You Do You Book Summary in Hindi – यू डू यू (2017) से आप को पता चलेगा उन बेतुके नॉर्म्स के बारे में जो आपको मजबूर करेंगे आपके खुदके साथ बनाए रिलेशनशिप पर दुबारा सोचने के लिए। सच्चाई से भरी यह सम आपको बताएगी कि किस तरह आप खुद को अपनाकर हर वो चीज पा सकते है जिसकी आप चाहत (डिजायर) रखते है।
यह किसके लिए है?
लेखक
सारा नाईट एक फ्रीलांस और एंटी गुरु राइटर हैं, वह अपनी बेस्ट सेलिंग ‘टेल इट लाइक इट इज़ टेकन’ के लिए जानी जाती हैं। इन्होंने कई और किताबेहैं लिखी हैं जैसे – द लाइफ चेंजिंग हैबिट ऑफ नोट गिविंग ऐ फक, ऐ गाइड टू यूजिंग योर टाइम मोर वाइज़ली, जो की आधारित (बेस्ड) है एक टेडटॉक पर जिसने 6 मिलियन व्यूज़ पूरे कर लिए है।
‘बी योरसेल्फ’ सुनने में काफी आसान लगता है लेकिन यह सबसे मुश्किल स्किल है। इसलिए ज़्यादातर लोग अक्सरख़ुद की ख़ुशी तलाश करने की बजाए अपनी पूरी जिंदगी दूसरो को खुश करने में लगा देते है।
यह स्किल सीखना मुश्किल ज़रूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है, आइये जानते हैं की बेस्ट सेलिंग एंटी गुरु सारा नाईट की नज़र में यह स्किल कैसे सीखी जा सकती है। सारा एक ऐसी महिला हैं जिन्हें पता है एक ऐसी जिंदगी में उलझे रहना कैसा होता है जिसे आपने डिजाइन न किया हो, और किस तरह इंसान इन सभी चीजों को बदल कर असली खुशी का एहसास कर सकता है।
इसका राज़ बस तीन वर्ड्स : यू, डू, यू
सारा कहती हैं कि आप को अपनी खुशियों को सब से ऊपर रखना चाहिए। और किसी को भी इतना हक़ नहीं देना चाहिए कि कोई आप को आ कर बताए की आप को क्या करना है और क्या नहीं। तो क्या हुआ अगर आपके सपने अजीब हैं? तो क्या हुआ अगर आप खुद अजीब हैं? लोग आपके बारे में क्या सोचते है इन सब बातो के लिए जिंदगी काफ़ी चोटी है।
इस समरी में इसके अलावा जानेंगे कि आपकी कमियां किस तरह आपकी सुपर पावर बन सकती है?, बिना मूर्ख कहलाए किस तरह अपने इंट्रेस्ट को आगे रखे? और एक किट्टी लीटर ट्रे आपके मेंटल हेल्थ के लिए क्या कर सकता है?
जिंदगी कई नियमों से भरी हुई है जिनमें से बहुत सारे नियम कहीं दर्ज नहीं है और समाज के द्वारा हम पर लाद दिए गए है। इनमें से कुछ बहुत अच्छे नियम है जैसे ‘अपने दोस्तों को बेतुकी फोटोज में टैग न करे’ और ‘बिना कपड़े पहने दरवाजा न खोलना।
लेकिन कई ऐसे नियम भी है जो बेतुके है और हमारा समाज ऐसे लोगो से भरा हुआ है जो हमे हमेशा बताते रहते है कि हमे कब कॉलेज जाना चाहिए, कब हमे बच्चे करने चाहिए और हमे पार्टी के लिए क्या पहनना चाहिए। इन नियमों को तोड़ने से आप जेल तो नही जायेंगे लेकिन समाज से अलग जरूर कर दिए जाएंगे।
लेकिन असल में सच्चाई तो यह है कि किसी को भी यह नहीं पता आप कौन हैं और किन चीजों से आपको खुशी मिलती है। दूसरो के हिसाब से जिंदगी जीने पर आप कहीं ना कहीं खुद को खो देंगे साथ ही आप अपने जिंदगी का लेवल नीचे गिरा सकते है और आपकी जिंदगी काफ़ी बुरी हो सकती है।
इन इस समरी में आप सीखेंगे की आप इस जाल से कैसे निकल सकते है। आप सीखेंगे सोशल एक्सपेक्टेशनस क्या होते है किस तरह आप इनमे से कुछ एक्सपेक्टेशनस ना करके खुद पर से बोझ हटा सकते है।
इनचीजों को अपनाने का सबसे बेस्ट तरीका है एक ऐसे मॉडल को अपनाना जिसका नाम है ‘मेंटल रीडिकोडिंग’ एक ऐसा तरीका जिसकी मदद से आप कमियों एक्सेप्ट कर सकते हैं।
यहां प्वाइंट यह है की इसमें कोई खराबी नही है की आप कौन है और आपको चीज़ खुश करती है बल्कि बुरे वो नियम हैं जो कहते है की आप गलत है।
