Barking Up The Wrong Tree Book Summary in Hindi – बार्किंग अप द रांग ट्री (Barking Up The Wrong Tree) में हम देखेंगे कि हमें कामयाबी के बारे में जो बातें बचपन से बताई जाती हैं वे क्यों और कैसे गलत है। यह किताब हमें कामयाबी के रास्तों की एक झलक दिखाती है और साथ ही यह भी बताती है कि कैसे हम खुद अपने रास्ते पर चल सकते हैं।
एरिक बार्कर (Eric Barker) एक लेखक हैं। वे बार्किंग अप द रांग ट्री नाम के ब्लॉग के फाउंडर हैं। इस ब्लॉग में खुद को बेहतर बनाने के साइंटिफिक तरीकों के बारे में बताया गया है। बार्कर के काम की तारीफ न्यूयार्क टाइम्स, द वाल स्ट्रीट जर्नल, द एटलैंटिक मंथली और टाइम मैगज़ीन जैसे मैगज़ीन्स में की गई है। एक लेखक बनने से पहले वे हॉलीवुड में एक स्क्रीनराइटर के तौर पर काम करते थे।
समय के साथ हम आगे बढ़ते चले जा रहे हैं। इसी के साथ हमारी जरूरतें और ख्वाहिशें बढ़ती चली जा रही हैं। इस जरुरतों और ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए सबसे पहले हमें कामयाबी को हासिल करनी होगी। अलग अलग लोगों ने कामयाबी पाने के लिए अलग अलग फार्मुले दिए हैं। लेकिन सवाल यह है कि आपको कामयाबी के लिए जो फार्मुले दिए हैं वे किस हद तक कामयाब हैं।
हमें बचपन से बताया जाता है कि जिनके पास हुनर है, जो बुद्धिमान हैं या फिर जिनकी किस्मत अच्छी है सिर्फ वही लोग कामयाब हो सकते हैं। लेकिन ये बात बिल्कुल गलत है। यह किताब आपको कामयाबी के असल रास्तों के बारे में बताती है। इसे पढ़कर आप जानेंगे कि कामयाब लोग कैसे कामयाब होते हैं और आप भी उन्हीं की तरह कामयाब कैसे बन सकते हैं।
Barking Up The Wrong Tree Book Summary in Hindi –
आज के इस दौर में हर माता-पिता का मानना है कि अगर उनके बच्चे के मार्क्स ज्यादा आते हैं तो वे कामयाब हो जाएंगे।
लेकिन क्या असल में ऐसा होता है? आइए इस बात पर गौर करें।
स्कूल में हर एक काम के लिए नियम बनाए गए होते हैं। वहाँ आपको नियमों से रहना सिखाया जाता है।
लेकिन जिन्दगी नियमों पर नहीं चलती। यह उतार चढ़ाव से भरी पड़ी है और कभी भी करवट बदल सकती है।
ऐसे में जो लोग जिन्दगी भर नियम से रहते आए हैं वे हार जाएंगे।
स्कूल में अच्छे नंबर लाने और अच्छा बच्चा कहे जाने का मतलब है कि आपका बच्चा नियमों को मानने में एक्सपर्ट है।
अगर वो पूरी तरह से स्कूल के हिसाब से रह रहा है तो उसे पूरे नंबर दिए जाएंगे।
लेकिन क्या दूसरों के हिसाब से रहने से आपको कामयाबी मिल सकती है?
