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Your Retirement Salary Summary in Hindi – रिटायरमेंट के बाद भी कैसे बिना परेशानी से जी सकते हैं ?

Your Retirement Salary Summary in Hindi – रिटायरमेंट एक ऐसा शब्द है जो हर नौकरी पेशा इंसान को परेशान करता है। जब हम रिटायरमेंट की उम्र में पंहुचते हैं तो एक चिंता सताने लगती है कि अब जबकि मंथली सैलरी आनी बंद हो जाएगी तो हमारे खर्चे किस तरह पूरे होंगे। रिचर्ड डायसन और रिचर्ड इवान्स की किताब “योर रिटायरमेंट सैलरी” आपकी इस मुश्किल को आसान करती है।

इन दोनों लेखकों को फाइनेंस सेक्टर में सालों का अनुभव है। अपने इसी अनुभव के आधार पर इन्होंने ये किताब लिखी है जो यह समझाती है कि आपको किस तरह सेविंग्स प्लान करनी चाहिए जिससे रिटायरमेंट के बाद भी आपकी जिंदगी उसी तरह चल सके जब आप नौकरी करते थे और आपको पूरी सैलरी मिलती थी।

क्या आप रिटायर्ड पर्सन या पेंशनर्स है, क्या आप एक ऐसे इंसान है जो आने वाले कल के लिए पैसे बचाता है, क्या आप उन लोगों में से है जो पैसों की महत्व समझते हैं तो ये बुक उनके लिए है।

लेखकों के बारे में

रिचर्ड डायसन को फायनेंशियल जर्नलिज्म में पुरस्कार मिल चुका है। वे द एक्सप्रेस, द मेल ऑन संडे, इन्वेस्टर्स क्रॉनिकल और द डेली टेलीग्राफ से भी जुड़े हैं। इसके अलावा वे द टेलीग्राफ मीडिया ग्रुप के पर्सनल फाइनेंस डिपार्टमेंट के प्रमुख भी रह चुके हैं।

रिचर्ड इवान्स ब्रिटेन के जानेमाने फाइनेंशियल कमेंटेटर्स, सेविंग्स एक्सपर्ट्स और इन्वेस्टमेंट एनालिस्ट्स में से एक हैं। उन्होंने के बहुत से टॉप लेवल के फंड मैनेजर्स और प्रोफेशनल इन्वेस्टर्स के इंटरव्यूज भी लिए हैं। इस वजह से उनको फायनेंशियल मैटर्स की बहुत अच्छी जानकारी है।

Your Retirement Salary Summary in Hindi – रिटायरमेंट के बाद भी कैसे बिना परेशानी से जी सकते हैं ?

पेंशन का मतलब सबके लिए अलग-अलग होता है।

आप अपने जीवन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा मेहनत करते हैं और पैसे कमाते हैं। रिटायरमेंट पर मिलने वाले बेनिफिट इसी मेहनत का फल है। एक वक्त था जब लोग पेंशन पर आसानी से गुज़ारा कर लेते थे पर आज की तारीख में उन्हें ये बात परेशान करती है कि रिटायर हो जाने के बाद उनकी ज़रूरतें कैसे पूरी होंगी? उनको यह चिंता सताती रहती है कि वो सिर्फ पेंशन के सहारे ज़िंदगी कैसे काटेंगे?

इसके अलावा एक आम इंसान को टैक्सेशन, इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो और सालाना निकासी जैसे फायनेंशियल मैटर्स की बहुत समझ भी नहीं होती है। एन्युटी और नेचुरल यील्ड जैसे शब्द तो बहुतों ने सुने भी नहीं होते। हर किसी के पास प्रोफेशनल एडवाइस लेने की चॉइस भी नहीं होती।

