Two Awesome Hours Book Summary in Hindi – ओपन-प्लान ऑफिस, टेलीकम्यूटिंग जॉब्स और फ्रीलांसिंग को देखकर लगता है कि काम करने की जगह भटकाने वाली चीजों से भरी हुई है। लेकिन एक छोटे से हैक के साथ आप अपने दिमाग को फिर से काबू में कर सकते हैं। टू औसम ऑर्स (2015) आपकी मेन्टल ऐनर्जी को सँभालने में और आपके दिमाग को अच्छी तरह से इस्तेमाल करने में आपकी मदद करती है। आपको अपने आप को बदलने के लिए सिर्फ 120 मिनट लगेंगे।
कोई भी जो अपने काम को लेकर परेशान है, कोई भी जो एक अच्छा साइकोलॉजिकल और बायोलॉजिकल तरीका ढूंढकर अपने आप को बदलना चाहता है, फ्रीलांसर्स जो अपने समय का अच्छे से इस्तेमाल करना चाहते हैं ये बुक सिर्फ उनके लिए ही है।
लेखक
जोश डेविस न्यूरो लीडरशिप इंस्टीट्यूट में रिसर्च के प्रमुख प्रोफेसर और डायरेक्टर हैं। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान की डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की, और कॉग्निशन और रेगुलेशन ऑफ़ इमोशन जैसे रिसर्च क्षेत्र में बहुत काम किया है।
कभी-कभी आप पूरे दिन बिजी रहते है लेकिन आप कुछ भी ढंग का काम नहीं कर पाते है। आपको लगता है की आपका सारा समय ईमेल्स चेक करने, मीटिंग्स में, कुलीग के साथ बात करने में, और बाकी छोटे मोटे काम करने में जाता है। तो आप इन कामों को करने से कैसे बच सकते हैं?
इन अध्यायों में 5 स्ट्रेटेजीज हैं जो आपको आपका टाइम और दिमाग कहीं और बर्बाद करने से रोकेंगे। ये आपके लिए कुछ नियम बना देंगी, और आपको अपना काम सही तरीके से करने में मदद करेंगी। इसकी मदद से आप दिन में कम से काम २ घंटे हाइली प्रोडक्टिव रह सकते हैं।
आप रोज बहुत से ऐसे काम करते है जो आपकी आदत में है। सोचिये आप कितनी बार अपने बिस्तर से उठे है, कपड़े पहने है, अपने ईमेल चेक किए है, और कितनी बार मीटिंग्स में गए है।
ये सारे काम हम ऑटोमेटिक ही करते है क्योकि ये हमारे डेली रूटीन का हिस्सा है। हम शायद ही इनमे से कोई चीज़ करने से पहले सोचते हैं कि हम ये काम क्यों कर रहे है। ऐसा हो सकता है की आपका डेली रूटीन आपका बहुत सारा समय और एनेर्जी वेस्ट कर देता है और आपको पता भी नहीं चलता है।
विवेक का एग्ज़ाम्पल ले, क्योकि वह एक कंसलटेंट है, तो मंथली एनालिसिस रिपोर्ट लिखना उसके लिए बहुत जरुरी काम था। लेकिन वो इसे करने के बजाय, लोगो के दर्जनो ईमेल का जवाब देता रहा। इमेल्स को चेक करना उसके डेली रूटीन का हिस्सा है, और विवेक हमेशा अपने इस काम को प्रायोरिटी देता है जबकि उसका जरुरी काम कुछ और है।
हम भी विवेक की तरह डेली रूटीन को प्रायोरिटी देते है और अपना काम अटका देते है। इसे कैसे बदला जा सकता है? एक सही डिसीज़न लेकर
आपको एक डिसीज़न तब लेना पड़ता है जब आपका कोई काम पूरा हो जाता है या रुक जाता है, ऐसे वक़्त आपको चुनना होता है कि आप आगे क्या करेंगे।