बास्टन कालेज की एक स्टडी में रिसर्चस ने 81 बच्चों पर नजर रखी जो स्कूल के वक्त में बहुत तेज हुआ करते थे।
लोग उन से उम्मीद करते थे कि वे आगे चलकर कुछ अच्छा और कुछ बेहतर काम करेंगे।
लेकिन स्कूल के नियमों का असर यह हुआ कि बड़े होते होते वे हालात बदलने की जगह उसी में ढल गए।
उन में से बहुत सारे लोग नाकामयाब हुए।
फोर्ब्स मैगज़ीन की मानें तो दुनिया के 400 सबसे अमीर लोगों में से 58 लोगों ने अपने कालेज तक की पढ़ाई पूरी नहीं की लेकिन वे बड़े बड़े कालेजों के ग्रेजुएट लोगों से ज्यादा कामयाब हैं।
जिन्दगी में वही कामयाब होते हैं जिनके पास खुद की एक मंजिल होती है।
जो अपनी मंजिलों को पाने के लिए खुद के नियम बनाते हैं और उस पर चलते हैं वे कामयाब होते हैं।
कामयाब लोग हर माहौल में ढल जाते हैं।
वे अपने बनाए गए रास्तों पर चलते हैं और अपनी मंजिल को पाने के लिए किसी भी नियम को तोड़ने से पीछे नहीं हटते।
अक्सर ही हम देखते हैं कि जो लोग बेईमानी का रास्ता अपनाते हैं वे बहुत जल्दी आगे चले जाते हैं।
एक कंपनी में मेहनत करने वाला कर्मचारी पीछे रह जाता है जबकि अपने बॉस की चापलूसी करने वाला व्यक्ति प्रमोशन पा जाता है।
लोगों का मानना है कि जिन लोगों में इस तरह की काबिलियत होती है वे आगे निकल जाते हैं।
लोगों का ऐसा मानना एक हद तक सही है।
जो लोग अच्छे होते हैं वे अपने बुरे साथियों से कम पैसे और ज्यादा बदनामियाँ कमाते हैं।
अच्छे लोगों को सबसे ज्यादा पत्थर खाने पड़ते हैं क्योंकि उन पर सबसे ज्यादा फल लगे होते हैं।
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की स्टडी में पाया गया कि जो लोग बुरे होते हैं वे अपने अच्छे साथियों से सालाना 65000 रुपये ज्यादा कमाते हैं।
लेकिन यह तो सिक्के का एक पहलू है। आइए सिक्के को पलटने की कोशिश करें।
व्हार्टन स्कूल के प्रोफेसर एडम ग्रैंट ने पाया कि जो इंजीनियर, सेल्समैन या मेडिकल स्टूडेंट एक दूसरे की मदद करते हैं वे बाकि लोगों से ज्यादा कामयाब होते हैं।
बाकि लोग इनका साथ देते हैं और वे उनकी मदद से ऊपर उठते हैं।
अगर हम इन दोनों बातों को आपस में मिला दें तो हम यह कह सकते हैं कि जो लोग दूसरों की मदद करने में विश्वास करते हैं वे या तो बहुत कामयाब रहते हैं या फिर कहीं के नहीं रहते।
दूसरी तरफ जो सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचते हैं वे बीच में रह जाते हैं।
लोग उसका हद से ज्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं जो हर वक्त सबकी मदद के लिए तैयार रहता है।
लेकिन जो दूसरों की मदद करते हैं उन्हें दूसरों का साथ भी मिलता है।
इसलिए एक अच्छा इंसान होना बुरी बात नहीं है।
जो लोग बुरे होते हैं वे शुरू में भले ही आगे निकल जाएँ लेकिन वे ज्यादा दूर तक नहीं जा पाते।
आप ने बहुत सारे ऐसे लोगों का नाम सुना होगा जो बहुत गरीबी में पैदा हुए थे लेकिन उनके जैसा दूसरा फिर कभी नहीं पैदा हुआ।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का नाम इन लोगों में आता है।
अपने बचपन के दिनों में वे रेलवे स्टेशन पर न्यूज़ पेपर बेचने जाया करते थे।
कभी कभी उनके परिवार को रात में भूखा भी सोना पड़ता था।
लेकिन फिर भी उन्होंने वो मुकाम हासिल किया जिसे हासिल करने के बारे में ज्यादातर लोग सोच भी नहीं पाते।
लेकिन कामयाब लोगों में इतनी हिम्मत और ताकत आती कहाँ से है?