ऐसे वक्त पर यह किताब आपकी मदद करती है। इस किताब के जरिए दो एक्सपर्ट्स आपकी इन उलझनों को पूरी तरह सुलझा देते हैं। किताब में आगे हम ब्रिटेन के टॉप वित्तीय सलाहकारों रिचर्ड डायसन और रिचर्ड इवान्स को पढ़ेंगे। वे आपको रिटायरमेंट के बाद भी पैसों को लेकर निश्चिंत रहने के तरीके समझाते हैं।

यह किताब आपको ब्रिटिश पेंशन सिस्टम की जानकारी देती है लेकिन यह दुनिया के हर इंसान के लिए काम की है। इस किताब में दी गई सलाह को फॉलो करके आप आराम से रिटायरमेंट की लाइफ एन्जॉय कर सकते हैं।

अगर आप पूछें कि पेंशन क्या है तो हर कोई अपने तरीके से जवाब देगा।

सबसे कॉमन जवाब मिलेगा कि जिस तरह नौकरी करने पर सैलरी मिलती है उसी तरह रिटायर हो जाने पर पेंशन मिलती है।

कोई कहेगा कि आप अपने भविष्य के लिए जो इन्वेस्टमेंट करते हैं उसके रिटर्न को भी पेंशन कहा जा सकता है।

दरअसल इसमें वो सब अमाउंट शामिल है जिसे आप अपने काम करने के दौरान जोड़ते रहते हैं चाहे वो आपकी सेविंग्स हो, कोई इन्वेस्टमेंट हो या फिर आपका पीएफ। ये रिटायरमेंट पर आपके काम आता है।

1960 से 80 के समय तक “गोल्ड वॉच रिटायरमेंट” का कॉन्सेप्ट चलन में था। जब कोई कर्मचारी लंबी सेवा के बाद रिटायर होता था तो उसे एक सोने की घड़ी गिफ्ट की जाती थी। यह कंपनी की तरफ से अपने पुराने कर्मचारियों का सम्मान करने का एक तरीका था।

इसके साथ-साथ डिफाइंड बेनिफिट या फाइनल सैलरी पेंशन सिस्टम हुआ करता था। इसमें लोगों को उनकी मंथली सैलरी की तरह अच्छी खासी पेंशन भी मिलती थी। इस तरह रिटायर होने के बाद भी लोग बेफिक्र होकर जिंदगी बिताया करते थे।

इस सिस्टम में कंपनी, एम्प्लॉयी की लास्ट सैलरी का कुछ परसेंट (ये आम तौर पर 2.5% हुआ करता था) उसके टोटल वर्क ईयर से गुणा करके पेंशन के तौर पर फिक्स कर देती थी। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए आपने एक कंपनी में 25 साल काम किया और रिटायरमेंट के वक्त आपकी सालाना इन्कम $67000 थी। तो ऊपर दिए कैलकुलेशन से आपकी सालाना पेंशन $41875 बनती है।

ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में इस तरह के पेंशन सिस्टम की वजह से लोग रिटायरमेंट के बाद भी फाइनेंशियल तौर पर मजबूत रहते थे। आज भी 70s और 80s में रिटायर हुए कई लोग इसकी बदौलत बड़े सुकून से जी रहे हैं। हालांकि उनकी नेक्सट जेनरेशन्स जब काम करने लगीं तब काफी कुछ बदल गया। इसे अगले लेसन में समझाया गया है।

अब वो दिन गए जब बेहतरीन पेंशन प्लान हुआ करते थे।

80s का दशक तक आते-आते अच्छी पेंशन स्कीम्स खत्म होती गईं। इसकी दो वजह थीं। एक तो लोगों की औसत आयु बढ़ने लगी। दूसरा, इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न्स कम होने लगे। पहले लोगों की औसत आयु कम हुआ करती थी। इसकी वजह से उनकी रिटायर्ड लाइफ भी छोटी रहती थी। लोग ज्यादा से ज्यादा 70 साल तक जिया करते थे। आज अच्छी हेल्थकेयर और मेडिकल सुविधाओं की वजह से लोग एक लंबी जिंदगी जीने लगे हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि अब उनकी रिटायर्ड लाइफ लंबी होती है और इतनी ज्यादा पेंशन देना कंपनियों लिए घाटे का सौदा है।

