Verbal Judo Book Summary in Hindi – वर्बल जूडो (Verbal Judo) में हम देखेंगे कि आप किस तरह किसी से बेहतर तरीके से बात कर सकते हैं और अपनी बात को सामने वाले के दिल में उतार सकते हैं। इस किताब की मदद से आप अपने बात करने के तरीकों को बदल कर अपने रिश्तों को मजबूत बना सकते हैं और किसी की भी भावनाओं को समझ कर उससे अपनी बात कह सकते हैं।
क्या आप बातचीत करने के तरीके के बारे में जानना चाहते हैं, या फिर क्या आप एक सेल्समैन हैं और अपने कस्टमर से अच्छे से बात नहीं कर पाते या फिर क्या आप बात बात पर किसी से झगड़ा कर बैठते हैं और इस आदत से छुटकारा पाना चाहते हैं तो ये बुक आपके लिए है।
लेखक
जॉर्ज जे थाम्पसन (George J. Thompson) एक फाइनैंशियल गुरु थे जो वाइज़ट्रेड (WizeTRADE) के फाउन्डर और प्रेसिडेंट थे। वाइज़ट्रेड की मदद से हजारों लोगों ने ट्रेड करना और स्टाक मार्केट को समझना सीखा। इसके अलावा वे एक पुलिस आफिसर भी रह चुके थे। उनकी मृत्यु 7 जून 2011 में हुई।
जेरी बी जेंकिंस (Jerry B. Jenkins) एक अमेरिकी नोवेलिस्ट और बायोग्राफर हैं। वे अपनी लेफ्ट बिहाइंग (Left Behind) बुक सीरीस के लिए जाने जाते हैं जो उन्होंने टिम लाहाए (Tim LaHaye) के साथ लिखी थी।
Verbal Judo Book Summary in Hindi – शब्दों की ताकत को पहचानें
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
बात करने की कला एक ऐसी कला है जिसकी मदद से आप किसी को भी खुश कर सकते हैं और किसी का भी दिल जीत सकते हैं। शब्दों में वो ताकत होती है जिससे हम किसी भी समस्या को सुलझा सकते हैं या किसी परेशान व्यक्ति की परेशानी कम कर सकते हैं।
लेकिन आपको इस कला को बेहतर तरीक़े से इस्तेमाल करने के लिए क्या करना होगा? यह किताब आपको बताती है कि कैसे आप अलग अलग लोगों से अलग अलग तरीके से बात कर उनकी और साथ ही अपनी परेशानी कम कर सकते हैं।
यह किताब हमें शब्दों के महत्व के बारे में बताती है और बताती है कि इसका इस्तेमाल हम कैसे कर सकते हैं। इस किताब को पढ़कर आप अपने आस पास के लोगों के साथ अच्छे संबंध बना सकते हैं।
- मुश्किल काम को आप सिर्फ शब्दों की मदद से कैसे सुलझा सकते हैं।
- सुनने वाले को अपनी बात पूरी तरह से समझाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
- रिश्ते में होने वाले झगड़ों को आप कैसे सुलझा सकते हैं।
अगर आपके पास बोलने की कला है तो आप मुश्किल से मुश्किल हालात को आसानी से संभाल सकते हैं।
शब्दों में वो ताकत होती है जो मुश्किल से मुश्किल काम को भी आसान कर देती है। लेखक ने इस बात को आफिसर ब्रूस फेयर ( Bruce Fair) के साथ रह कर जाना। आइए देखें उन्होंने यह बात कैसे सीखी।
एक बार लेखक ब्रूस के साथ कनसस में एक पति पत्नी के बीच हो रहे घरेलू झगड़े को सुलझाने गए थे। लेखक उस समय बहुत नर्वस थे लेकिन ब्रूस के साथ होने पर उन्हें अच्छा लग रहा था क्योंकि ब्रूस पास तजुर्बा था। के
जब लेखक वहाँ पहुँचे तो उस समय रात के 2 बज तहे थे। जब झगड़ा सुलझाने की बारी आई तो ब्रूस सीधा उन पति पत्नी के घर में जा कर उनके सोफे पर बैठ गये। वो न्यूज़पेपर पढ़ रहे थे। पति पत्नी ने उसे देखा लेकिन वे फिर से अपने झगड़े में लग गए।
फिर ब्रूस ने उन्हें बीच में रोक कर पूछा कि क्या वे उनका फोन इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने ब्रूस को इजाजत दे दी। ब्रूस फोन के पास गया और कुछ बोलकर फोन रख दिया। इसके बाद उसने पति पत्नी से कहा कि उसे यह अच्छा नहीं लगा कि कोई रात के 2 बजे उसका फोन न उठाए। फिर उसने उनके झगड़े का कारण पूछा और कहा कि रात में इस तरह से चिल्लाना अच्छा नहीं है। इसके बाद वे शांत हो गए।
