The 10X Rule Book Summary in Hindi – Hello दोस्तों, ये है ग्रांट कार्डोन की बेस्ट सेलर बुक “The 10X Rule Difference Between Success and Failure” की समरी। इसमें आपको कुछ बेहद इम्पोर्टेन्ट टिप्स मिलेंगे सक्सेस को अचीव करने के लिए, आप इस बुक Summary को अच्छे से पढ़े क्यूंकि ये बहुत interesting है।
क्या कभी आपकी लाइफ में ऐसा हुआ कि आप सेंटर ऑफ़ अटेंशन पाने के लिए मरे जा रहे थे ? हो सकता है हाई स्कूल टाइम में ऐसा हुआ हो या कॉलेज या कोई स्पोर्ट्स खेलते टाइम या फिर बिजनेस वर्ल्ड में।
क्या आपको लगा कि उस टाइम जो भी बंदा आपको देखे बस आपका दीवाना हो जाये ? इसका जवाब शायद यही होगा कि आपमें से बहुत से लोगो ने ये चीज़ अपनी लाइफ में कभी ना कभी एक्सपेरिएंस की होगी,
लेकिन असली सवाल ये है कि: क्या आप सच में स्टार अट्रेक्शन बन पाए ? क्या आप लाखो दिलो की धडकन बने या फिर किसी एक भी बन्दे का दिल जीत पाए?
अगर नहीं तो कोई बात नहीं क्योंकि मै आपको बताता हूँ कि अभी कुछ ख़ास देर नहीं हुई है। लेकिन अगर आपका ज़वाब है हां तो मै दावे से बोल सकता हूँ कि आप इससे बढ़िया कर सकते थे।
मुझे याद है अपने बचपन में ही मैंने ये ठान ली थी कि बड़ा होके जब मै कॉलेज जाऊँगा तो अपने सारे दोस्तों में सबसे बेस्ट बनके दिखाऊंगा। मैंने कसम खा ली थी कि अगली बार जब कोई रीयूनियन होगा तो गेम्स में सबसे बढ़िया मै ही करूँगा।
बेशक ये मेरी दिली तम्मना थी, फिर भी जो सोचा था मै उसका हाफ़ भी अचीव नहीं कर पाया। सच्ची बात तो ये है कि अगली बार जब रीयूनियन हुआ तो मै खुद पर और अपनी अचीवमेंट्स पर इतना शर्मिंदा था कि क्या बोलू।
मैं खुद से पूछता रहा कि मुझमें कहाँ कमी रह गयी, मगर मेरे पास इसका कोई ज़वाब नहीं था। जब तक कि मेरे हाथ ग्रांट कार्डोंन की ये बुक नहीं लग गयी जिसका नाम है: “10X रूल: द ओनली डिफ़रेंस बिटवीन सक्सेस एंड फेलर”
इस बुक का ऐम आपकी हेल्प करना है और मैं इसे पढ़कर बैटर अचीव करता हूँ जोकि हम सबके के लिए हमारा सबसे बड़ा डर है। ये बुक हमारे अन्दर दसगुना ज्यादा डिस्प्लीन, फोकस और हार्ड वर्क की आदत इन्स्टिल करके हमें एक एवरेज पर्सन की पोजीशन से उठाकर आगे ले जाती है।
मेरे साथ एंड तक रहे, मै आपको बुक के बारे में और बताता रहूगा ताकि आपको इसके बारे में एक जर्नल और एडिकेट आईडिया मिल सके कि आखिर ये है क्या।
वो चीज़े जो हम इस दुनिया में सबसे पहले आकर सीखते है, इस सोसाइटी ने पहले ही प्रेडिक्ट की होती है। जब आप माँ के पेट से इस दुनिया में आते तो आपका माइंड किसी ताबुला रासा की तरह होता है बिलकुल कोरा।
