Hello दोस्तों, आज की इकॉनमी में एक अच्छी लाइफ जीने के लिए सिर्फ एक जॉब करना काफी नहीं होगा। अपनी वेल्थ को ग्रो करने के लिए सिर्फ सेविंग ही नहीं बल्कि इन्वेस्टमेंट भी करनी होगी। ये समरी आपको हर वो चीज़ बताएगी जो आप स्टॉक मार्केट और पर्सनल फाईनेंस के बारे में जानना चाहते हैं। ये एक रेगुगरली अपडेटेड गाईड है जो 1978 से इन्वेस्टर्स को गाईड करती आ रही है।
ये समरी किसे पढ़नी चाहिए?
- नए इन्वेस्टर्स को
- मिडल एज्ड एम्प्लोईज़ को
- हर वो इंसान जो फाईनेंशियली सिक्योर होना चाहता है
लेखक
एंड्रू टोबियास एक ब्लॉगर और राईटर हैं जो फाइनेंस और पॉलिटिक्स में स्पेशलिस्ट हैं। उनका काम टाइम, एस्क्वायर और न्यू यॉर्क मैगज़ीन में आ चुका है। उनकी बुक्स की दुनियाभर में एक मिलियन से भी ज़्यादा कॉपी बिक चुकी हैं। एंड्रू अभी अपना ब्लॉग मेंटेन कर रहे हैं और अपनी राईटिंग पर काम करते आ रहे हैं।
The Only Investment Guide You Will Ever Need
इंट्रोडक्शन
स्टॉक मार्केट एक डरावनी जगह लगती है. आपने लोगों के सारे पैसे डूब जाने की कहानियाँ सुनी होगी. इन्वेस्टमेंट में अजीबो-गरीब से नाम होते है जैसे covertibles, ऑप्शन्स, जीरो-कूपंस. ये सब आपको इतना हैरान करते है कि आप सोचने पर मजबूर हो जाते हो कि क्या आम आदमी स्टॉक्स मार्केट से प्रॉफिट कमा सकता है?
इस समरी में आप इन्वेस्टिंग के बेसिक्स सीखेंगे. कुछ भी करने से पहले आपको इन्वेस्ट करने लायक पैसा सेव करना होगा. आपको अपनी कॉस्ट को कम से कम करने के टिप्स भी दिए जाएंगे. साथ ही आपको अपने अकाउंट बैलेंस के स्टेबल होने से पहले सेफ इन्वेस्टमेंट्स के बारे में भी सीखने को मिलेगा.
ये समरी आपको स्टॉक ट्रेडिंग के इम्पोर्टेन्ट कॉन्सेप्ट्स बताएगी. आप सीखोगे कि स्टॉक्स कब खरीदने और कब बेचने चाहिए. कंपनी के शेयर खरीदने के अलावा आपको अलग-अलग टाइप के इन्वेस्टमेंट मेथड भी बताए जाएँगे. आप इन्वेस्टिंग के कई रूल्स और टिप्स के बारे में भी जानेंगे. जो पैसा आप अपनी जॉब से कमाते हो वो आपको अमीर बनाने के लिए काफी नहीं है. यहाँ तक कि इससे आप एक अच्छा घर, गाड़ी और अपने बच्चों की पढाई तक भी अफोर्ड नहीं कर सकते इसलिए इन्वेस्टमेंट करना आपके लिए ज़रूरी है. स्टॉक मार्केट उतना कॉम्प्लेक्स नहीं है जितना आप सोचते हो. कोई भी जो इस मार्केट का बेसिक्स जानता है वो अपने कॉमन सेन्स से स्टॉक मार्केट से पैसा कमा सकता है.
A Penny Saved is Two Pennies Earned
कई लोग ये नहीं जानते कि उनके इन्वेस्टमेंट इनकम पर भी टैक्स लगता है. ये नुकसानदायक है क्योंकि ज़्यादातर लोगों को अपना टैक्स रेट पता नहीं होता. जैसे, मान लो कोई हर महीने $10,000 कमाता है और $1,000 टैक्स भरता है. ये इंसान 10% टैक्स ब्रैकेट में नहीं आता. 10% एक एवरेज टैक्स है जो वो पे करता है.
आपकी इनकम टैक्स ‘graduated’ होती है. इसका मतलब कि आप शुरुआती कुछ हज़ार डॉलर्स पर टैक्स नहीं चुकाते हैं. इस तरह इनकम में जितना इज़ाफा होता जाएगा, टैक्स रेट बढ़ता जाएगा. कई अमेरिकन्स को अपने लास्ट के कुछ हज़ार डॉलर्स के लिए 35% टैक्स पे करना पड़ता है. रेगुलर बिजनेसमैन जो ऐशो=आराम का लाइफस्टाइल नहीं जीते हैं वे अक्सर 50% के टैक्स ब्रैकेट में आते है.
इमेजिन करो कि आप 50% टैक्स ब्रैकेट से ठीक बाहर हो. अब आप कोई इन्वेस्टमेंट करते हो और उससे $1,000 कमाते हो तो ये आपको 50% ज़ोन में ले आएगा और ऑथोरिटीज़ आपके $1,000 में से 50% यानी $500 ले लेगी. आपकी आधी इन्वेस्टमेंट इनकम तो गवर्नमेंट को अमीर बनाने में निकल जाती है.
टैक्सेशन की ये प्रॉब्लम दिखाती है कि अमीर बनने के लिए ज़्यादा कमाना इनइफेक्टिव तरीका नहीं है. कम पैसा ख़र्च करना इससे ज़्यादा बेहतर ऑप्शन है. मान लो आपने लेटेस्ट आईफोन ना खरीदकर $1,000 बचाए. इस डिसीजन के लिए आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना है तो इसलिए एक डॉलर बचाने की वैल्यू एक डॉलर कमाने से डबल होती है.
अगर आप एक मिनट के लिए गौर करे तो पाएंगे कि पैसे बचाने के मौके हर जगह मौजूद है. जैसे, फ़ूड और ड्रिंक को ही ले लो. कई अमेरिकन्स हर वीकेंड पर रेड वाइन की एक bottle लेना पसंद करते है. एक अच्छी वाइन की bottle $10 तक में आ सकती है.
लेकिन आप 12 वाइन bottle का केस भी खरीद सकते हो. एक केस खरीदने पर आपको हर bottle पर 10% का डिस्काउंट मिलता है यानि केस आपको टोटल $108 में मिलेगा. इसका मतलब कि आपने हर bottle पर $1 बचाए यानि एक साल में आप करीब $52 बचा पाएँगे. चलिए इसे इन्वेस्टमेंट के तौर पर ऐनालाईज़ करते है.