आइए एक एग्ज़ाम्पल से समझते है, आपका एक कुलीग आपके डेस्क पर आता है और आपको लंच पर चलने के लिए कहता है। अब आप का रिपोर्ट ड्राफ्टिंग का काम बीच में रुक गया। यहाँ पर आपको एक डिसीज़न लेना है कि या तो आप उसे मना कर दें और अपना काम पूरा करें या फिर अपने काम से ब्रेक लेकर उसके साथ लंच पर जाए।
अगर आप सोच समझ कर डिसीज़न लेंगे तो ये आपके काम के लिया अच्छा रहेगा। अगर आप काम करते वक़्त ऐसे छोटे मोटे डिसीज़न लेते रहेंगे और अपना काम करते रहेंगे तो आप अपना काम समय पर और बहुत अच्छे से कर पाएंगे।
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई एक बार में एक ही काम कर रहा हो। हम अपनी सारी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए, एक बार में बहुत सारे काम करते हैं। क्या आपको अपने ईमेल चेक करना चाहिए? या मीटिंग की तैयारी करनी चाहिए? एक अच्छा डिसीज़न लेना जरुरी है।
दुर्भाग्य से, बहुत सारे काम एक साथ करने से हमारा दिमाग थक जाता है, और हमारी सोचने कि शक्ति ख़त्म हो जाती है। ये तब होता है जब आपके दिमाग का एक्सेक्यूटिव फंक्शन बहुत ज्यादा काम करता है, ये फंक्शन चीजें मैनेज, रेगुलेट, और कंट्रोल करने में मदद करती है।
यदि आप मीटिंग की तैयारी करते समय ईमेल अलर्ट स्विच ऑफ कर देते हैं, तो आप बेफिक्र होकर अपनी मीटिंग पर ध्यान दे सकते हैं।
कोई डिसीज़न लेना जो आपके रूटीन का हिस्सा है या जरुरी नहीं है, आपके दिमाग की एनर्जी को ख़त्म करती है। नेटवर्किंग, एक साथ कई काम करना, प्रोजेक्ट प्लानिंग, और शेड्यूलिंग ये सब वो काम है जो आपके दिमाग को थका देते हैं।
जाहिर है, हम सारे कामों को टाल नहीं सकते जो हमारे दिमाग को थकाते हैं, लेकिन अगर आपको पता है कि कौन सा काम आपको थका सकता है तो आप उससे अच्छी तरह निपट सकते हैं और आप उस काम पर ज्यादा ध्यान देंगे जो आपके लिए ज्यादा जरूरी होगा।
उन कामों को पहचाने जो आपको ज्यादा थकाते हैं, और इससे पहले कि आप उस काम में लगे, उससे अच्छे से समझ लें। अगर, रिपोर्ट बनाना आपके लिए दिन का सबसे जरूरी काम है तो आप दिन कि शुरुआत इमेल्स चेक करने से नहीं कर सकते हैं जो आपका डेली रूटीन है। बेहतर होगा अगर आप रिपोर्ट बनाने में लग जाए।
हम सभी जल्द से जल्द काम पूरा करने कि कोशिश में फ्रस्ट्रेट होते हैं, खासकर तब जब हमें बहुत सारे कॉल्स और मैसेज आते हैं। ऐसे में अपने काम पर फोकस करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन इसका एक फ़ायदा भी है।
क्या आप जानते हैं कि हमारा दिमाग भटकने के लिए बनाया गया है? क्या आपको लगता है कि हमारे पूर्वज बच पाते अगर वो अपने खाने पर ध्यान देते और उनके आस पास के जंगली जानवरो पर नहीं?