जो कुछ भी आज आपकी नॉलेज है वो इस सोसाइटी और असोसिएशन की देन है। अब जैसे मेल डोमिनेशन और फिमेल सबमिशन यानी मर्दों का बोलबाला और औरतो को दबाकर रखना, ये चीज़े हमारी सोसाइटी ने पहली ही डिसाइड कर ली थी। हम तो बस उसको आगे फॉलो कर रहे है।
दूसरा मिथ जो हमें सोसाइटी से सीखने को मिला वो ये कि मीडियोकोर बने रहने में कोई बुराई नहीं है, और अनलकीली हम भी इसे मानकर फॉलो करने लगते है।
कार्डोंन के हिसाब से ये सबसे बड़ा झूठ है जो सोसाइटी ने हमे सिखाया। अगर सोसाइटी को आपका मीडियोकोर बनना पसंद है तो ये उसके लिए अच्छा है नाकि आपके लिए।
आपको तो सक्सेसफुल बनने के लिए इस जिंक्स को तोडना ही होगा। मै बचपन से ही अपने डैड को हर रोज़ सेम चीज़ करते हुए देखते रही। वो सालो तक एक ही जॉब करते रहे, सेम स्टेटस और वो ऐसे ही खुश भी थे।
हालांकि उन्होंने मुझे और मेरे भाई को स्कूल भेजा मगर खुद वे अपने स्टेटस से कभी आगे नहीं बड पाए।
ऐसा लगता था कि यही उनकी किस्मत में लिखा है क्योंकि वो इसमें कोम्फर्टबल हो चुके थे। उनके लिए तो यही बहुत था कि उनके बच्चे लाइफ में तरक्की करे। मगर ये गलत सोच है ! अगर मुझे उस टाइम थोड़ी समझ होती तो शायद मै अपने डैड को समझाती।
एवरेज वर्ड का मतलब ही आर्डिनरी है। मेरा ट्रस्ट करो, ये वो चीज़ नहीं है जिसकी आपको ज़रुरत है। अब जैसे मान लो अगर आपके स्कूल, ऑफिस या बाकी जगहों में जितने लोग है सभी बेस्ट बनना चाहते है तो आपको ट्राई करना पड़ेगा कि आप उन सबसे आगे हो।
आपकी डीजायर होनी चाहिए कि आप अपनी कम्युनिटी, डिस्ट्रिक्ट यहाँ तक कि अपनी कंट्री में भी बेस्ट हो। अपना बेस्ट अचीव करने के लिए आपका ऐम एवरेज से हायर होना चाहिए।
इमेजिन करे कि आप उन लोगो के कम्पेयर में कहाँ पहुँच जायेंगे जो खुद को स्कूल, वर्कप्लेस या किसी भी जगह में लिमिट में रखते है – आप उन लोगो को उनकी डीजायर में मात देकर हर जगह ऑटोमेटीकली बेस्ट होंगे, तो इस बात को और अच्छे से समझने के लिए चलो सक्सेस पर एक नजर डालते है।
ग्रांट के हिसाब से सक्सेस को बेहतर ढंग से समझने के लिए आपको पहले ये तीन चीज़े समझनी पड़ेगी:
ये बात सिम्पल और क्लियर है! जब तक आपको सक्सेस नहीं मिल जाती हमेशा अधूरेपन का एहसास रहेगा। मुझे यकीन है आपने कई ऐसे बुजुर्गो को ये रिग्रेट करते हुए सुना होगा कि – ”जब टाइम था तब मुझे ये चीज़ करनी थी मगर नहीं कर पाया।”
ऐसे लोग हमेशा हाथ मलते रहते है क्योंकि उन्हें लाइफ में वो फुलफिलमेंट वाली फीलिंग नहीं आ पाती, और अगर आपको अब तक कोई ऐसा बंदा नहीं मिला तो मेरे डैड की स्टोरी ले लीजिये जो इसका परफेक्ट एक्जाम्पल है।
आज तक मेरे डैड रोते रहते है कि मैंने कैसे अपनी सारी जवानी ऐसे ही वेस्ट कर दी। यही होती है अनफुलफिलमेंट की फीलिंग – रीग्रेट्स से भरी हुई लाइफ;
