Lying Book Summary in Hindi – झूठ बोलने की आदत खतरनाक हो सकती है

Lying Book Summary in Hindi – लाइंग हमें बताती है कि हमारी झूठ बोलने की आदत तो बहुत खतरनाक हो सकती है. और झूठ में हर तरह के झूठ शामिल है चाहे रोजमर्रा की जिंदगी में बोले जाने वाले छोटे-मोटे झूठ हों या कभी कभार वर्ल्ड स्टेज पर कहे जाने वाले. कुल मिलाकर सच कह देना हमेशा बेहतर होता है.

क्या आपने कभी झूठ कहा है, क्या आप साइकोलॉजी के स्टूडेंट्स है, या फिर क्या आप पॉलिटिक्स में दिलचस्पी रखने वालों में से है तो ये बुक आपके लिए है।

लेखक

सैम हैरिस की किताब को 20 से ज्यादा लैंग्वेज में ट्रांसलेट किया गया है उनके दूसरे टाइटल्स में ‘द एंड ऑफ फेथ’ और ‘फ्री विल’ शामिल है. उनकी पांच किताबें द न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्टसेलर लिस्ट में भी शामिल हुई हैं. लेखक द वेकिंग अप नाम के पॉडकास्ट को होस्ट भी करते हैं जिस पर स्प्रिचुअलिटी के बारे में बात की जाती है.

Lying Book Summary in Hindi – झूठ बोलने की आदत खतरनाक हो सकती है

दो तरह के झूठ होते हैं, लेकिन इनमें से कोई भी नहीं बोला जाना चाहिए

झूठ बोलना हम सब की आदत में शामिल है चाहे हम इसे माने या ना माने. अपने घर के काम में नाकामी की वजह अपने कुत्ते को बना देना हो, पार्किंग टिकट के लिए झूठ बोलना हो या फिर किसी का दिया तोहफा ना पसंद आने के बावजूद उससे मीठे शब्दों में बात करना हो. ऐसा लगता है, कि झूठ बोलना इंसान की पहचान से जुड़ा है.

तो, प्रॉब्लम क्या है?

सच ना कहने के सिस्टम को कॉमन करने में छोटे से छोटे झूठ का अपना किरदार होता है, यह बड़े झूठ की वजह बन सकते हैं, जिनके चलते जंग हो सकती है और लोग साइंस रिसर्च में अपना यकीन भी खो सकते हैं.

इस समरी में आप जानेंगे कि क्यों हमें अपने बस तक सच बोलने की कोशिश करनी चाहिए चाहे उसके लिए अपनी दादी के बनाए हुए स्वेटर की हकीकत बताता कर उन्हें तकलीफ देनी पड़े, कि वह स्वेटर बहुत बड़ा है.

इस समरी में आप जानेंगे कि झूठ की वजह से ही हम अपने लीडर्स पर यकीन नहीं कर पाते, जब कोई ऐसा शख्स झूठ बोलता है जिस पर आप यकीन करते हैं तो उसका नेगेटिव असर क्यों होता है, और झूठ बोलना सिंपल लगता है लेकिन यह हमारी एनर्जी चुराता है।

तो चलिए शुरू करते हैं!

क्या आपको याद है कि कभी आपसे बचपन में झूठ बोलने के लिए कहा गया हो? कोई भी झूठा कहलाया जाना नहीं पसंद करेगा बहुत सारे लोग बड़ा झूठ कहने की हिम्मत ही नहीं कर पाते, बहुत सारे लोग छोटे-छोटे झूठ बोलते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

ज्यादातर लोग खतरनाक नतीजे की वजह से बड़ा झूठ बोलने से बचते हैं. इस तरह के झूठ की वजह से करियर खत्म हो सकता है या इंसान जेल भी जा सकता है, जिंदगी बर्बाद हो सकती हैं और पूरी की पूरी सोसाइटी में डिस-आर्डर आ सकता है.

