एक गांव में एक बाबा था, जिसके पास हर सवाल का जवाब था, लोग उसको बहुत मानते थे, उसी गांव में एक आदमी बहुत चिढ़ता था की इस बाबा के पास तो हर सवाल का जवाब है। तो मैं इनको कोई सबक सिखाता हूँ।
वो सोचता है अगले दिन मैं बाबा के सामने एक पक्षी ले जाऊंगा हाथ में, और बाबा को पूछूंगा, “बाबा जी ये पक्षी जिंदा है या मुर्दा”
अगर बाबा जी ने बोला जिन्दा तो मैं उस पक्षी को कुचल दूंगा और लोगों को दिखाऊंगा कि ये पक्षी तो मुर्दा हैं। और अगर बाबा ने बोला ये पक्षी तो मरा हुआ है तो मैं उसको छोड़ दूंगा और लोगों को बोलूंगा देखो ये पक्षी तो जिन्दा है, बाबा को पता नहीं है, बाबा जी को सबके सामने शर्मिंदा करूँगा।
अगले दिन वे आदमी एक पक्षी लेके बाबा के पास जाते हैं और बाबा को कहते हैं – “बाबा जी एक सवाल मेरा भी है बताओ, मेरे हाथ में जो पक्षी है वो जिन्दा है या मुर्दा है”
बाबा भी बहुत ज्ञानी होते हैं, वो ऐसा जवाब देते है जो आप और मैं normally सोचते तक नहीं हैं। वो बाबाजी कहते हैं “बेटा ये पक्षी तो तेरे हाथ में हैं, तू चाहे तो वो जिन्दा है, तू कुचल दे तो वो मुर्दा है।”
इतने दिनों, महीनों, सालों तक हम कोई ना कोई कारण देते आये हैं की मेरा ये दिन अच्छा नहीं गया, ये महीना अच्छा नहीं गया, ये साल अच्छा नहीं गया, इसने मेरे साथ वो किया इसलिए मैं उस काम को कर नहीं पाया, इसकी वजह से मेरा ये 3 साल बर्बाद हो गया, उसकी वजह से मेरा वो साल बर्बाद हो गया, ऐसे हजारों-लाखों कारण देके हम अपनी जिंदगी को खुद बर्बाद कर देते हैं। मतलब उसका नुकसान सिर्फ आपको हुआ हैं और किसी को नहीं।
आने वाला आपका पूरा जीवन कैसा होगा, हर दिन कैसा होगा, उस पक्षी की तरह ये सिर्फ आपके हाथ में हैं।