जब लेखक ने ब्रूस को इस तरह से काम करते हुए देखा तो वह चौंक गया। उसने ब्रूस से पूछा कि उसने यह कैसे किया। ब्रूस ने कहा कि वो ऐसे ही काम करता है।
तभी से लेखक अच्छे से बात चीत करने के तरीकों के बारे में नोट्स लिखते आए हैं। उनके लिखे गए नोट्स ने आज इस किताब का रूप ले लिया है।
नियमों को लागू करने के लिए आप शब्दों का सही इस्तेमाल कीजिए।
नियम होना समाज के लिए बहुत जरूरी है। नियम से सब कुछ व्यवस्थित रहता है। लेकिन कभी कभी हमें नियम कुछ इस तरह से समझाए जाते हैं कि वे हमें नियम कम और हुकुम ज्यादा लगते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आप नियमों को बेहतरी से समझाएँ।
हमें पता है कि हर नियम से हमें कुछ ना कुछ फायदा मिलता है या फिर उसका कुछ ना कुछ मतलब होता है। इसलिए नियम समझाते वक्त आप नियम का मतलब बताइए। आप सामने वाले से यह मत कहिए कि – “नियम नियम होते हैं” या फिर “इसका मतलब आप नहीं समझेंगे, आप बस नियम से चलिए”। इस तरह के लफ़्ज़ों से सामने वाले को यह लगता है कि आप उसे बेवकूफ समझ रहे हैं या उसे बेवकूफ बना रहे हैं।
किसी से भी बात करते वक्त आप इस बात का खयाल रखें कि आप अपनी हर बात को साफ साफ कहें और कुछ इस तरह कहें कि सुनने वाले को अच्छा लगे। नियम समझाते वक्त अगर आपको लगे कि यह नियम सामने वाले को वाकई समझ में नहीं आएगा तो आप उससे यह बात कुछ इस तरह से कहिए जिससे उसे लगे कि वो बेवकूफ नहीं है। सुनने वाले को ये नही लगना चाहिए कि नियम कुछ ज्यादा ही लम्बा है जिसे समझ पाना मुश्किल है।
इसके अलावा अगर आप किसी से कोई बात करना चाहते हैं तो आप उससे “यहाँ आओ” कह कर कभी बात मत कीजिए। इससे यह लगता है कि आप उसे धमकी दे रहे हैं या फिर उसे लगने लगता है कि उसने कोई गलती की है भले ही उसने कुछ ना किया हो। आप उससे विनम्रता से पूछिए कि “क्या मैं आपसे बात कर सकता हूँ?”
ये बात पुलिस वालों के साथ ही हर किसी को माननी चाहिए। अगर आप किसी को “यहाँ आओ” कह कर बुलाते हैं तो यह एक हुकुम जैसा सुनाई देता है। सुनने वाले को यह समझ में नहीं आता कि वो आपकी बात क्यों माने।
किसी से बात करते वक्त उसकी बात को समझना बहुत जरूरी है।
जब हम किसी की बात को समझने की कोशिश करते हैं तो हम कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जो हमारे दिल से निकलते हैं और सामने वाले के दिल तक जाते हैं। इसलिए अगर आप सामने वाले की बातों को समझने की कोशिश करेंगे तो आप उससे अच्छे से बात कर पाएंगे।
इसका सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने आप को सामने वाले की जगह रख कर देखें | रिश्तों में एक दूसरे को समझने के लिए भी यह तरीका काम करता है। अगर आपका पार्टनर किसी बात से परेशान है तो आप उसकी आँखों से देखने की कोशिश कीजिए अगर आप बिना समझे कुछ बोलेंगे तो आप उसकी परेशानी कभी हल नहीं कर पाएंगे क्योंकि आपको परेशानी समझ में ही नहीं आ रही है। समस्या हल करने के लिए समस्या को समझना जरूरी है।
लेखक को एक बार एक आत्महत्या को रोकने के लिए बुलाया गया। आत्महत्या करने वाला अपने नहाने के टब में बैठ कर खुद को बिजली के झटके से मारने की कोशिश कर रहा था। इन हालात में अक्सर लोग आत्महत्या करने वाले को समझाने की कोशिश करते हैं कि जिन्दगी बहुत खूबसूरत है और मरना ठीक नहीं है। लेकिन क्या आपने अपने आप को उसकी जिन्दगी में रख कर देखा जिसकी जिन्दगी इतनी बदसूरत हो चुकी है कि अब उसे जिन्दा नहीं रहना?