आमतौर पर, आप हर हफ़्ते एक bottle वाइन के लिए $10 पे करोगे. लेकिन अब आप हर 12 हफ़्तों के लिए $108 खर्च कर रहे हो. इसका मतलब कि आप नॉर्मल से $98 ज़्यादा ख़र्च करोगे. अब ये $98 आपका “इन्वेस्टमेंट” होगा. आपके इन्वेस्टमेंट पर आपको $52 का return मिलेगा जो 53% का प्रॉफिट है जोकि स्टॉक मार्केट में भी मुश्किल से ही मिलता है.
इसके बजाय एक और सीधा मेथड है अपने ख़र्चे को 20% कम करने का और वो है अपने क्रेडिट कार्ड के बिल को टाइम पर भरना. करीब 60% से ऊपर अमेरिकन्स अपने क्रेडिट कार्ड के लिए 18% से भी ज़्यादा इंटरेस्ट रेट पे करते है. कई लोग अपने सेविंग एकाउंट में पैसा रहते हुए भी ऐसा करते है और इन सेविंग्स पर उन्हें सिर्फ 2% इंटरेस्ट ही मिलता है.
अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड को ठीक से यूज़ करते है तो हर डॉलर जो आप खर्च करते है, उस पर आप 2% कमा सकते है. ऐसे कार्ड ढूंढें जो साल के अंत में कैशबैक ऑफर करते हो. ज़्यादातर क्रेडिट कार्ड होटल और रेस्टोरेंट्स पर काफी बड़ा डिस्काउंट देते है और ये काफी बढ़िया एयरलाइन्स की डील्स भी देते है.
ठीक इसी तरह अपने बैंक के लोन के साथ भी सावधान रहे. हमेशा डबल चेक करे और अपनी पेमेंट को recalculate करे. इस बुक के ऑथर एंड्रू टोबियास ने एक बार एक बैंक से 7.5% इंटरेस्ट रेट पर $400,000 का लोन लिया था. एक साल बाद बैंक ने कहा कि उन्होंने उनका इंटरेस्ट रेट कम करके 7% कर दिया है. उनकी मंथली पेमेंट $4,670 थी. एंड्रू ने नोटिस किया कि ये उनके कैलकुलेशन से करीब $10 ज़्यादा था.
$10 शायद आपको बड़ा अमाउंट ना लगे लेकिन और स्टडी करने के बाद एंड्रू ने देखा कि बैंक उनसे $407,000 पर इंटरेस्ट चार्ज कर रहा था. जब उन्होंने बैंक को कॉल किया तो पता चला कि सिस्टम ने उन्हें $7000 के इंश्योरेंस प्लान के लिए रजिस्टर किया है. अगर एंड्रू अपने लोन को फॉलो-अप नहीं करते तो उन्हें 7% इंटरेस्ट के हिसाब से $7000 एक्स्ट्रा चुकाना पड़ता.
कई जवान लोग एक अच्छी गाडी लेने का सपना देखते है. इसी वजह से वो लीजिंग या फाईनेंसिंग स्कीम पर पैसा ख़र्च करते है. ये लॉन्ग टर्म लोन का आईडिया गलत है क्योंकि गाड़ियाँ लम्बे वक्त तक नहीं चलती. कुछ सालों बाद आप या तो उन्हें बदल दोगे या उनकी मेंटेनेंस और रिपेयर पर आपका खर्चा होता रहेगा.
तो क्या इसका मतलब है कि आपको कभी गाडी नहीं खरीदनी चाहिए? नहीं, ऐसा नहीं है. इसका मतलब ये है कि आपको कार तभी खरीदनी चाहिए जब आपके पास इसे खरीदने लायक पैसा हो. मार्केट में कई सेकंड हैण्ड सस्ती गाड़ियाँ मिलती है. कोई भी कम तेल खाने वाली गाडी उठा लो. ये “बजट कार” आपको किसी दिन पैसे सेव करके एक ब्रांड न्यू कार खरीदने में हेल्प करेगी.
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढती है, आप फैंसी चीज़ों जैसे कार और फैशन के पीछे भागना बंद कर देते हो. लाइफ में कुछ सालों बाद मेडिकल केयर एक बड़ा ख़र्चा बन जाता है. सस्ते मेडिसिन brands के बारे में अपने डॉक्टर से पूछें. ज्यादातर बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनीज़ महँगी दवाइयाँ बेचती हैं. छोटे ब्रैंड सेम दवाई उससे काफ़ी कम दाम पर बेचते है. साथ ही ये देखो कि आपको अपनी दवाई बड़े साइज़ में मिल सकती है या नहीं . एंड्रू अपनी हार्ट प्रॉब्लम के लिए लिपिटर नाम की दवाई लेते हैं. 80mg गोली के 30 पीस के पैक का दाम 40mg के बराबर था तो लिपिटर का 80mg वाला पैक खरीदकर उसमें से हर dose के लिए आधी गोली लेकर एंड्रू 50% पैसा बचाते है.
दवाई हमारी हेल्थ के लिए ज़रूरी है लेकिन इससे बैटर होगा कि हम अपने फिजिकल हेल्थ के लेवल को इम्प्रूव करें ताकि कोई दवाई लेनी ही ना पड़े. कई लोग जब उन्हें अपनी फिटनेस इम्र्पूव करनी होती है तो वो जिम का मेंबरशिप लेते है. जिम जाना पैसे की बर्बादी है क्योंकि लोग शायद ही जिम जाने का टाइम निकाल पाते हो. इसके अलावा जिम सिर्फ सीरियस बॉडी बिल्डर्स और स्ट्रेंग्थ ट्रेनर्स के लिए हेल्पफुल है. आप घर पर ही पुश-अप्स, क्रंचेस और squats जैसी एक्सरसाइज़ कर सकते हो. पास-पडोस में walk करके आप अपने स्टेमिना को बढ़ा सकते हो. आम लोगों के लिए फिट रहने के लिए इक्विपमेंट बेकार की चीज़े है.
फिटनेस की तरह ही मेंटल डेवलपमेंट और एजुकेशन भी इम्पोर्टेंट है. हम आमतौर पर इसे रीडिंग के ज़रिए इम्र्पूव करने की कोशिश करते है. अपनी रीडिंग हैबिट्स को इम्प्रूव करने के लिए किसी लाइब्रेरी की मेंबरशिप लेना सबसे सस्ता और बढिया ऑप्शन है और ज्यादातर तो यही होता है कि एक साल की मेम्बरशिप लेना दो या 3 बुक्स खरीदने से ज़्यादा सस्ता पड़ता है.