मुझे कुछ ऐसे भी लोग मिले जिन्हें लगता है कि उनकी सक्सेस का ठेका उनके पेरेंट्स ने ले रखा है। कुछ दिन पहले एक अमीर आदमी के बेटे ने अपने फ्रेंड्स को ये कहा कि उसके पापा उसे सक्सेसफुल बनाने के लिए मेहनत कर रहे है। अब ये कोई अच्छी बात थोड़े ही है। आपकी सक्सेस आपके हाथ में है और इसे हासिल करने के लिए जो करना है आपको करना है।
ये बहुत पॉपुलर थिंकिंग है कि सक्सेस मुश्किल से हाथ आती है और इसे पाना बहुत मुश्किल काम है। सच तो ये है कि ऐसा बिलकुल नहीं है। इसी रोंग माइंडसेट के चलते कई सारे लोग अपना बेस्ट अचीव करने से रह गए। इसी रोंग माइंडसेट ने कई लोगो को इतना ज्यादा हैण्डीकैप बना दिया कि सक्सेस पाने के लिए उन्होंने उलटे-सीधे रस्ते तक अपनाए।
एक कहावत है कि “आसमान इतना बड़ा है कि इसमें हर चिड़िया एक दुसरे को टच किये बगैर बड़े आराम से उड़ान भर सकती है” ये बात काफी हद तक सही है क्योंकि आप भी किसी और का बुरा किये बगैर अपने हिस्से की सक्सेस पा सकते है।
मैंने कई ऐसे किस्से सुने है जहाँ लोग सक्सेस पाने के लिए ऐसे लोगो को सीड़ी बना लेते है जो उनके जैसे प्रीविलेज्ड नहीं है। मेरे एक फ्रेंड ने बताया था कि अफ्रीका में किसी जगह कुछ ऐसे नौजवान भी है जो अमीर और सक्सेसफुल बनने के लिए लोगो का इस्तेमाल करके तंत्र-मंत्र करते है। नहीं, आप तो ऐसा सोचिये भी मत! ऐसा करने से आज तक कोई सक्सेसफुल नहीं हुआ है।
और दूसरी बात सक्सेस आपके लिए एक आल्टरनेटिव नहीं बल्कि एक ज़रूरत की तरह होनी चाहिए। ये आपके लिए कोई एक चॉइस नहीं होनी चाहिए बल्कि आपकी यही एक चॉइस होनी चाहिए।
बेसलाइन ये है कि खुद को कभी भी लिमिट में ना रखे। बस सोचते रहे कि आप क्या-क्या अचीव कर सकते है और आपकी ये अचीवमेंट दुनिया की नजरो मे क्या मायने रखेगी।
एक्स्ट्राआर्डिनरी सक्सेस इतनी भी इज़ी बात नहीं है। इसके लिए आपको उतनी ही एक्स्ट्रा मेहनत और एक्स्ट्रा एफोर्ट करने होंगे। जैसे मैंने पहले कहा था, बेस्ट इन द कंट्री बनने के लिए सिर्फ सोचने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए आपको बाकियों से कुछ ज्यादा एफोर्ट लगाने होंगे– अब ये थोडा मेहनत का काम तो है ही।
कई सारे लोग चाहते तो है कि वे सक्सेसफुल बने लेकिन इम्प्लीमैंटेशन और एक्चुयलाइजेशन के बगैर कहीं भी नहीं पहुँच पाते। ऐसा हाई स्कूल के दिनों मेरे साथ ना जाने कितनी ही बार हुआ है। मै हर टर्म में रेजोल्यूशन लेती थी कि इस बार क्लास में फर्स्ट आके दिखाउंगी मगर मै बस सोचती रह जाती थी।
मैंने कभी भी उतना एफोर्ट नहीं किया और इसलिए मै कभी भी क्लास में बेस्ट नहीं बन पाई। टॉप में पहुंचने के लिए आपको दुसरो से काफी ज्यादा कोशिश करनी पड़ेगी। यही है 10X रुल!