अगर कुछ नियम के मतलब है तो कुछ ऐसे नियम भी है जो सेंसलेस है, आप कैसे इन्हें पहचान सकते है? अगर कोई ऐसा नियम हो जो आपको ज्यादा नुकसान पहुंचाए और लोगो को कम मदद पहुंचाए तो आपको उस पर सवाल करना चाहिए। यह आपके सामने तीन कॉमन कमांडमेंटस रख देते हैं- “अपना सौ परसेंट दे, टीम प्लेयर बने, और सबसे जरूरी..मतलबी ना बने।
चलिए यह मान लेते है की आपको हमेशा अपना सौ परसेंट देना है। वैसे लगातार ऐसा करना आपको बहुत मुश्किल में डाल सकता है और आपकी सेहत के लिए भी नुकसानदायक है।
जानिए लेखिका से:
सालों से सारा सुबह सूरज निकलने से पहले ही उठ जाती थीं और दिन रात पढ़ाई करती थीं। कॉलेज में उनके ग्रेड्स भी काफी अच्छे आते थे। लेकिन इन सब के बीच उन्होंने अपने हेल्थ पर ध्यान नहीं दिया और इस कारण उनके गले में लंप पैदा हो गया।
हमेशा खुद को परफेक्ट रखना भी आपके दुख और निराशा की वजह बन सकती है। इसे इस तरह सोचें अगर आपकी उबर रेटिंग टॉप पर है तो उसे बदलने के लिए उसे नीचे ही लाना होगा! इससे यह मालूम होता है की आपको खुद पर थोड़ी दया दिखानी चाहिए और इस बात को एक्सेप्ट कर लेना चाहिए की आप हमेशा परफेक्ट नहीं हो सकते।
फिर आता है यह नियम की ‘आपको हमेशा टीम की सुन्नी चाहिए अपने इंट्रेस्ट को पहले सामने रखना बिलकुल जायज़ है।
लेकिन बस अपनी जरूरतों और बातों को सामने रखना और लोगों की जरूरतों और बातों को नजरंदाज करना आपको मतलबी बनाता है जिससे आपको बचना है। आप को मतलबी नहीं बनना लेकिम ख़ुद को मुश्किल में डाल कर दूसरों की मदद भी नहीं करनी है। क्योंकि आप ख़ुद सही सलामत होंगें तभी किसी और की मदद कर पाएंगे।
अगर आप यह भूल जाए तो इसे इस एग्जांपल से याद रखें – आपको एयरप्लेन में सबसे पहले खुद को ऑक्सीजन मास्क पहनने की इंस्ट्रक्शन दी जाती है क्योंकि अगर आप सही सलामत रहेंगे तभी तो आप अपने बच्चे को भी ऑक्सीजन मास्क पहना सकेंगे।
फाइनली यह बात समझना बहुत जरूरी है की कई लोग टीम प्लेयर होते है और कई टीम प्लेयर नहीं होते। अगर आप टीम प्लेयर नही हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। आप बस खुद को वैसे एक्सेप्ट करे जैसे आप है।
अपने नियमो पर मजबूती से खड़े रहने में कोई बुराई नहीं है लेकिन बात यह है की कई बार आपको यह बोला जाएगा की आप एक काफी कठोर इंसान हैं और इस हरकत को बचकाना भी कहा जाएगा, लेकिन आप को लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देना है और अपने गोल की तरफ आगे बढ़ते रहना है।
इमेजिन करिए की आप एक रेस्टोरेंट में है और आपको अपना स्टेक अच्छा रखना बहुत पसंद है। वैसे यह बहुत कम बार होता है लेकिन जैसे ही वेटर आपका ऑर्डर लेकर आया आपने उसे स्टेक के बारे में वापस से रिमाइंड किया। बहुत लोग यह कह सकते है की आप बेमतलब की कमियां निकाल रहे है।
अगर अपनी पसंद दुनिया के सामने रखना आपको कठोर बनाता है तो वो ही सही। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप इन सब के चक्कर में मूर्ख बन जाए।
खुद के लिए खड़े होना आपको जिंदगी में कई जरूरी डिसीजन लेने में मदद करता है। क्योंकि कई बार औरों के डिसीजन आपको जिंदगी में रोक सकते है।
चलिए मान लीजिए कि आप अपना जॉब छोड़ना चाहते है लेकिन आप इस बात से काफी परेशान है की ऐसा करने पर आपके घर में पैसों की दिक्कत आसकती है और आपकी जिंदगी मुश्किल हो सकती है तो इस ख्याल से जॉब न छोड़ना जायज़ है। लेकिन इस खयाल में आकर जॉब ना छोड़ना कि लोग क्या कहेंगे यह बिल्कुल भी जायज़ नहीं।