The Case for Cowardice
फ़ाईनेन्स में एक फेमस कहावत है “एक बड़ा रिस्की इन्वेस्टमेंट जिंदगी भर की सेफ इन्वेस्टिंग से आपको ज़्यादा कमाकर दे सकता है”. ये कहावत एकदम सही है. लेकिन असल में गिने चुने लोगों को ही अपना “ग्रेट इन्वेस्टमेंट” मिल पाता है और खासकर जो लोग प्रोफेशनल इन्वेस्टर्स नहीं होते, उन्हें तो ये और भी मुश्किल से मिल पाता है.
एक और कहावत है जो हमारे जैसे आम लोगों के लिए ज़्यादा सही है कि “इन्वेस्टमेंट आपको वो देता है जिसके लिए आप पे करते है”. अगर आपको बड़ा बोनस चाहिए तो काफी बड़ी अमाउंट का रिस्क तो लेना ही पड़ेगा और याद रहे कि आप ज़्यादा सेफ इन्वेस्टमेंट से ईजिली अच्छा पैसा कमा सकते है.
स्टॉक्स खरीदना बेशक सेफ इन्वेस्टमेंट से ज़्यादा बड़ा फ़ायदा दे सकता है लेकिन ये याद रहे कि उन rewards से पहले पांच साल तक आपको घाटा भी हो सकता है. स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना सिर्फ उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके पास आने वाले कुछ सालों तक के पैसा जमा हो. तब तक, आप फाईनेंशीयली इतने स्टेबल नहीं है कि रिस्क हैंडल कर सके.
हमारे जैसे लोगों के लिए जो अभी तक ज़्यादा सेविंग नहीं कर पाए है, दो टाइप की सेव इन्वेस्टमेंट है. ये है – short टर्म इन्वेस्टमेंट और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट. आपको इस बेस पर कोई एक चूज़ करना होगा कि आप अपना पैसा कब पाना चाहते है.
पहला short टर्म इन्वेस्टमेंट है, मनी मार्किट फण्ड. ये फंड्स कई लोगों से पैसे कलेक्ट करते है. फिर ये इस पैसे को गवर्नमेंट और बड़े बिजनेसेज़ को लोन के तौर पर देते है. ये फंड इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि लोन चुका दिया जाएगा.
इन लोन्स से मिले इंटरेस्ट को मेंबर्स में डिवाइड किया जाता है जिन्होंने फंड में इन्वेस्ट किया है. इस बात की गारंटी नहीं है कि आपको हर महीने एक छोटा अमाउंट मिलेगा. ऐसा फंड चूज करो जो अपने मेंबर्स से कम से कम फी चार्ज करते हो. लेकिन ये चेक कर लो कि कौन मनी मार्केट अकाउंट ऑफर करता है. ये फंड्स कोई भी ऐरी-गैरी फाईनेंस कंपनी ऑर्गेनाईज नहीं करती बल्कि जाने-माने बैंक्स करते है.
ट्रेजरी बिल्स दुनिया के सबसे सेफ short टर्म इन्वेस्टमेंट है. बेसिकली गवर्नमेंट इस तरह से short टर्म लोन्स लेते है. यूएस में, एक ट्रेजरी बिल $100 में खरीदा जा सकता है और 1,3, 6 या 12 महीने बाद वापस गवर्नमेंट को बेचे जा सकते है. इससे आप हाई इंटरेस्ट रेट कमा सकते है और गवर्नमेंट आपको गारंटी के साथ पे करती है.
ट्रेजरी bonds और ट्रेजरी नोट्स लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट होते है. ये ट्रेजरी बिल्स की तरह है लेकिन गवर्नमेंट उन्हें थोड़े और लम्बे पीरियड के बाद चुकाती है. ट्रेजरी नोट्स 2-10 साल के हो सकते है, ट्रेजरी bonds 10 से ऊपर स्टार्ट होते और 30 सालों तक जा सकते है. टिपिकली bonds से ज़्यादा स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना बैटर है. लम्बे अरसे से स्टॉक मार्केट, bond से ज़्यादा अच्छे रिटर्न्स देते आ रहे है. लेकिन हाई इंटरेस्ट रेट के साथ इकॉनोमिक क्राइसिस ट्रेजरी bonds बैटर ऑप्शन होते है.
ट्रेजरी bonds, नोट्स और बिल्स में एक कमी है. जो प्रॉफिट आपको इनसे मिलता है उस पर टैक्स लग सकता है. लेकिन एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट है जो इसे अवॉयड कर सकता है, वो है म्यूनिसिपल bonds. ये ट्रेजरी bonds की तरह होते है लेकिन इन्हें सिटी council issue करती है. जैसे example के लिए, आप न्यू यॉर्क सिटी को लोन दे रहे हो नाकि पूरे यूएस को.
म्यूनिसिपल bonds अक्सर टैक्स फ्री होते है. इसके अलावा ये ट्रेजरी bonds की तरह ही सेफ होते है. वो इसलिए क्योंकि नेशनल गवर्नमेंट शेह्राओं को दिवालिया नहीं होने देती. हालाँकि अगर कोई शहर फाईनेंशियल क्राइसिस सफर करती है तो आपको अपना पैसा जल्दी मिलने वाला नहीं है. स्टेट्स को ऐसे इवेंट के बाद अपने फाईनेंस को एडजस्ट करने में कुछ साल लग जाते है.
Convertible bonds कंपनीज़ में किए गए लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट होते है. ये एक corporation को दिए गए लोन की तरह है जो इंटरेस्ट पे करता है. लेकिन ट्रिक यहाँ ये है कि आप इन bonds को कंपनी के शेयर्स में “कन्वर्ट” यानी बदल सकते है. ये इन्वेस्टिंग में एक्सपीरिएंस बढ़ाने का सबसे बढिया तरीका साबित हो सकता है.
अगर कोई कंपनी ख़राब परफॉर्म कर रही है तो अपने bonds कन्वर्ट मत करो. गांरटीड इंटरेस्ट पेमेंट लो. लेकिन अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म कर रही है तो आप bonds को स्टॉक में कन्वर्ट कर सकते हो. आप बाद में उन्हें बेचकर प्रॉफिट कमा सकते हो. हालाँकि bonds को कन्वर्ट कब करना है, ये जानने के लिए रिसर्च करना होगा. अगर आपके पास स्टडी करने का टाइम नहीं है तो convertible bonds में इन्वेस्ट मत करो.