हालांकि मै आपको बता दूँ कि अपने साथ वाले लोगो से 10 गुना ज्यादा स्ट्राइव का मतलब होगा कि आपको बहुत सारे चैलेंजेस लेने होंगे।
मान लो जैसे आपको बोला गया कि अपनी कंट्री के लिए ओलम्पिक्स में 100 मीटर की रेस करनी है जो कि आपका भी ड्रीम रहा है, तो आप दुगनी-तिगुनी मेहनत करेंगे ये रेस जीतने के लिए।
नहीं करेंगे क्या ? अब 10X रुल कहता है आपको दस दूना बड़ा एफोर्ट करना है तब जाकर आपको फर्स्ट प्लेस मिलेगा। अगर इसके लिए प्लान ये है कि हर रोज़ एक घंटा प्रेक्टिस करनी है तो 10X रूल के हिसाब से आपको दस घंटे की प्रेक्टिस करनी होगी।
अब ये हुई ना काम की बात, राईट? इस सबमें कुछ चैलेजेस तो आएंगे ही जैसे चक्कर आना या कोई फ्रेक्चर वगैरह। आपको ये सारे चैलेजंस एक्स्पेट करने ही होंगे अगर ओलम्पिक्स में बेस्ट बनना चाहते है तो। सच बोले तो इन चैलेंजेस के बगैर सक्सेस मिलना मुश्किल होगा क्योंकि ये चैलेंजेस हमे ज्यादा टफ और स्ट्रोंग बनाते है।
अपना ड्रीम अचीव करने के लिए सबसे पहले तो क्लियर कर ले कि आप जा किस तरफ रहे है, क्योंकि आँखों पे पट्टी बाँध के तो आप कोई रेस नहीं जीत सकते! बिना क्लियर विजन के आप बेस्ट नहीं बन सकते।
इसके अलावा अगर आपको लम्बी रेस का घोडा बनना है तो सिम्पल गोल सेट करने से काम नहीं चलेगा। इमेजिन आपको ट्रेक पर सबसे बेस्ट बनना है और आप रोज़ बस एक घंटे की प्रेक्टिस ही कर रहे है।
तो ऐसे कैसे आप बेस्ट बन जायेंगे? सक्सेस पानी है तो आसान रास्ता छोड़ना पड़ेगा। सच तो ये है कि सक्सेस के लिए कोई ईजी रास्ता है ही नहीं। ये बस एक चाल है। एक्स्ट्राआर्डिनरी के लिए जो भी रास्ता है वो चैलेंजिंग, डिमांडिंग और टाईरिंग है।
अगर आपको कोई ईजी रास्ता ही चाहिए तो ये जगह आपके लिए नहीं है। यहाँ हम सक्सेस अचीव करने के लिए जो चाहिए या उससे भी ज्यादा मेहनत करते है। इसका बेसिक प्रिंसिपल यही है कि अपना गोल अचीव करना है तो उसे दस से मल्टीप्लाई कर दो।
आपका ऑब्जेक्टिव दस गुना बड़ा होना चाहिए तब जाकर आप इसे अचीव कंसीडर करे। मै आपको बता दूँ सक्सेस पाने का मतलब है कुछ इम्पोसिबल अचीव करना और ये आपकी सोल रिसपोंसेबिलिटी है। आपने रीस्पोंसेबिलिटी ले ली है कि चाहे कुछ भी हो जाये आप वो हासिल करके ही रहेंगे जो आपके माइंड में है।
अपने ऑब्जेक्टिव डिफाइन करते टाइम हम में से कई लोग गलत तरीका चुनते है। मुझे याद है एक यंग और एस्पाइरिंग एंट्रप्रेंन्योर को मै जानती थी जो एक ऐसा प्रोडक्ट बनाना चाहता था जो दुनिया में बड़ा चेंज लाये।
मुझे याद नहीं आ रहा कि वो क्या प्रोडक्ट था मगर वो हमेशा इसी बारे में बात करता रहता था। हां, उसका आईडिया बेशक अच्छा था लेकिन उसकी अप्रोच रोंग थी। जब उसने लास्ट में वो प्रोडक्ट बनाया तो ये बस उसके अपने घर और उसके कुछ फ्रेंड्स के घर में ही यूज़ हुआ बाकी लोगो को इसके बारे में पता तक नहीं चला।
तो गलती कहाँ थी? गलती ये थी कि उसने इसे मार्केटिंग स्टेज तक नहीं पहुँचाया। उसने प्रोडक्ट तो अच्छा बनाया मगर किसके लिए बनाया ये उसे पता ही नहीं था।
लोग अपना ऑब्जेक्टिव डिफाइन करते वक्त कुछ ऐसी मोस्ट कॉमन गलतियाँ करते है जो नीचे दी गई है :