बिलकुल नहीं। जब हमारे आसपास कुछ बदलाव होता है, तो हमारा दिमाग भटक जाता है। ध्यान भटकना पूरी तरह से नार्मल है। इसे ध्यान में रखते हुए, हम हमें ध्यान भटकने से ज्यादा अपने काम पर ध्यान भटकने के बुरे परिणामो के बारे में सोचना चाहिए।
आपके ऑफिस में कुछ ख़ास तरह के डिस्ट्रैक्शंस हो सकते है जैसे कंप्यूटर और स्मार्टफोन्स। भले ही हम कंप्यूटर और स्मार्टफोन्स की हमेशा तारीफ़ करते हों हमारे काम को आसान बनाने के लिए, लेकिन वो हमें फोकस करने से और हमें काम करने से भी रोकते हैं। इसीलिए, अगर आप अपने फ़ोन को स्विच ऑफ कर दें या साइलेंट मोड पर डाल दें तो ये एक अच्छी शुरुआत हो सकती है।
लेकिन ऐसे डिस्ट्रैक्शन का क्या जो अनप्रेडिक्टेबल हो, जैसे एक एम्बुलेंस आपके गली से गुजर रही हो? ये सारे डिस्ट्रैक्शंस गलत नहीं हैं, कभी कभी हमें अपने दिमाग को भटकने देना चाहिए क्योकि इससे फोकस करने में मदद मिलती है।
ये किसी पैराडॉक्स कि तरह लगता है, है ना? लेकिन इसमें सच्चाई है। 2012 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के रिसर्च से पता चला है कि जब हम क्रिएटिव प्रोब्लम्स से जूझ रहे होते हैं तो हमें हमारे दिमाग को भटकने देना चाहिए। सवाल यह है कि किस तरह आप अपने दिमाग को डिस्ट्रैक्ट करे लेकिन अपने काम को भी याद रखे?
आप अपने दिमाग को कुछ अलग चीज़ पर लगा सकते हैं जो पूरी तरह से आपके काम से अलग हो या बहुत ही आसान हो, जैसे अपना डेस्क साफ़ करना या अपना लंच बनाना। अगर आप थोड़ी देर के लिए किसी और प्रॉब्लम के बारे में सोचते हैं तो आप बहुत अच्छे से अपने काम को फिर से शुरू कर सकते हैं। या फिर आप पूरी तरह से किसी दूसरे काम में लग जाए। इन दोनों तरीको से आपके दिमाग को थोड़ा ब्रेक मिलेगा और आप अपने काम को और अच्छे से कर पाएंगे।
हम सभी जानते हैं कि एक्सरसाइज स्वास्थ्य के लिए बहुत जरुरी है। लेकिन अगर यह आपको मोटीवेट करने के लिए काफी नहीं है, तो आपको बता दें कि एक्सरसाइज करने से हमारा दिमाग भी अच्छे से काम करता है।
ये एक रिसर्च से पता चला जहां लोगो को रंगो में लिखे हुए शब्द बताने थे, जैसे, “येलो” को हरे रंग में लिखा गया।
लोगो को या तो रंग बताना था या शब्द, और उन्होंने ये टेस्ट एक्सरसाइज करने से पहले और एक्सरसाइज करने के बाद दिया। इस टेस्ट में यह देखा गया कि जो लोग एक्सरसाइज करने के बाद टेस्ट दे रहें थे उन्होंने ज्यादा सही जवाब दिए। इससे पता चलता है कि एक्सरसाइज करने से हमरे दिमाग को सोचने और डिसीज़न लेने कि क्षमता बढ़ जाती है।
एक और रिसर्च में यह पाया गया कि फिजिकल एक्सरसाइज आपको किसी भी चीज़ पर ध्यान लगाने में मदद करती है। इस टेस्ट में, लोगो को स्क्रीन पर एक लक्ष्य पर निशाना लगाने को कहा गया, और साथ ही उन्हें आस पास हो रही चीजों पर ध्यान नहीं देने के लिए बोला गया। फिजिकल एक्सरसाइज करने के बाद, लोगो ने बिना ध्यान भटकाए अपने लक्ष्य पर फोकस किया।
इसलिए, जिम में वर्कआउट करने के बाद आप अपने लिए कुछ जरुरी काम को स्केडुल कर सकते है। लेकिन क्या होगा अगर आपके पास एक्सरसाइज के लिए समय ही नहीं हैं ?