फाईनल लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट जो आपको कंसीडर करनी चाहिए वो है जीरो-कूपन bonds . ये रेगुलर लोन की तरह काम नहीं करते. ये सस्ते बिकते है और एक वक्त के बाद एक फिक्स्ड अमाउंट देने का वाद करते है. अब जैसे उस इन्वेस्टमेंट का ही example ले लो जो एंड्रू ने 1994 में किया था.
कॉस्मेटिक्स कंपनी रेवलोन 43 सेंट के रेट पर जीरो-कूपन bonds ऑफर कर रही थी. 4 साल बाद वो हर bond के लिए एक डॉलर पे करने वाले थे. इसका मतलब हुआ इन्वेस्टमेंट पर 132.5% का return. रिस्क बस इतना था कि अगर कंपनी दिवालिया हो गई तो एक पैसा नहीं मिलने वाला था. इसके बावजूद bonds इतने सस्ते थे कि इसके सामने रिस्क बहुत छोटा लग रहा था.
याद रखो, ये सेफ इन्वेस्टमेंट्स आपके शुरूआती इन्वेस्टिंग करियर के लिए काफी अच्छे रहते है. लेकिन इससे आपको ज़्यादा कमाई नहीं होती. अगर आप 40 साल तक अपनी सैलरी से 20% सेव करते है तो आपके पास सिर्फ इतनी सेविंग होगी जो 8 साल चल सके. टैक्स और इन्फ्लेशन के साथ ये टाइम और भी कम हो जाता है. सेफ इन्वेस्टमेंट इस टाइम को 4 या 5 साल आगे बढ़ा सकता है इसलिए आप सिर्फ bonds , बिल्स और मनी मार्केट फंड्स के भरोसे अपना रिटायरमेंट फंड नहीं बना सकते.
आख़िरकार आपको स्टॉक मार्केट के रिस्क को एक्सेप्ट करना ही होगा लेकिन इन खतरों से निपटना मुश्किल है. यही वजह है कि सेफ इन्वेस्टमेंट सबके लिए ज़रूरी है. जब आपके पैसे का एक हिस्सा हमेशा सिक्योर होगा तो आप बाकि इन्वेस्टमेंट्स के रिस्क भी आसानी से मैनेज कर पाएँगे.
Meanwhile, Down at The Track
अब आपने इतना पैसा तो सेव कर लिया होगा कि आप स्टेबल होंगे. इसमें से कुछ पैसा सेफ़ इन्वेस्टमेंट्स में धीरे-धीरे ग्रो कर रहा है. अब टाइम है कि स्टॉक्स की तरफ ध्यान दिया जाए. आपको इन्फ्लेशन से लड़ने के लिए स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहिए. इसका मतलब है कि गुड्स और सर्विसेज़ टाइम के साथ और महंगे होते जाएँगे. जरा अपने बचपन के दिन याद कीजिए. क्या उन दिनों सब कुछ सस्ता नहीं होता था? मान लो आपने आज से 10 साल पहले ट्रेजरी bonds में इन्वेस्ट किया था. अब हर चीज़ महंगी हो रही है तो इसका ये मतलब नहीं है कि उनका इंटरेस्ट रेट भी बढ़ जाएगा.
अब मान लो आपने किसी बिजनेस में इन्वेस्ट किया जो प्रोडक्ट मेन्यूफेक्चर करते हो. example के लिए, साबुन बनाने वाली कंपनी को ले लो. इन 10 सालों में साबुन की कीमत बढ़ी होगी. कायदे से, इन्फ्लेशन से लड़ने के लिए कंपनी का प्रॉफिट और वैल्यू भी बढ़ा होगा. कई बार कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी और इन्फ्लेशन रेट से ज़्यादा तेज़ी से ग्रो करेगी.
ये सिंपल example दिखाता है कि सिर्फ स्टॉक मार्केट ही आपको इन्फ्लेशन को बीट करने का शॉट दे सकता है. लेकिन हिस्ट्री पर एक सरसरी निगाह डाले तो पाएंगे कि एवरेज तौर पर स्टॉक्स बेस्ट इन्वेस्टमेंट है. एक स्टडी ने यूएस ट्रेजरी बिल्स, convertible bonds और स्टॉक्स को कम्पेयर किया. ये उस प्रॉफिट को ऐनालाईज़ करती है जो आपने 1926 से 2015 के बीच कमाया. एवरेज तौर पर ट्रेजरी बिल्स 3.7% per year की रेट से बढ़ा है. कॉर्पोरेट bonds का रेट 5.9% और स्टॉक मार्केट 9.8% के हिसाब से ग्रो हुआ. 1926 में $1000 के ट्रेजरी बिल्स 2015 में $20,530 के हो गए होंगे. लेकिन स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट $1000 से 2.5 मिलियन डॉलर्स से भी ज़्यादा ग्रो कर चुकी होगी.
स्टॉक मार्केट आपकी कमाई को टैक्स से भी बचाता है. जो पैसा आपको स्टॉक्स बेचकर मिलता है उसे “कैपिटल गेन्स” कहा जाता है. इस पर आपकी सैलरी या bonds पर एवरेज इंटरेस्ट से भी कम टैक्स लगता है.
कुछ कंपनियाँ अपने शेयर होल्डर्स को “डिविडेंड” देती है. इसका मतलब कि आपको कंपनी के प्रॉफिट में से कुछ परसेंट मिलता है. इस इनकम पर भी कम टैक्स लगता है. डिविडेंड मिलने से आपके स्टॉक की वैल्यू कम नहीं होती.
कई लोग स्टॉक मार्केट से डरते है क्योंकि ये कॉम्प्लेक्स लगता है. लेकिन इसके जड़ में शेयर्स के ज़रिए पैसा कमाने का सिर्फ 2 तरीका है. ये है डिविडेंड और कैपिटल गेन्स. बाकि सारे इन्वेस्टमेंट्स इन 2 कॉन्सेप्ट्स के इर्द-गिर्द ही घूमते है.
इसके अलावा सिर्फ 2 ऐसे फैक्टर्स है जो आपके स्टॉक्स का प्राइस कण्ट्रोल कर सकते है. ये है डर और लालच. स्टॉक के प्राइस तब गिर जाते है जब लोगों को लगता है कि कंपनी खराब परफॉर्म करेगी और इस डर से वो अपने स्टॉक बेच देते है. प्राइस तब बढ़ते है जब लोग लालची हो जाते है. उन्हें लगता है कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी और इसलिए ज़्यादा प्रॉफिट कमाने के लालच में वो और ज़्यादा शेयर्स खरीद लेते है.