इतना खतरनाक नतीजा होने के बावजूद, हमारी मीडिया और सरकारें लगातार झूठ फैलाने में लगी रहती हैं. इसी वजह से ग्लोबल स्केल पर दुनिया के लीडर्स पर यकीन नहीं किया जाता. मिसाल के तौर पर, इराक पर किए गए हमले का जस्टिफिकेशन झूठ पर आधारित है.

बुश एडमिनिस्ट्रेशन ने दावा किया की वह देश मास डिस्ट्रक्शन के हथियार छुपा रहा था, लेकिन जांच में यह दावा झूठा निकला. जिसके चलते बहुत सारे लोगों को यूनाइटेड स्टेट की फॉरेन पॉलिसी पर शक होने लगा. हालांकि, छोटे-मोटे झूठ को मोरालिटी के नजर से नहीं देखा जाता. लोगों को लगता है कि इस तरह के झूठ में कोई बुराई नहीं है क्योंकि यह दूसरों को तकलीफ ना पहुंचाने के लिए बोले जाते हैं, लेकिन ऐसे झूठ भी खतरनाक हैं.

इमैजिन कीजिए कि किसी घर में 1 हफ्ते के लिए मेहमान आ रहे हैं, उनके आने के जस्ट पहले ही हसबैंड अपनी बेटियों के सामने अपनी बीवी से कहता है, कि अच्छा होता अगर वह रुकने के लिए ना आ रहे होते.

मेहमान आकर उनकी मेहमान नवाज़ी का शुक्रिया अदा करते हैं और हस्बैंड उनसे कहता है कि वह उनके आने से बहुत खुश है, लेकिन उसी बीच बेटियां वह बातें कह देती हैं जो हस्बैंड पहले कही थीं. जिसके चलते वह एक ऑकवर्ड सिचुएशन में पड़ सकता है.

यह भी नहीं कह सकता कि वह मेहमानों के आने से खुश नहीं है और बातों से मुकर जाने का मतलब है अपने बच्चों के सामने गलत एग्जांपल सेट करना. अगर उसने इस पूरी सिचुएशन को यह कहकर संभाला होता कि “इसी वजह से हमारे यहां गेस्ट रूम है” तो इस ऑकवार्डनेस से बचा जा सकता था. छोटे झूठ का बड़े झूठ के कंपैरिजन में कम असर होता है लेकिन लॉन्ग टर्म में यह खतरनाक हो सकते हैं.

झूठ का आपके रिश्तो पर गलत असर पड़ता है

मुमकिन है कि आप उनके लिए कुछ भी कर सकते हैं जिनकी परवाह करते हैं. मान लीजिए कि अगर अपने पार्टनर या अपने पैरंट्स के साथ आपका रिश्ता खतरे में पड़ जाता है तो आप उस रिश्ते को बचाने के लिए झूठ बोलने से भी नहीं कतराएंगे. हालांकि अपने किसी करीबी से झूठ बोलना नजदीकी को खत्म कर देता है. झूठ के साथ दिक्कत यह है कि यह यकीन को खत्म कर देता है.

आपसे झूठ ना भी कहा गया हो, तब भी अगर आपको लगता है कि सामने वाला झूठ बोल सकता है तो उस पर पूरी तरह से यकीन नहीं कर पाएंगे.

मान लीजिए कि आपका कोई दोस्त या फैमिली मेंबर किसी दूसरे के बारे में झूठ कह रहा है. अब आपको शक होने लगेगा कि ना जाने कितनी दफा उन्होंने लोगों के बारे में आपसे झूठ कहा होगा. अगर वह इतनी छोटी सी चीज के बारे में झूठ कह सकते हैं, तो क्या किसी सीरियस चीज के बारे में झूठ नहीं बोल सकते?