अब दूसरी वजह को समझते हैं। धीरे-धीरे इंट्रेस्ट रेट कम होती जा रही है और इन्वेस्टमेंट पहले की तरह रिटर्न्स नहीं देते। 1980s में जहां आराम से 9% तक सालाना इंट्रेस्ट मिल जाता था अब वो एक तिहाई रहकर 3% तक आ गया है।

इन दोनों फैक्टर्स की वजह से कंपनियों के लिए पुराने पेंशन सिस्टम को लागू रखना मुश्किल होने लगा। कानून के मुताबिक पेंशन देना तो जरूरी था। इस वजह से पेंशन स्कीम्स में बदलाव किए गए ताकि उन पर बर्डन न पड़े। और इसकी वजह से पेंशन घटती गई।

आज एक नया पेंशन सिस्टम चल निकला है जिसे डिफाइंड कॉन्ट्रिब्यूशन मॉडल कहा जाता है। इसमें कंपनी अपनी तरफ से जितना मंथली अमाउंट आपकी पेंशन के तौर पर जमा करती है उतना ही आपकी सैलरी से भी काट कर जमा कर दिया जाता है। यानि आप बचत तो कर रहे हैं पर इसमें आपकी अपनी सैलरी से ही पैसे कट रहे हैं और कंपनी की जेब पर भी ज्यादा भार नहीं पड़ रहा।

इन पैसों को अलग जमा किया जाता है और रिटायर होने पर यह पैसे आपको मिल जाते हैं। यानी बीते दिनों की तुलना में अब पेंशन पर गुजारा करना मुश्किल है।

अब अपनी रिटायरमेंट का भार एम्प्लॉयर से एम्प्लॉयी पर शिफ्ट हो गया है। आसान शब्दों में कहें तो पहले आप बस काम करते थे और आपका ऑफिस आपके रिटायरमेंट की चिंता करता था। आपका भविष्य सिक्योर था। आज आप काम भी करते हैं और आपको अपने भविष्य की चिंता भी सताती रहती है।

अगले चैप्टर में हम पढ़ेंगे कि आपको किस तरह से अपने इन्वेस्टमेंट्स प्लान करना चाहिए ताकि आपका फ्यूचर सिक्योर रहे।

जब आप रिटायर हो जाते हैं तो इन्वेस्टमेंट से मिलने वाले रिटर्न्स ही आपके काम आते हैं। हालांकि इंट्रेस्ट रेट लगातार कम होते जा रहे हैं और इस वजह से घर चलाना मुश्किल होता जा रहा है।

आपने जो सेविंग्स की होती है, रिटायर होने के बाद अपने खर्चे उसी से पूरे करने पड़ते हैं और इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि ये बचत खत्म न हो जाए। आपको बचत पर ब्याज मिलता है और एक तरह से यही आपकी इन्कम बन जाती है। सबसे पहले यही समझते हैं कि आपको ज्यादा रिटर्न्स कैसे मिल सकते हैं।

कुछ इन्वेस्टमेंट रेगुलर इन्कम जनरेट करते हैं। जैसे अगर आपने स्टॉक मार्केट फंड में निवेश किया है तो आपको हर क्वाटर (तीन महीने) में उसका डिविडेंड मिलता है। इसी तरह इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट भी एक अच्छा विकल्प है।

वैसे तो आप जब चाहें इन फंड्स में से कैश निकाल सकते हैं पर हर ट्रांजैक्शन के पैसे भी कटते हैं। इसलिए एक्सपर्ट्स ये सलाह देते हैं कि आप हर तीन महीने में कैश निकाला करें।