स्टॉक्स ट्रेडिंग का पहला सीक्रेट है, तब खरीदो जब प्राइस कम हो. कई लोग तब स्टॉक्स खरीदते है जब स्टॉक मार्केट ऊपर जा रहा होता है. लेकिन ये एक गलत स्ट्रेटेज़ी है. जब प्राइस ज़्यादा है तो ये उससे आगे नहीं जा पाएगा. आपको तब खरीदना चाहिए जब प्राइस कम हो और स्टॉक वैल्यू के ग्रो करने के लिए और ज़्यादा स्पेस हो.
जब आप कंपनी में इन्वेस्ट करते हो तो सिर्फ एक इंडस्ट्री पर फोकस मत करो. ज्यादातर सेम सेक्टर के स्टॉक्स साथ में उपर चढ़ते है और साथ में गिरते है. इसका मतलब अगर माइक्रोसॉफ्ट फेल हुआ तो Apple की वैल्यू भी गिरेगी. नुक्सान से बचने के लिए अलग-अलग इंडस्ट्री में इन्वेस्ट करो.
सबसे पॉपुलर स्टॉक्स वो होते है जो आपको सबसे ज़्यादा अवॉयड करने चाहिए. याद रखो, स्टॉक की वैल्यू तभी बढ़ेगी जब ज़्यादा लोग उसे खरीदेंगे और अगर हर कोई एक ही कंपनी में इन्वेस्ट कर रहा है तो आपके ज्वाइन करने का कोई पॉइंट नहीं बनता. ऐसी कंपनी के शेयर सबसे पहले गिरते है.
इन्वेस्टिंग में सबसे ज़रूरी स्किल है ये पता होना कि स्टॉक को कब बेचना है. लोग आमतौर पर डर के मारे अपने शेयर्स बेच देते है लेकिन सिर्फ इसलिए मत बेचो कि कोई आपको ये कहकर डरा रहा है कि मार्केट गिरने वाला है. आपको तब बेचना चाहिए जब आपको लगे कि शेयर की कीमत एक अच्छा वैल्यू नहीं दिखा रही है. इसका मतलब है कि ये कंपनी की एक्चुअल वैल्यू से आगे जा चुका है.
आप इंडीविजुअल कंपनीज़ में इन्वेस्ट करके हमेशा प्रॉफिट नहीं कमा सकते. कई बार आपके इन्वेस्ट करने के बाद ये लगातार नुक्सान में जाने लगती है. तो सोल्यूशन ये है कि सिर्फ म्यूचवल फंड्स में इन्वेस्ट किया जाए. ये इन्वेस्टमेंट ग्रुप्स होते है जिन्हें फाईनेंस एक्सपर्ट मैनेज करते है. कई लोग इस फंड में इन्वेस्ट करते है और एक्सपर्ट उस पैसे को स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते है.
हालाँकि एक सिंगल कंपनी भी फेल हो सकती है, लेकिन अगर आप लम्बे वक्त तक वेट करोगे तो मार्केट हमेशा ग्रो करेगा. एक अच्छा मयूच्वल फंड पूरे मार्केट को कवर करता हुआ कई हेल्दी बिजनेसेज में इन्वेस्ट करता है. यहाँ तक कि बुरे सालों में भी डॉलर-कॉस्ट एवरेजिंग से आपको फायदा होगा.
मान लो आप सकोफ इलस्ट्रेशन फंड नाम के म्यूचवल फंड में इन्वेस्ट करते हो. आप हर साल $3,000 इन्वेस्ट करने का प्लान बनाते हो. पहले साल में शेयर प्राइस है $25. उसके बाद ये बढ़कर $45 पहुँच जाता है. और तीसरे साल में शेयर प्राइस घटकर $5 हो जाता है. फाईनली चौथे साल में मार्केट अपने ओरिजिनल पोजीशन में वापस आता है. एक शेयर अब $25 ज़्यादा हो गया है.
4 सालों में आपने शेयर्स पर $12,000 खर्च किए. पहले और चौथे साल में आपको अपने $3,000 के लिए 120 शेयर्स मिलते है और दुसरे और तीसरे साल में आपको 67 और 600 शेयर्स मिलते है. तो आपने कैसे किया ? एवरेज शेयर प्राइस पिछले 4 सालों में $25 था तो क्या इसका मतलब है कि आपने कोई प्रॉफिट नहीं कमाया?
अगर आप 907 शेयर्स को $25 से मल्टीप्लाई करो तो आपको $22,000 से ऊपर मिलेगा. एवरेज शेयर प्राइस $25 का होने के बावजूद आपने $10,000 से ज़्यादा प्रॉफिट कमाया. ये प्रॉफिट मिलता है क्योंकि जब प्राइस हाई थे तो आपने कम शेयर खरीदे थे. आपको 600 शेयर्स मिले जब प्राइस लो था. डॉलर कॉस्ट एवरेजिंग तब है जब आप हर साल एक फिक्स्ड अमाउंट इन्वेस्ट करके एवरेज से ज़्यादा कमाते है.
Choosing (To Ignore) Your Broker
स्टॉक ब्रोकर वो होता है जिसके पास स्टॉक्स बेचने का लाईसेंस होता है. सारे रेगुलर सिटीजन्स को ब्रोकर के जरिए ही शेयर खरीदने और बेचने पड़ते है. आमतौर पर ये ब्रोकर्स एडवाइजर्स के तौर पर भी काम करते है. ये आपको बताते है कि आप कब अपने शेयर्स बेच सकते हो. ब्रोकर्स ये भी एडवाइस देते है कि कौन से स्टॉक्स खरीदने चाहिए.
ब्रोकर्स के साथ प्रॉब्लम ये है कि बहुत कम ब्रोकर मार्केट से ज़्यादा अच्छा परफॉर्म कर पाते है. बेस्ट ब्रोकर्स अक्सर आम लोगों की पहुँच से दूर होते है. ये लोग आमतौर पर billionaires के लिए काम करते है और हर साल $500,000 से ज़्यादा का फीस लेते है.
लेकिन कई ad है जो ऐसे सस्ते ब्रोकर्स की बात करते है जो मार्केट को कंसिस्टेंटली बीट कर सकते है. ये रिजल्ट ज़्यादातर लक पर डिपेंड करते है. अब जैसे ये example लो. मान लो 256 लोग एक कमरे में है. आपने एक सिक्का उछाला और उनसे हेड्स या टेल चूज़ करने को कहा. मान लो 128 लोग हेड्स चूज़ करते है और 128 टेल्स तो उनमें से आधे लोग सही होंगे. इसी एक्सपेरिमेंट को 8 बार रिपीट करो. Probabality के रूल्स के हिसाब से 256 में से 1 इंसान को 8 बार एकदम सही पिक करना चाहिए. तो क्या वो जीनियस है या सिर्फ लकी?
