत सारे मैनेजमेंट फीस के पैसे देने होते थे, उससे आपके और पैसे बचेंगे। इस तरह से इंडेक्स फंड ज्यादा फायदेमंद हैं।
इंडेक्स फंड में भी आपको कुछ मैनेजमेंट फीस और आपरेटिंग के खर्चे देने होते हैं, लेकिन यह खर्च अक्सर 1% से कम होते हैं। लम्बे समय में इंवेस्ट करने से यह पैसे जुड़ जाते हैं। इन्हें एक्सपेंस रेशियो कहा जाता है।
फाइडेलिटी स्पार्टन इंडेक्स फंड का सालाना एक्सपेंस रेशियो सिर्फ 0.007% है और जेपी मार्गन के एक्सपेंस रेशियो सिर्फ 0.53% हैं। जब आप इन्हें कई साल तक इंवेस्ट करते रहते हैं तो यह सारे पैसे जुड़ जाते हैं । इसका मतलब इतने सालों में आप बहुत सारा पैसा इन खर्चों में डाल चुके होंगे।
समय के साथ इंडेक्स फंड्स में बदलाव होते रहते हैं। इसलिए आपको वो इंडेक्स फंड्स चुनने होंगे जिनका एक्सपेंस रेशियो कम से कम हो।
इंडेक्स फंड को सबसे पहले 1975 में बनाया गया था और अब उनकी गिनती 538 तक पहुंच गई है। जब इतने सारे इंडेक्स फंड्स साथ आ जाते हैं तो उनमें बहुत काम्पटीशन होने लगता है जिससे कि कुछ समस्या पैदा हो सकती है।
जो पुराने इंडेक्स फंड्स हैं, वे अपने एक्सपेंस रेशायो को कम से कम कर के लोगों को अपनी तरफ खींचती हैं और जो नए इंडेक्स फंड्स हैं, वे लोगों को बताते हैं कि उनके स्टाक पिकिंग के तरीके नए हैं और पुराने वाले इंडेक्स फंड्स के मुकाबले वे बहुत ज्यादा फायदा कमा कर दे सकते हैं।
एक्ज़ाम्पल के लिए कुछ नए इंडेक्स फंड्स जैसे न्यू कापरनिकन्स पुराने तरीकों से बिल्कुल काम नहीं करते। वे वेटेड मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के हिसाब से स्टाक नहीं चुनते बल्कि टोटल मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के हिसाब से स्टाक लाते हैं। वे कंपनी के एवरेज स्टाक प्राइज़ को शेयर नम्बर से मल्टिप्लाइ कर देते हैं। वे सबसे पहले यह देखते हैं कि एक कंपनी कितना कमा रही है और वे अपने डिविडेंट्स को कितना पैसा दे रहे हैं। इस तरह से वे अपने स्टाक के पोर्टफोलियो का रेशियो पता करते हैं।
ऐसे में यह पता करना मुश्किल होता है कि कौन सा ट्रेंड कब तक रहेगा और किसमें आपको अपना पैसा लगाना चाहिए। ऐसे में आपको उसमें अपना पैसा लगाना चाहिए जिसमें कम से कम कास्ट लगे ताकि आप होने वाले नुकसान से खुद को बचा सकें।
एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स में लम्बे समय के हिसाब से ज्यादा फायदेमंद नहीं होते। इसके अलावा, मैनेजरों की फीस और ब्रोकरेज फीस देने से आपके फायदे और कम हो जाते हैं। इंडेक्स फंड इसके मुकाबले बहुत अच्छे होते हैं। इसमें आप अपना पैसा किसी एक स्टाक पर ना लगा कर मार्केट के एक सेक्टर पर लगाते हैं जिससे लम्बे समय में आपको बहुत फायदा होता है।
फंड्स में इंवेस्ट करने से पहले फिर से सोचें।
अपने ज्यादातर पैसों को इंडेक्स फंड में इंवेस्ट कीजिए और अगर आप अपने पैसों के साथ कुछ एक्सपेरिमेंट करना चाहते हैं, तो थोड़े पैसे एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स में लगाइए। एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स के नुकसान के बारे में जानने के बाद भी अगर आप कुछ पैसा उसमें लगाना चाहते हैं तो 5% से ज्यादा मत लगाइए। इससे आपको कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि आप ने अपने 95% पैसों को इंडेक्स फंड में लगाया है जिससे मिलने वाला फायदा इस नुकसान को कवर कर लेगा।
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह The Little Book of Common Sense Investing Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
आज आपने स्टॉक मार्केटिंग में ट्रेडिंग के बारे में क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.