हकीकत यह है, कि आप उन लोगों पर डिपेंडेंट रहना चाहते हैं जो आपके करीब है. आपका बेस्ट फ्रेंड आपको इनएप्रोप्रियेट कपड़ों में घर के बाहर नहीं निकलने देगा. आपके फैमिली मेंबर्स जो आपकी परवाह करते हैं, आपको वह करियर नहीं चुनने देंगे जो आपके लिए फायदेमंद ना हो.

सच बताना मुश्किल का काम हो सकता है. आप ऐसी जानकारियों से अनजान हो सकते हैं जो किसी को बहुत तकलीफ दे सकती हैं या फिर उनकी जिंदगी ही पूरी तरह बदल सकती हैं. ऐसी जानकारियां अपने साथ अनचाही जिम्मेदारी ले आती हैं, लेकिन सच बताना आप का फर्ज है.

सोचिए कि आपके फ्रेंड के साथ कोई धोखा हो गया है और आप उसे सच बताने से हिचकिचा रहे हैं. आप बात को छुपाने को लेकर गिल्टी महसूस करते हैं, तो आप इस सच को नजर अंदाज करने लगते हैं. इसके साथ ही, आप अपने फ्रेंड को, अनजाने में ही सही, एक टॉक्सिक रिश्ते में रहने दे रहे हैं.

हकीकत बताने से आपके दोस्त को तकलीफ हो सकती है लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए इसमें उनकी भलाई है. ना सिर्फ आपकी वजह से वह अपने रिश्ते को लेकर एक बेहतर फैसला ले सकेंगे बल्कि उन्हें यह भी यकीन हो जाएगा कि कम से कम उनके पास एक ईमानदार और सपोर्टिव दोस्त है.

झूठ की वजह से मेंटल स्ट्रेस हो सकता है. क्या आप कभी किसी झूठ में इतनी बुरी तरीके से फंसे हैं कि आपको पकड़े जाने का यकीन हो गया हो? उलझन की इस फीलिंग के साथ बहुत फिक्र और स्ट्रेस भी होता है. और इससे बचने का इकलौता तरीका हमेशा सच बोलना है.

झूठ बोलने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि आपको हर चीज पर नजर रखनी होती है कि कहीं आप की पोल खुल न जाए. वहीं दूसरी तरफ सच के लिए यह सब नहीं करना पड़ता. चाहे जितना छोटा झूठ बोला जाए, सामने वाले के रिएक्शन का अंदाजा लगाते हुए आप हर किसी को अलग-अलग बातें कहेंगे. और यहीं से कन्फ्यूजन होती है, क्योंकि आप भूल जाते हैं कि किससे कौन सी बात कही है.

सिचुएशन इससे भी ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड हो सकती है. आपको इस बात की फिक्र होने लगेगी कि आपने जिन लोगों से अलग-अलग बातें कहीं हैं वह अगर उसी बात पर चर्चा करने लगे और उन्हें शक हो गया तो. हो सकता है आपने किसी को बुरे एहसास से बचाने के लिए झूठ बोला हो, लेकिन लोगों के सामने झूठा बन जाना आपकी किसी भी अच्छी नियत पर भारी पड़ जाएगा.

इसलिए बेहतर है कि बिना पर्दे के पीछे कुछ रखे, सबसे सच कहा जाए. यह मुखौटा बनाए रखना मुश्किल काम है. जब आप झूठ बोलते हैं तो आप सामने वाले को सच जानने से रोक रहे होते हैं. यह सोचना भी बहुत फनी है कि किसी के पास किसी को सच जानने से रोकने का हक है, या फिर यह डिसाइड करने का हक है कि उन्हें कौन सी बात मालूम होनी चाहिए और कौन सी नहीं.