कई लोग अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए अलग अलग टाइप के रास्ते अपनाते है कुछ आसान तो कुछ थोड़े मुश्किल लेकिन आप कौन सा रास्ता अपनाते है यह कोई और नहीं आपको ही सोचना चाहिए।
अब सारा को ही ले लीजिए वे मानती हैं की बच्चे करना एक आसान डिसीजन है अगर आप करना चाहती है तो करिए अगर नही करना चाहती तो न करिए। लेकिन इनमें से दूसरा डिसीजन लेना काफी मुश्किल हो जाता है। जब लेखिका ने यह डिसाइड किया की वो बच्चे नही करना चाहती हैं तो कई लोगों ने उन्हें यह कहना शुरू कर दिया कि वो बाद में पछताएंगी। और इसी तरह अक्सर कई लोगो को वो करने के लिए मजबूर कर दिया जाता है जो वो नही करना चाहते।
कुछ ऐसा करना जो लोग चाहते है पर आप नही, बिलकुल भी जायज़ नही है क्योंकि उसके परिणाम आपको झेलने पड़ेंगे उन्हें नहीं। अगर आप वेजिटेरियन होना चाहते हैं तो आगे बढ़े, अगर आप बच्चे नही करना चाहते हैं तो न करे अगर आप लोगों को किसी चीज के लिए फोर्स नही कर रहे तो उनका हक नही बनता कि वो आपको फोर्स करे।
कई बार हमे यह बताया जाता है की कॉलेज और जॉब पाना सक्सेस है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं, असल में सक्सेस का मतलब यह होता है की आप अपने खुदके गोल्स पूरे कर पा रहे है या नहीं। किसी को हाई सैलरी वाली जॉब चाहिए तो किसी को अच्छी फैमिली लाइफ, सबके लिए सक्सेस के मायने अलग हो सकते है।
पेसिमिस्ट यानी निराशावादी और अजीब होने के अपने फायदे है।
“तुम ऐसे एटीट्यूड को लेकर कहीं नहीं जा सकते”
यह लाइन लोग अक्सर उन्हें कहते हैं जो समाज के बनाएँ खोखले नियमों से बाहर निकलना चाहते हैं या कुछ नया करना चाहते हैं। उनके कहने का यह मतलब होता है कि आपका व्यवहार काफी अजीब है और आपको समाज में फिट होने के लिए चेंज होना पड़ेगा।
इसमें कोई दोराहे नहीं है कि कंटेंपरेरी वेस्टर्न समाज में यह माना जाता है कि अगर आपको सक्सेसफुल बनना है तो आपको ऑप्टिमास्टिक बनना पड़ेगा लेकिन कुछ लोग जैसे लेखिका नेचुरल पेसिमिस्ट रही हैं।
कई बार निराशावादी होना काफी फायदेमंद साबित होता है क्योंकि उन्हें पता होता है कि कुछ बुरा हो सकता है तो उनके पास पहले से प्लान बी तैयार रहता है लेकिन एक आशावादी व्यक्ति ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकता। इसलिए कई बार निराशावादी व्यक्ति अपना काम जल्दी पूरा कर लेते हैं क्योंकि वो यह सोचते हैं कि हो सकता है कोई बुरा वक्त आजाए या कुछ अनहोनी होजाए और इन चक्करों में वे डेडलाइन से पहले अपना काम पूरा कर लेते हैं।
इस से हमे यह पता चलता है कि हमें अपने अंदर की नेगेटिविटी को दबाना नही चाहिए बल्कि उसे वक्त के इशारे की तरह देखना चाहिए और हमें इस बात से बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ना चाहिए की लोग हमें अजीब कहते हैं।
अगर आप कुछ साल पहले लेखिका के ऑफिस जाते तो एक काफी अजीब चीज़ देखने को मिलती – एक लीटर ट्रे जिसमें रेत भरी हुई थी और वो उनके डेस्क के नीचे थी जिसमें वो बीच बीच में अपने पैर डाल लेती थीं। वो ऐसा क्यों करती थीं यह जानने के लिए हमे थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा।
लेखिका को उनका पहला पैनिक अटैक 31 साल की उमर में आया था। पहले वो डॉक्टर से सलाह लेने के मामले में काफी परेशान थीं वो नही चाहती थीं की कोई उन्हें पागल समझे।