लेखक ने उसे समझाने की कोशिश की। उन्होंने उससे कहा कि इस तरह से खुद को मारना बहुत दर्दनाक हो सकता है और इससे मरने के चांसेस भी बहुत कम हैं। अगर वो चाहे तो अपने आप को दूसरे आसान तरीकों से मार सकता है लेकिन खुद को ऐसा मारना बहुत भयानक होगा। इसका नतीजा यह निकला कि वह अपने टब से बाहर निकल आया।
किसी की बात को बीच में काटने के लिए आप कुछ शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर सामने वाला आप से कोई बात रहा है तो उसे बीच में काटना बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है। लेकिन कभी कभी हालात ऐसे हो जाते हैं कि सामने वाला लगातार बोलता ही जाता है और आपको मजबूरी में उसकी बात काट कर अपनी बात कहनी पड़ जाती है।
लेकिन इस तरह से किसी की बात को बीच में काटने से उसे बुरा लग सकता है। इसलिए आपको कोई ऐसा तरीका अपनाना होगा जिससे उसे बुरा भी ना लगे और आपका काम भी हो जाए।
इसके लिए आप सामने वाले की बातों को दोहराइए। आप उसकी बात को कुछ इस तरह से दोहराइए कि आपकी आवाज में कोई भाव से ना दिखे। आप बोलने के लिए सीधे शब्दों का इस्तेमाल कीजिए । आप “वाह” या “अच्छा” जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद आप जब वो थोड़ी देर के लिए रुके तब आप उसमें अपनी बात शुरू कर दीजिए।
अगर आप सामने वाले की बातों को इन शब्दों की मदद से काटेंगे तो उसे लगेगा कि आप उसकी बात को समझ रहे हैं। इससे उसे बुरा नहीं लगेगा और आप अपनी बात उससे कह सकेंगे।
जब सामने वाले को यह लगने लगेगा कि आप उसकी बात समझ रहे हैं तब वह भी आपकी बात को समझने की कोशिश करेगा। इससे उसे लगेगा कि आप को सच में उसकी परवाह है। आप उस पर काबू पा कर उससे अपनी बात आसानी से कह सकेंगे।
जैसे अगर आपका पार्टनर आपसे शिकायत करता है कि आप रोज घर पर लेट आते हैं तो आप
विनम्रता से उससे पूछिए कि क्या आप हर रोज लेट आते हैं। अब वो अपने शब्दों को बदल देगा और कहेगा कि आप कुछ दिन लेट आ रहे हैं। अब आप उसे समझा सकते हैं कि आप कुछ दिन से लेट क्यों आ रहे हैं।
अपने बातचीत करने के तरीके को सुधारने के लिए अपनी गलती को पहचानिए ।
हमारे साथ अक्सर होता है कि हम हर बार कोई गलती करते हैं लेकिन उसे सुधार नहीं पाते। हम अक्सर बात करते वक्त वो काम कर बैठते हैं जो हमें नहीं करने चाहिए थे। अपने अन्दर की इस कमी को निकालने के लिए आप अपनी गलती को पहचानना सीखिए और यह सीखिए कि वो गलतियाँ आप से किन हालात में होती हैं।
जब हमारे ऊपर किसी चीज का दबाव होता है तब हम अक्सर ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं। इसलिए सबसे पहले आप अपने ऊपर के दबाव से निपटने के रास्ते ढूंढिए। बात करते वक्त आप से जो भी गलतियाँ होती हैं आप उन्हें एक नाम दीजिए। इससे आप उन गलतियों को पहचान सकेंगे।
एक्ज़ाम्पल के लिए आप लेखक को ले लीजिए। जब लेखक किसी को गिरफ्तार करने जाते थे और वह व्यक्ति अपनी पहुँच के बारे में लेखक को बताने लगता था तब लेखक को बहुत गुस्सा आ जाता और वह उसे जबरदस्ती गिरफ्तार कर लेते थे।
जब सामने वाला व्यक्ति लेखक से यह बातें करता कि उसकी जान पहचान बड़े बड़े लोगों से है और वो जेल से आसानी से छूट जाएगा तब लेखक उससे कहते -“शर्त लगा लो”। वो उसे अपनी कस्टडी में ले लेते। लेकिन उन्होंने बहुत जल्दी अपनी इस गलती को पहचाना।