स्टॉक मार्केट भी इसी एक्सपेरिमेंट की तरह काम करता है. हर साल आधे ब्रोकर्स मार्केट से बैटर परफॉर्म करते है और आधे एकदम बेकार. अब इमेजिन करो कि कुछ लोग आपसे ये बात छुपा रहे है कि कितने साल उन्होंने बेकार परफॉर्म किया था. वो सिर्फ अपने अच्छे रिजल्ट्स को advertise करते है. इस तरह आप कई ब्रोकर्स को “बीट द मार्केट” का वादा करते हुए देखते है.
इसके अलावा ब्रोकर्स मुश्किल से मार्केट को स्टडी करने का टाइम निकाल पाते है. वो हमेशा क्लाइंट्स की तलाश में जुटे रहते है. ब्रोकर्स अपना ज्यादातर टाइम इन्वेस्टमेंट पैकेज ऑफर करने के लिए फ़ोन कॉल करने में गुजारते है. उन्हें पेपर वर्क भी करना होता है और ट्रेडिंग भी. वो सेल्समैन होते है. एक्चुअल मार्केट एनालिस्ट को “इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स” कहा जाता है.
लेकिन स्टडीज़ की माने तो मार्केट को ऐनालाईज़ करना ज़्यादा काम नहीं आता. फोर्ब्स मैगजीन के एडिटर्स ने 1967 में एक एक्सपेरिमेंट किया था. उन्होंने न्यू यॉर्क टाइम्स के बिजनेस सेक्शन की एक कॉपी ली फिर एडिटर्स ने पेपर को एक दीवार पर टांग दिया और उस पर 30 डार्ट्स फेंके.
जहाँ जहाँ डार्ट ने हिट किया था, फोर्ब्स के एडिटर्स ने हर उस बिजनेस पर $1000 इन्वेस्ट किए. 1982 तक उनकी $30,000 की इन्वेस्टमेंट ग्रो होते-होते करीब $72,000 तक पहुँच गई थी जोकि वैल्यू में 240% का इन्क्रीज्मेंट था. उन 15 सालों में मार्केट सिर्फ 35% ग्रो हुआ था. यूएस के आधे इन्वेस्टमेंट एडवाईजर्स ने मार्केट एवरेज से ज़्यादा खराब परफॉर्म किया था.
इन्वेस्टमेंट एडवाईजर्स और ब्रोकर्स के साथ प्रॉब्लम ये है कि वो कमीशन लेते है. इसका मतलब कि आपके हर transaction पर कुछ परसेंट उनकी जेब में जाता है. ये फीस आमतौर पर आपके बिल में छुपी होती है. एंड्रू ने एक साल तक उनकी फीस ख़ुद कैलकुलेट करके चेक किया. उन्होंने देखा कि ये उनके अपार्टमेंट के रेंट के बाद दूसरे नंबर का सबसे बड़ा खर्च था. ब्रोकर्स और इन्वेस्टमेंट एडवाईजर्स चाहते है कि आप ज़्यादा से ज़्यादा ट्रेडिंग करें. इस तरह ये लोग पैसा कमाते है. इसलिए जो एडवाइज आपको मिलती है, उससे आपका भला कभी नहीं होगा. कुछ महीनों के लिए कोई ट्रेडिंग नहीं करना बेहतर होगा, कोई ब्रोकर आपको ऐसा करने को नहीं बोलेगा.
कॉस्ट की वजह से आपके लिए बेहतर होगा कि आप इन एडवाईजर्स को अवॉयड ही करे. इसके बजाए कोई “डिसकाउंट ब्रोकर” हायर करने की सोचे. ये वो होते है जो ना के बराबर फीस चार्ज करते है. ये आपको इन्वेस्टमेंट एडवाइज ऑफर नहीं करेंगे. वो सिर्फ वही ट्रेड करेंगे जो आप उन्हें करने को बोलोगे.
इंडेक्स फंड्स ट्रांजेक्शन कॉस्ट को कम करने के लिए बेस्ट इन्वेस्टमेंट है. ये एक दिए गए “मार्केट इंडेक्स” को देखता है. इसका मतलब टॉप performing स्टॉक्स की लिस्ट से है. फिर इंडेक्स फंड उस इंडेक्स में दी गई सभी कंपनीज़ में इन्वेस्ट करता है.
जैसे, S&P 500 एक इंडेक्स है जो यूएस की 500 बड़ी कंपनियों को इस लिस्ट में शामिल करता है. S&P ग्लोबल नाम की एक फाईनेंशियल एजेंसी, इंडेक्स को पब्लिकली पब्लिश करती है. जब इकॉनोमिक कंडीशन इम्प्रूव होती है तो S&P के वैल्यू बढ़ते है. ये तब अपनी वैल्यू खो देता है जब इकॉनोमी ख़राब कंडीशन में होती है. इंडेक्स फंड की ख़ासियत ये है कि इसे मैनेज नहीं करना पड़ता. यहाँ तक कि ट्रेडिंग भी ऑटोमेटेड हो सकती है. इसलिए इसकी फीस सबसे कम होती है. आप डॉलर कॉस्ट एवरेजिंग मेथड यूज़ करके मार्केट को बीट करने वाली कमाई कर सकते है.
Hot Tips, Inside Information and Other Fine Points
आपकी इन्वेस्टमेंट जर्नी सिर्फ bonds , फंड्स और रेगुलर स्टॉक्स तक लिमिटेड नहीं रहेगी. जब आप रेगुलरली इन्वेस्ट करते रहोगे तो आपको कई और इन्वेस्टमेंट मेथड्स भी मिलेंगे. जैसे-जैसे आपको और experience होता जाएगा, ये कुछ पॉइंट्स है जो आपकी नॉलेज में होने चाहिए.
लोग जब आपको कोई टिप्स या information दे तो एकदम आँख मूँदकर भरोसा मत करो. पॉलिटिशियन अक्सर ऐसी नॉलेज पर बेस्ड इन्वेस्टमेंट करते है जिनकी जानकारी आम पब्लिक को नहीं होती. इसे “इनसाइडर information” पर ट्रेड करना कहते है और ये इललीगल माना जाता है. सिर्फ इन्फ़्लुएन्शल लोगों के पास ही ऐसी information होती है. आपके फ्रेंड्स शायद आपको वो न्यूज़ दे रहे हो जो कुछ हफ्ते पहले ही आ चुकी है.