लेकिन उन्होंने डॉक्टर को दिखाने का डिसीजन लिया और जब वो डॉक्टर के पास गयीं तो उनसे हर वो चीज लिखने को कहा गया जो उन्हे खुशी देती हो। लेखिका ने सबसे पहले बीच के रेत में अपने पैर लिखा।
तो इसलिए वो एक लीटर ट्रे में बालू रखती थीं। हमे इससे ये सीख मिलती है कि पहली बात तो यह है की मेंटल हेल्थ से जुड़ी कई स्टिगमा यानी कलंकित बातें हैं। लेकिन इन बातो से डर कर हमे मदद लेने से पीछे नहीं हटना चाहिए। साथ ही यह भले ही अजीब लगे मगर एक ट्रे रेत आपके मेंटल हेल्थ के लिए जरूरी हो सकता है।
खुद का खयाल रखना बस यह नहीं की अपने प्रॉब्लम्स से लड़ना बल्कि इस का मतलब अपने जिंदगी में चीजों को प्रायोरिटाइज़ करना भी होता है।
कई बार हमे यह सुनने में आता है की “फैमिली कम्स फर्स्ट” लेकिन यह आप पर है की आप किसे पहले रखना चाहते है। मान लीजिए आपके भाई राहुल और आपके दोस्त आदित्य की शादी एक ही दिन है। अगर आप राहुल की शादी में जाना चाहते हैं तो बिलकुल जाए आदित्य आपकी हालत जरूर समझेगा।
लेकिन क्या हो अगर आप आदित्य की शादी में जाएँ? फिर भी राहुल आपका भाई ही रहेगा क्योंकि आपको यह तो मालूम ही होगा की खून का रंग पानी से गहरा होता है। अपने प्रायोरिटी के हिसाब से डिसीजंस लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन जो मायने रखता है वो है आपके लॉन्ग टर्म रिश्ते।
हम पर हमेशा एक पर्टिकुलर तरीके से दिखने या काम करने का प्रेशर रहता है। समाज की इन बातो को पूरा करने से यह प्रेशर कम जरूर हो सकता है लेकिन हमे खुशी नही दे सकता। खुशी हमे तभी मिल सकती है जब हम कोई काम अपने मन या अपने तरीके से करे।
इसका मतलब यह है की आप चाहे तो समाज के नियमो से बाहर निकल सकते है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप लोगो से बुरा बिहेव करें। जब लेखिका न्यू यॉर्क में रहती थीं तो एक इंसान उन्हे हमेशा मुस्कुराने के लिए कहता था लेकिन वो यह सोचती थीं कि एक फेक स्माइल करने का क्या फायदा?
आपको इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि आप ऐसे दोस्तों से दूर रहें जो आपको बुरा भला कहते हैं क्योंकि आप किसी चीज में बेहतर हैं। 2005 में जब लेखिका 26 साल की थीं तब उन्होंने एक पब्लिशिंग हाउस में अपने सुपीरियरस को एक प्रेजेंटेशन दी जोकि काफी अच्छा थी। और उन्होंने यह बात अपने एक कॉलीग को बताई जिसने यह कहा की वो अपनी तारीफ़ खुद करती हैं या यूँ कहें की वो सेल्फ कांग्रेचूलेटरी है।
लेकिन अगर ऐसा कभी आपके साथ हो तो ध्यान रखिएगा की सेल्फ एस्टीम और कॉन्फिडेंस आप की अपनी एबिल्टी है और इससे आपको शर्माना नही चाहिए।
दुनिया में कई नियम होते हैं, बेहतर यही है कि हम उन्हें इग्नोर करें और अपने मन से काम लें। जब हम खुद को अपना लेते हैं तो अपने गोल की तरफ और तेज़ी से बढ़ते हैं और यही हमें खुशी के रास्ते पर ले जाती है।
WND का ख्याल रखे
यह एक आसान तरीका है जो आपको चीजों को प्रायोरिटाइज करने में हेल्प करेगा – व्हाट यू वांट? (आपको क्या चाहिए), व्हाट यू नीड? (आपको किन चीजों की जरूरत है?), व्हाट यू डिजर्व? (आप किन चीजों के हकदार हैं?)
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह You Do You Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
आज आपने इस बुक से क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समाय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.