अगर आप ईजी गोल सेट करेंगे तो ज़ाहिर है आपका टारगेट ही गलत होगा। आपको डेयरिंग और चैलेंजिंग गोल सेलेक्ट करने पड़ेंगे। यहाँ रोंग टारगेट, रोंग फोकस हो ये ज़रूरी नहीं बल्कि एवरेज टारगेट है।
अब अगर जैसे आप बस अपनी क्लास में ही फर्स्ट आना चाहते है तो ये एक रोंग टारगेट होगा। ये इसलिए रोंग टारगेट नहीं कि क्लास में बेस्ट होना रोंग है बल्कि इसलिए क्योंकि ये बड़ा ही एवरेज सा टारगेट है जो कोई भी अचीव कर सकता है। जब आपका टारगेट ही रोंग होगा तो डेफिनेटली आपका ओब्जेक्टिव भी गलत हो जाएगा।
आपके ऑब्जेक्टिव तब भी रोंग होंगे अगर आपने ये जानने की कोशिश नहीं की कि आपका गोल किस हद तक कोम्प्लेक्स है। आप अगर 10X के रुल से चलते है तो ऑटोमेटिकली कोम्प्लेक्सीटीज़ आनी है।
आपको एक प्लान बनाना चाहिए, बड़े डिटेल्स के साथ, जो किसी भी तरह की कोम्प्लेक्सीटी का ध्यान रखेगा। मै हाई स्कूल में कभी भी बेस्ट नहीं थी इसका एक रीजन ये भी था कि मैंने कभी भी कोम्प्ल्कसीटी का ध्यान नहीं रखा।
मै बस सपने देखती रही लेकिन मैंने कभी भी एक डिटेल्ड प्लान नहीं बनाया। सीधी सी बात है कि मेरा सपना कभी पूरा नहीं हुआ। किसी भी उस स्टेप, एनर्जी या रीसोर्सेस को अंडरएस्टीमेट ना करे जो आपके गोल को पूरा करने में मदद करे।
“जहाँ तक कोम्प्टीशन की बात है, वे कोई स्टैण्डर्ड नहीं होते” आजकल जिसे देखो यही बोलता है “ऐसा कुछ करो जो तुम्हारे कॉम्पीटीटर्स नहीं कर रहे है”. इस तरह की स्टेटमेंट लोगो को बड़ा लिमिटेड सोचने पर मजबूर कर देती है और अक्सर वे अपने कोम्प्टीटर्स के लेवल तक या उससे भी कम तक ही पहुँच पाते है। ये 10X रूल एवरेज पर प्रीमियम नहीं लगाता है।
अगर आप किसी चीज़ के लिए मार्किट में उतर रहे है तो आपका ऐम सिर्फ अपने कोम्प्टीटर्स को हराना नहीं होना चाहिए। आपका ऐम ये होना चाहिए कि आप उस चीज़ को डोमिनेट कर ले और सबके लिए स्टैण्डर्ड बन जाये।
मेरे एक फ्रेंड ने कुछ टाइम पहले एक बिजनेस स्टार्ट किया। उसने अपना प्लान भी मेरे साथ डिस्कस किया था। लेकिन उसका मकसद सिर्फ यही था कि अपने साथ कोम्प्टीशन करने वाले लोगो को वो पीछे छोड़ दे।
उसका बिजनेस कैसे लोगो को अफेक्ट करेगा या उसके टारगेट आडीयंश कौन होगे, इससे उसे कोई लेना देना नहीं था। अब उसका धंधा लंबे टाइम तक क्यों नहीं चल पाया, ये आप समझ ही सकते है। आपका फोकस कुछ एक्स्ट्राआर्डिनरी बनाने पर होना चाहिए ना कि आपके कोम्प्टीटर्स पर।
ये 10X रुल हमेशा ही चैलेन्जेस के साथ आता है। किसी भी टाइम अगर आपका प्लान फेल हो जाए तो पहले से ही उसके लिए रेडी रहे। जैसे कि कोई बैकअप प्लान ज़रूर रखे कि किसी भी मिसगिविंग में काम आ सके।
बेस्ट की उम्मीद रखे लेकिन साथ ही किसी भी फेलर के लिए रेडी रहे। मेरा वो फ्रेंड जो अपने कोम्प्टीटर्स को पछाड़ना चाहता था, फिर से बिजनेस में कम बैक कर सकता था अगर उसके पास कोई धाँसू सा बैक अप प्लान होता तो।
तो दोस्तों ये 10X Rule Book Summary का पहला पार्ट है, इसके अगले 2nd Part में और भी बहुत जानने को मिलेगा आपको।
आपको आज का ये पहला पार्ट कैसा लगा ?
अगर आपके मन में कुछ भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
Unknown
बहुत बाढिया किताब है
Rocktim Borua
Thanks.
Bharatsinh SOLANKI
बोहोत बढीया किताबें हैं