जब आप इन्वेस्टमेंट करते हो तो याद रहे, अपने पैसे की जिम्मेदारी आपकी है. कई फाईनेंस कंपनीज़ कमाल की डील्स एडवरटाईज़ करेंगी लेकिन अक्सर वो आपसे कोई information या तो छुपा रहे होंगे या झूठ बोल रहे होंगे. इंश्योरेंस कंपनी और फंड मैनेजर्स सबसे कॉमन दोषी होते है.
अब जैसे एक म्यूचवल फंड एडवरटीज़मेंट का ही example ले लो जो एंड्रू ने देखा था. ये एडवरटीजमेंट पिछले दस सालों से 21.5% ग्रोथ per year का दावा कर रही थी. इस रेट से आप सिर्फ 20 सालों में $2000 को $90,000 में बदल सकते है.
लेकिन ये नंबर बड़े अजीब तरीके से कैलकुलेट किया गया था. फंड ने अपने ईयरली ग्रोथ रेट add किए थे और उसका एवरेज लिया था. उन्होंने 6 सालों में करीब 40% कमाए थे लेकिन ये सारी अर्निंग्स घाटे में चल रहे चार सालों में कैंसिल हो गए थे. यानि अगर किसी ने 10 साल पहले फंड में इन्वेस्ट किया था तो उसे असल में पैसों का नुक्सान हुआ होगा. 21.5% ग्रोथ सिर्फ गुमराह करने वाला advertisement था.
कहते हैं कि एक बिजनेस की एनुअल रिपोर्ट ही उसकी ताकत नापने का सबसे बेस्ट तरीका है, लेकिन ये गलत है. कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स का कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए yearly रिपोर्ट पब्लिश करवाती है. फ्रंट पेज पर सारी अच्छी ख़बर बड़े-बड़े तौर पर लिखे होते है और बुरी ख़बर चार्ट और टेबल के ढेरों में छुपी होती है.
Annual रिपोर्ट से आपको शायद ही कोई काम की जानकारी मिल पाए.
चलिए एक और कॉन्सेप्ट की बात करते है. सेलिंग short या “shorting”, एक पॉपुलर इन्वेस्टमेंट मेथड है. रेगुलर स्टॉक्स के साथ, आप शेयर्स खरीदते हो इस उम्मीद में कि उनके दाम बढ़ेंगे. जब आप short sell करते हो तो आप चाहते हो कि स्टॉक्स अपनी वैल्यू खो दें.
बेसिकली आप स्टॉक्स को उधार लेते हो इस वादे के साथ कि उनके लिए बाद में पे करोगे. आप उन उधार लिए गए स्टॉक्स को तुरंत बेच देते हो. फिर आप उम्मीद करते हो कि स्टॉक का वैल्यू कम हो जाए. इस तरह से आपने जिस दाम में स्टॉक को उधार में लिया था उससे कम दाम उसके लिए चुकाते हो. आप प्रॉफिट कमाते हो क्योंकि आप स्टॉक को पहले से ही ऊँचे दाम में बेच चुके हो.
Short selling के साथ प्रॉब्लम ये है कि इसमें आपको पैसे का काफी नुकसान हो सकता है. मान लो आप कोई स्टॉक उधार पर लेते हो जिसके प्राइस तब तक डबल हो जाते है जब तक आप उसकी कीमत चुकाते हो. तब आपका नुक्सान उस पैसे का डबल होगा जो आपने कमाया है. मार्केट अनप्रेडिक्टेबल है. सोचो क्या होगा जब आपके short करने के बाद कोई स्टॉक अपनी वैल्यू से 20 गुना ज़्यादा बढ़ जाए.
“मार्जिन” एक अर्निंग टैक्टिक है जो ब्रोकर्स यूज़ करते है. वो आपको उन स्टॉक्स को खरीदने के लिए लोन देते हैं जो आप अभी अफोर्ड नहीं कर सकते. ब्रोकर्स आपके शेयर्स होल्ड करता है ताकि उनके लिए कोई रिस्क ना रहे. अगर उन्हें लगता है कि आप लोन नहीं चुका पाएँगे तो वो उन्हें बेच देते हैं.
इसके अलावा मार्जिन रेगुलर बैंक लोन के बजाए 5% ज़्यादा इंटरेस्ट चार्ज करता है तो इन्हें स्टॉक्स खरीदने के लिए यूज़ करना शायद ही एक अच्छा ऑप्शन होगा. हालाँकि हाई इंटरेस्ट क्रेडिट कार्ड यूज़ करने के बजाए मार्जिन ज़्यादा चीप होगा. तो इसलिए जब तक आपको सैलरी नहीं मिल जाती, मार्जिन का यूज़ तभी करे जब आपको छोटा लोन लेना हो.
“ऑप्शन्स” बेसिकली एक मेथड है इन्वेस्टिंग को और ज़्यादा एक्साईटिंग बनाने के लिए. टिपिकली बोले तो स्टॉक्स बेचने से पहले आपको उन्हें कम से कम एक महीने तक रखना चाहिए. लेकिन आप कुछ दिनों या फिर कुछ घंटों में ऑप्शन्स ट्रेड कर सकते है.
ऑप्शन उसे कहते है जब आप एक दी गई तारीख पर एक स्पेशिफिक प्राइस में कोई स्टॉक लेने का वादा करते है. अब जैसे एंड्रू के मेरिल लिंच बैंक में इन्वेस्टमेंट का ही example ले लो. स्टॉक की वैल्यू कुछ वक्त से $16 बनी हुई थी लेकिन अभी रीसेंटली मार्केट में 15% की बढ़ोत्तरी हुई थी.
एंड्रू ने ये महसूस किया कि मेरिल लिंच के शेयर्स अंडरवैल्यूड है. उन्होंने 10 ऑप्शन्स ख़रीदे. हर ऑप्शन में $20 के 100 शेयर खरीदना था. आपको एक ऑप्शन लेने के लिए टोटल अमाउंट पे करने की जरूरत नहीं है. एंड्रू के केस में उन्हें $37 per ऑप्शन के रेट पर सारे 10 ऑप्शन के लिए $375 पे करने पड़े थे.
याद रहे एक ऑप्शन खरीदने का मतलब ये नहीं है कि स्टॉक आपका हो गया. आपके पास सिर्फ ये राईट है कि आप एक स्पेशिफिक प्राइस पर स्टॉक खरीद सको. तो इसलिए बाद में एंड्रू को शेयर्स पर $20,000 खर्च करने होगे. अगर प्राइस नहीं बढ़ते तो एंड्रू को $16,000 वाले स्टॉक्स के लिए $20,375 खर्च करने पड़ते.