हर इन्वेस्टमेंट में दो फैक्टर्स होते हैं। यील्ड और नेचुरल यील्ड।

जब आप बचत खाता खोलते हैं तब आपको अपने जमा किए हुए पैसे पर ब्याज मिलता है। इसे यील्ड कहते हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो आपकी इन्कम है। इसी तरह मकान से मिलने वाला रेंट भी एक यील्ड है। अब इन दोनों में फर्क ये है कि बैंक में पैसे जमा करने पर कोई मेंटेनेंस नहीं देना पड़ता लेकिन एक घर की समय-समय पर मेंटेनेंस और रिपेयरिंग करनी होती है जो आपकी जेब पर एक बर्डन बनता है। इससे बचने के लिए घर से मिलने वाली इन्कम में से एक हिस्सा इस तरह के खर्चों के लिए अलग रख देना चाहिए। इस तरह आपके पास जो अमाउंट बचा वो हुई आपकी नेचुरल यील्ड ।

अब इसको डीटेल में समझते हैं। आज के समय में ब्याज दरें बहुत घट चुकी हैं। शेयर मार्केट में स्टेबिलिटी नहीं है। बड़ी-बड़ी कंपनियों के शेयर खरीदना भी फायदेमंद नहीं रह गया है। अगर आप $1000 इन्वेस्ट करते हैं तो मुश्किल से $37 का रिटर्न मिलता है। यानि अगर आपको साल के $30000 चाहिए तो कम से कम $798000 इन्वेस्ट करने होंगे। अब ये सबके बस की बात तो है नहीं।

इस तरह के इन्वेस्टमेंट्स में पैसा डूबने रिस्क भी होता है। इसके अलावा इस पर टैक्स भी कटता है।

ये सब पढ़कर आप सोचने लगे होंगे कि इस तरह से तो सिर्फ रिच क्लास ही सर्वाइव कर सकती है तो फिर एक आम इंसान क्या करे? आपके मन में ख्याल आएगा कि शायद अपने ऐसेट्स बेच देना एक सही सॉल्यूशन होगा।

अपने एसेट्स बेचकर आपको अच्छे पैसे मिल सकते हैं पर इसके लिए बहुत सी बातों का ध्यान देना चाहिए।

अब एक और उदाहरण देखते हैं। डेविड नाम का एक इंसान है जिसकी कुल सेविंग्स $300,000 है। उसका अपना एक घर है और उसको अपने खर्चों के लिए सालाना $150,000 की जरूरत होती है। इसका मतलब है कि उसे किसी ऐसी स्कीम में यह पैसा लगाना चाहिए जहां कम से कम 5% इंट्रेस्ट मिलता हो। हालांकि उसे वर्तमान ब्याज दर 4.24% के हिसाब से $12,709 रुपये ही मिल पा रहे हैं।

डेविड को उतना रिटर्न नहीं मिल पा रहा जितनी उसे जरूरत है। अपने खर्चों को पूरा करने के लिए उसे अपने ऐसेट्स बेचने का ख्याल आता है। अब आप कहेंगे कि ये कैसी बेतुकी बात है! ठंडे दिमाग से सोचिए। आपको बस थोड़ी प्लानिंग करके इस काम को करना चाहिए ताकि आपकी जरूरत भी पूरी हो जाए और आपको नुकसान भी न हो।

डेविड जैसे बहुत से लोग जल्दबाजी में या बिना सोचे समझे कोई ऐसा कदम उठा लेते हैं कि उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है।

मान लीजिए आपके जितने मंथली खर्च हैं, आपको सेविंग्स पर उससे $500 कम रिटर्न मिलता है। इसे पूरा करने के लिए आप कुछ शेयर बेचने का सोचते हैं। अगर एक शेयर की कीमत $1 है तो आपको 500 शेयर बेचने होंगे। लेकिन शेयर मार्केट अप-डाउन होता रहता है। अगर एक शेयर की कीमत 10% भी कम हो गई तो अब आपको 555 शेयर बेचने पड़ेंगे।