जितना जरूरी दूसरों से झूठ बोलने से बचना है उतना ही जरूरी खुद से भी झूठ ना बोलना भी है. जब आप अपनी रियलिटी को एक्सेप्ट नहीं करते या इस बारे में बेपरवाह होते हैं तो बाहरी दुनिया के सामने अपनी झूठी इमेज पेश करते हैं. इसका आपकी सेल्फ स्टीम पर बहुत खतरनाक असर हो सकता है, आप लगातार अपनी फेक इमेज पर डिपेंडेंट रहेंगे और खुद से ही दूर हो जाएंगे.

एक बेहतर दुनिया के लिए, हमें किसी भी तरह के झूठ से बचना चाहिए

खुदकी और दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए हमें झूठा बोलने की शपथ लेनी चाहिए, यह शुरुआत में मुश्किल हो सकता है लेकिन पूरी तरीके से फायदेमंद है. अगर आप छोटा सा भी झूठ बोलते हैं तो यह आपके लिए नॉर्मल हो जाएगा, और धीरे-धीरे आपको इसी आदत पड़ जाएगी. इसके साथ ही सच आपके लिए इतना अनजान हो जाएगा कि ईमानदार रहना मुश्किल नजर आने लगेगा, चाहे यह आपके और आपके आसपास के लोगों के लिए कितना भी जरूरी हो.

झूठ बोलना इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि अक्सर लोग झूठ को याद रखते हैं और उसे ही सच समझते हैं. एंड्र्यू वेकफील्ड का मामला ले लीजिए, एक ऐसा डॉक्टर जिसने जानबूझकर झूठी रिसर्च पब्लिश करवा दी कि वैक्सीनेशन की वजह से बच्चों में ऑस्टिन बढ़ने के चांसेस हैं.

हलांकि उनका लाइसेंस ले लिया गया और उनकी रिसर्च को गलत ठहराया गया, लेकिन आज भी बहुत सारे लोग उसी रिसर्च को सच मानते हैं, क्योंकि उनके दिमाग में वह झूठ सच की तरह बस चुका है. इस तरह के मामले आमतौर पर सामने आते रहते हैं क्योंकि झूठ बोलना एक आम सी बात हो चुकी है.

छोटे-छोटे झूठ से बचते बचते बड़े और नुकसानदायक झूठ के चांसेस कम हो जाएंगे, क्योंकि झूठ आम नहीं रह जाएगा. अगर आप ट्रस्ट को प्रमोट करते हैं, तो आप पर्सनल और पॉलिटिकल लेवल तक के मामलों को बेहतर करने में मददगार साबित होंगे.

अगली बार आपको कोई ऐसा वैसा गिफ्ट दे, तो उससे सच कह दीजिए ताकि फ्यूचर में वह अपने पैसों का बेहतर इस्तेमाल कर सके, और वह आपकी इज्जत भी करेंगे क्योंकि आप उनके साथ ईमानदार रहे हैं. सोचिए अगर पॉलिटिशियन भी सच कहने लगें. ना सिर्फ लोगों की इज्जत पा सकेंगे बल्कि ग्लोबल लेवल पर एक बेहतर इन्वायरमेंट क्रिएट कर सकेंगे. बदले में और ज़्यादा क्लेरिटी आएगी और हो सकता है कि झूठ पूरी तरीके से खत्म हो जाए. और यह एक बेहतर फ्यूचर लगता है.

Conclusion

चाहे जितना छोटा या बड़ा हो, झूठ कभी भी नहीं बोला जाना चाहिए. आपको यह लग सकता है कि जो झूठ आप कहने वाले हैं वह खतरनाक नहीं है, लेकिन याद रखिए ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. यह आप पर और आपके आसपास रहने वालों पर बेहद नेगेटिव असर डाल सकता है. अपने फायदे और दुनिया की भलाई के लिए बेहतर है कि सच बोला जाए.

तो दोस्तों आपको आज का यह Lying Book Summary in Hindi कैसा लगा ?

क्या आज आपने जाना की झूठ बोलने से क्या खो देते हैं हम अपनी लाइफ से ?

आज अपने क्या सीखा ?

अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट में जरूर बताये।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

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