कुछ ख़ास तरह के डाइट भी आपकी काम करने कि क्षमता बढ़ाती है। जैसे कार्बोहाइड्रेट और फैट्स। रिसर्च से पता चला है कि कार्ब्स खाने के तुरंत बाद, आप बहुत अच्छे से ध्यान लगा पाते हैं।
लेकिन यह केवल एक घंटे ही काम करता है। हैरानी की बात है, फैट्स कार्ब से ज्यादा मददगार है। एक रिसर्च से पता चला है कि कुछ फैट्स खाने के तीन घंटे बाद भी हमारे दिमाग के लिए फायदेमंद हैं। जो लोग डिहाइड्रेटेड हैं उन्हें फोकस करने में ज्यादा मुश्किल होती है, इसलिए आप ज्यादा पानी पीकर भी अपने दिमाग को इफेक्टिव बना सकते हैं।
आप क्या खाते हैं सिर्फ यही आपकी एफ्फेक्टीवनेस के लिए जरुरी नहीं है। आपके आसपास क्या होता है यह भी जरुरी है।
क्या आप उन लोगों में से हैं जिन्हें काम करते समय पूरा शांत माहौल चाहिए होता है? क्या आप म्यूजिक और शोर से काम में ध्यान नहीं लगा पाते हैं? सच्चाई ये है कि म्यूजिक और गॉसिप आपके काम करने कि क्षमता को घटा देता है।
कई रिसर्चेस से पता चला है कि गॉसिप आपको ध्यान लगाने या किसी चीज़ को पढ़ने और समझने कि शक्ति को एफेक्ट करता है।
इसलिए, जब आप अपने काम को अच्छे से करना चाहते हैं, तो आप ऑफिस में अकेले बैठें या लोगो से दूर रहें, ताकि कोई आपक डिस्टर्ब ना करे।
इसके अलावा, कुछ ख़ास तरह कि लाइटें आपको काम करने के लिए अच्छा माहौल दे सकती है। जैसे, नीली रोशनी और चमकदार सफेद रोशनी आपको काम पर फोकस करने में मदद करती है।
इंग्लैंड में हुई एक रिसर्च के दौरान दो एक जैसे ऑफिस में अलग अलग लाइटिंग की: वाइट और ब्लूइश वाइट। लोग जो ब्लूइश वाइट रौशनी में काम कर रहे थे वो ज्यादा अच्छी तरह से काम कर रहे थे।
लेकिन अगर आप अपने ऑफिस लाइटें अच्छी नहीं कर सकते, तब भी एक चीज़ है जो आपके लिए अच्छी साबित हो सकती है: सफाई। वो सारे नोट्स, अनफिल्ड पेपर और फ्री सैम्पल्स जो आपका ध्यान खींचते हैं, और आपको जरुरी काम करने से रोकते हैं, उन्हें साफ़ करके रखें।
अगर आपने ये सारे सबक पढ़ लिए है तो अपनी कुर्सी पर से उठ और थोड़ा बहार टहल लीजिये। जब आप टहल कर वापस आएंगे तो आप ये सारी स्ट्रेटेजीज को इस्तेमाल करना शुरू कर सकते हैं।
आप 5 आसान स्ट्रेटेजीज का पालन करके रोज कम से कम दो घंटे अपने आप को इफेक्टिव कर सकते हैं: आप डिसीजन लें; अपने दिमाग को काम पर लगाएं; डिस्ट्रैक्शंस से लड़ना बंद कर दें; अपने मन और शरीर को एक करें; और अपने ऑफिस को अपने हिसाब से एडजस्ट करें। इस तरह, आप अपने आप को अच्छी तरह से काम करने के लिए साइकोलोजिकल और बायोलॉजिकल कंडीशन दे सकतें हैं।
किसी भी तरह से इसे कीजिये।
अगली बार आपको लगे की आपका दिमाग सही से काम नहीं कर रहा है, या आप अपने काम पर ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं तो आप काम छोड़कर थोड़ी देर के लिए बहार चले जायें। ऐसे सिचुएशन में आपको थोड़ी एक्सरसाइज की जरुरत है। और आप याद रखें कि आप सिर्फ जिम में ही एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैं। ऑफिस के बाहर थोड़ी देर टहलना भी आपको अच्छा और फ्रेश फील करवा सकता है।
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह Two Awesome Hours Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
आज आपने इस बुक समरी से क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
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Can you be more specific about the content of your article? After reading it, I still have some doubts. Hope you can help me.