आपकी जरूरत तो पूरी हो जाएगी पर आपके पास कम शेयर बचेंगे। इसका मतलब उनसे मिलने वाला रिटर्न भी कम हो जाएगा यानि अगली बार और ज्यादा शेयर बेचने की नौबत आ जाएगी।

अब एक मजे की बात यह है कि शेयर प्राइस बढ़ भी सकते हैं। ऐसे में आप ज्यादा फायदा कमाने के चक्कर में फिर जरूरत से ज्यादा शेयर बेच देंगे। ये ह्यूमन टेंडेंसी है। और एक बार तो पैसे आ भी जाएंगे पर कम शेयर बचने की वजह से आपकी सेविंग्स और कम रिटर्न देगी। तो आप चाहे कुछ भी कर लें, इस तरह ऐसेट्स बेचकर आपका नुकसान ही है।

इससे बचने का एक बहुत आसान तरीका है। जब भी अपने ऐसेट्स बेचने हों, उनका सिर्फ 1% ही बेचिए।

इसकी अच्छी बात ये ही कि जितने भी आपके ऐसेट्स थे उनमें बस 1% की ही कमी आती है और रेग्युलर इन्कम बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होती। इनमें से भी कुछ पैसे आपको इन्वेस्ट कर देना चाहिए ताकि आपके सोर्स ऑफ इनकम बढ़ते रहें।

एन्यूटी, रिटायरमेंट के बाद रेग्युलर कैश फ्लो का एक अच्छा ऑप्शन है और इसमें रिस्क भी नहीं होता है।

जैसा हमने पहले पढ़ा आप अपने ऐसेट्स का कुछ हिस्सा बेचकर पैसे जुटा लेते हैं। लेकिन ये तरीका तब फायदेमंद हो सकता है जब आपको मालुम हो कि आपको कितने साल और जीना है तभी आप अपना फाइनेंस, खर्चे इत्यादि सही तरह से प्लान कर सकते हैं। लेकिन ये तो संभव नहीं है। इस वजह से आपके पास एक बैकअप प्लान होना बहुत जरूरी है। एन्यूटी ऐसा ही एक बैकअप प्लान है।

यह एक इन्श्योरेंस प्रोडक्ट है जिससे रेग्युलर इन्कम होती है। इसमें आपके डिपॉजिट किए अमाउंट पर एक गारंटीड राशि मिलती रहती है। यह हर साल लगभग 3% बढ़ती भी है। आपको यह पढ़कर बहुत अच्छा लगा होगा और आप सोचेंगे कि यह तो सच में फायदेमंद है पर एन्यूटी के अलग-अलग प्लान होते हैं और ये जरूरी नहीं कि ये सबको उतना ही फायदा मिले। इसमें आपकी एज भी एक बड़ा रोल प्ले करती है। एक 65 वर्ष के व्यक्ति अगर $300,000 इन्वेस्ट करता है तो उसे 2.8% की दर से सिर्फ $8,400 की सालाना इन्कम ही होगी।

दरअसल इन्श्योरेंस प्लान एवरेज एज और हेल्थ पर ध्यान देते हैं। एक 65 वर्षीय स्वस्थ महिला की औसत आयु 86 वर्ष मानी जाती है। इस एज में एन्यूटी प्लान लेने पर इन्श्योरेंस प्रोवाइडर को अगले 21 साल तक कवरेज देना होगा। इसी वजह इस प्लान में इन्ट्रेस्ट रेट कम रखा जाएगा। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, एक्सपेक्टेड लाइफ कम होने की वजह से इन्ट्रेस्ट रेट बढ़ने लगती है।

यानि अगर 65 साल की उम्र में आपको $100,000 की एन्यूटी से $3,214 मिल रहे हैं तो 70 साल की उम्र पर $3,806 और 80 साल पर $6,015 मिलेंगे।