इस ताकत का राज है खुद से अच्छी बातें करना, खुद को कामयाबी की कहानियाँ सुनाना और एक ऐसी मंजिल को अपने अंदर जगह देना जिसकी कीमत जिन्दगी से ज्यादा हो।
हम हर मिनट में खुद से लगभग 300 से 1000 शब्द बोलते हैं।
अगर हम खुद से यह कहें कि हम यह काम कर सकते हैं तो उस काम को कर सकने की ताकत हमारे अंदर अपने आप आ जाएगी।
इसे ही खुद पर भरोसा करना और खुद से अच्छी बातें कहना कहा जाता है। लेकिन सिर्फ इतना ही काफी नहीं है।
कामयाब होने के लिए आपको एक ऐसे सपने की तलाश करनी होगी जिसकी कीमत आपकी नींद से ज्यादा हो।
इसके लिए आपके पास एक मकसद होना चाहिए।
एक्साम्पल के लिए साइकोलॉजिस्ट विक्टर फ्रैंकल को ले लीजिए जिन्हें 1944 में जेल भेजा गया था।
उन्होने वहाँ देखा कि जो लोग बहुत स्वस्थ थे वे जल्दी मर जा रहे थे।
दूसरी तरफ जो कमजोर थे वे ज्यादा दिन तक जी रहे थे फ्रैंकल के हिसाब से इसकी वजह यह हो सकती थी कि उन कमजोर लोगों को अब भी अपनी जिन्दगी से कुछ उम्मीदें थी और उन्हीं उम्मीदों ने उन्हें जिन्दा रखा था।
फ्रेंकल ने अपने जीने की वजह अपनी पत्नी को बना लिया।
वे अपनी पत्नी खयालों में बातें किया करते थे और इसी ने उन्हें जिन्दा रखा।
अक्सर आपने यह देखा होगा कि जिन लोगों का समाज में उठना बैठना ज्यादा होता है वे ज्यादा पैसे कमाते हैं।
दूसरी तरफ जिनका समाज में उठना बैठना नहीं होता वे ज्यादा कामयाब नहीं हो पाते।
जब आपके पास बहुत सारे दोस्त होंगे तो आप उनकी मदद से आसानी से ज्यादा पैसे कमा सकते हैं।
एक स्टडी में यह बात सामने आई कि स्कूल के दिनों में जो बच्चे अपने क्लास में बहुत फेमस हुआ करते थे, वे आगे चलकर उनके मुकाबले 20% ज्यादा पैसे कमाते थे जो फेमस नहीं हुआ करते थे।
इसके अलावा शराब पीने वाले लोग भी अक्सर बाकियों से ज्यादा पैसे कमाते हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि वे बार में जाते हैं जहाँ उन्हें बहुत सारे लोग मिलते हैं जो उन्हें ऊपर उठाते हैं।
शराब पीने वाले लोग शराब ना पीने वाले लोगों से 10% ज्यादा पैसे कमाते हैं।
आइए हम फिर से सिक्के को पलटने की कोशिश करते हैं।
जिन लोगों के पास ज्यादा दोस्त होते हैं वे अपने काम में माहिर नहीं होते।
ऐसा इसलिए है कि सामाजिक रिश्तों में वे इतने उलझे हुए रहते हैं कि उन्हें खुद पर काम करने का समय नहीं मिलता।
दूसरी तरफ जो लोग समाज में ज्यादा उठते बैठते नहीं हैं वे अपने काम पर ध्यान देते हैं और अपने काम में माहिर बनते हैं।
डेविड हेरेमी की एक स्टडी में यह बात सामने आई कि 89% एथलीट्स ज्यादा लोगों के साथ उठते बैठते नहीं थे और उन्हें इससे फर्क भी नहीं पड़ता था कि लोग उनके बारे में क्या कह रहे हैं।
वे सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते थे जिससे वे ओलम्पिक खेलों में गोल्ड मेडल जीत कर लाते थे।
उनके पास कोई सामाजिक रिश्ते नहीं होते थे जिससे वे सिर्फ अपने काम को समय देते थे और उस में माहिर बनते थे।
आत्मविश्वास वो चीज़ है जो आपको आगे धकेलती है।
यह वो गुण है जिससे आप यह मान कर काम करते हैं कि आप जो कर रहे हैं वो आप कर सकते हैं।
अगर आपके अंदर आत्मविश्वास नहीं है तो आप यह सोच कर काम करेंगे कि आप से वह काम नहीं होगा।
आप उसमें अपनी पूरी ताकत नहीं लगाएंगे और आप हार जाएंगे।