लेकिन शुक्र था कि मेरिल लिंच के स्टॉक की वैल्यू बढनी शुरू हो गई. जब एक सिंगल शेयर $20 तक पहुँचता है तो ऑप्शन का प्राइस $300 तक बढ़ जाता है. इसलिए एंड्रू ने अपने एक्स्पेंसेज़ कवर करने के लिए 2 ऑप्शन बेच दिए. दिन ब दिन शेयर के दाम में बढ़ोत्तरी होती गई. एंड्रू ने स्टॉक खरीदने के लिए अपने ऑप्शन्स यूज़ नहीं किए. इसके बजाए उन्होंने ऊँचे दाम पर ऑप्शन्स बेच दिए. उन्होंने एक महीने में $2400 कमाए.
आप इस उम्मीद में ऑप्शन खरीदते है कि दाम बढ़ेंगे. तो ऐसा कोई सिमिलियर वर्ज़न होना चाहिए जब आपको उम्मीद हो कि दाम नीचे जाएंगे. इन्हें put कहते है. मान लो कोई स्टॉक $75 पर ट्रेड कर रहा है. आप इसे $70 पर बेचने का राईट खरीदते हो. अब आप स्टॉक को इस उम्मीद में रख रहे हो कि इसकी वैल्यू कम होगी और ये $70 से नीचे जाएगा.
Puts, ऑप्शन्स की तरह ही सस्ते लिए जा सकते है. मान लो आपने कोई put खरीदा जो आपको $70 एक शेयर के हिसाब से 100 शेयर्स खरीदने का राईट देता है. अब, स्टॉक की कीमत गिरकर $51 हो गई है. आप $5100 में 100 शेयर खरीदकर उन्हें $7000 में बेच देते हो. तो आपको $1900 का प्रॉफिट हुआ. Putting, short सेलिंग का एक सेफर मेथड है. आपके नुक्सान उस प्राइस तक लिमिटेड होते है जो आपने put के लिए पे किया है.
इन्वेस्टमेंट से आपकी जो अर्निंग्स होती है, उसके लिए आपको टैक्स देना होता है. लेकिन आपको अपने नुक्सान कवर करने के लिए भी टैक्स रिडक्शन यानी कटौती मिल सकती है. इसलिए, आपको उन नुकसानों के बारे में strategic होना होगा.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर आमतौर पर कम टैक्स लगाया जाता है. लेकिन मान लो आपने एक साल में कई अच्छे short टर्म इन्वेस्टमेंट किए. आपके पास कुछ ऐसे स्टॉक्स भी है जो आपको बेकार लगते है. ख़राब स्टॉक्स नुक्सान पर बेचना करना ज़्यादा बैटर होगा ताकि फिर आप अपने नुक्सान लिए टैक्स रिडक्शन क्लेम कर पाएँ.
Conclusion
सबसे पहले आपने समझा कि पैसे सेव करना अपनी वेल्थ को बढ़ाने का सबसे इफेक्टिव तरीका है. वो इसलिए क्योंकि जो पैसा आप सेव कर रहे हो वो एकदम टैक्स फ्री होता है. डिस्काउन्ट लेने के लिए बल्क में शॉपिंग करो, अपने क्रेडिट कार्ड के बिल टाइम पर भरो. कोई गाडी तब तक मत खरीदो जब तक कि आप अप-फ्रंट पे ना कर सको. अपने लोन रीपेमेंट और मेडिकल एक्स्पेंसेज को ट्रैक करते रहो.
सेकंड, आपने जाना कि फाईनेंशीयली स्टेबल होने से पहले आपको सेफ इन्वेस्टमेंट्स करने होंगे. short टर्म में ट्रेजरी बिल्स खरीदो और मनी मार्केट फंड्स में इन्वेस्ट करो. लॉन्ग टर्म के लिए ट्रेजरी, म्यूनिसिपल और ज़ीरो कूपन bonds ले सकते हो. इसी बीच convertible bonds, स्टॉक ट्रेडिंग में एंटर करने का एक बढिया तरीका है.
थर्ड, आपने स्टॉक ट्रेडिंग की इम्पोर्टेंस के बारे में जाना. सिर्फ यही एक तरीका है अपने पैसे को इन्फ्लेशन से ज़्यादा तेज़ी से बढाने का. स्टॉक्स तब खरीदो जब उनके प्राइस गिर रहे हो. पॉपुलर स्टॉक्स इन्वेस्टमेंट के लिए सही नहीं है क्योंकि उनका प्राइस बढ़ना मुश्किल होता है. इसलिए ये बैटर होगा कि आप अलग-अलग इंडस्ट्री में इन्वेस्टमेंट करे. हर महीने एक फिक्स अमाउंट इन्वेस्ट करके डॉलर कॉस्ट एवरेजिंग को यूज़ करो.
फोर्थ, आपने ब्रोकर्स और एडवाइजर्स की सलाह लेने के नुक्सान के बारे में समझा. ब्रोकर्स शायद मुश्किल से मार्केट को स्टडी करते होंगे. एडवाइजर्स एनालाईज़ तो करते है पर मार्केट को प्रेडिक्टेबली बीट नहीं कर सकते. दोनों का एक ही मकसद होता है कि आप हमेशा ट्रेड करते रहे ताकि वो अपनी फीस चार्ज कर सके. इसलिए ये बैटर होगा कि डिस्काउंट ब्रोकर्स को हायर किया जाए या इसके बजाए इंडेक्स फंड्स में इन्वेस्ट किया जाए.
फिफ्थ, आपने इन्वेस्टिंग के और भी ज़्यादा एडवांस कॉन्सेप्ट के बारे में जाना. जो information लोग आपको देते है उस पर आँख मूँदकर भरोसा मत करो. short selling को लेकर सावधान रहो क्योंकि इससे आपको बड़ा नुक्सान हो सकता है. मार्जिन्स को सिर्फ short टर्म लोन्स की तरह ट्रीट करो. ऑप्शन्स और puts खरीदने के बारे में सोचो क्योंकि आप सिर्फ उतना पैसा ही खोएँगे जो आपने उसे खरीदने में खर्च किए हैं. टैक्स रिडक्शन पाने के लिए अपने नुक्सान को स्ट्रेटेजिकली यूज़ करो.
स्टॉक मार्केट वेल्थ ट्रांसफर का बेहद कॉम्प्लेक्स नेटवर्क है. लेकिन स्टॉक्स में ट्रेड करना काफी सिंपल है. आपको सिर्फ ये बेसिक्स समझने होंगे कि मार्केट कैसे काम करता है. इन समरी ने आपको इन्वेस्टिंग के ज़रूरी रूल्स समझाए, अब आपके पास वो सारे टूल्स है जिनकी हेल्प से आप रिटायरमेंट के बाद फाईनेंशियल सिक्योरिटी अचीव कर सकते है.