लेकिन एन्यूटी के अपने फायदे हैं। सबसे पहली बात है कि ये सिक्योर होती है। इसीलिए इसे इन्श्योरेंस कॉन्ट्रैक्ट कहा जाता है। यानि जहां शेयर, म्यूचुअल फंड जैसे इन्वेस्टमेंट में पैसा लगाने पर आपको हमेशा रिस्क बना रहता है, एन्यूटी में आप आराम से निवेश कर सकते हैं। क्योंकि आपके पास एक निश्चित रकम तो आनी ही है। इसके अलावा आपके न रहने पर आपके पार्टनर को इस इन्कम का लगभग 50% मिलता है।

एन्यूटी का एक फायदा और भी है कि इसे ज्यादा मॉनीटर करने की जरूरत नहीं होती। आपने एक बार पैसे लगा दिए फिर बस आपको इसकी इन्कम मिलती रहती है। इस वजह से बुज़ुर्गों के लिए यह बहुत सुविधाजनक है।

रिटायर होने के बाद अगर आप अपने खर्चों के लिए अपनी सेविंग्स का ही इस्तेमाल करने लगेंगे तो एक दिन आपके हाथ खाली रह जाएंगे।

हमारा घर हमारे लिए सबसे बड़ी ऐसेट होता है। लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं है कि जब आप रिटायर हो जाएं तो अपने जीवन यापन के लिए घर ही बेच दें। तो फिर सॉल्यूशन क्या हो सकता है?

आप इक्विटी रिलीज शब्द अक्सर सुनते होंगे। इसे एक तरह का लोन कहा जा सकता है जो 55 साल से ज्यादा उम्र के लोग ले सकते हैं। इसमें मकान मालिक अपने घर की कीमत का कुछ हिस्सा लोन ले सकते हैं और इस पैसे को मनचाहे तरीके से खर्च कर सकते हैं। यानि इलाज, वेकेशन, घर खर्च, इत्यादि।

ये तरीका सुनने में बहुत अच्छा लगता है पर इसके भी कुछ नुकसान हैं। दरअसल इसका असर आपकी नेक्सट जेनरेशन्स पर होता है जो इस प्रॉपर्टी के वारिस बनते हैं। इसलिए इसका डिसीजन “बहुत सोच समझ कर लेना चाहिए। ये पैसा टैक्स फ्री होता है पर जो आपको लोन देता है, वो इस पर कंपाउंड इंट्रेस्ट लगाता है। अगर आज आपने अपने घर की कीमत का एक-तिहाई पैसा लोन लिया जिस पर 6% ब्याज लग रहा है और मकान की कीमत सालाना 4% बढ़ रही है तो 35 सालों बाद आपको मकान की कीमत का लगभग दो-तिहाई लोन चुकाना पड़ेगा। यानि एक घर जिसकी कीमत $1,213,730 है, उस पर $812,355 देना होगा।

इस वजह से इक्विटी रिलीज को सबसे आखिरी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। और इससे जितना हो सके उतना दूर रहना चाहिए।

आप मकान का कितना परसेंट लोन के तौर पर ले सकते हैं, ये आपकी उम्र पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, ये परसेंटेज बढ़ता जाता है लेकिन इसके लिए आपको ये एग्रीमेंट साइन करना पड़ता है कि लोन का अमाउंट आपके घर की वेल्यू से ज्यादा नहीं होगा। इक्विटी रिलीज के दो मुख्य तरीके हैं, लाइफटाइम मोर्गेज और होम रिवर्जन। इनमें पहला सबसे ज्यादा पॉपुलर है। इसमें आप लोन लेते हैं लेकिन अपनी प्रॉपर्टी के मालिक भी बने रहते हैं। लोन लेने वाले के न रहने पर घर बेचकर लोन पे कर दिया जाता है। इसमें आपको ब्याज हर तीन साल में देना होता है। आप चाहें तो इसे जल्दी भी पे कर सकते हैं।