इसे सुधारने के लिए लेखक ने इस गलती को नाम दिया – “शर्त लगा लो”। इससे जब भी वो इस गलती को दोहराने जाते तो वे आसानी से इसे पहचान लेते और इससे उभर जाते। इससे वे अपने गुस्से पर काबू पाने लगे और अपनी गलती को सुधारने लगे।
अपने शब्दों के साथ साथ अपने बात करने के तरीके पर भी ध्यान दीजिए।
जब भी हम कोई बात कहते हैं ह अपनी सोच को अपने शब्दों में ट्रांस्लेट करते हैं। इसके लिए यह जरूरी है कि आप अपने बोलने के तरीके पर भी ध्यान दें ताकी सुनने वाले को आपकी बात अच्छे से समझ में आए।
अगर आप किसी से कुछ कहना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखिए कि आपके भाव और आपके शब्द आपस में मिल रहे हों। अगर वे आपस में नहीं मिलेंगे तो सामने वाला आपकी बातों का गलत मतलब निकाल सकता है। अक्सर आप ने देखा होगा कि कुछ दोस्त आपस में बात करते वक्त एक दूसरे को खूब चिढ़ाते हैं, लेकिन वे इस बात का बुरा नहीं मानते क्योंकि वे उन बातों को दिल पर नहीं लेते।
इसकी वजह यह है कि वे जानते हैं कि उनका दोस्त मजाक कर रहा है इसलिए उसके शब्दों से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस एक्ज़ाम्पल से साफ है कि आपके शब्द उतने मायने नहीं रखते जितने बोलने के भाव मायने रखते हैं।
बोलने से पहले आप यह भी देख लीजिए कि आप किससे बात कर रहे हैं। आप सामने वाले की पर्सनैलिटी के हिसाब से शब्द चुनिए जिससे आपकी बातें उसे अच्छे से समझ में आएँ। आप अपनी बात को कुछ इस तरह से कहिए कि इस धरती का आखिरी व्यक्ति भी आपका आखिरी शब्द समझ सके।
अक्सर आपने अपने स्कूल के दिनों में देखा होगा कि टीचर हम बच्चे एक ही आवाज में बात नहीं करते हैं। वे तेज बच्चों से दूसरे भाव में से और कमजोर बच्चों से दूसरे भाव में बातें करते हैं। हालाँकि आप इस बात का ध्यान रखिए कि आपके शब्दों से किसी को भी तकलीफ ना हो। आप सबकी इज्जत कीजिए और सबसे अलग तरह से बात कीजिए।
दूसरों को समझा कर आप अपने काम को आसान कर सकते हैं।
अगर आप किसी बच्चे को रोड पर ले जा कर उसे रोड क्रास करना बताएँ तो वह बच्चा अपने आस पास बहुत ध्यान से देखता है। वो देखता है कि कुछ गाड़ियाँ आ जा रही हैं लेकिन समय समय पर रुक जा रही हैं। वो यह नहीं समझ पाएगा कि वो गाड़ियाँ रुक क्यों रही हैं और कब रुक रही हैं।
ऐसे हालात में अगर आप उसे ट्रैफिक सिग्नल के बारे में बताएंगे कि लाल सिग्नल पर गाड़ियाँ रुकती हैं और हरे सिग्नल पर चलती हैं तो वह बच्चा आपकी बात को अच्छे से समझ कर काम कर पाएगा। लेकिन अगर आप उसे सिर्फ इतना कहें कि गाड़ी रुकने पर ही रोड क्रास करना है तो उसे पूरी बात समझ में नहीं आएगी और वो गलती कर बैठेगा।
इसलिए यह बहुत जरूरी है कि किसी को अपनी बात समझाते वक्त आप उसे पूरी बात बताएँ जिससे उसके मन में किसी तरह की शंका ना रह जाए। इससे वो आपकी बात को समझ कर आसानी से उसे मान लेगा और आपको परेशानी नहीं होगी।
लेखक को एक बार किसी व्यक्ति ने फोन कर के बताया कि बार में एक बड़ा सा आदमी शराब पी कर हंगामा कर रहा है। जब लेखक बार में गए तो उन्होंने देखा कि वह आदमी सच में बहुत बड़ा था और हाथ में काँच का एक टुकड़ा थे कर सबको धमका रहा था।
लेखक ने उसे अपने साथ जेल चलने के लिए कहा तो वह व्यक्ति लेखक को भी काँच का टुकड़ा दिखा कर धमकाने लगा। इस पर लेखक ने उसे समझाया कि उसे सिर्फ एक रात के लिए जेल में रहना होगा लेकिन अगर उसने एक पुलिस वाले पर हाथ उठाया तो अंजाम बहुत बुरे हो सकते हैं।