कामयाबी और आत्मविश्वास का एक गहरा नाता है।
अगर आप अपने काम में बहुत माहिर हैं लेकिन आपके अंदर आत्मविश्वास नहीं है तो आप कामयाब नहीं होंगे।
आत्मविश्वास काबिलियत से ज्यादा जरूरी है।
अगर आत्मविश्वास है तो आप सब कुछ सीख कर काबिल बन ही जाएंगे।
इससे आप नए काम सीख लेंगे और अपने आप ही कामयाब हो जाएंगे।
आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए आपको खुद को ऐसा बनाना होगा जिससे लोग आपकी तरफ आकर्षित हों।
अगर आप यह सोचेंगे कि लोग आपके बारे में अच्छा सोचते हैं तो आपका आत्मविश्वास बढ़ जाएगा।
लेकिन ज्यादा आत्मविश्वास कभी कभी नुकसानदायक भी हो सकता है।
कुछ स्टडीज़ में यह बात सामने आई कि जिन लोगों के अंदर ज्यादा आत्मविश्वास होता है वे ज्यादा कामयाब तो होते हैं लेकिन वे बाकी लोगों को अपने से कम समझने लगते हैं।
ज्यादा कामयाब लोगों के पास ज्यादा ताकत होती है और बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है।
ऐसे में कभी कभी उन्हें मुश्किल फैसले लेने पड़ते हैं जिससे कुछ लोगों का नुकसान होता है लेकिन बहुत से लोगों का फायदा होता है।
इसलिए वे बाकी लोगों को अपने से कम समझते हैं ताकी समय आने पर वे ऐसे फैसले लेने से पीछे ना हटें।
इसी भावना की वजह से ज्यादा आत्मविश्वास वाले लोग दूसरों की इज्जत नहीं करते।
वे झूठ बोलते हैं और ज्यादा स्वार्थी हो जाते हैं।
इसलिए बड़े बड़े अधिकारी अक्सर भ्रष्ट हो जाते हैं।
कामयाबी के नाम में ही काम है।
अगर आप सोचते हैं कि किस्मत की वजह से ही कोई व्यक्ति कामयाब हो सकता है तो आप कभी कामयाब नहीं होंगे।
आप जितनी बड़ी कामयाबी हासिल करना चाहते हैं आपको उतनी ज्यादा मेहनत करनी होगी।
एक नाकामयाब और एक कामयाब व्यक्ति में सिर्फ इतना अंतर होता है कि वे कितना काम करते हैं।
अगर आपके अंदर बहुत हुनर है लेकिन आप काम नहीं कर रहे हैं तो आप कामयाब नहीं हो सकते।
बुद्धिमान वही होता है जो काम करता है।
खुद को काबिल बनाने के लिए आपको खुद पर काम करना होगा।
आप जितना ज्यादा काम करेंगे उतने ही काबिल बनेंगे और साथ ही उतने कामयाब भी होंगे।
एक रीसर्च में पाया गया कि जो 10% सबसे अच्छे कर्मचारी हैं वे बाकी के 80% कम काबिल कर्मचारियों से 80% ज्यादा काबिल हैं और बचे हुए 10% सबसे खराब कर्मचारियों से 700% ज्यादा काबिल हैं।
ज्यादा काम करने के अलावा आपको खुद को अपनी सीमाओं से बाहर भी खींचना होगा।
अगर आप हर रोज वही एक काम बार बार एक ही तरीके से कर रहे हैं और यह सोच रहे हैं कि आप कामयाब हो जाएंगे तो समझ जाइए आप कामयाब नहीं होंगे।
आपको हर बार कुछ बेहतर और कुछ नया करने की कोशिश करनी होगी।
अगर आप अपने काम की क्वालिटी बढ़ाना चाहते हैं तो आपको एक गुरु की तलाश करनी होगी जिसकी आप इज्जत करते हों।
इससे आप खुद को उनकी नजरों में ऊपर उठाने की पूरी कोशिश करेंगे और अपने काम में माहिर बनेंगे।
आज आपने क्या सीखा –
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह Barking Up The Wrong Tree Book Summary in Hindi कैसा लगा, अगर आपका कोई सवाल और सुझाव या कोई प्रॉब्लम है तो वो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस Barking Up The Wrong Tree Book Summary in Hindi को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.