हमें न सिर्फ अपने रिटायरमेंट के बारे में सोचना होता है बल्कि ये भी ध्यान रखना होता है कि मरने के बाद हमारे बच्चों को हम क्या देकर जाएंगे।

मृत्यु के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता लेकिन कोई भी इससे इम्यून तो नहीं है। इसलिए हम सबको अपने ऐसेट्स और इन्कम भी इसी नजरिए से बनाने चाहिए कि हमारे बाद वे हमारे बच्चों को मिल सकें ताकि उनका फ्यूचर सुरक्षित रहे और उन्हें किसी तरह की फाइनेंशियल परेशानी न हो। एन्यूटी और फाइनल सैलरी पेंशन आपके बाद आपकी पत्नी या नॉमिनी को मिलती रहती है। ये आम तौर पर आधा या दो-तिहाई भाग होता है पर ये इन्वेस्टमेंट के टर्म एंड कंडीशन पर भी डिपेंड करता है। ज्यादातर इसमें कोई टैक्स का प्रोविजन नहीं होता है।

इसके अलावा बहुत से ऐसे ऐसेट्स हैं जो टैक्सेशन के दायरे में आते हैं। कुछ में थोड़ी छूट मिलती है। जैसे ब्रिटेन में $400,000 तक टैक्स फ्री हैं। यदि वारिस मैरिड कपल या सिविल पार्टनरशिप का एक पार्टनर है तो उसे $800,000 तक के अमाउंट या ऐसेट्स पर छूट है। इससे ज्यादा मिलने पर 40% की रेट से टैक्स अप्लाई होता है। इसके विपरीत पेंशन की रकम के लिए अलग टैक्स कैलकुलेशन होते हैं।

अगर आपको विरासत में एक घर मिलता है तो उस पर इन्हेरिटेंस टैक्स लगेगा पर पेंशन की रकम पार्शियली टैक्स फ्री होगी। एक महिला जिसके घर की कीमत $1 मिलियन है और उसे उसके पति की पेंशन सेविंग्स के तौर पर $330,000 मिलते हैं। वह अपना घर और ये पैसा अपने बच्चों को देना चाहती है। तो उसके बच्चों को घर पर टैक्स देना होगा जबकि पेंशन अमाउंट टैक्स फ्री होगा।

असल में पार्शियली शब्द को डीटेल में समझने की जरूरत है। अगर विरासत में पेंशन की रकम मिलती है तो उस पर इन्हेरिटेंस टैक्स भले ही न लगे, इन्कम टैक्स फिर भी लग सकता है। ये मरने वाले की उम्र पर डिपेंड करता है। 75 साल से पहले किसी की मृत्यु होती है तो वारिस या नॉमिनी को टैक्स नहीं देना पड़ता। 75 साल से ज्यादा उम्र होने पर उनको उतना ही टैक्स देना होता है जितना वह अपनी इन्कम पर देते हैं।

इस किताब में रिटायरमेंट प्लानिंग, पेंशन और बहुत से फाइनेंशियल मैटर्स को इस तरह समझाया गया है कि आप अपने भविष्य के लिए आसानी से कोई डिसीजन ले सकते हैं। आपके पास बहुत से रास्ते हैं। आपको बस एक ऐसा रास्ता चुनना है जो आपके लिए आसान और सही हो।

Conclusion

आज के दौर में सिर्फ पेंशन पर गुजारा नहीं किया जा सकता। अब वह समय बदल चुका है जब पेंशन स्कीम्स बहुत फायदेमंद होती थीं। अब आपको अपने रिटायरमेंट के लिए एक प्लानिंग करनी जरूरी है। आप ऐसे इन्वेस्टमेंट करें जिसमें आपको ज्यादा रिटर्न्स मिल सकें। ताकि न सिर्फ आपका बल्कि आपकी फैमिली के पास भी फाइनेंशियल सिक्योरिटी बनी रहे।

तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह Your Retirement Salary Summary in Hindi कैसा लगा ?

आज आपने क्या सीखा ?

अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

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