इस पर वो व्यक्ति मान गया और लेखक को उसे जेल ले जाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।
घर में झगड़े होते रहते हैं पर अगर आप चाहें तो उन्हें आसानी से सुलझा सकते हैं।
हर कोई रिश्तों में यह उम्मीद रखता है कि उसका रिश्ता हमेशा के लिए बना रहे और उसे उसमें कुछ ज्यादा परेशानियाँ ना झेलनी पड़े। लेकिन कभी कभी झगड़े हो जाया करते हैं। ऐसे में आपको यह सीखना होगा कि आप इस मसले को आसानी से कैसे सुलझा सकते हैं।
इसके लिए सबसे पहले आपको अपने पार्टनर को समझना होगा। फिर उससे अपनी बात इस अंदाज़ से कहिए जिससे आपके बीच की सारी कंफ्यूज़न दूर हो जाए और आप फिर से एक अच्छी जिन्दगी जी सकें।
एक्ज़ाम्पल के लिए लेखक के एक दोस्त को ले लीजिए जिसने एक ऐसी महिला से शादी की थी जिसके पहले से 4 बच्चे थे। उनकी शादी को दो महीने हुए थे और वे बहुत खुश थे। लेकिन एक दिन जब लेखक का दोस्त काम से घर आया तो उसकी पत्नी अचानक से उसके ऊपर भड़क गई और कहने लगी कि वो उसे उसके बच्चों से अलग करने की कोशिश कर रहा है।
लेखक का दोस्त दिन भर के काम से थका हुआ था जिसकी वजह से उसे भी गुस्सा आ गया। इसके बाद उन दोनों में लड़ाई शुरू हो गई।
लेकिन अगर लेखक का दोस्त चाहता तो वह इसका हल पहले ही निकाल सकता था। सबसे पहले उसे अपनी पत्नी को शांत कर के उसकी बात को पूरी तरह से समझने की कोशिश करनी चाहिए थी।
इसके बाद उसे अपने पार्टनर से यह सवाल करना चाहिए था कि क्या उसे सच में लगता है कि वो उसे उसके बच्चों से दूर करने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद उसकी पत्नी अपने शब्दों पर फिर से गौर करती और अपनी समस्या के बारे में बताती कि उसे ऐसा क्यों लग रहा था कि वो ऐसा कर रहा है।
जब उसे इसकी असल वजह पता लग जाती तब वो उसके हिसाब से सफाई दे कर सभी कंफ्यूज़न दूर कर सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया जिसकी वजह से उसके रिश्ते में कड़वाहट पैदा हो गई।
तो इस तरह से आप सामने वाले की बातों को समझ कर उसकी समस्या तक पहुंचने की कोशिश कीजिए। एक बार आप समझ जाएंगे कि समस्या क्या है तब आप आसानी से उसका हल निकाल सकते हैं।
Conclusion
किसी को बेहतर तरीके से अपनी बात समझाना आसान काम नहीं है। लेकिन आप अपने आप को सामने वाले की जगह रखकर, उसकी बातों को ध्यान से सुनकर और उसकी पर्सनैलिटी के हिसाब से से शब्दों का इस्तेमाल कर कर उससे अपनी बात को आसानी से कह सकते हैं। शब्दों की मदद से आप सामने वाले को अपनी बात समझा कर अपना काम आसान कर सकते हैं।
गलत शब्दों के इस्तेमाल से बचें।
किसी से बात शुरू करने के लिए यह जरूरी है कि वह आपकी बात सुने और आपकी तरफ ध्यान दे। उसके ऐसा करने के लिए आपको उसकी इज्जत करनी होगी और उसे यह दिखाना होगा कि आप उसकी परवाह करते हैं। इसलिए आप सामने वाले की पर्सनैलिटी को देखकर उसके लिए शब्दों का इस्तेमाल कीजिए। अगर वह उम्र में आप से बड़ा है तो उसे उसके पूरे नाम से बुराइए और साथ में श्रीमान जैसे शब्दों का इस्तेमाल कीजिए। अगर वह छोटा या आपकी उम्र का है तो उसे उसके नाम से बुलाइए ।
इसके अलावा कभी भी किसी की पहचान उसके रंग या जाति के हिसाब से मत कीजिए। इससे उसे बुरा लग सकता है।
तो दोस्तों आपको आज का यह Verbal Judo Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
आज अपने क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
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